लहरों की बाांसुरी - 3 Suraj Prakash द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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लहरों की बाांसुरी - 3

3

मैं भी बेड की टेक लगा कर लैपटॉप के सामने हो गया हूं। हम दोनों बेहद नज़दीक हैं। इतने कि एक दूसरे की सांसों की आवाज़ तक सुनायी दे। उनके खुले बालों से तो महक आ ही रही है, उनके बदन से उठती खुशबू की अनदेखी नहीं कर सकता। किसी तरह खुद पर कंट्रोल करके हर तस्‍वीर के बारे में उन्‍हें बता रहा हूं। एक अच्‍छी बात ये हो गयी है कि उन्‍होंने लगभग सारी तस्‍वीरें पहले से देख रखी हैं। पिकासा में हर फोल्‍डर पर नाम लिखा है और फोटो लेने या सेव करने का महीना और वर्ष लिखा है।

वे पूरी लगन से तस्‍वीरों में खोयी हुई हैं और मुझे उनके बदन की नज़दीकी परेशान कर रही है। अधलेटे होने की वजह से उनके कपड़े अस्‍त व्‍यस्त हो रहे हैं जिनके कारण खुद पर कंट्रोल करना मेरे लिए मुश्‍किल होता जा रहा है। मेरी कोई भी हरकत इस बेहतरीन रिश्‍ते को खत्‍म कर सकती है। मेरी ज़रा-सी जल्दबाजी मेरी सारी इज्‍ज़त मिट्टी में मिला देगी। नहीं, कमज़ोर नहीं पड़ना है। उठ कर पानी पीता हूं। बाथरूम जाता हूं। हाथ मुंह धो कर कुछ हालत संभली है। घड़ी देखता हूं। पौने दस।

अंजलि से कहता हूं - क्‍या ख्याल है अंजलि, काफी आराम कर लिया है हमने। नीचे चलें क्‍या?

- हां चलते हैं। बस एक मिनट।

मैं चेंज करने के बाद पहले वाले पोर्शन में चला आया हूं ताकि अंजलि तैयार हो सकें।

अंजलि तैयार हो कर आ गयी हैं। मैं देखता हूं अब उन्‍होंने बेहद ही खूबसूरत डिज़ाइनर टॉप और उतना ही खूबसूरत रैप अप डाला है। बेहद हलका मेकअप। मैं उनकी तरफ तारीफ भरी निगाह से देखता हूं तो उन्‍होंने मुस्‍कुरा कर नज़ाकत से अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ा दिया है। हाथ चूमने के लिए। मैंने उनका हाथ चूमा है।

हम दोनों नीचे आ गये हैं। अंजलि ने मेरा हाथ थामा हुआ है। स्‍टाफ मुस्‍कुरा कर हमारा स्‍वागत करते हैं। हम चलते हुए गार्डन से होते हुए बीच की तरफ आ गये हैं। वीक डे होने के कारण बहुत ज्‍यादा लोग नहीं हैं। समंदर अपनी पूरी मस्‍ती में है। दो तीन घंटे बाद फिर हाइ टाइड होगी और फिर समंदर पूरे उफान पर होगा।

पूछा है अंजलि ने - क्‍या ख्याल है, बार में बैठें, गार्डन में या सीधे ही रेत पर?

मैंने हंस कर कहा है - बार और गार्डन बार तुम्‍हारे शहर में भी होंगे और मेरे शहर में भी हैं। रेत पर बैठ कर ही हम शाम गुजारें तो कैसा रहे। बेशक हवा चल रही है। समंदर के किनारे बितायी गयी शाम हमेशा याद रहेगी।

इतने में रेस्‍तरां मैनेजर ने आकर सलाम किया है। अंजलि से उससे ही पूछा है - अगर हम रेत पर ही बैठें तो खाने पीने का इंतजाम हो जायेगा क्‍या?

