वो बंद दरवाजा - 14 Vaidehi Vaishnav द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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वो बंद दरवाजा - 14

भाग- 14

अब तक आपने पढ़ा कि रिनी अपने दोस्तों को पहचान नहीं पाती है और उसे होटल आने की बात भी याद नहीं रहतीं।

रिनी की हालत देखकर सभी घबरा जाते हैं। सबके चेहरे पर उतर आया डर साफ़ नज़र आ रहा था।

आदि- "मैंने कहा ही था कि यहाँ नहीं रुकते हैं। मुझे शुरू से ही यहाँ का वातावरण कुछ अजीब लग रहा था।"

सभी आदि की बात का मन ही मन समर्थन कर रहे थे पर मुँह से किसी ने कुछ न कहा।

ख़ामोशी में एक भारीभरकम सी आवाज़ गूँजी- " इन बातों को करने से अब क्या फायदा। जो होना था वही हुआ आगे भी वही होगा जो होना है।"

आवाज़ ऐसी थी जैसे एक ही गले से दो लोग बोल रहे हो। सबकी नजरें रिनी की तरह गई तो सबके होश उड़ गए। अब तक मासूम सी डरी सहमी हुई रिनी अचानक बदल गई थी। वह किसी राजा की तरह पलंग पर बैठी हुई थी उसने अपने बाएं पैर को दाहिने पैर पर रखा हुआ था और वह लगातार अपने बाएं पैर के पंजे को हिला रही थी। उसकी दोनों हथेलियां भी जांघ पर रखी हुई थीं। खुले हुए बिखरे बाल हवा से उड़ रहे थे और उसका चेहरा सामने व आंखों की पुतलियां भी स्थिर थीं। वह ठहाका लगाकर ज़ोर से भयानक हँसी हँसती हुई सबके चेहरो को देखती है फिर एकदम से सामान्य चेहरा बनाकर बेसुध सी पीछे की ओर धड़ाम से गिर जाती है। उसका आधा शरीर पलंग पर बेसुध पड़ा था और पलंग से लटकते हुए पैर अब भी हिल रहे थे।

किसी की भी हिम्मत उसके करीब जाने की नहीं हुई। सब झुंड बनाकर एक-दूसरे से सटे हुए दूर खड़े थरथराते हुए एकटक रिनी को निहार रहे थे। मन मे सभी भयानक कल्पना करते हुए डर को और बढ़ा रहे थे।

आदि दबी हुई आवाज़ में- " ये सब क्या था ?"

आर्यन डरते हुए- " लगता है रिनी पर बुरा साया पड़ गया."

सूर्या- "मुझें तो लगता है जंगल में ही कोई आत्मा रिनी में प्रवेश कर गई थी और हम सबको उसके माध्यम से यहाँ ले आई।"

रौनक़- "तुम लोगों का सच में दिमाग खराब हो गया है। इसीलिए उलुल-जुलूल बातें किये जा रहे हो और फ़िर नींद में भी वही सब प्रैक्टिकल कर रहे हो जैसे अभी रिनी ने किया।"

रश्मि हैरानी से- "रौनक़, क्या वाकई यह सब दिमागी स्थिति के कारण हो रहा है ?"

"हाँ"- कहते हुए पूरे यकीन के साथ रौनक़ रिनी की ओर आगे बढ़ गया। वह रिनी के चेहरे की तरफ गया। उसने रिनी के गालों को थपथपाते हुए उसे जगाने की कोशिश की।

रिनी ने हौले से आँखे खोली। वह अब सामान्य लग रही थी। उसने चारो तरफ आँखे घुमाई फिर झटके से उठी और बैठ गई।

सबको एक साथ अपने कमरे में देखकर वह बोली- " क्या हुआ..? सब ठीक तो है न..?"

आर्यन चेन की सांस लेते हुए बोला- "हां, अब सब ठीक है।"

रश्मि रौनक़ की बात पर सहमत होते हुए- " तुम ठीक ही कह रहे थे रौनक। हम सबने एक गलत धारणा बना ली है और वहीं हम सबके दिलों दिमाग पर छा गई। उसी के परिणाम इस तरह से दिखाई दे रहे हैं।"

आदि और सूर्या के अलावा सबने रश्मि की बात पर सहमति में सिर हिलाए और कमरें के बाहर निकल गए।

आर्यन और रश्मि अपने-अपने कमरे में चले गए। रौनक़ सिगरेट सुलगाकर गार्डन एरिया की ओर टहलने चला गया। सूर्या, आदि के साथ उसके रूम की ओर चल दिया।

सूर्या और आदि जैसे ही कमरे के अंदर प्रवेश करते हैं। वह दोनों सामने फर्श पर सफ़ेद आकृति को देखकर ठिठक जाते हैं।

सूर्या और आदि को क्या दिखाई दिया ? हर बार की तरह यह उनका वहम होगा या सच में कोई अदृश्य शक्ति है ?