बुढ़ापे का सहारा DINESH KUMAR KEER द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

बुढ़ापे का सहारा

बुढ़ापे का सहारा

सीमा... आखिर बात क्या है कल से देख रहा हूं तुम बार - बार छत पर जाती हो ... कई बार छत से चढ़ते - उतरते हुए देखकर आखिरकार दिनेश जी ने अपनी पत्नी जानकी से पूछा ही लिया...
कुछ नहीं... सीमा बहुत हल्के स्वर में बोली
अरे बताओ भी कोई हमसे ज्यादा अच्छा आ गया है क्या उधर... मजाकिया अंदाज में दिनेश जी ने सीमा से पूछा
बिना सोचे समझे मुझसे ये बेकार की बातें मत बोला करो ... नहीं तो अच्छा नहीं होगा ... कहे देती हूं
अरे... अरे... में तो मज़ाक कर रहा था और तुम बुरा मान गयी ... ऐ क्या हुआ कुछ बताओ भी तुम ऐसे उदास सी क्यों हो गई हो
बताया ना कुछ नहीं हुआ ... हटिए मुझे जाने दीजिए... आप नहीं समझोगे...
नहीं समझेंगे मतलब ... ऐसा कौन सी बात है सीमा जो तुम समझाती हो और में नहीं समझ सकता...
हमारी शादी को बाईस साल बीत चुके हैं तुम्हें मेरी तो मुझे तुम्हारी हर अच्छी बुरी आदतों का पता है ये अचानक क्या हुआ जो आपको समझ आ गया है और मुझे नहीं आएगा...
देखिए बात मत बढ़िऐ ... मुझे कुछ देर के लिए अकेला छोड़ दीजिए
अकेले छोड़ दें साथ फेरे लेकर लाएं हैं तुम्हें जन्म जन्मांतर के बंधन में बांध कर ऐसे कैसे अकेले छोड़ दें तुम्हे... देखो जानकी तुमको अब मेरी कसम है सच - सच बताओ आखिर बात क्या है...
आपने क्यों अपनी कसम दी मुझे ... कहते हुए अचानक जानकी रो पडी
सीमा ... देखो ऐसे मत करो ... ईश्वर के लिए बताओ मेरा मन घबरा रहा है अब ... आज से पहले मैंने तुम्हें ऐसे रोते हुए नहीं देखा जरुर कोई बात है बोलो... सीमा बोलो...
वो अपने साथ वाले घनश्याम भैया है ना उन्होंने अपने गाय का बछड़ा बेच दिया कहकर जानकी फिर से सुबकने लगी...
बछड़ा बेच दिया ... तो इसमें परेशान होने की क्या बात है अब बछड़े को कब तक पाले बेचारा बैल बना कर रखना तो था नहीं सो बेंच दिया होगा...
जानती थी आप नहीं समझेंगे... इसलिए नहीं बता रही थी एक गाय का दर्द नहीं दिखा ना आपको...
जब से वो बछड़ा खुट्टे पर से गया है गाय एक मिनट के लिए भी नहीं बैठी है उसकी आँखों में देखोगे तो हिम्मत जबाब दे देगी आपकी भी
अरे भाई ये तो होता ही है इसमें क्या किया जा सकता है...
जानते हैं अपने अनीश को भी कनाडा गए हुए चार साल हो गए... शादी से पहले हर दिन फोन करता था और शादी के बाद हफ्ते मैं ... हफ़्ते कब महीने में बदल गये और आज छह महीने हो चुके हैं उसका कोई भी फोन आए...
हां .... ना तो वो फोन करता है और ना उठाता है लेकिन उसका इन सब बातों से क्या लेना देना है दिनेश जी ने हैरानी से सीमा की और देखकर पूछा
हमने भी तो बीस लाख और एक गाड़ी में अपने बछड़े को…. कह कर सीमा एक बार फिर से सुबकने लगी आंखें तो दिनेश जी की भी भीगी हुई थी आखिरकार उन्होंने ही तो एक बार एक गरीब परिवार से आएं एक लड़की के पिता को जो कि उनके यहां अपनी बेटी का रिश्ता लेकर आएं थे को कहा था अपने बेटे की शादी वो ऐसे घर में करवाएंगे जो उन्हें नगद अठारह बीस लाख देगा और चार पहिया गाडी देगा और उन्होंने अपनी जिद पूरी भी की एक अमीर आदमी की बेटी से अपने बेटे अनीश की शादी करवा दी एक साथ इतना अधिक पैसा देखकर वो बहुत के साथ घूमने कनाडा गया और फिर वहां की ही दुनिया का होकर रह गया वहीं नौकरी वहीं घर लेकर बस गया...
काश... काश ... उन्होंने भी लालच नहीं किया होता तो... अगर वह भी एक गरीब परिवार की बेटी को अपने घर की बहु बनाकर लाते तो आज उनके बुढ़ापे में उनके सहारे की दो - दो लाठियां उनके साथ होती सोचते हुए दिनेश जी भी सीमा के गले लगकर रो पड़े ... और बुदबुदाने लगे ... बोया जो पेड़ बबूल का तो उसमें से फल की इच्छा कैसे करें ...