बागेश्वर धाम की दिव्य शक्तियों का रहस्य - 2 Mohit Rajak द्वारा आध्यात्मिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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बागेश्वर धाम की दिव्य शक्तियों का रहस्य - 2

                         अध्याय- 3

दिव्य दरबार

 

शास्त्री जी का दिव्य दरबार रहस्य का केंद्र बना हुआ है , दरबार में शास्त्री जी लाखो की भीड़ में किसी को भी बुला लेते है। और उनके मन में जो भी प्रश्न होता है वह पर्चे पर पहले लिख देते है और उनका समाधान के बता देते है , शास्त्री जी के दरबार के आस्था के मेला लगता है लोग दरबार को देखने के लिए देश के कोने कोने से आते है और विदेशी भी उनके कथाओ और दरबार के आते रहते है ,

दिव्य दरबार का सच जानकर लाखों लोग हैरान हो जाते हैं क्योंकि यहां पर किसी के बिना बताए ही बागेश्वर धाम सरकार द्वारा समस्याएं बता दी जाती हैं ।

 

बागेश्वर धाम आश्रम पर आकर कई बड़े-बड़े न्यूज़ चैनलों ने जांच पड़ताल की ओर धोखाधड़ी को पकड़ने की कोशिश की परंतु वहां पर स्पष्ट रूप से किसी को कुछ भी नहीं मिला । बाबा की शक्ति के बारे में कई लोगों ने जानने की कोशिश की परंतु इसके बारे में किसी को कुछ भी हाथ नहीं लगा ।

 

दिव्य दरबार के चमत्कार के बारे में दुनिया का हर एक शख्स जानता है क्योंकि करोड़ों की संख्या में बागेश्वर धाम महाराज के वीडियो देखे जा चुके हैं जो यूट्यूब प्लेटफार्म पर फेसबुक के माध्यम से अन्य जगह पर उपलब्ध हैं ।

बागेश्वर धाम आश्रम पर आए दिन कोई ना कोई मीडिया एंकर हमेशा आता रहता है और बागेश्वर धाम आश्रम की महिमा के बारे में जनता के बीच अपना पक्ष रखता है । बागेश्वर धाम आश्रम के बारे में जानने के बाद लोग अक्सर हैरान रह जाते हैं क्योंकि यहां की महिमा बड़ी विचित्र है जिसके बारे में जानने के लिए हर कोई जिज्ञासु रहता है ।

बागेश्वर धाम आश्रम पर यहां की सबसे विचित्र बात यह है कि जो रोग दुनिया के किसी भी कोने में ठीक नहीं होता बागेश्वर धाम आश्रम पर उसके ठीक होने की 100% संभावना होती है । दोस्तों भूत प्रेत से पीड़ित व्यक्ति बड़ी ही जल्दी इस धाम पर ठीक हो जाता है ।

बागेश्वर धाम में होने वाले चमत्कारों को लेकर, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का कहना है। कि उस दिव्य आत्मा से जुड़ने के लिए, ध्यान विधि योग का प्रयोग करते हैं। जिसे त्राटक भी कहा जाता है। साथ ही उन पर गुरु कृपा भी है। जिसके कारण उनके मन में एक ऊर्जा का संचार व अनुभव हो जाता है। 

 

      जिसके माध्यम से वह सामने वाले व्यक्ति, यहां तक की उनसे हजारों किलोमीटर दूर बैठे व्यक्ति की। समस्याओं को भी जान लेते हैं। जिसमें उस व्यक्ति की समस्याओं के अतिरिक्त पारिवारिक जानकारी, उसका नाम व पता। सभी कुछ पहले ही बता दिया जाता है। साथ ही उसका उपचार भी हो जाता है। 

 

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी के द्वारा कागज पर किसी के बिना बताए ही मन की बात पर्चा लिख दी जाती है। पंडित श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी कैसे इसके बारे में पता लगा लेते हैं यह एक बहुत बड़ा विषय है जिसे लोगों ने जानने की बहुत कोशिश की है परंतु इसके बारे में नाकाम रहे ।

 

