लहरों की बाांसुरी - 7 - अंतिम भाग Suraj Prakash द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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लहरों की बाांसुरी - 7 - अंतिम भाग

7

वे फिर उठी हैं और मेरे लिए जग भर के पानी में नमक, चीनी का घोल बनाया है। उसमें उन्‍होंने संतरे का जूस और नींबू का रस मिलाया है। वे हर पाँच मिनट बाद गिलास भर कर मुझे ये घोल पिला रही हैं ताकि डीहाइड्रेशन न हो जाये। थोड़ी देर पहले मेरे सीने से बच्‍ची की तरह लग कर सो रही अंजलि अब दादी मां बन कर मेरा इलाज कर रही हैं। यह पता चलने पर कि मैंने खाया ढंग से नहीं खाया था, वे मेरे लिए फ्रूट बॉस्‍केट में से केले ले आयी हैं और मुझे जबरदस्ती खिलाये हैं। मैं अब बेहतर महसूस कर रहा हूं लेकिन अंजलि कोई रिस्‍क नहीं लेना चाहतीं। उनकी नींद पूरी तरह से उड़ गयी है।

उन्‍हें फ्रिज में रखी हुई योगर्ट मिल गयी है। वे अब मेरे सामने बैठी अपने हाथों से चम्मच से मुझे योगर्ट खिला रही हैं। मैं उनका सिर सहलाते हुए कहता हूं - बस कर दादी मां, अब बस भी कर लेकिन वे नहीं मानतीं। घंटे भर में उन्‍होंने अपना बनाया एक लीटर घोल मुझे पिला दिया है।

सुबह के छ: बजने को आये हैं। अब मैं बेहतर महसूस कर रहा हूं।

पिछले एक घंटे में सिर्फ दो बार गया हूं। अंजलि ने मुझे लिटा दिया है और मेरे पास बैठी हुई हैं। मैं उन्‍हें सो जाने के लिए कहता हूं लेकिन वे मना कर देती हैं। मेरी हालत के लिए वे अभी भी खुद को कसूरवार मान रही हैं। इस बीच वे दो बार मेरे लिए ब्‍लैक टी विद शुगर बना चुकी हैं। एक बार तो कंपनी देने के लिए खुद भी मेरे साथ ब्लैक टी पी है।

पता नहीं कब मेरी आँख लग गयी होगी। देखता हूं अंजलि खिड़की के पास वाले सोफे पर बैठी पेपर पढ़ रही हैं। आठ बज रहे हैं। मुझे जागा देख कर वे मेरे पास आयी हैं और प्‍यार से मेरा माथा चूम कर बोली हैं - गुड मार्निंग दोस्‍त। थैंक गॉड। तुम अब ठीक हो, वरना मैं अपने आप को कभी माफ न कर पाती।

देखता हूं - अंजलि नहा कर तैयार भी हो चुकी हैं। कॉलर वाली यलो टी शर्ट और ब्‍लैक ट्राउजर। ग्रेट कम्‍बीनेशन।

कह रही हैं - एक काम करते हैं। अब हम यहां और नहीं रुकेंगे। बेशक शाम 6 बजे की फ्लाइट है मेरी लेकिन हम मुंबई ही चलते हैं। कुछ हो गया तुम्‍हें तो यहां ढंग से मेडिकल एड भी नहीं मिलेगी। मैं ब्रेकफास्‍ट यहीं मंगवा रही हूं। तब तक तुम नहा लो। कपड़े निकाल देती हूं तुम्‍हारे। और मेरे मना करने के बावजूद अंजलि ने मेरे सूटकेस में से मेरे लिए पकड़े निकाल दिये हैं।

देखता हूं - येलो स्‍ट्राइप वाली टीशर्ट और ब्‍लैक पैंट। मैं कलर कम्‍बीनेशन देख कर हंसता हूं। वे समझ जाती हैं कि मैं क्‍यों हंस रहा हूं।

मुझे चीयर अप करने के लिए बताती हैं - मेरे स्‍टाफ में आठ लोग हैं। तीन जेंट्स और पाँच लड़कियां। सैटरडे हम किसी न किसी बहाने पार्टी करते ही हैं। एक पार्टी होती है कलर कम्‍बीनेशन की। अगर किसी मेल मेम्‍बर के कपड़ों के रंग जरा सा भी किसी फीमेल स्‍टाफ के कपड़ों के रंग से मैच कर जायें तो दोनों को पार्टी देनी होती है। कई बार मजा आता है कि कई लोगों के रंग आपस में मैच कर जाते हैं। अब हमारे स्‍टाफ मेम्‍बर अपने लिए कपड़े खरीदते समय ख्याल रखते हैं कि किस किस के पास इस रंग के कपड़े हैं। शनिवार को तो सबकी हालत खराब होती है। यह बताते हुए अंजलि अब एक खूबसूरत स्‍मार्ट एक्‍सक्‍यूटिव में बदल गयी हैं।

