पं. किशोरी लाल DINESH KUMAR KEER द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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पं. किशोरी लाल

होशियारपुर के कंडी क्षेत्र का गांव धर्मपुर बेशक आर्थिक, शिक्षा तथा विकास की दृष्टि से पिछड़ा हुआ है लेकिन इस गांव का राष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक तथा ऐतिहासिक महत्व है। गांव जहां माता धर्मपुरी देवी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है वहीं क्रांतिकारी भगत सिंह के साथ पंडित किशोरी लाल की कुर्बानी के कारण भी स्वर्ण अक्षरों में अंकित है।
नौ जून 1909 को पंडित रघुवीर दत्त शास्त्री के यहां जन्मे पंडित किशोरी लाल ने छोटी आयु में ही शहीद ए आजम भगत सिंह के साथ कदम-दर-कदम मिलाते हुए देश की आजादी के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने साथी भगत सिंह के साथ देश के लिए जीने-मरने की कसम खाई थी। लेकिन विडंबना यह रही कि लाहौर साजिश केस में उन्हें भगत सिंह के साथ ही फांसी की सजा सुनाई गई लेकिन पंडित किशोरी लाल की उम्र कम होने के कारण उनकी सजा उम्र कैद में बदल दी गई, जिसका उन्हें उम्रभर अफसोस रहा। पंडित किशोरी लाल ने अपने पिता रघुवीर दत्त शास्त्री के संरक्षण में दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए डीएवी कॉलेज लाहौर में दाखिला ले लिया। वहां आजादी की लहर से प्रभावित होकर वे भगत सिंह के निकटतम साथी बन गए तथा खतरनाक जिम्मेदारियों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। पंडित जी अपने जीवन काल में 24 साल विभिन्न जेलों में रहे और तीन वर्ष का अज्ञातवास भी काटा। उन्होंने प्रसिद्ध सब से लंबी भूख हड़ताल (लगभग 77 दिन) में भी भाग लिया था। 1946 में जेल से रिहा होती ही वे अपने घर जाने की बजाए सीधे पार्टी कार्यालय चले गए थे। उन्हें डर था कि घर जाते ही कहीं उन्हें वैवाहिक बंधन में न बांध दिया जाए और उनका पूर्ण आजादी तथा समानता प्राप्त करने का सपना अधूरा न रह जाए। एक लंबी संघर्षपूर्ण पारी खेल कर यह महान देश भक्त 11 जुलाई 1990 को नश्वर संसार से विदा हो गया। उनके 105 वें जन्मदिन पर पंडित जी का देश की आजादी के लिए योगदान, मात्र शहीद भगत सिंह का साथी कह देने मात्र से पूरा नहीं होता। बल्कि भगतसिंह को फांसी मिलने के बाद पंडित जी द्वारा किया गया लंबा संघर्ष अतुलनीय एवं अविस्मरणीय है और इस पर कंडी क्षेत्र को गर्व है।