उसने मुस्‍कुरा कर कहा है - श्‍योर मैडम। हम आपके लिए रेत पर ही आराम कुर्सियां लगा देते हैं। पीने का और खाने का इंतज़ाम हो जायेगा। हम आपके लिए फुट रेस्‍ट भी ले आयेंगे ताकि जब हाइ टाइड आये तो भी आप वहीं बैठे एन्‍जाय कर सके। दैट विल दी रीयल फन। बस दो मिनट आप दीजिये, मैं सारा इंतज़ाम कर दूंगा।

वह रुका है - बाय द वे, आज की शाम आप कैसे सेलिब्रेट करना चाहेंगे?

अंजलि ने मेरी तरफ देखा है। मैंने बताया है आप दिन में दो बीयर और हाफ वाइन पी चुकी हैं।

- शट अप। ये शट अप मेरे लिए है।

रेस्‍तरां मैनेजर से उन्‍होंने कहा है कि हम आज स्‍कॉच लेंगे। ग्‍लेनलिवेट है ना आपके पास?

- यस मैम। वी हैव दिस ब्रैंड।

- तो फिर आप तैयारी कीजिये, हम पाँच मिनट में टहल कर आते हैं।

मैं हैरान हूं। विश्‍वास नहीं हो रहा कि अंजलि मेरठ जैसे कस्‍बायी शहर से आयी हैं। रहा नहीं जाता, पूछ ही लेता हूं - यार, गज़ब है तुम्‍हारी नॉलेज। तुम्‍हें ये भी पता है कि होटल के स्‍टॉक में कौन सी इम्‍पोर्टेड स्‍कॉच है। पहले सबसे अच्‍छा होटल ऑनलाइन बुक कराया, अब उनके बार की भी पूरी खबर....।

- यार, निरे बुद्धू हो तुम। तुम जब सो रहे थे तो मैंने अपना सुइट ध्‍यान से देखा था। वहां एक मिनी बार भी है। वहीं रखी देखी थी मैंने ये स्‍कॉच और दूसरी कई वाइन बॉटल्‍स। फ्रिज भी भरा पड़ा था। जब सामने है तो चख कर देख भी ली जाये। फिर ये शाम कहां और हम तुम कहां?

हम रेत पर नंगे पाँव टहल रहे हैं। कुल मिला कर बीच पर अँधेरा ही है। एक तरफ समंदर है और दूसरी तरफ होटलों की कतार। वहीं से जो रौशनी आ रही है, उसमें पानी पर रौशनी के कतरे अपनी चित्रकारी कर रहे हैं। बेहद रोमांटिक माहौल। मैं माहौल की तारीफ करना चाहता हूं लेकिन चुप हूं। जानता हूं कुछ भी कहूंगा तो अंजलि अभी ग्‍यारह टन का कोई बम मेरे सिर पर दे मारेंगी। मेरी उंगलियां अभी भी उनके हाथ में हैं।

समंदर के किनारे हम दोनों के लिए महफिल सजा दी गयी है। चारों तरफ के घने अंधेरे का मुकाबला करने के लिए एक चिमनी में मोमबत्ती जला दी गयी है। हजारों मील लम्‍बे समंदर के आँगन वाला हमारा कैंडिल लाइट बार तैयार है।

बेहद पुरसुकून शाम है ये। पीछे कहीं बजता मध्यम संगीत, सामने पानी में पीछे जलती रौशनियों की झिलमिलाती परछाइयां। अब पानी सरकते सरकते हमारे नज़दीक आने लगा है। अंजलि और मैं जैसे किसी ट्रांस में हैं। सूझ ही नहीं रहा कि इस पूरे माहौल को पूरी तरह से अपने भीतर कैसे उतारें। अंजलि ने अपनी कुर्सी खिसका कर मेरे करीब कर ली है ताकि फुसफुसा कर भी बात की जा सके।

ये शाम मेरी ज़िंदगी की सबसे हसीन शाम है। स्‍कॉच अपना रंग दिखा रही है और इस रोमांटिक माहौल का नशा उस स्‍कॉच के नशे में जैसे घुल रहा है। हवा में खुनकी बढ़ गयी है और एक वेटर अंजलि को शॉल ओढ़ा गया है।

