आखिरी फैसला DINESH KUMAR KEER द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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आखिरी फैसला

ट्रिन ट्रिन..... दरवाजे पर बेल बजी ...मोहन ने अपने कमरे में से दूसरे कमरे में खिडकी पर खडी अपनी मां की ओर देखा.... कौन हो सकता है आसपास सभी को पता है कि हम दोनों की रिपोर्ट पाँजिटिव आई है ऐसे में सभी दूरियां बना लेते है तो दरवाजे पर कौन हो सकता है मोहन ने आवाज दी ....कौन.... कौन है पता नहीं है कया हम मां बेटे को....
पता है दरवाजा खोलो ....दूसरी तरफ से आवाज आई...
जी....मगर ....देखिए ये बीमारी सम्पर्क में आने से हो जाती है आप जो भी है या तो काम बताइए वरना वहीं से लौट जाइए ....
आप दरवाजा खोलकर दूर हट जाइए मुझे अंदर आना है..... दूसरी तरफ से आवाज आई तो मोहन का दिल एकबारगी धडक सा गया..... ये सुधा ....कही सुधा वापस तो नहीं आ गई..... नही ....नही वो कैसे आ सकती है उसके साथ तो मेरा तलाक का केस चल रहा है जो लगभग समाप्ति की ओर है नही नही सुधा नही होगी ...मगर आवाज तो उसीकी लग रही है .....
मन मे चल रही कशमकश के बीच अभी मोहन उलझा हुआ था कि दुबारा आवाज आई ....मोहनजी ....दरवाजा खोलिए ....
सुधा....सुधा....मोहन ने तुरंत दरवाजा खोला मगर लगभग पीछे की ओर तेजी से पलट गया.....
दरवाजे पर सचमुच उसकी पत्नी सुधा ही खडी थी .....
सु....सुधा....तुम यहां .....मोहन अचकचाया सा बोला...
हां ....मे ही हूं ...सुधा बोली
खिडकी पर खडी सुषमा जी ने सुधा की ओर देखकर कहा.... बहु तुम ....तुम यहां कयुं आई हो....
पता चला आकाश भैया से आप दोनों को..... इसलिए लौट आई ....
ओह....तो फिर तलाक केस .....सुषमा जी दुबारा बोली
मांजी ....हमेशा के लिए नही आई ....चौदह दिनों तक सही तरीके से देखभाल और सावधानी बरतने से आप दोनों घरपर ही आइसोलेशन मे ठीक हो जाएंगे बस आप दोनों ठीक हो गए तो उसीदिन लौट जाऊंगी ....तबतक के लिए आई हूं जानती हूं ऐसे में आसपडोस तो कया सगे संबंधियों मे भी खौफ होता है तो कौन मदद करेगा ....
मगर .....
हां....हमारे बीच कोर्ट केस चल रहा है मगर अभी तक तलाक हुआ नही है मे अभी भी इनकी पत्नी हूं और आपकी बहु ....अभी हक से यहां रह सकती हूं कहकर अपना छोटा सा बैग लिए वो रसोईघर में चली गई ...
मोहन और सुषमा जी एकदूसरे की शक्लों को देखते हुए रह गए .....
इसके बाद पहले जैसे रात का खाना बनाने में सुधा बिजी हो गई ....दोनों के दरवाजों पर खाना रखकर आवाज लगाती ...सुबह कभी चाय तो कभी नाश्ता ....कभी एतिआतन मास्क हाथ धोना याद दिलाती रहती ....स्वयं बाहर गैलरी में बिछी चारपाई पर अपना आशियाना सा बनाए पडी रहती ताकि किसी को भी जरूरत के वक्त वह मौजूद रहे.....
सुधा....तुम्हें यहां नही आना चाहिए था ....ये तुम्हारी जिंदगी के लिए खतरनाक हो सकता है ....मोहन खिडकी से बोला....
जिंदगी .....जिंदगी तो पहले से ही बरबाद हो गई है मोहनजी ....खैर ....मे यहां अपनी मर्जी से आई हूं मेरे साथ यदि कुछ बुरा हुआ तो भी आपको या मांजी को परेशान होने की जरूरत नहीं मे चिठ्ठी के जरिए अपना फैसला लिखकर आई हूं ....
मोहन आकर बिस्तर पर लेट गया.... उसे रह रहकर बीते हुए दिन याद आ रहे थे ....सुधा के साथ उसकी शादी ....कितना सुखमय जीवन बन गया था उसका ....आँफिस से थकहारकर जबभी लौटता तो सुधा उसे देखकर मुस्कुरा देती उसकी सारी थकान उसी समय दूर हो जाती थी जबतक वो नही खाता था तबतक सुधा भी नहीं खाती थी मगर फिर .....मां और सुधा के बीच तनातनी बढने लगी ....सुधा बहु है कया जरूरत है बाहर जाकर सामान लाने की ....कोई जरूरत नहीं पडोसवाली गीता से बतियाने की .....ये सलवार सूट कयुं पहना ....
सुधा सुषमा जी से तो कुछ नहीं कहती मगर मोहन के आगे रोती.... अपना दुख बताकर बीच में पडने को कहती ...पहले पहल मोहन ने कोशिश की मगर मां कहने लगी ....जोरु का गुलाम बन गया उसकी बातें मानकर मुझसे लड़ता है ....
