टूटता तारा DINESH KUMAR KEER द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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टूटता तारा

टूटता तारा
 
रात के सन्नाटे में दूर कहीं बादल जोरों से गरजे और श्रावणी की आँखें घबराहट के मारे खुल गई। खिड़कियों की आवाज सन्नाटे में उसे बादलों की गर्जना सी ही लग रही थी। वह उठकर खिड़की बंद करने लगी, तभी फिर जोरों से बिजली चमकी और एक तारा टूटता हुआ नजर आया।... टूटता तारा देखकर कुछ मांगो तो वह इच्छा पूरी होती है... यह हमेशा सुना था। ..चलो आज मांगकर देखते हैं ...सोचकर मन ही मन कहने लगी ..."मेरा जो साथी मुझसे दूर कहीं बैठा है, वह सलामत रहे" और बस आँखों से बेवजह आँसू बहने लगे।
... उसका साथी, जो सिर्फ और सिर्फ खयालों में ही उससे मिल सकता था । रूबरू मिलने का मौका किस्मत ने बहुत कम दिया, किंतु उसके जैसा साथी दिया यह बहुत ज्यादा दिया ।लाखों में एक। सबसे जुदा। सबसे अलग, किंतु कितना तन्हा। भीड़ में भी अकेला था वह।दुनियादारी से दूर, खुद में ही सिमटा, निस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा आतुर रहता। जब वह गांव गई थी और बीमार पड़ी तब उसका सेवा भाव उसने देखा। कितना ध्यान रखा था उसने उसका । दिन-रात एक कर दिया। वही भोलापन और सादगी ही तो भा गई थी उसे ।इसीलिए वह गांव से अपने साथ शहर लाना चाहती थी उसे। पर खुशबू कैद होकर नहीं रह सकती। वह भी नहीं रह सका। उसके लाख रोकने के बावजूद वह चला गया। जाते वक्त जब उसने उसे कुछ देना चाहा तो उसने लेने से साफ इनकार कर दिया। तब उसने अपनी ओढ़ी हुई लोई उसके कंधे पर डाल दी थी और कहा... "यह मेरा प्रेम है, जो हमेशा तुमसे लिपटा रहेगा। इसके लिए प्लीज इंकार मत करना"। उसने कुछ नहीं कहा।
धीरे-धीरे वह उसकी धड़कन बन गया। साँसों की रवानी और दिल की कहानी में एक ही नाम हर पल ।अपनी सारी सुख-सुविधाएं उसे काटने दौड़ती जब -जब वह उसकी तन्हाई और बेबसी के बारे में सोचती।
 
आज पूरा एक साल होने आया ।ऐसी ही कड़कती ठंड में तो वह आया था। श्रावणी यह सब सोच रही थी। अचानक मोबाइल बजा ।उसने घड़ी देखी सुबह के 5:00 बज रहे थे। इतनी सुबह-सुबह किसका .....? देखा तो अननोन नंबर ... हैलो बोलते से ही उधर से आवाज आई.... इक साहेब इहां रात आये रहे। उन्ही का समान मा एक ठो कारड मिला रहा। उही नंबर देखकर आपका फोन किए हैं। बीबीजी.. ए जोनो भी थे अब ना ही रहे। आप उकर कौन बोल रही"? श्रावणी संज्ञाशून्य सी हुई सोचने लगी.... टूटा तारा जो खुद टूटा हुआ है वह किसी की मन्नत क्या पूरी करता...