दिल सहमा सा Karunesh Maurya द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

दिल सहमा सा

हैलो दोस्तों , तो ये कहानी है एक ऐसे व्यक्ति की जो शायद अब भी एक बच्चा है, जो नन्हे बच्चों से बहुत लगाओ रखता है ,पर अभी वो एक बेजूबान जानवर जैसा महसूस कर रहा है हा , वो ऐसे समय मे है जो अपनी बात किसी से कह नहीं सकता जो बच्चों से बात करना तो चाहता है पर वो कर नहीं सकता वो अकेले कहीं बैठता है तो कांपता है वो रोना चाहता है पर रो नहीं सकता वो नहूत कॉसहिश कोशिश करता है पर उसकी आँखों से एक बूंद भी आँसुन नहीं निकलता वो चीख नहीं पता चिल्ला नहीं पता हँसना तो बहुत बड़ी बात है उसके लिए , एक मिनट पहले उसकी पिछली कहानी तो सुनो आखिर हुआ कैसे पहेले ऐसा नहीं था ये अभी इसका 12th खतम ही हुआ है अभी रिजल्ट आने वाला है ये वो पल याद करके बहुत झिंझोड़ जाता है जो स्कूल समय पर होता था अब वो उन दोस्तों को भी याद करता है जो इससे कभी सीधे मुह से बात नहीं करते थे जैसे इसका एक दिन स्कूल का - सुबह जल्दी उठता और ये सोचता की आज स्कूल जाऊ की न जाऊ तभी एक काल आता है और काल उठाने पर उधर से आवाज आती है अबे आज स्कूल चल रहा है क्या तो ये बोलत है हाँ बिल्कुल क्यों तू नहीं चल रहा बोलत है नहीं चलता हु न , ये बोलत है वैसे भी पढ़ाई वाड़ाई तो होगी नहीं आज और अनुराग भी तो कह रहा था की आज नहीं आऊँगा , और वो दिवस भी , अतुल का भी मन नहीं था हा यार हम क्या ही करेंगे मजा नहीं आएगा चल छोड़ फिर वही बात खतम होते ही चलते थे अपनी अपनी मम्मियों के पास और बोलते मम्मी आज सिर दर्द कर रहा है पेट भी दर्द कर रहा है तो मम्मी बोलती है तो स्कूल कैसे जाओगे बस फिर क्या दोनों का काल वापस होता है और बोलते है हो गया तेरा अगर दोनों का कन्फर्म होता तो ठीक नहीं एक बोलता यार आज चलना पड़ेगा तो जिसका कन्फर्म हो गया होता है वो वापस जाता है और बोलत है नहीं मम्मी आज जाना जरूरी है आज तो टेस्ट है और आज कुछ नया पढ़ाने को बोल रहे थे सर फिर क्या दोनों तैयार ममी बोली बेटा वो दर्द मै स्कूल मे दवाई खा लूँगा ओके , फिर काल - क्या कर रहा है निकल लेट हो जाएंगे ठीक 8:50 पे पुलिया वाली मोड पे मिल ठीक बाय , घर से निकले और साथ मे मिलते ही आज क्या होगा स्कूल ऐसा लगता है जैसे रोज नया होता है , यार आज वो आएगी की नहीं एक बोलतअ है की शायद नहीं आएगी तभी तुरंत आएगी बे मई जा रहा हूँ वो आएगी लगा शर्त चल ठीक आगे आई तो ये सामने वाली सारी जामीन तेरी और नहीं आई तो तू मुझे पैसे देगा अब हंसो वैसे ये अब हंसने जैसे लगता है पर उस वक्त किसी गंभीर चर्चा से काम नहीं होती और फिर मेरी वाली तेरी वाली करते करते हम स्कूल पहुंचते और साइकिल से उतरते ही अगर वो आते दिख गई तो इसारों मे बात होती ओए जामीन और अगर नहीं आई तो ओए बोलकर हाथों से पैसों की ऐक्टिंग और फिर वो पहला कदम स्कूल के अंदर और जब कभी लेट होते तो बोलते सर आज पहली बार लेट हुए हैं वो साइकिल की चैन टूट गई थी और हम मार खाकर प्रार्थना लाइन मे सबसे पीछे लग जाते और बीच से ही प्रार्थना सुरू कर देते और फिर आगे पीछे होने के कारण प्रार्थना मे भी बॅक बॅक लगे रहते अब प्रार्थना खतम होती है और हम सब मूलते हैं अपने अपने सहपाठियों से और दोस्त एक ही बात पूंछते है मुझे लगा नहीं आओगे छुट्टी मार दी और हम बोलते नहीं यार संडे तो मिलता ही है ऐसे कैसे क्लास छोड़ देंगे और फिर क्लास मे पहुंचते ही अगर कोई हमारी शीट पर बैठा होता तो वो अपने आप हट जाता या फिर वही ग्रुप वही चिक चीक हालांकि शीट पहले से फिक्स होती फिर भी आर यार आज पीछे बैठ जाओ , चले जाओ , और अंत मे माने तो ठीक नहीं सर कैट ही सब अपनी अपनी जगह पहुच जाते , और फिर अटेंडेंस लगते वक्त भी सबकी चिक चिक चालू और इसी शोर मे अपनी अटेंडेंस से ज्यादा ध्यान उनकी अटेंडेंस का