डाकू और मजदूर की कहानी DINESH KUMAR KEER द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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डाकू और मजदूर की कहानी

डाकू और मजदूर की कहानी

मुश्किल समय में धैर्य नहीं खोना चाहिए
एक बार एक व्यक्ति दिन भर मजदूरी करके पैसे कमाने के पश्चात अपने घर की तरफ जा रहा था। सर्दियों के दिन थे और शाम ढल चुकी थी। सर्दी से बचाव के लिए उसने चादर ओढ़ रखी थी। उसके इलाके में डाकूओं का बहुत प्रकोप था। अक्सर डाकू लोगों से उन का धन और कीमती सामान लूट कर ले जाते थे।

वह व्यक्ति शारीरिक रूप से मजबूत और ताकतवर था। जब वह अपने घर की तरफ जा रहा था तभी एक डाकू अचानक से उसके सामने आ गया और उसको बंदूक दिखाकर कहने लगा कि," जो कुछ भी है तुम्हारे पास मुझे दे दो।"

उस व्यक्ति ने भांप लिया कि यह डाकू शारीरिक से तो मुझ से कमजोर लग रहा है इसकी असली ताकत इसकी बंदूक है। अगर किसी तरह मैं इसकी यह ताकत खत्म कर दूं तब ही इससे जीत सकता है।

उसने अपनी पैसों वाली पोटली निकली और उस डाकू को दे कर रोने गिड़गिड़ाने लगा। वह व्यक्ति डाकू से कहने लगा कि,"मेरी पत्नी बहुत झगड़ालू है, उसने मेरा जीना हराम कर रखा है, अगर मैं आज बिना पैसों के घर गया तो वह फिर से मुझे से झगड़ा करेंगी कि मैंने जुएं में पैसे हारा दिये होंगे या फिर किसी वेश्या को दे दिये होंगे।

आप ऐसा करो कि मेरी टोपी में एक गोली मार दो ताकि मैं बता सकूं कि मेरे पैसे डाकू लूट कर ले गए हैं। डाकू उसकी बातों में आ गया और उसने टोपी में एक गोली मार दी।

अब वह व्यक्ति कहने लगा कि घर परिवार को लगना चाहिए कि मुझ पर बहुत शक्तिशाली डाकू ने हमला किया था इसलिए मेरे कोट में भी गोली मार दो। व्यक्ति ने कोट उतारा और डाकू ने उसमें गोली मार दी।

जब जैसे ही डाकू जाने लगा वह व्यक्ति बोला कि आप मेरी एक प्रार्थना और मान लें और मेरी चादर में भी दो - चार गोलियां मार दें। डाकू ने जाने की जल्दी में उसकी वह बात भी मान ली। इस बार भी डाकू जैसे ही जाने के लिए मुड़ा वह व्यक्ति फिर से बोल पड़ा मेरी एक बात और मान लो।

डाकू गुस्से से तमतमा उठा और कहने लगा कि अब बस कर आगे तेरी पत्नी और परिवार के चक्कर में मेरी सारी गोलियां खत्म हो गई है।

उस व्यक्ति ने जैसे ही यह सुना उस ने तुरंत उस डाकू को दबोच लिया और अपने पैसे वापस छीन लिये। इस प्रकार उस व्यक्ति ने कठिन समय में धैर्य और संयम बनाएं रखा और अपनी सुझबूझ से उस डाकू से अपने पैसे वापस हासिल कर लिये।

इसलिए हमें मुश्किल समय में धैर्य नहीं खोना चाहिए और अपने विवेक से निर्णय लेने चाहिए। जैसे इस व्यक्ति ने जब तक डाकू के हाथ में बंदूक थी तब तक अपने आप को लाचार दिखाता रहा और जैसे ही गोलियां खत्म हुई तब ही उसने अपने शारीरिक बल का प्रयोग किया।

Moral - मुश्किल समय में आपने विवेक से काम लेना चाहिए और थोड़ा स्मार्ट तरीके से सोचना चाहिए।