Khoi Hui Chaabi - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

खोई हुई चाबी - 2

{ एक नई सुबह के साथ एक नई शुरुआत करते है. चलो चलो आज कुछ खास करते है. }

" नमस्कार आज तो कहानी के मुताबिक आज सुबह वो तीन लोग अपने काम की पूरी तैयारी कर रहे है. सब ने अब तक सारा सामान ले लिया है. और अब जाने के लिए पूरी तरह से तैयार है. बदे सिंह ने बोला की... "

" चलो भाई लोग सब तैयार है ना. तो गाड़ी निकालू हम काफी लेट हो गई है. और हा वैसे कल अपने घर वालो को सब बता दिया था ना. की अभी तक नही बताया. अभिनव बोला... "

" फिक्र मत कर भाई तेरे भाई ने सब बता दिया है. अब हमारे बीच और हमारे काम के बीच कोई नही आयेगा. मजे करो बस ठीक है. सनी बोला... "

" मजे क्या खाक करेंगे अभी उस चाबी को ढूंढ ने में कितने दिन कितने साल लगने वाले है. और हमे तो ये भी पता नही की मिलेगी भी या नही. खैर ढूंढ तो लेंगे पर डर तो इस बात का है. की हम जो काम करने जा रहे है. वो काम बे हद कठिन वाला काम है. पता नही हम इस पर अमल पाएंगे या नहीं. बदे सिंह बोला... "

" अरे मेरे दोस्त जो चीज नामुंकिम लगे वही चीज करने में ही तो मजा आता है. वरना ऐसे आसान चीज़े तो ऐसे ही हो जाती है. और तुम टेंशन मत लो हम है ना साथ में फिर काहेका डर. ये कह कर बदे सिंह अपना काम करने लगा और वापस सनी बोला... "

" हा यार ये तो है एक दूसरे के सहारे से ही तो ये सब हो पता है. वरना कहा पर कुछ भी संभव हो पता है. पता है जब हमारी थोड़ी बहुत पहचान नहीं बन जाति ना तब तक हमारी औकात दो कोड़ी की राह जाति है. और हम तीनों को देख लो पूरे 'घुवड' शहर के लोग जानते है. और सैल्यूट करते है. लेकिन मुझे ना इन सारे लोगो में से एक बात अच्छी लगी. भले इन में से कोई गरीब हो या अमीर हो ये आज जो भी है खुदके मेहनत पर है. वरना इस दुनिया में आतंक का भी सफाया नही हुआ है. कई शरीफ लोग रहते है. तो कई आतंकी लोग रहते है. अब इस सारी बातों में टेंशन ये रहता है. बंदा कहा जाकर सलामत रहेगा.. सनी की ये सारी बाते सुन कर अभिनव बोल पड़ा और कहा की... "

" रे.. रे.. भाई भाई शांत. सदमे में मत चले जाना ठीक है. देखो ऐसा है की हम वही करने जा रहे है. क्यू अब वो चाबी ही सब सही कर सकती है. और जब तक चाबी नही मिल जाती हम कुछ नही कर सकते. अभिनव बोल ही रहा था. की तब वहा पर बदे सिंह आगया गाड़ी लेकर. और बोला... "

" अगर आप लोगो की वार्तालाप समाप्त हो चुकी हो तो हम ये कहना चाहते है. चलो अब हमारा वक्त हो चुका है. गाड़ी में आइए और चलिए निकलते है. सनी बोला... "

" हा हा भाई ठीक है चलो. और भाई लोग मे क्या कहना चाहता हु. सुनो तो अगर हमारे साथ कोई लड़की होती एक आद तो बढ़िया रहता है. क्या है ना की हम तीनों रहे लड़के एक लड़की तो बनती है यार. ऐसे में बदे सिंह तुरंत बोल पड़ा... "

" देखो भाई लोग मेरी लिस्ट में तो एक है. शायरा वर्मा नाम की लड़की है. जो मेरी एक अच्छी दोस्त है. वैसे में इसको बुला तो सोता हु पर हा. ज्यादा सिल्की मत हो जाना. थोड़ा सा दूरी बनाई रखना. बाद में अभिनव और सनी तुरंत बोल पड़े... "

" अरे अरे भाई इतना आगे मत जाओ हम तो सिर्फ मस्ती ही करेंगे. और कुछ नही आप ज्यादा मत सोच भाई. सनी ने भी यही की.. अरे भाई भरोसा रखो भरोसा शक करने के लिए तो इस दुनिया मे लोग भर भर के पड़े. फिर बाद मे बदे सिंह ने थोड़े अच्छे से हा बोला. और कहा की... "

" जी ठीक है फिर हमे कोई आप्पति नही है. हम उसको बोल देंगे की रास्ते में आके हमारा इंतजार करे.. लेकिन लेकिन आप लोगो के पास कोई लड़की नही है क्या? तभी सनी बोला... "

" नई रे भाई अपने पास लडकी कहा से होगी. अपनी जिंदगी में सब कुछ है. पर अगर कोई चीज नहीं है. तो वो है लड़की. और कुछ नही. सनी ने सिर्फ इतना ही बोला था. की अभिनव तुरंत बोल पड़ा... "

" यार मेरे भाई तुम भी कमाल करते हो. फिक्र मत कर मेरे बाजू में ना एक लड़की है. में उससे बात करवा दूंगा ठीक है. लेकिन अब ये लड़कियों की बात पूरी हो गई हो. तो कुछ काम कर ले. क्यू की जब तक तुम लोगो की बाते खतम नही होंगी गाड़ी भी यह से हिलेगी नही. ये याद रखो अच्छे से ठीक है. सनी ने बोला... "

" अच्छा बाबा माफी चाहते है. अब चालू गाड़ी चालू करो. अब हम कुछ नही बोलेंगे. उसके बाद अभिनव वापस बोला... "

" वैसे बदे सिंह भाई आपकी वो शायुरी कब आ रही है. में तो कब से उसका इंतजार कर रहा हु. और उसके बारे में तो आप बात ही नही कर रहे हो. हाहाहा बदे सिंह और सनी दोनो हस पड़े. और कहा... "

" यार अभिनव दोस्त मेरे भाई क्या हो गया अभी तो तुमने हम दोनो को चुप कराया जब हम दोनो लड़कियों की बाते कर रहे थे. फिर सुनी ने कहा आधा पागल है कमिना कही का. ठीक है भाई अब सब कुछ छोड़ और लड़की को बुला ले फिर वो लेट ना करे कही ठीक है. बदे सिंह ने हा में गर्दन घुमाई. "

( बदे सिंह, अभिनव और सनी. ये तीनों निकल चुके थे और साथ ही साथ बदे सिंह ने अपनी दोस्त को भी बुला लिया था. वो भी अब इंतजार कर रही थी. क्यू की काफी वक्त हो चुका था. और सुबह का समय था करीबन 9 बज रहे थे. और सुबह का मौसम भी बढ़िया था इस लिए सब का मूड भी अच्छा था. तो सारा माहौल ठीक था. अब आगे की कहानी कल आयेगी. और इसके सात इस भाग का ठहराव हम यही करते है. )


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