मोहन सुधा को समझाता तो वह कहती मां के पल्लू से बंधे हुए रहना ....यदि पत्नी को सम्मान नही दिला सकते थे तो शादी ही कयुं की....बस बातें बढने लगी ....फिर तो ना मां पीछे हटती ना सुधा ....दोनों में से जिसका भी पक्ष लो दूसरा बिगड़ जाता मुंह बनाता..... आखिर तंग आकर मोहन ने गुस्से में सुधा को कहा ....दूर चली जाओ मुझसे ...जान बख्श दो मेरी ....जिंदगी झंन्नुम हो गई तुमसे शादी करके ....सुधा ने एकटक मोहन की ओर देखा और चुपचाप अपना समान लिए चली गई ....ना मोहन की ओर से कोई पहल हुई और ना सुधा की ओर से ....सुषमा जी ने मौका देखकर तलाक की बात छेड़ दी ...मोहन के दोस्त आकाश जोकि एक वकील था सुषमा जी ने दोनों का तलाक करवाने की जिम्मेदारी उसे सौंप दी ...आकाश ने मोहन को समझाने की कोशिश की मोहन समझता था कि गलती सुधा की कम तो मां की अधिक है मगर मां से खुलकर कभी बोल नही सका ....दोनों और से कोर्ट ने सोचने का थोड़ा समय दिया था मगर दोनों कोई फैसला नहीं कर पाए थे ....बस लगभग दोनों के वकीलों ने बताया था इसबार की तारीख में कोर्ट दोनों के तलाक पर मुहर लगा देगा ....
उसदिन मोहन का बिल्कुल भी मन नही था मौसेरे भाई की शादी में जाने का मगर सुषमा जी की जिद पर वह चला गया जहां से लौटने पर दोनों की तबीयत खराब होने लगी थी डाक्टर ने कोरोना जांच करवाने की सलाह दी थी सचमुच दोनों की रिपोर्ट पाँजिटिव आई .....अचानक खबर पता चलते ही आसपडोस मे सभी ने उनसे दूरियां बना ली थी ....जो भी सुनता वो उनके घर तक आने से भी घबराने लगता..... दोनों मां बेटे अस्पताल में भर्ती होने की सोच रहे थे कि उसीदिन सुधा आ गई ....सुधा लगातार डाक्टरों से बातचीत करके उन्हें दोनों की दिनचर्या खानपान की दवाओं का ब्यौरा देती .....जल्द ही मोहन और सुषमा जी दोनों की तबीयत मे तेजी से सुधार होने लगा ....मगर वहीं दिनरात दोनों की सेवा करनेवाली सुधा की तबीयत बिगड़ने लगी थी .....चौदह दिनों के बाद जब जांच दल दोनों की जांच करने के लिए आए तो सुधा की हालत गंभीर देखकर उसकी भी जांच का सेम्पल लेकर चले गए...... मोहन सुषमा जी दोनों के चेहरों का रंग उतरा हुआ था कारण दोनों को सुधा मे भी वहीं लक्षण दिखाई दे रहे थे जो वह महसूस कर रहे थे तेज बुखार खांसी .....अचानक उसदिन मोहन के वकील दोस्त का फोन आया...... मोहन..... मुबारक हो भाई ....तेरा तलाक मंजूर हो गया .....
कया..... ये तू कया कह रहा है आकाश.....
हां.....सच ....
आकाश ....सुधा ....वो सुधा.....फिर रोते हुए मोहन ने अपनी ओर मां की रिपोर्ट पाँजिटिव आने से लेकर सुधा के दिनरात मेहनत करते हुए दोनों को ठीक करने की सभी बातें बता दी.....
मोहन.... सुधा तेरी एक्स वाइफ है अब .....छोड उसे कोई भी परेशानी हो तुझे कया.....
मुझे क्या.... ये तू बोल रहा है आकाश.... तो सुन मे सुधा के साथ हूं ....कहकर मोहन दौडकर सुधा से लिपट गया......
ये आप....ये आप कया कर रहे हो ....दूर हटिए ....आप अभी अभी जैसे तैसे ठीक हुए हैं और.... कहीं मुझे भी ....
तो.....अब मुझे डर नहीं लगता सुधा.... मे करुंगा तुम्हारी सेवा मगर तुम्हें खुदसे दूर नही जाने दूंगा ......वो आकाश बोलता है कोर्ट ने हमारा तलाक मंजूर कर दिया है ....नही सुधा मे तुम्हें अपने से दूर नही जाने दूंगा ....कभी नहीं ....
हटिए आप....पागल मत बनिए ....कहीं मुझे भी बीमारी हुई तो आपको फिर से .....
हो जाने दें सुधा.....सुषमा जी बोली....
मोहन और सुधा दोनों ने सुषमा जी की ओर देखा तो वह दोनों हाथों को जोडें बोली.....मे करुंगी अपनी बेटी की सेवा मगर तुझे अब जाने नही दूंगी ....
मां..... सुधा रोते हुए बोली
हां मेरी बेटी ......मैंने हमेशा तुझपर हुक्म चलाने की कोशिश की कारण आसपडोस की औरतों की बातों में आकर की बहु को दबाकर रखो तो वह काबू में रहेगी मगर इस बीमारी ने बताया दिया कौन अपना है कौन पराया ....तुमने हमारे लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगाने से पहले एकबारगी नही सोचा कि तुम्हारी जिंदगी खतरे में पड सकती है और मे दूसरों की बातों में आकर..... मुझे माफ कर देना बिटिया मुझे माफ कर देना .....
वाह.....ये हुई ना बात ....तालियां बजाते हुए आकाश अंदर की ओर आया....
 