मैंने अंजलि का हाथ थाम रखा है। उन्‍होंने कुछ नहीं कहा है। हम दोनों ही एक दूसरी दुनिया में हैं। हमने बहुत कम बातें की हैं। बस, एक दूसरे की मौजूदगी को महसूस किया है। स्‍कॉच थोड़ी सी ही बची है और खाना लगा दिया गया है। मैंने बहुत कम खाया है। ऐसे माहौल में खाना खाने की सुध ही किसे है। हम हैं और हमारी तरफ हाथ बढ़ाती अनगिनत लहरें हैं जो हर बार और नज़दीक आकर हमारे पाँव थपथपा रही हैं, मानो कह रही हों, इट्स वंस इन लाइफ एक्‍सपीरिंयस। बाट्म्‍स अप एंड एन्‍जाय अपटू द लास्‍ट ड्राप।

रात के साढ़े बारह बज चुके हैं। थोड़ी देर में लहरें अपना सर उठाने लगेंगी और हमें या तो उनके लिए जगह खाली करनी होगी या फिर ...।

अचानक अंजलि उठी हैं। ये मैं क्‍या देख रहा हूं। अंजलि ने कैंडल बुझा दी है। अब तब जो थोड़ी बहुत रौशनी थी, वह भी दम तोड़ गयी है। हम जहां पर बैठे हैं, घुप्‍प अंधेरा हो गया है, फिर भी मैं अंदाजा लगा पा रहा हूं कि अंजलि अपने कपड़े उतार रही हैं। इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाऊं या पूछ पाऊं, वे पूरी तरह से न्‍यूड हो कर सामने समंदर में समा गयी हैं।

मैं थरथरा रहा हूं। ये मैं क्‍या देख रहा हूं। पानी में अंजलि का होना मैं महसूस कर पा रहा हूं। उससे ज्‍यादा कुछ नहीं। वे जैसे लहरों से मोर्चा ले रही हैं। उठना चाहता हूं, सोचना चाहता हूं लेकिन दोनों ही काम नहीं कर पाता। आंखें बंद कर लेता हूं। जैसे मैं एक लम्‍बी दौड़ पूरी करके आया हूं और कुर्सी पर निढाल पड़ गया हूं। उठने की हिम्‍मत ही नहीं रही है। पीछे मुड़ कर देखने की कोशिश करता हूं कि होटल का कोई स्‍टाफ तो नहीं देख रहा लेकिन नहीं देख पाता।

और कितने रंग दिखायेगी ये मायावी अंजलि। सुबह से ही एक के बाद एक जादू दिखा रही हैं। अभी तो दो दिन बाकी हैं। अभी तो रात बाकी है। मेरे गले में जैसे कांटे उग आये हैं। गिलास की सारी स्‍कॉच एक ही घूँट में गले से नीचे उतारता हूं। महसूस कर रहा हूं कि वे हर आती और बड़ी होती जाती लहर से टकराती हैं, गिरती हैं और फिर उठ खड़ी होती हैं।

लगता है, अंजलि लौट आयी हैं और अब कपड़े पहन रही हैं। मैंने आंखें बंद कर ली हैं।

मेरा कंधा थपथपाया है अंजलि ने - अब चलें। मैं जैसे सपने से जागा हूं।

उठने की कोशिश करता हूं लेकिन आराम कुर्सी से उठ नहीं पाता।

इतना याद है कि अंजलि ही सहारा दे कर मुझे कमरे तक लायी थीं।

· 

अचानक झटके से मेरी आँख खुली है। सिर भारी है। पता नहीं कितने बजे हैं। खिड़की की तरफ देखता हूं। समंदर शांत है और दूर लंगर डाले या चल रहे जहाजों की पांत नज़र आ रही है। मेरा पूरा शरीर तन रहा है। याद करने की कोशिश करता हूं। सोने से पहले क्‍या हुआ था और मैं कमरे में कैसे आया। इतना ही याद आता है कि अंजलि मुझे सहारा दे कर कमरे तक लायी थी। अंजलि.. अंजलि.. धीरे धीरे सारी इमेजेज सामने आ रही है। सौ की रफ्तार से नेशनल हाइवे पर चल रही कार में फ्रंट सीट पर बैठ कर टी शर्ट उतार कर ब्रा उतारना और दोबारा टी शर्ट पहनना, हाइवे पर गाड़ी रोक कर मुझे गले लगाना और अंधाधुंध चूमना, नाश्‍ते में बीयर लेना और फिर सौ की स्‍पीड से गाड़ी चलाना, और सुनसान बीच पर रात के अंधेरे में पूरी तरह न्‍यूड हो कर हरहराते समंदर से मिलने जाना। बेहद खूबसूरत हैं अंजलि। लैपटॉप पर तस्‍वीरें देखते हुए उनका मेरे बेहद नजदीक होना। कपड़े अस्‍त व्‍यस्‍त हो जाने के कारण उनके खूबसूरत और गठी हुई देह की झलक मिलना।