पर होता और अपना नंबर आता तो पीछे से कोई हाँथ लगता तब हम बोलते प्रेजेंट सर ये अधिकतर होता था और फिर अध्यापक पढ़ाते जाते और हम मे से कोई एक ऐसा होता जो होम वर्क करके आता और हम सब पीरीअड के हिसाब से होम वर्क क्लास मे करते जाते और काम करने के बाद जो संतुष्टि मिलती थी आहा सच मे ऐसा लगता था जैसे अभी अभी पुलिस ने पीछा छोड़ा हो और बाते तो पूरा दिन चलती ही रहती और हमारा 50% ध्यान तो उधर ही रहता और लंच करने के लिए भी हमे हमेसा शीट के दीवाल वाले कोने मे बैठना पसंद था लंच के समय सबका अपना अपना ग्रुप दिखता पीछे शीट के बछे आगे और सब इधर के उधर वैसे सारी बातें नहीं बात रहा किस्से एक एक कर के बताऊँगा नहीं तो कहानी लंबी हो जाएगी तो डेमो माँ लीजिए बहुत ही अलग थे हमारे किस्से खैर तो ये सब याद करता वो और कभी मुस्कुरा तक नहीं पता अब कोई नहीं है उसके पास परिवार के अलावा वो दोस्त और बहुत कुछ सब लिखूँगा पर फिर कभी और अब उसको एक कल के माध्यम से पता चलता है की एक प्यार बच्चा जिससे उसका बहुत लगाओ था उसने अपनी क्लास 6 मे टॉप किया है और उसे एक पानी की बोतल और गले मे पहेनने वलल मेडल भी जिससे वो बहुत खुश अब ये भी बहुत खुश है पर इसके पास खुशी वाली फीलिंगस नहीं है जो उसके सामने ले जा सके वो बात भी नहीं कर रहा ये सोचकर की बात करते समय वो रो देगा वो बात नहीं कर पायगा उसके मन मे बहुत से सवाल हैं पर वो बात भी बहुत जोरों से करना चाहता है वो उसकी खुसियाँ चौगुनी करना चाहता है वो बधाई देना चाहता पर फिर वो सोचता है की उसके पेपर तो ठीक नहीं गए है अगर उसने पूछ लिया की दद्दा आपके कितने नंबर आएंगे तो वो क्या बोलेगा , वो डर रहा है घबरा रहा है पर एक शाम उसकी माँ उससे कहती है की अनुज से बात करो हाँ उसका नाम अनुज है और अब वो दिल को भारी सा लग रहा है अब अब उससे रहा नहीं जाता और इसलिए वो अनुज के पास काल करने की सोचता है और अपना फोन उठाता है और कुछ समय के लिए आह भरता है और उसने अनुज का नंबर डॉन नाम से सेव किया होता है और फिर काल लगता है , उधर से उछली हुई खुसी से आवाज आती है - हैलो दद्दा इधर से बड़ी धीमी आवाज जाती ही हेलो उसके बाद एकदम से बोलता है अनुजू मैं डाला भेज रहा हूं अनुज बोलता है काहे वो बोलता काहे तुम फर्स्ट आए हो इसीलिए मैं डाला भेज रहा हु उसमे मिठाई के डब्बे भेज देना भर का , अनुज कहता है ठीक मैं सिर्फ मिठाई के डब्बे ही भेजूंगा फिर मत कहना मिठाई कहां है हां , इधर से अच्छा जी तो डाला कैंसल मैं हेलीकॉप्टर भेज रहा हूं उसके लिए खेत खाली करो अनुज नही मैं ड्रैगन भेज रहा हूं उसके साथ आ जाओ अनुज का ड्रैगन जब मैंने पूछा ड्रैगन कहा से आया बोला मेरा भैंस का बछड़ा है वही है मेरा ड्रैगन उसपे बैठ के आना इधर से अच्छा जी वो मुझे मारेगा नही अनुज बोलता हैमारता तो मुझे भी है तभी तो भेजूंगा 🤣। बात कितनी भी अच्छी चल रही थी पर उसके मन में अब भी वही झिझक थी और ऐसी ही जैसी मजाक चलते चलते अनुज ने पूछ ही लिया दद्दा आपके बोर्ड में कितने नंबर आयेंगे उधर से धीमी आवाज सुनी उसने की पूछो अनुज खैर कुछ कहा नही उसने और हंसकर बोला 3% अनुज हसा और बोला दद्दा मजाक कर रहे हो सही बताओ उसने कहा चलो अच्छा तुम्हारे लिए 4% रख लो अब अनुज हँसा और उसका मन सच में अब हल्का हो चुका था पर अब समय 58 मिनट 37सेकंड हो चुके थे और अनुज तो थक गया था हंसते हंसते पर वो अब भी थका नही फिर अनुज ने बताया कि उसने खुद पसंद करके एक गिफ्ट मांगा है घर से जो उसे मिला और वह बहुत खुश इस घड़ी को पाकर सच में यह घड़ी भी उतनी ही सुंदर हो गई थी अनुज को पाकर जितना की अनुज उस घड़ी को पाकर तो इस तरह बात समाप्त होती है और वह व्यक्ति अपने आप को संतुष्ट पाकर बड़ा हो अच्छा महसूस करता है और उस रात बड़ी प्यारी मुस्कुराहट के साथ आ अपनी नींद पूरी करता है।।