बागेश्वर धाम सरकार के दिव्य दरबार के भूत और प्रेत आत्माओ का शास्त्री जी के द्वारा दूर किया जाने आपने अप्प में शोध का विषय है साधारण व्यक्ति की सोच से परे कुछ ऐसी अदृश्य एवं नेगेटिव ऊर्जाएं है  जो शास्त्री जी के दरबार में उनके द्वारा मन्त्र पढ़े जाने पर दूर हो जाते है । जिस व्यक्ति के अंदर नेगेटिव ऊर्जाएं होती है वे व्यक्ति स्वय ही चिल्लाने और कूदने लगता है ऐसा क्यों होता है इसके पीछे क्या कारण है ?

इसका कोई प्रामाणिक उत्तर तो नहीं है परन्तु हमारे समझने के लील्ये कुछ विज्ञानिको का शोध किये गए है जिससे हमें इस चीजों की जानकारी मिल सकती है ।

 

अगर आप बचपन के दिनों को याद करेंगे तो दादी-नानी से आपने भूत की कहानियां तो जरूर सुनी होंगी? वहीं, बच्चे इन कहानियों पर विश्वास करते हुए भी नजर आते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि भूत होते हैं। यहां तक कि फिल्मों और सीरियल्स में भी भूत का जिक्र देखने को मिल ही जाता है। ऐसे में विश्वास थोड़ा और बढ़ जाता है, लेकिन ये विश्वास पूर्ण तौर पर सबको नहीं होता है क्योंकि इस बात को लेकर हमेशा ही दो राय नजर आती हैं कि क्या भूत होते हैं या फिर नहीं। इन दिनों इस बात की चर्चा इसलिए भी जोरों पर है क्योंकि बागेश्वर धाम वाले बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री विवादों में हैं। दरअसल, इन पर आरोप है कि ये कैमरे पर भूत भगाने का दिखावा करते हैं और इससे अंधविश्वास को बढ़ावा मिल रहा है। ऐसे में आपके मन में ये सवाल जरूर चल रहा होगा कि क्या भूत-प्रेत सच में होते हैं? तो चलिए जानते हैं कि इसको लेकर धर्म की क्या मान्यता है और इस पर विज्ञान का क्या मानना है?

 

भूतों को लेकर क्या मानना है धर्म और विज्ञान का?

क्या वाकई होते हैं भूत?

दरअसल, भूत होते हैं या नहीं इसको लेकर अलग-अलग मत नजर आते हैं। जहां कई लोग मानते हैं कि भूत होते हैं, तो कई लोग इन पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं करते हैं और उनके मुताबिक ये सिर्फ व्यक्ति के मन का वहम होता है। ऐसे में इस बात का कोई स्पष्ट जवाब नजर नहीं आता है कि क्या वाकई में भूत होते हैं या नहीं।

 

भूतों को लेकर क्या मानना है धर्म और विज्ञान का?

धर्म के हिसाब से?

बात अगर धर्म की करें, तो कई धार्मिक मान्यताओं में भूत-प्रेत जैसी शक्तियों के अस्तित्व को अपने-अपने हिसाब से स्वीकार किया है। दुनिया की कई संस्कृतियों में लोग आत्माओं और मृत्यु के साथ ही दूसरी दुनिया में रहने वाले लोगों पर भरोसा भी करते हैं। यही नहीं, कई लोग इसको लेकर पूजा-पाठ करते हुए भी नजर आते हैं। उदाहरण के लिए धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कई जगहों पर श्मशान घाट में जाने से खासतौर पर बच्चों और महिलाओं को मना किया जाता है, क्योंकि इस बात का डर होता है कि इन लोगों पर भूत-प्रेत हावी हो सकते हैं।

 

 

यही नहीं, कई जगहों पर तो किसी व्यक्ति पर भूत लगने जैसी बातें भी सामने आती हैं, जिसको भगाने के लिए धार्मिक अनुष्ठान तक किए जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, आत्मा अजर-अमर है जो व्यक्ति के मरणोपरांत भी नष्ट नहीं होती है और फिर इन्हीं में से अतृप्त आत्माओं की कल्पना भूत-प्रेत के रूप में की जाती है।

 

विज्ञान क्या मानता है?

