खोई हुई चाबी - 3 Mehul Pasaya द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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खोई हुई चाबी - 3

{ अब तक 10 बज चुके थे तीनों की बातों बातों में. और फिर गाड़ी भी चालू थी. और कुछ देर बाद बदे सिंह की दोस्त भी आ चुकी थी. जैसे ही वो लड़की उन तीनो को दिखी. वैसे ही हड़बड़ी में रह गए. और फिर अभिनव ने झोर से ब्रेक मारा. अब आगे. }

" अरे भाई क्या कर रहे हो. जरा देख कर तो चलाओ. अभी मेरा चेहरे की ऐसी की तैसी हो जाती. क्या यार थोड़ा तो सोचो. ऐसे में सनी बोला... "

" अरे भाई लोग ठीक है ना अब ब्रेक मारा है तो फिर उसको बिठाओ भी. वो कब से बाहर खड़ी है यार. कमाल कर रहे हो. शायरा धीरे से बोली... "

" तेरी ओर मेरा इशारा है. की तेरी ओर मेरा इशारा. क्या खयाल है बाबू. तेरी ओर हा है या तेरी ओर ना है. क्यू की नाम मेरा शायरा है. बदे सिंह बोला... "

" अरे ओ ओ शायरन की महारानी ताल मेल नहीं मिल रहे. जरा आपकी तशरीफ लायेंगे गाड़ी के अंदर. तो मेहरबानी होगी आपकी. सनी बोला... "

" अरे भाई क्या शायरा जी क्या शायरी मरती है. म. मतलब बोलती है बोलती. वैसे भाई आपको क्यू ऐसा लगा की शायरा जी की शायरी ठीक नही है. आप में कुछ कमी होगी. मतलब की समझ ने में. आप ये लाइन समझो शायरा जी की शायरी का. तेरी ओर मेरा इशारा है. की तेरी ओर मेरा इशारा. क्या खयाल है बाबू. तेरी ओर हा है या तेरी ओर ना है. क्यू की नाम मेरा शायरा है. वा वा वा क्या शायरी है. शायरा जी हम तो आप पर फिदा हो गए. बदे सिंह बोला... "

" देखो भाई इतनी जल्दी कोई भी फिदा नही होता. और हा एक और बात. इसे तो तुम बच कर रहो वही तुम्हारे लिए बेहतर है. हम तो पहले से ही बता रहे है. फिर ये मत कहना की बताया क्या नही. अभिनव बोला... "

" अरे जानते है बदे सिंह भाई आप फिक्र ना करो. लेकिन सनी भाई का ना थोड़ा समझ नही आया. वो इतनी जल्दी फिदा हो गए. बस लडको की ना यही दिक्कत है. इतनी जल्दी लट्टू हो जाते है. लड़कियों के पीछे जो की बिलकुल गलत है. खैर अब हमे तो हमे तो ये सफर बीता ना है. फिर चाहे कोई मिले या ना मिले. शायरा बोली... "

" आप लड़कियों के बारे में ऐसे नही बोल सकते. देखो हर लड़की तो ऐसी नही होती है ना. हा कुछ लोग ऐसे होते है. जो की हम अच्छे और सच्चे लोगो पर हाबी होते है. कांड वो करते है. और भुगत ना हमे पड़ता है. फिर चाहे वो कांड लडकी करे या लड़का. इस बात पर तीनो के तीनो महाशयों ने तारीफ की. और तारीफ में बोले... "

" वा क्या बात है बहुत खूब शायरा जी आपकी ये बात हमे पसंद आई. हमे गर्व है की इस देश में ऐसी सोच रखने वाले बहुत कम लोग ही मिलते है. आप उन मे से एक हो. शायरा ने कहा... "

" शुक्रिया जी शुक्रिया. आपका तहे दिल से शुक्रिया.. ठीक है अब ये शायरी वाइरी छोड़ो. और अपने बारे में बताओ. कोन क्या है क्यू है वगेरा वगेरा. सनी बोला... "

" पहले में पहले में. तो सुनो में हु सनी शर्मा. ये मेरे दो यार है और में उनका यार हू. और में दुनिया हु और वो मेरी दुनिया है. बस यही पहचान है मेरी. और फिर अभिनव ने भी साथ ही साथ बोला... "