जब तक ब्रेकफास्‍ट आये और मैं नहा कर आऊं, अंजलि ने सारा सामान पैक कर दिया है और रिसेप्शन को बिल तैयार करने के लिए कह दिया है।

मेरे लिए अंजलि ने केले, सादी इडली, योगर्ट और गाजर का जूस मंगाये हैं। रास्‍ते के लिए उन्‍होंने दो बॉटल डीहाइड्रेशन वाला घोल बना कर रख लिया है।

मेरे बहुत जिद करने पर भी होटल का बिल अंजलि ने दिया है और मुझे वेटरों को टिप तक नहीं देने दी है। हंसी आ रही है कि अंजलि नर्स की तरह मेरी केयर कर रही हैं। मेरा हाथ थाम कर नीचे लायी है, और छोटे बच्‍चे की तरह कार में बिठाया है। सीट बेल्‍ट भी उसी ने लगायी है। इतना और किया कि लिफ्ट में ही मेरे गाल पर एक चुंबन जड़ दिया था।

मैं अंजलि से कहना चाहता हूं कि तुम रात भर सोयी नहीं हो, कार मुझे चलाने दो लेकिन उन्‍होंने मेरी एक नहीं सुनी है।

वे बता रही हैं कि वे अगर गोवा गयी होती तो कितने खूबसूरत दिन मिस करती। वहां सब इन्‍फार्मल होते ही भी फार्मल ही होता और अकेले वक्‍त बिताने के लिए सबकी नाराजगी मोल लेनी पड़ती।

तभी मैंने पूछा है - अंजलि एक बात बताओ।

- पूछो मेरे लाल। वे सुबह से पहली बार खुल कर हंसी हैं। मुझे अच्‍छा लगा है कि अंजलि अब अपने उसी मूड में लौट आयी हैं जिसमें वह परसों आते समय थीं।

- हम परसों सुबह से एक साथ हैं। इस बीच बीसियों बार मेरा मोबाइल बजा है। मैंने कभी एटैंड किया है और कई बार नहीं भी किया है। लेकिन इस सारे अरसे में तुम्‍हारा मोबाइल एक बार भी नहीं बजा है।

- भली पूछी दोस्‍त जी। निगाहें सड़क पर जमाये अंजलि कह रही हैं - सही कहा। मेरे पास दो मोबाइल हैं। एक ऑफिस का और एक पर्सनल। दोनों में शायद ही कोई नम्‍बर हो जो दोनों में हो। देसराज के नम्‍बर के अलावा। संयोग से वह हमारा डीलर भी है और रिश्‍ते में पति भी लगता है। तुमसे बात करने के लिए और होटल बुक करने के लिए ही मैंने अपना मोबाइल ऑन किया था। तब से दोनों मोबाइल बंद ही हैं। ये तीन दिन सिर्फ मेरे थे और मैंने अपने तरीके से जीये। मैं अपने वक्‍त में किसी का दखल नहीं चाहती। किसे क्‍या करना है, मैंने सबको बता रखा है। कोई समस्‍या हो तो इंतज़ार कर सकती है। मेरा सबसे बड़ा सच मेरा सामने वाला पल है।

अचानक कार रुकने के कारण मेरी नींद खुली है। अरे, मैं कब सो गया पता ही नहीं चला। अंजलि की तरफ देखता हूं। वे मुस्‍कुरा रही हैं। उन्‍होंने कार साइड में रोकी है। बाहर देखता हूं - अरे, ये तो शिमला रिसार्ट है। मैं पहले भी दो एक बार यहां आ चुका हूं। इसका मतलब हम मुंबई के पास हैं।

घड़ी देखता हूं - बारह बजे हैं। अंजलि ने मेरी तरफ का दरवाजा खोला है। पता ही नहीं चला कि बात करते करते कब सो गया था।

- कैसा लग रहा है अब?