सवाल ये भी है कि आखिर विज्ञान भूत-प्रेत को लेकर क्या मानता है? वैज्ञानिक आधार पर भूतों पर रिसर्च करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है, क्योंकि इसमें कई तरह की अजीबोगरीब और अप्रत्याशित घटनाएं घटती रहती है। इसमें किसी मृत का दिखना, परछाई का बनना, दरवाजों का खुद खुल जाना आदि शामिल है।

 

साल 2016 में समाजशास्त्री डेनिस और मिशेल वासकुल ने भूतों पर 'Ghostly Encounters: The Hauntings of Everyday Life' नाम की एक किताब लिखी थी, जिसमें कई लोगों के द्वारा भूतों पर किए गए अनुभव पर कहानियां थी। वहीं, इस किताब के जरिए सामने आया कि कई लोग इस बात को लेकर पुख्ता ही नहीं थे कि उन्होंने सच में भूत ही देखा है।

 

भूत पर विश्वास करना दुनिया में सबसे ज्यादा मानी जाने वाली पैरानॉर्मनल एक्टिविटी में से एक है। विज्ञान की मानें तो जब भूतों को लेकर सोचा जाता है, तो पहली बात ये सामने आती है कि क्या ये वस्तु है या नहीं? क्या वो किसी दरवाजे को खोल और बंद कर सकते हैं? क्या भूत किसी चीज को फेंक सकते हैं आदि? भूतों से जुड़ी इन चीजों को लेकर कई तरह के विवाद हैं। ऐसे में विज्ञान में भूतों के होने का स्पष्ट जवाब नजर नहीं आता है।

 

डर या भय, इसका सामना हर इंसान करता है. क्या वाकई कोई चीज हमें डराना चाहती है या फिर मस्तिष्क भ्रम पैदा कर हमें असुरक्षित महसूस कराता है. असाधारण घटनाओं का वैज्ञानिक अध्ययन करने वाली पैरासाइकोलॉजी, इसी डर का जवाब खोजने की कोशिश कर रही है. बकिंघमशायर न्यू यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. कायरन ओकीफ कहते हैं, "पैरासाइकोलॉजिस्ट मुख्य रूप से तीन प्रकार की रिसर्च में शामिल हैं. पहला इलाका है, विचित्र किस्म का आभास. इसमें टेलिपैथी, पहले से आभास होना या परोक्षदर्शन जैसी चीजें आती हैं. दूसरा है, मस्तिष्क के जरिये कोई काम करना, जैसे बिना छुए चम्मच को मोड़ देना. तीसरा है, मृत्यु के बाद का संवाद, जैसे भूत प्रेत या आत्माओं से संवाद."

 

असाधारण घटनाक्रम से जुड़े मनोविज्ञान को समझने के लिए वैज्ञानिक न्यूरोसाइंस की भी मदद ले रहे हैं. असामान्य परिरस्थितियों में कई बार हमारी आंखें अलग ढंग से व्यवहार करती हैं. कम रोशनी में आंखों की रेटीनल रॉड कोशिकाएं सक्रिय हो जाती हैं और हल्का मुड़ा हुआ सा नजारा दिखाती हैं. डॉक्टर ओकीफ के मुताबिक, "आंख की पुतली को बेहद कोने में पहुंचाकर अगर हम आखिरी छोर से कोई मूवमेंट देखें तो वह बहुत साफ नहीं दिखता है. डिटेल भी नजर नहीं आती है. सिर्फ काला और सफेद ही दिखता है. इसका मतलब साफ है कि रॉड कोशिकाएं रंग नहीं देख पा रही हैं. हो सकता है कि ऐसी परिस्थितियों में हमारा मस्तिष्क सूचना के अभाव को भरने की कोशिश करता हो. दिमाग उस सूचना को किसी तार्किक जानकारी में बदलने की कोशिश करता है. हमें ऐसा लगने लगता है जैसे हमने कुछ विचित्र देखा है. तर्क के आधार पर हमें लगता है कि शायद कोई भूत है."

