प्यार का बुख़ार - 6 बैरागी दिलीप दास द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यार का बुख़ार - 6


वैभव ने उदास अंदाज़ में देखा कैसे उसका दिल धड़क रहा था। वह अपने कमरे में आईने के सामने खड़ा हुआ, उसकी आँखों में उसकी प्यारी सी मुस्कान थी। उसने घबराते हुए अपने हाथों से अपने बालों को सहलाया, इसका मतलब था की उसका दिल कुछ नहीं था। शायद यह वही था जिसे लोग प्यार का बुख़ार कहते हैं।

उसका दिल खोया हुआ था। किसी के साथ एक अद्वितीय रिश्ता बनाने की ख्वाहिश उसे ज़िन्दगी भर से ज्यादा महसूस हो रही थी। वह अपनी राह में खोया हुआ था, इश्क की राहें उसे नये और अनोखे रंग दिखा रही थीं।

वैभव ने विचारों की गहराइयों में खुद को खो दिया। वह एक रात में पुरी दुनिया के रंगों में घुल गया था। जब वह अपनी आँखें बंद करता था, तो उसे उनकी मुस्कान का आभास होता था, जिसने उसे जिन्दगी भर खुश रखा है।यह इश्क की राहें थीं, जो उसे उनकी मनमोहक आँखों की ओर ले जा रही थीं। उसे मालूम था की यह राहें संकोच और रोमांच से भरी होती हैं, लेकिन उसका दिल तूफानी उत्साह से धड़क रहा था।

एक दिन वैभव ने इश्क की राहों पर चलते हुए एक हरियाली भरी पार्क में अपनी कदम रखे। वह प्रकृति के निर्माण को देखकर हैरान था। पेड़-पौधों का मेल जो उसे विचलित कर रहा था, वह उसे इश्क की मधुर संगीत की याद दिला रहा था।

वह एक पार्क की बेंच पर बैठ गया, अपने विचारों में खोया हुआ। उसने अपनी आँखें बंद करी और उसे लगा की कहीं एक आवाज़ उसे बुला रही है।

"वैभव... वैभव..."

वह चौंक गया और अपनी आँखें खोली। उसने उन आवाज़ों की ओर देखा और वहां एक सुंदर लड़की खड़ी हुई थी। उसकी आँखें स्नेहपूर्ण थीं और उसका चेहरा प्यार से मुस्कानों से भरा हुआ था।

"क्या आप वैभव हैं?" लड़की ने पूछा।

वैभव ने चकित होकर कहा, "हां,

मैं वैभव हूँ। आप कौन हैं?"

"मैं तानिया हूँ। मैंने आपको यहां ढूंढ़ निकाला है क्योंकि मुझे लगा की हम दोनों की कहानी इश्क की राहों पर मिलकर आगे बढ़ सकती है।" तानिया ने कहा और मुस्कान देते हुए जोड़पुरी का एक पत्थर वैभव के पास रख दिया।

वैभव ने उस पत्थर को ध्यान से देखा और वहां इंट्रिकेटली कला की गई प्रेम की कहानी थी। उसे यह महसूस हो रहा था की उसका दिल फिर से ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा है।

तानिया ने कहा, "वैभव, हम एक दूसरे के साथ इश्क की राहों पर चलते हैं, जहां हम खुद को खो देते हैं और हमें सच्ची मोहब्बत का आनंद मिलता है। क्या आप मेरे साथ चलेंगे?"

वैभव ने उसकी आँखों में आँखें डालीं और उसे मुस्कानी दी। "हां, तानिया, मैं तुम्हारे साथ इश्क की राहों पर चलने के लिए तैयार हूँ। हमारी कहानी अब शुरू हो रही है, और प्यार का बुख़ार हमें एक-दूसरे की ओर खींच रहा है।"

वैभव और तानिया ने एक-दूसरे के हाथ पकड़े और पार्क की रोमांचक गलियों में चलने लगे। वे अपने अपने दिलों को अनुभव कर रहे थे, प्यार और आनंद की उच्छाकांक्षा के साथ। जब एक बार फिर वैभव ने अपनी आँखें बंद की, वह एक नई दुनिया में चले गए, जहां सिर्फ प्यार की बुख़ार थी और उनके दिल ने उसे घेर लिया था।