- बेहतर महसूस कर रहा हूं।

- श्रीमान जी, कितना भी बेहतर महसूस करें, आपको पीने के लिए और नहीं मिलने वाली और खाने के लिए दही चावल ही मिलेंगे।

- कोई बात नहीं सिस्‍टर जी। आपकी केयर में हूं तो आप मेरा भला ही सोचेंगी। हम दोनों ही हंस दिये हैं।

रिसोर्ट में बायीं तरफ रेस्‍तरां हैं जहां फैमिली केबिन बने हुए हैं। बहुत कलात्‍मक। एक तरफ लम्‍बा सोफा जिस पर तीन आदमी आराम से बैठ सकें और मेज के दूसरी तरफ गाव तकियों से सजा एक तख्‍त।

मैं तख्‍त पर गाव तकियों के सहारे पसर गया हूं। अचानक अंजलि सोफे से उठी हैं और बाहर चली गयी हैं। मैंने आंखें बंद की ली हैं।

अंजलि वापिस आयी हैं तो उनके हाथ में आइपैड और डीहाइड्रेशन के घोल वाली बोतल है। बोतल मेरी तरफ बढ़ाते हुए पूछ रही हैं - बोतल से पीयेंगे या गिलास मंगवाऊं?

मैं छोटा बच्‍चा बन गया हूं - एक शर्त पर पीऊंगा।

- बता दीजिये।

- इसके बाद आपके साथ एक आखिरी बीयर तो बनती है।

- कमाल है। रात भर की तकलीफ काफी नहीं है। चलो ठीक है। सिर्फ एक गिलास मिलेगी। लो पहले इसे पीओ और उन्होंने बोतल खोल कर मेरे मुंह से लगा दी है।

अंजलि पूछ रही हैं - यहाँ से 6 बजे की फ्लाइट के लिए कितने बजे निकलना ठीक रहेगा?

- वैसे तो तीस चालीस मिनट का रास्‍ता है लेकिन हाइवे का मामला है। हम साढ़े तीन बजे निकलेंगे।

- तुम्‍हें कोई तकलीफ तो नहीं है ना अब?

- नहीं, एकदम ठीक कर दिया तुम्‍हारे ड्रिंक ने।

अंजलि ने वेटर को पीने और खाने का ऑर्डर दिया है। मेरे लिए एक गिलास बीयर और कर्ड राइस पर सहमति हो गयी है।

अंजलि अपने आइपैड में तस्‍वीरें दिखा रही हैं। वे भी आराम से तख्‍त पर बैठ गयी हैं।

हर तस्‍वीर से जुड़ा कोई न कोई मजेदार किस्‍सा शेयर कर रही हैं। इस समय वे बहुत अच्‍छे मूड में हैं। मैं अधलेटा हूं और वे मेरे सिर की तरफ बैठी हैं। अचानक उन्‍होंने मेरा सिर अपनी गोद में रख दिया है। मैंने आंखें बंद कर ली हैं। वे मेरे चेहरे की तरफ झुकी हैं और मेरा माथा सहला रही हैं। उनके बालों ने मेरे चेहरे पर एक झीना जाल डाल दिया है।

अचानक एक गरम बूंद मेरे गाल पर गिरी है। वे नि:शब्‍द रो रही हैं। आंसुओं से उनका चेहरा तर है। मैं कुछ कह नहीं पाता कि क्‍या कहूं। वे रोये जा रही हैं। मैं हाथ बढ़ा कर उनके आंसू अपनी उँगली की कोर पर उतार लेता हूं। वे मेरी उँगली अपने मुंह में दबा लेती हैं।

कह रही हैं - मैंने तुम्हें बहुत परेशान किया।

- नहीं तो?

- मैं अचानक आयी, तुम्‍हारा शेड्यूल अपसेट किया। कितनी उम्‍मीदें जगा दीं और सताया।

- नहीं तो?

- जानती हूं कि पास में युवा और खूबसूरत लड़की हो तो किसी का मन भी डोल सकता है। पता नहीं तुम खुद पर कैसे कंट्रोल कर पाये।

मैं उनके बाल सहलाते हुए हंसता हूं - बहुत आसान था।

वे हमम करके इशारे से पूछती हैं - वो कैसे भला?

- कुछ तुम्‍हारी शर्तें, कुछ मेरी वैल्‍यूज, कुछ मेरे डर और कुछ तुम्‍हारी वैल्‍यूज।

अंजलि ने मेरे गाल पर चपत मारी है - और?