 

ऐसे भले ही कुछ पलों के लिए होता हो, लेकिन इसके बाद इंसान के भीतर हलचल शुरू हो जाती है. सांस तेज चलने लगती है, धड़कन तेज हो जाती है, शरीर बेहद चौकन्ना हो जाता है. कुछ लोगों को बहुत ज्यादा डर लगता है और कुछ को बहुत कम, वैज्ञानिक इसके लिए मस्तिष्क में मौजूद न्यूरोट्रांसमीटरों को जिम्मेदार ठहराते हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक जिस तरह हर व्यक्ति में भावनाओं का स्तर अलग अलग होता है, वैसा ही डर के मामले में भी होता है. ओकीफ कहते हैं, "डरावने माहौल में कुछ लोगों के मस्तिष्क में डोपोमीन का रिसाव होने लगता है, इसके चलते उन्हें मजा आने लगता है, जबकि बाकी लोग बुरी तरह डर रहे होते हैं." वैज्ञानिकों के मुताबिक बचपन में खराब अनुभवों का भी डर से सीधा संबंध है. अक्सर भूतिया कहानियां सुनने वालों या हॉरर फिल्में देखने वाले लोगों के जेहन में ऐसी यादें बस जाती हैं. और जब भी कोई असाधारण वाकया होता है, तो ये स्मृतियां कूदने लगती हैं.

 

जब हम कोई पुरानी जर्जर इमारत देखते हैं, जहां अंधेरा हो, आस पास कोई आबादी न हो, तो हमें भय का अहसास होने लगता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक ज्यादातर हॉरर फिल्मों में ऐसी इमारतों को भूतिया बिल्डिंग के रूप में पेश किया गया. यह जानकारी हमारे मस्तिष्क में बैठ चुकी हैं. ऐसी इमारत देखते ही हमारा मस्तिष्क हॉरर फिल्मों की स्मृति सामने रख देता है. डर पैदा कर मस्तिष्क ये चेतावनी देता है कि इस जगह खतरा है, जान बचाने के लिए यहां से दूर जाना चाहिए. इसके बाद धड़कन तेज हो जाती है और पूरा बदन फटाक से भागने या किसी संकट का सामना करने के लिए तैयार हो जाता है. यह सब कुछ बहुत ही सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक स्तर पर होता है.

 

ओकीफ कहते हैं कि किसी शख्स से इतना भर कह दीजिए कि यह इमारत भूतिया है तो उसके भीतर एक अजीब सी भावना फैलने लगेगी. इसके बाद उस इमारत में जो कुछ भी सामान्य ढंग से घटेगा, वो डरावना महसूस कराने लगेगा. लेकिन क्या भूत होते हैं, इसके जबाव में ओकीफ कहते हैं, "कल्पना और भूतों पर विश्वास या विचित्र परिस्थितियां, इनके संयोग से ऐसा आभास होता है कि जैसे हमारे अलावा भी कोई और है, जबकि असल में कोई और होता ही नहीं है." लेकिन किसी चीज को बिना छुए उसमें हलचल कर देना या फिर पूर्वाभास व टेलिपैथी जैसे वाकये अब भी विज्ञान जगत को हैरान कर रहे हैं. ओकीफ जानते हैं कि मस्तिष्क की कुछ विलक्षण शक्तियां अब भी विज्ञान के दायरे से कोसों दूर हैं.

 

 

 

                                     

अध्याय - 4

शास्त्री जी को दिव्य शक्तिया कैसे मिली थी ?

 

 

 

 

 

 

शास्त्री जी ने स्वयं इसका जिक्र अपनी एक कथा के दौरान किया था

जब दादा गुरुदेव बागेश्वर धाम पर अपना दरबार लगाया करते थे उन दिनों भी दादा गुरुदेव के दरबार के बड़े बड़े अधिकारी उनके दरबार में गुरुदेव के मिलने और उनसे मार्गदर्शन लेने आते थे दादा गुरदेव सभी के समस्याओ का समाधान बता देते थे। उस समय भी दादागुरुदेव का दरबार इसप्रकार लगता था उनKE दरबार में भी अर्जी लगती थी।