" जी शायरा जी हमारा भी सनी जैसा ही है. वैसे मेरा नाम है अभिनव शर्मा. और जैसे सनी ने बोला वैसे मे उनकी दुनिया हु और वो मेरी दुनिया है. बाद में ये सुनते ही बदे सिंह भी बोल पड़ा... "

" हा शायरी जी आपको मेरे बारे में तो सब पता है. बस इतना बता देते है की. इन दोनो के जैसा मेरा भी है. हा परिवार भी है लेकिन अब हमने काम ही ऐसा करने का सोचा है. तो अब परिवार से दूर रहना पड़ेगा. कोई आज के जमाने में फोन जैसी चीजों का इस्तेमाल होता है. फिर कोई दिक्कत नही है. बाते होते रहेगी परिवार से. बदे सिंह, अभिनव और सनी के परिवार वाले इस काम के लिए मान तो गए थे. लेकिन खुश नहीं थे. तीनो के तीन परिवार वालों में हैरानी साफ साफ नजर आ रही थी. अब बाकी थी तो शायरा की क्या था. शायरा ने अपने घर बताया होगा या नही या फिर बता दिया होगा. आओ जानते है क्या खबर है इस विषय पर. जब शायरा को अभिनव ने पूछा की शायरा जी आप घर क्या बता कर आए हो. तो फिर शायरा जी ने कहा की... "

" अभिनव जी दरअसल हम ना कोई बहाना नही मिला. तो हम सब सच सच बता कर आए है. लेकिन घर वालों काफी गंभीरता से बोला है. अगर कुछ गलत हुआ तो ठीक नही होगा ऐसा बता देना तुम्हारे दोस्त को. तो मैने कहा नही मुझे अपने दोस्त बड्डू पर पूरा भरोसा है. वो मुझे कुछ नहीं होने देगा. ऐसे में बदे सिंह बोला... "

" भरोसा करने के लिए धन्यवाद्. और हा जरा आप अपने घर वालों से बात करवाएंगे. ताकि में भी अपनी तरफ से उनको भरोसा दिला दूं. अभिनव बोला... "

" अरे ये तो आप बाद में कर लेना माफी चाहते है. बीच टोक रहे है. पर बोलना जरूरी है मेरा. और में ये कहना चाहता हु की शायरा जी और भाई आपकी दोस्ती में बहुत दम लगता है. काफी मिल जुल चुके हो. और सबसे खास बात शायरा जी हमे ना आपकी ये प्यारी प्यारी बाते बे हद अच्छी लगती है. मन करता है की बस ऐसे ही आपको सुनता रहू.. मतलब की आपकी बातो को सुनता ही रहु और बस सुनता ही रहु. तब शायरा ने कहा... "

" जी शुक्रिया पर में ऐसे ही बात करती हु. और हा बड्डु में फोन लगाती आप बात कर लेना मेरे घर वालों से ठीक है. ये लो कर लो बात. बदे सिंह बोल पड़ा... "

" नमस्ते काका कैसे है आप. आपकी बेटी शायरा जी का दोस्त बदे सिंह राठौड़ बोल रहा हु. और आपका नाम हम जानने के गुजारिश कर ते है. क्या आपका नाम जान सकते है. बदे सिंह ने फोन को स्पीकर पर रखा हुआ था. तो फोन में से आवाज आई की... "

" जी बदे सिंह बेटा में शायरा का पिता बोल रहा हु धन सुख प्रताप. हम एक बेटी के पिता है. हम कहना जरूर चाहेंगे की. कुछ भी हो लेकिन मेरी बेटी को कुछ नही होना चाहिए. अगर हुआ तो मुझ से बुरा और कोई नही होगा. आप इतना जान लेना ठीक है बेटा जी अब रखते है. खयाल रखो अपना अपना और एक दूसरे का. शायरा के पापा ने इतना बोल कर फोन काट दिया. और फिर सनी बोला... "

( आज का भाग यही समाप्त होता है. अब अब हम इस चीज का इंतजार करेंगे की पहले कोन सी मुसीबत आती है. और कितनी बड़ी या कितनी छोटी आती है. )


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