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जीवन की परीक्षा

जीवन की परीक्षा की कहानी
 
"जैसे स्कूल की परीक्षा होती है, ऐसे ही जीवन में भी परीक्षा होती है।"
"जैसे बारहवीं कक्षा की बोर्ड की परीक्षा है, वह तीन घंटे की होती है। उसी प्रकार से यह जीवन भी तीन घंटे की परीक्षा है। स्कूल की परीक्षा का एक घंटा, साठ मिनट का होता है; परंतु इस जीवन की परीक्षा का एक घंटा, कई वर्ष लंबा होता है।"
मान लीजिए, "जीवन की परीक्षा का पहला घंटा बचपन है, दूसरा जवानी है, तीसरा बुढ़ापा है, फिर मृत्यु की घंटी बजेगी, और परीक्षा का समय पूरा हो जाएगा।"
स्कूल की परीक्षा में तीन घंटे बाद अंक दिए जाते हैं, बीच-बीच में नहीं। "परंतु जीवन की परीक्षा में इससे थोड़ा अंतर भी है। यहां तो बीच-बीच में भी कर्मों का फल दिया जाता है, और मरने के बाद भी अगले जन्म में बचे हुए कर्मों का फल दिया जाता है।" "जीवन की परीक्षा का परीक्षक ईश्वर है। वह चौबीस घंटे हम सब की परीक्षा लेता है। हम और आप जितने अच्छे कर्म करेंगे, उतने ही हमारे नंबर बढ़ेंगे, अर्थात ईश्वर, हमें और आपको उतने ही अधिक सुख देगा। यदि हम और आप जितने गलत काम करेंगे, तो उतने ही हमारे और आपके नंबर कटेंगे, अर्थात ईश्वर की ओर से सबको उतने ही दुख भोगने पड़ेंगे। कुछ कर्म फल इस जन्म में और कुछ अगले जन्म में।"
"हमें और आपको, जीवन में चोर डाकू आदि मनुष्यों से या सांप बिच्छू भेड़िया शेर आदि अन्य प्राणियों से अन्यायपूर्वक जो दुख मिलते हैं, अथवा भूकंप आदि प्राकृतिक दुर्घटनाओं से जो दुख मिलते हैं, वे सब हमारे आपके कर्मों का फल नहीं है। न ही वह हमारे पूर्व जन्मों का कर्म फल है। वह सब अन्याय और दुर्घटनामात्र है।" हमारी अपनी गलतियों से जो हमें दुख मिलते हैं, वह हमारा कर्म फल है। उसमें से कुछ फल समाज के लोग न्यायपूर्वक दे देते हैं। जैसे नौकरी का वेतन मिलता है। और कुछ सुख-दुख ईश्वर की ओर से होते हैं। जैसे व्यायाम करने से आयु बढ़ती है। शराब तंबाकू आदि का सेवन करने से आयु घटती है। "यह इसी जन्म के कर्म का, इसी जन्म में फल मिला। यह ईश्वर की ओर से है। और जिन कर्मों का फल यहां इस जन्म में न तो समाज ने दिया, और न ही ईश्वर ने, तो उन कर्मों का फल अगले जन्म में ईश्वर द्वारा मिलेगा।"
यदि हमारे आपके कर्म पचास प्रतिशत से अधिक अच्छे होंगे, तो ईश्वर अगले जन्म में मनुष्य का उत्तम शरीर देगा, और वहां पर अनेक प्रकार के सुख मिलेंगे। यदि हमारे आपके कर्म पचास प्रतिशत से भी अधिक बुरे होंगे, तो उनका फल अगले जन्म में ईश्वर हमें और आपको पशु पक्षी योनियों में दंड देगा। वहां अनेक दुख भोगने पड़ेंगे।" "इसलिए अच्छे कर्म करें। अपने नंबर बढ़ावें। यही बुद्धिमत्ता और जीवन की सफलता है।"
"अच्छे बुरे कर्म आप सब लोग जानते हैं। यदि आप अच्छे काम करेंगे, तो किसी दूसरे व्यक्ति पर एहसान नहीं होगा, आप स्वयं पर ही एहसान करेंगे। क्योंकि वह आप अपने ही भविष्य के सुख के लिए कर रहे हैं।"
 

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