- एक और बात भी थी कि वह सब करने के लिए खुद को मनाना और तुम्‍हें तैयार करना बिलकुल भी मुश्‍किल नहीं था। पता तो था ही कि तुम नार्मल सेक्‍स लाइफ तो नहीं ही जी रही हो। ऐसे में मेरा काम आसान हो जाता लेकिन ऐसे बनाये गये संबंधों का एक ही नतीजा होता है।

- क्‍या?

- या तो वे हमेशा के लिए उसी तरफ मुड़ जाते हैं या बिल्‍कुल खत्‍म हो जाते हैं। और ये दोनों बातें ही मैं नहीं चाहता था।

- कहते चलो।

- ऐसे करने का मतलब होता एक अच्‍छी दोस्‍त को हमेशा के लिए खो देना जो कि बहुत बड़ा नुक्‍सान होता।

अंजलि झुकी हैं और पहली बार मेरे होंठों को क्षण भर के लिए अपने होठों से छू भर दिया है - शायद मैं इसी भरोसे पर यहाँ और तुम्‍हारे पास ही आयी थी कि मैं एक मैच्‍योर दोस्‍त से मिलने जा रही हूं। मेरे लिए भी तुम्‍हारी मस्‍त कर देने वाली मौजूदगी में अपने आपको नियंत्रण में रखना इतना आसान नहीं था। तुम्‍हें शायद पता न हो, मैं दोनों रात एक पल के लिए भी नहीं सोयी हूं। पहली रात तुम कमज़ोर पड़े थे तो मैंने तुम्‍हें सँभाला था। बेशक लहरों में बह जाना मेरे लिए भी सहज और आसान होता। दूसरी रात मैं कमज़ोर पड़ गयी थी और तुम्‍हारे पास चली आयी थी कि जो होना है हो जाये लेकिन कल रात तुमने मुझे कमज़ोर होने से बचा लिया और उठ कर दूसरे कमरे में चले गये थे। तब मैं नींद में नहीं थी। तुम्‍हारी नजदीकी का पूरा फायदा उठाना चाह रही थी लेकिन तुमने मौका ही नहीं दिया और भाग खड़े हुए ।

मैंने नकली गुस्‍सा दिखाया है - यू चीट।

- थैंक्‍स समीर।

- अब किस बात का थैंक्‍स भई?

- इस यात्रा में मेरे सेल्‍फ एक्‍चुअलाइज़ेशन के अनुभवों में एक और आयाम जुड़ गया है समीर।

मैं भोला बन गया हूं - वो क्‍या?

- मेरा ये अहसास और पुख्‍ता हो गया है कि देह से परे भी दुनिया इतनी खूबसूरत हो सकती है। सही कह रहे हो समीर कि हमारी ये यात्रा अगर देहों से हो कर गुज़रती तो उन्‍हीं अंधी गलियों में भटक कर रह जाती और हम उससे कभी बाहर न आ पाते। थैंक यू माय दोस्‍त, थैंक यू। हम दोनों ने ही आगे की मुलाकातों के रास्‍ते बंद नहीं किये हैं। खुले रखे हैं। थैंक्‍स अगेन।

मैं मुस्‍कुरा कर रह गया हूं। इस बात का क्‍या जवाब दूं। मैंने उनके बिखरे बाल समेट कर उनके कानों के पीछे कर दिये हैं। उनका चेहरा दमक रहा है।

एयरपोर्ट आते समय ड्राइविंग सीट मुझे वापिस मिल गयी है।

मैं चुहल करते हुए पूछता हूं - तो आपका रूफ टॉप गार्डन हमें कब देखने को मिलेगा?

- जल्‍दीबाजी न करें श्रीमन। अभी तो हमें इस जादुई यात्रा के तिलिस्‍म से बाहर आने में ही समय लगेगा। और याद रखें कि यात्राएं और मुलाकातें हमेशा संयोग से ही होती हैं। अचानक ही। जैसे ये मुलाकात हुई। हम ज़रूर मिलेंगे लेकिन कहां मिलेंगे और कब मिलेंगे, इसकी कोई भविष्‍यवाणी सेल्‍फ एक्‍चुअलाइज़ेशन नहीं करता। वे खिलखिला कर हंस दी हैं।

मैंने उन्‍हें ड्राप किया है। कार से उतर कर हम गले मिले हैं और फिर से मिलने का वादा करके बिछड़ गये हैं।

वापिस आने के लिए कार स्‍टार्ट करते समय मैं तय नहीं कर पा रहा कि मैं एकदम खाली हो गया हूं या किसी दैविक ताकत से भर गया हूं।