पापाजी तेज ऊंचे स्वर में।
अनीश भागता हुआ आता है, और
सवाल करता है...
क्या बात है पापाजी?
पापाजी- आप को पता नहीं है, आज आप की बड़ी बहन पुष्पलता आ रही है?
वह इस बार हम सभी के साथ अपना जन्मदिन मनायेगी..
अब जल्दी से जा और अपनी बड़ी बहन को लेके आ,
हाँ और सुन... तू अपनी नई गाड़ी लेकर जा जो तूने कल खरीदी है...
उसे अच्छा लगेगा,
अनीश - लेकिन मेरी गाड़ी तो मेरा दोस्त श्याम ले गया है तड़के ही...
और आपकी गाड़ी भी ड्राइवर ये कहकर ले गया कि गाड़ी की ब्रेक ठीक करवानी है।
पापाजी - ठीक है तो तुम स्टेशन तो जा, किसी की गाड़ी लेकर
या किराया की करके?
उसे बहुत खुशी मिलेगी ।
अनीश - अरे वह बच्ची है क्या जो आ नहीं सकेगी?
आ जायेगी आप चिंता क्यों करते हो कोई टैक्सी या आटो लेकर...
पापाजी - तूझे शर्म नहीं आती ऐसा बोलते हुए? घर मे गाड़ियाँ होते हुए भी घर की बड़ी बेटी किसी टैक्सी या आटो से आयेगी?
अनीश - ठीक है आप ही जाओ मुझे बहुत से कार्य करने है मैं जा नहीं सकता ।
पापाजी - तूझे अपनी बड़ी बहन की थोड़ी सी भी फिकर नहीं? शादी हो गई तो क्या बड़ी बहन पराई हो गई ?
क्या उसे हम सबका प्यार पाने का हक नहीं?
तेरा जितना अधिकार है इस घर में,
उतना ही तेरी बहन का भी है। कोई भी बेटी या बहन मायके छोड़ने के बाद पराई नहीं होती।
अनीश - मगर मेरे लिए वह पराई हो चुकी है और इस घर पर सिर्फ मेरा अधिकार है।
थपाक ...!
अचानक पापाजी का हाथ उठ जाता है अनीश पर,
और तभी मम्मी आ जाती है ।
मम्मी - आप कुछ शर्म तो कीजिए ऐसे जवान बेटे पर हाथ बिलकुल नहीं उठाते।
पापाजी - तुमने सुना नहीं इसने क्या कहा, ?
अपनी बहन को पराया कहता है ये वही बहन है जो इससे एक पल भी जुदा नहीं होती थी,
हर पल इसकी देखभाल रखती थी। जेब खर्च से भी बचाकर इसके लिए कुछ न कुछ खरीद देती थी। विदाई के वक्त भी हमसे ज्यादा अपने भाई से गले लगकर रोई थी।
और ये आज उसी बहन को पराया कहता है।
अनीश -(मुस्कुराकर) बुआ का भी तो आज ही जन्मदिन है पापा... वह कई बार इस घर मे आई है मगर हर बार अॉटो से आई है... आपने कभी भी अपनी गाड़ी लेकर उन्हें लेने नहीं गये...
माना वह आज वह तंगी मे है मगर कल वह भी बहुत अमीर थी । आपको मुझ को इस घर को उन्होंने दिल खोलकर सहायता और सहयोग किया है। बुआ भी इसी घर से विदा हुई थी फिर पुष्पलता दी और बुआ मे फर्क कैसा। पुष्पलता मेरी बहन है तो बुआ भी तो आपकी बहन है।
पापा... आप मेरे मार्गदर्शक हो आप मेरे सुपर हीरो हो मगर बस इसी बात से मैं हर पल अकेले में रोता हूँ। की तभी बाहर गाड़ी रूकने की आवाज आती है...
तब तक पापा भी अनीश की बातों से पश्चाताप की,
आग मे जलकर रोने लगे और इधर अनीश भी...
कि पुष्पलता दौड़कर पापाजी - मम्मीजी से गले मिलती है...
लेकिन उनकी हालत देखकर पूछती है कि क्या हुआ पापाजी?
पापाजी - तुम्हारा भाई, अनीश आज मेरा भी पापाजी बन गया है ।
पुष्पलता - ए पागल...!!
नई गाड़ी न?
बहुत ही अच्छी है मैंने ड्राइवर को पीछे बिठाकर खुद चलाके आई हूँ और कलर भी मेरी पसंद का है।
अनीश जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामना व बधाई दी... वह गाड़ी आपकी है और हमारे तरफ से आपको जन्मदिन का उपहार... !
बहन सुनते ही खुशी से उछल पड़ती है कि तभी बुआजी भी अंदर आती है ।
बुआजी - क्या भैयाजी आप भी न, ?
न फोन न कोई खबर,
अचानक भेज दी गाड़ी आपने, भागकर आई हूँ खुशी से...
ऐसा लगा कि पापाजी आज भी जिंदा हैं...
इधर पिताजी अपनी पलकों मे आँसू लिये, अनीश की ओर देखते हैं...
और अनीश पापाजी को चुप रहने का इशारा करता है।
इधर बुआजी कहती जाती है कि मैं कितनी भाग्यशाली हूँ...
कि मुझे बापूजी जैसा भैयाजी मिला,
ईश्वर करे मुझे हर जन्म मे आप ही भैयाजी मिले...
पापाजी - मम्मीजी को पता चल गया था कि..
ये सब अनीश की करतूत है,
मगर आज फिर एक बार रिश्तों को मजबूती से जुड़ते देखकर वह अंदर से खुशी से टूटकर रोने लगे। उन्हें अब पूरा यकीन था कि... मेरे जाने के बाद भी मेरा अनीश रिश्तों को सदा हिफाजत से रखेगा...
बेटी और बहन
ये दो बेहद अनमोल शब्द हैं
जिनकी उम्र बहुत कम होती है । क्योंकि शादी के बाद बेटी और बहन किसी की पत्नी तो किसी की भाभी और किसी की बहू बनकर रह जाती है।
*शायद लड़कियाँ इसी लिए मायके आती होंगी कि...*
*उन्हें फिर से बेटी और बहन शब्द सुनने को बहुत मन करता होगा l*
उम्मीद है यह लघु कथा आप सभी को पसंद आई होगी...