प्रभु की भक्ति DINESH KUMAR KEER द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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प्रभु की भक्ति

एक औरत रोटी बनाते बनाते भगवान के नाम का रोज जाप किया करती थी, अलग से पूजा का समय कहाँ निकाल पाती थी बेचारी, तो बस काम करते - करते ही भगवान की पूजा कर लिया करती थी ये उसका रोज का नियम था ।

एकाएक धड़ाम से जोरों की आवाज हुई और साथ मे दर्दनाक चीख । कलेजा धक से रह गया जब आंगन में दौड़ कर झांकी तो आठ साल का चुन्नू चित्त पड़ा था, खुन से लथपथ । मन हुआ दहाड़ मार कर रोये । परंतु घर मे उसके अलावा कोई था नही, रोकर भी किसे बुलाती, फिर चुन्नू को संभालना भी तो था । दौड़ कर नीचे गई तो देखा चुन्नू आधी बेहोशी में माँ ... माँ ... की रट लगाए हुए है ।

अंदर की ममता ने आंखों से निकल कर अपनी मौजूदगी का अहसास करवाया । फिर दस दिन पहले करवाये अपेंडिक्स के ऑपरेशन के बावजूद ना जाने कहाँ से इतनी शक्ति आ गयी कि चुन्नू को गोद मे उठा कर पड़ोस के नर्सिंग होम की ओर दौड़ी । रास्ते भर भगवान को जी भर कर कोसती रही, बड़बड़ाती रही, ... प्रभु मैंने आपका क्या बिगाड़ा था जो मेरे ही बच्चे के साथ ऐसा किया ।

खैर डॉक्टर साहब मिल गए और समय पर इलाज होने पर चुन्नू बिल्कुल ठीक हो गया । चोटें गहरी नही थी, ऊपरी थीं तो कोई खास परेशानी नही हुई । ...

रात को घर पर जब सब टीवी देख रहे थे तब उस औरत का मन बेचैन था । भगवान से दूर होने लगी थी । एक मां की ममता प्रभुसत्ता को चुनौती दे रही थी ।

उसके दिमाग मे दिन की सारी घटना चलचित्र की तरह चलने लगी। कैसे चुन्नू आंगन में गिरा की एकाएक उसकी आत्मा सिहर उठी, कल ही तो पुराने टीन और लोहे के पाइप के टुकडे आंगन से हटवाये है, ठीक उसी जगह था जहां चिंटू गिरा पड़ा था। अगर कल मिस्त्री न आया होता तो... ? उसका हाथ अब अपने पेट की तरफ गया जहां टांके अभी हरे ही थे, ऑपरेशन के । आश्चर्य हुआ कि उसने बीस - बाईस किलो के चुन्नू को उठाया कैसे, कैसे वो आधा किलोमीटर तक दौड़ती चली गयी ? फूल सा हल्का लग रहा था चुन्नू। वैसे तो वो कपड़ों की बाल्टी तक छत पर नही ले जा पाती ।

फिर उसे ख्याल आया कि डॉक्टर साहब तो दो बजे तक ही रहते हैं और जब वो पहुंची तो साढ़े तीन बज रहे थे, उसके जाते ही तुरंत इलाज हुआ, मानो किसी ने उन्हें रोक रखा था।

उसका सर प्रभु चरणों मे श्रद्धा से झुक गया। अब वो सारा खेल समझ चुकी थी। मन ही मन प्रभु से अपने शब्दों के लिए क्षमा मांगी।

तभी टीवी पर ध्यान गया तो प्रवचन आ रहा था :--- प्रभु कहते हैं, "मैं तुम्हारे आने वाले संकट रोक नहीं सकता, लेकिन तुम्हे इतनी शक्ति दे सकता हूँ कि तुम आसानी से उन्हें पार कर सको, तुम्हारी राह आसान कर सकता हूँ। बस धर्म के मार्ग पर चलते रहो।"

उस औरत ने घर के मंदिर में झांक कर देखा तो प्रभु मुस्कुरा रहे थे।