आकाश तू यहां..... मोहन बोला....
 
हां मेरे दोस्त ....और घबरा मत सुधा भाभी बिल्कुल स्वस्थ हैं वो तो एक्टिंग कर रही थी ....
कया ....एक्टिंग.... मोहन और सुषमा जी एकसाथ बोले
हां....आकाश बोला.... तुमदोनो की रिपोर्ट का तो हमें पहले से अनुमान हो गया था तुम दोनों ठीक हो चुके हों बस तुम्हारे मन की दशा और तुम्हारे फैसले को जानने के लिए मेरे कहने पर सुधा भाभी ने ये नाटक किया था ....प्याज बगल में रखकर ....याद है बचपन में स्कूल ना जाने के लिए हम ये सब तरीक़े अपनाते थे .....मेरे दोस्त मुझे पता था मांजी और तुम....
दोनों चाहते तो थे कि सुधा वापस आ जाए मगर अपनी ईगो के चलते और आसपडोस की औरतों के बहकावे में आकर ....तुम्हें कया लगता है सुधा भाभी यहां कैसे आई ....मैंने ही तो उन्हें बताया था तुम्हारी रिपोर्ट पाँजिटिव होने की ....मेरे दोस्त जैसे तुम सुधा भाभी को चाहते थे वैसे ही ये भी तुम्हें.... असल मे तुमदोनो अलग होना चाहते भी नहीं थे वो तो मांजी दूसरों के बहकावे मे आकर.....
 
हां बेटा सच कहा.... मे ....सुषमा जी कुछ बोले इससे पहले सुधा आकर उनसे लिपट गई....
 
मांजी......ये बीमारी भले ही खतरनाक हो मगर सच कहूं तो इसने हम सबको बता दिया कौन अपना होता है ....हे ना.....आकाश मुस्कुराते हुए बोला
 
मगर आकाश ....वो तलाक..... मोहन बोला....
मेरे दोस्त .....तलाक का केस कोर्ट में गया जरूर था मगर फैसला तो दो लोगों को करना होता है तुमदोनो साथ रहना चाहते हो तो दुनिया का कोई कागज इस रिश्ते को खत्म कैसे कर सकता है वैसे मे बता दूं ....कोर्ट में केस अब भी पेंडिंग है चाहो तो ....
हमें तलाक नहीं चाहिए.... मोहन सुधा एकसाथ बोले....
सोच लो ....ये तुमदोनो का....
हां ....हमदोनों का आखिरी फैसला है कहकर दोनों एकदूसरे से लिपट गए......