मुझसे मिलने, मेरे साथ हॉलीडे मनाने इतनी दूर से आयी हैं अंजलि। यू आर... यू आर ग्रेट अंजलि। आइ लव यू अंजलि.. लव यू .. आइ नीड यू अंजलि.. अंजलि आइ नीड यू..। मेरी शिरायें तन रही हैं। उठ बैठता हूं। पानी पीता हूं। अंजलि मैं कमज़ोर नहीं पड़ना चाहता लेकिन इतना मज़बूत भी नहीं हूं कि इतने खुले इन्‍वीटेशन को ठुकरा दूं। अंजलि.. मुझे समझने की कोशिश करना। मैं तो आपको समझ नहीं पाया। उठ कर अंजलि के कमरे में जाता हूं। नाइट लैम्‍प की हल्की रौशनी है। वे करवट ले कर सोयी हुई हैं। पता नहीं मैं नशे में हूं इसलिए वे ज्‍यादा खूबसूरत लग रही हैं या वे खुद नशे में हैं इसलिए ज्‍यादा खूबसूरत लग रही हैं या दोनों का नशा। समंदर में उतरती उनकी नग्न काया मैंने अभी थोड़ी देर पहले ही तो इतने पास से देखी है.. महसूस की है। अब मेरे सामने हैं अंजलि। मैं तुम्‍हारे बिना नहीं रह सकता अंजलि। तुम मुझे जिस मोड़ पर ले कर आयी हो, वहां से मैं खाली हाथ नहीं लौट सकता। मैं जल रहा हूं। मैं पिघल रहा हूं। मैं मर जाऊंगा।

एक झटका लगा है। मैं ये क्‍या कर रहा हूं। ये गलत है। कमज़ोर नहीं होना। वादा किया है अंजलि से। लेकिन अंजलि तुम खुद ही तो मुझे कमज़ोर करने के लिए एक के बाद एक जादू दिखा रही हो। क्‍या करूं मैं .. । जो होता है होने दो। देखा जायेगा।

मैं अंजलि के बेड के पास जमीन पर बैठ गया हूं। उनकी तरफ हाथ बढ़ाता हूं। इससे पहले कि मैं उन्‍हें छू पाऊं, अंजलि उठी हैं। मुझे सहारा दे कर उठाया है और मेरा हाथ थामे हुए बिना एक भी शब्‍द बोले मुझे मेरे बिस्‍तर तक ला कर लिटा दिया है। थोड़ी देर तक मैं अपने माथे पर उनके हाथ का नरम स्पर्श महसूस करता हूं। और धीरे धीरे... नींद के आगोश में..।

· 

सुबह अंजलि ने ही जगाया है। चाय के लिए। मैं अंजलि की तरफ देखता हूं। वे भेद भरी मुस्कुराहट के साथ गुड मार्निंग कहती हैं। मैं वाशरूम हो कर आता हूं। खिड़की के पास वाले सोफे पर बैठी हैं अंजलि।

वे चाय का प्‍याला मेरी तरफ बढ़ाते हुए पूछती हैं - रात कैसी कटी बाबू?