जब शास्त्री जी ११-१२ बर्ष के रहे होंगे वह रोज दादा गुरुदेव के पास बैठने जाते और उनसे गीता , महाभारत और रामायण की कहानिया सुनते थे।  शास्त्री के चाचा ताऊ के बच्चो को मिलकर सभी १० भाइयो में शास्त्री जी पर दादा गुरु देव का विशेष स्नेह रहा दादा गुरु देव अक्सर जिस नारियांL के प्याले में चाय पीते थे उसे में से  कुछ बची हुए चाय शास्त्री जी को दे देते थे। ये दादा गुरु का शास्त्री जी पर स्नेह ही था की दादागुरु देव अपनी झूठी चाय शास्त्री जी को दे देते थे। और शास्त्री जी चाय पीकर प्याले को धोकर रख देते थे

एक बार शास्त्री जी बहुत ही दुखी और उदास थे उनकी घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी शास्त्री जी अपने परिवार में भाई बहन में सबसे बड़े थे तो परिवार की पूरी जिम्मेदरी शास्त्री जी पर थी।  शास्त्री जी दुखी मन से अपने दादा गुरु के पास गए और कहा की दादा गुरु आप सबकी अर्जी लगते हो मेरी भी अर्जी लगा दो हमारे घर की हालात बहुत ख़राब है ऐसे कहते हुए शास्त्री जी के आंख से आंसू झलक आये

दादा गुरु देव ने शास्त्री जी से कहा की धीरू शाम को मंदिर में मिलना।

जब शास्त्री जी शाम को मंदिर में पहुंचे तो दादा गुरु ने उनका हाथ पकड़ा और हनुमान जी की मूर्ति में सामने कड़ा कर दिया और कहा आज से बाला जी तुम्हारे है और तुम बालाजी के और फिर गुरुदेव के समक्ष का दिव्य प्रकाश उत्पन्न हुआ ( यह आचार्यपूर्ण है क्युकी इसे ज्ञान से जान पाना मुश्किल है ये तो आभाष करने का विषय है ) शास्त्री जी को एक दिव्य तेजमय प्रकाश का दर्शन हुआ। फिर शास्त्री जी मंदिर से चले आये।

शास्त्री जी अगली सुबह सोचते है दादा गुरु देव ने के केवल चमत्कार दिखया , मेरी समस्या का समाधान को किया नहीं, मुझे ये नहीं बताया की  मुझे धन कहा से मिलेगा जिससे मैं अपनी परिवार की गरीबी दूर कर सकूँ, मुझे कोई सोने का घड़ा बता देते या हीरो का पता की जा जा के खोद के शास्त्री जी ये सोचने लगे। परन्तु शास्त्री जी को उस समय या नहीं पता था की दादा गुरु देव ने उन्हें वह संपत्ति दी है जो कभी भी समाप्त नहीं हो सकती।

इस घटना के बाद शास्त्री जी को आभास होने लगे उन्हें लगता मनो कोई उन्हे मन के पेरणा दे रहा है , कोई अंदर ही उन बता रहा है उन्हें कोई दिखता नहीं था किन्तु होने इसका आभास हो जाता था।  जब कोई भी व्यत्कि शास्त्री जी के सामने आकर बोलता जो शास्त्री जो ये आभास हो जाता की ये व्यक्ति मुझसे ऐसा बोलेगा।  ये सब किसी के बोलने से पहले ही शास्त्री जी को पता लग जाता परनतु वह किसी से संकोच बस उससे कहते नहीं थे।

जब ये बात शास्त्री जी ने आपने दादा गुरु को बताई तो वह हसने लगे और शास्त्री जी को हनुमान चालीसा का पाठ करने तो बाला जी की साधना करने को कहा।

शास्त्री जी ने दादागुरु देव के आज्ञा से हनुमान जी की साधना की, जप तप किया। और इस प्रकार शास्त्री जी को दादा गुरु देव और हनुमान जी की कृपा से सिद्धिया प्राप्त हुए।

और शास्त्री जी आज भी इसे उनके दादागुरुदेव और बागेश्वर बाला जी के कृपा बताते है और यह सब उन्ही की कृपा के प्रभास से करते है।