Gratitude books and stories free download online pdf in Hindi

कृतज्ञता

जीवन में मिले असहयोगों या उपेक्षाओं की सूची तैयार करते समय कदाचित हम प्राप्त उपकारों और सहयोगों की भी गिनती करने लगें तो खिन्नता और क्रोध का आधा हिस्सा प्रसन्नता और कृतज्ञता के अधिकार क्षेत्र में चला जाएगा...इस जगत में पूरा जीवन किसी का भी एक सा नहीं गुज़रता...मिश्रित अनुभवों से भरा होता है प्रत्येक जीवन... हमारे सुख-दुःख परस्पर जुड़े होते हैं और संसार सभी के लिए बना है...यह केवल हमारी इच्छानुसार नहीं चल सकता... सभी परमात्मा की संतानें हैं,और उनके कर्मों के अनुसार ही परमेश्वर अपना अनुगृह हर किसी को प्रदान करते हैं... इसलिए हमारी ईश्वर से अवहेलनायें सर्वदा आधारहीन ही कही जाएंगीं..आज अपने प्रभु से सदा, प्राप्त पर आभार प्रकट करने की अलौकिक प्रार्थना के साथ...
जीवन में मिले असहयोगों या उपेक्षाओं की सूची तैयार करते समय कदाचित हम प्राप्त उपकारों और सहयोगों की भी गिनती करने लगें तो खिन्नता और क्रोध का आधा हिस्सा प्रसन्नता और कृतज्ञता के अधिकार क्षेत्र में चला जाएगा...इस जगत में पूरा जीवन किसी का भी एक सा नहीं गुज़रता...मिश्रित अनुभवों से भरा होता है प्रत्येक जीवन... हमारे सुख-दुःख परस्पर जुड़े होते हैं और संसार सभी के लिए बना है...यह केवल हमारी इच्छानुसार नहीं चल सकता... सभी परमात्मा की संतानें हैं,और उनके कर्मों के अनुसार ही परमेश्वर अपना अनुगृह हर किसी को प्रदान करते हैं... इसलिए हमारी ईश्वर से अवहेलनायें सर्वदा आधारहीन ही कही जाएंगीं..आज अपने प्रभु से सदा, प्राप्त पर आभार प्रकट करने की अलौकिक प्रार्थना के साथ...***
जीवन में मिले असहयोगों या उपेक्षाओं की सूची तैयार करते समय कदाचित हम प्राप्त उपकारों और सहयोगों की भी गिनती करने लगें तो खिन्नता और क्रोध का आधा हिस्सा प्रसन्नता और कृतज्ञता के अधिकार क्षेत्र में चला जाएगा...इस जगत में पूरा जीवन किसी का भी एक सा नहीं गुज़रता...मिश्रित अनुभवों से भरा होता है प्रत्येक जीवन... हमारे सुख-दुःख परस्पर जुड़े होते हैं और संसार सभी के लिए बना है...यह केवल हमारी इच्छानुसार नहीं चल सकता... सभी परमात्मा की संतानें हैं,और उनके कर्मों के अनुसार ही परमेश्वर अपना अनुगृह हर किसी को प्रदान करते हैं... इसलिए हमारी ईश्वर से अवहेलनायें सर्वदा आधारहीन ही कही जाएंगीं..आज अपने प्रभु से सदा, प्राप्त पर आभार प्रकट करने की अलौकिक प्रार्थना के साथ...*
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जीवन में मिले असहयोगों या उपेक्षाओं की सूची तैयार करते समय कदाचित हम प्राप्त उपकारों और सहयोगों की भी गिनती करने लगें तो खिन्नता और क्रोध का आधा हिस्सा प्रसन्नता और कृतज्ञता के अधिकार क्षेत्र में चला जाएगा...इस जगत में पूरा जीवन किसी का भी एक सा नहीं गुज़रता...मिश्रित अनुभवों से भरा होता है प्रत्येक जीवन... हमारे सुख-दुःख परस्पर जुड़े होते हैं और संसार सभी के लिए बना है...यह केवल हमारी इच्छानुसार नहीं चल सकता... सभी परमात्मा की संतानें हैं,और उनके कर्मों के अनुसार ही परमेश्वर अपना अनुगृह हर किसी को प्रदान करते हैं... इसलिए हमारी ईश्वर से अवहेलनायें सर्वदा आधारहीन ही कही जाएंगीं..आज अपने प्रभु से सदा, प्राप्त पर आभार प्रकट करने की अलौकिक प्रार्थना के साथ...**

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