उनके संबोधन से मुझे रात की हरकत याद आती है। मैंने सिर झुका लिया है। क्‍या कर बैठा था मैं कल रात नशे की झोंक में।

- कोई बात नहीं, हो जाता है। मैंने कहा था ना कि तुम्हें कमज़ोर नहीं पड़ने दूंगी।

मैं अंजलि से नज़र ही नहीं मिला पा रहा हूं। किसी प्रिय की निगाहों में गिरना और खुद की निगाहों में गिरना - दोनों चीज़ें मेरे साथ एक साथ हो रही हैं। मैं उनकी आंखों में शरारत देख रहा हूं। खुद पर गुस्सा आ रहा है, मैं ऐसा क्‍यों कर गया।

वे पूछती हैं - और चाय लोगे?

उनके सामने से हटने का यही तरीका है कि अब चाय मैं बनाऊं वरना उनके सामने बैठा रहा तो झुलस जाऊंगा।

मैं चाय बनाने के लिए उठता हूं। अंजलि कह रही हैं - ब्रेकफास्‍ट के बाद ज़रा घूमने चलेंगे। वैसे भी अरब महासागर महाराज अभी आराम फरमा रहे हैं।

मुझे अच्‍छा लगा है कि अंजलि ने खुद ही टॉपिक बदल दिया है।

मैं चाय ले कर आया हूं। अब हम एक दूसरे के ठीक सामने बैठे हैं। एक ही तरीका है रात की बात हमेशा के लिए खत्‍म करने का कि मैं खुद ही रात की बात करूं और मामला रफा दफा करूं।

- रात कुछ ज्‍यादा ही हो गयी थी मुझे। यही तरीका है कि मैं अपनी हरकत के लिए उनकी शराब और उनके ओपन इन्‍वीटेशन को ही दोषी ठहरा दूं।

- बहुत ज्‍यादा तो नहीं जनाब बस इतनी कि हम खुद आपके बराबर ही पीने के बाद आपको सहारा देकर कमरे तक लाये थे, आपको आराम से सुलाया था। लेकिन क्‍या कहें.. उन्‍होंने ठंडी सांस भरी है - लेकिन क्‍या कहें आपके हसीन नशे का। उतरने का नाम ही नहीं लेता था। पहले आधी रात को आपको हमारे पास लाया, हमने दोबारा आपको आपके बिस्‍तर पर लिटाया, आपके सो जाने के बाद हम वापिस आये तो भी आपके नशे ने आपको सोने कहां दिया। आप रात भर जागते रहे। कभी खिड़की पर खड़े हो रहे हैं तो कभी बाथरूम जा रहे हैं। कभी उठ रहे हैं तो कभी बैठ रहे हैं।

लगता है अंजलि मेरी धुलाई करके ही छोड़ेगी। कहां तो मैंने टॉपिक बंद करने के लिहाज से शुरू किया था और ये तो उसी के बखिये उधेड़ने लगीं।

पूछता हूं - आपको कैसे पता?

- जनाब, हमें नहीं तो किसे पता होगा। आपकी हरकतों न हमें भी सारी रात जगाये रखा। उन्‍होंने जान बूझ कर उबासी ली है और अपने मुंह के आगे चुटकी बजायी है - हमें तो अभी भी नींद आ रही हैं।

मैंने कुढ़ कर कहा है - तो रोका किसने है। सो जाइये, वैसे भी हमें कौन सा काम करना है।

वे चहकी हैं - इतना आसान है सोना? कहीं आपके भीतर का शेर फिर जाग गया तो?

मुझे कोई उत्तर नहीं सूझा है कि इस तीखी बात का क्‍या जवाब दूं।

कहता हूं - शेर को अपना चौकीदार बनायेंगी तो ये खतरे तो रहेंगे ही।

मेरा जवाब सुन कर वे तपाक से उठी हैं और ताली बजा कर मेरी तरफ बढ़ी हैं - क्‍या तीर मारा है मेरे शेर ने। खुश कर दित्‍ता। आ तुझे गले से लगा लूं मेरे शेर और वे सचमुच मेरे गले से लिपट गयी हैं। चलो इस बात पर एक और चाय हो जाये।

मुझे सुकून मिला है कि सारा मामला हैप्‍पी ऐंडिंग के साथ निपट गया है।

तय करता हूं आज दिन भर नहीं पीऊंगा। रात की रात को देखेंगे।