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रामू और बिल्लू की जादूगरी

एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में एक गरीब परिवार रहता था। उस परिवार में एक जवान लड़का था, जिसका नाम रामू था। रामू के पास कोई खास पढ़ाई-लिखाई नहीं थी, लेकिन उसकी खुशियों का कोई अन्त नहीं था। वह हमेशा हंसता, खेलता और मस्ती करता रहता था। उसके चेहरे पर हमेशा एक मुस्कान छिपी रहती थी।

एक दिन, रामू अपने दोस्त बिल्लू से मिलने के लिए गांव के बाहर गया। वे दोनों साथ में खेलने के लिए एक खेत में पहुंचे। खेत में उन्हें एक विचित्र पेड़ दिखाई दिया। वह पेड़ बहुत बड़ा और अजीब दिख रहा था। इसलिए, रामू और बिल्लू बहुत उत्साहित हुए और जल्दी से वहां पहुंचे।

पेड़ के पास खड़े होकर, रामू बिल्लू से बोला, "यार, यह पेड़ बहुत अजीब लग रहा है। हमें इसके बारे में कुछ और जानना चाहिए।" उन्होंने आगे बढ़कर पेड़ के नीचे बैठने का निर्णय लिया।

रामू ने पेड़ की पत्तियों को ध्यान से देखते ही उन्हें एक चिट्ठी नजर आई। चिट्ठी पर लिखा था, "मैं एक जादुगार हूं। अगर तुम मेरी इच्छा पूरी करोगे, तो मैं तुम्हें तीन खास विशेषताओं से नवीनीकृत कर सकता हूं।"

रामू और बिल्लू दंग रह गए। वे उम्मीद से भरे हुए चिट्ठी को देख रहे थे। उन्होंने विचार किया, "हमें कुछ अजीब और मजेदार करना चाहिए। क्यों न इस जादुगार की इच्छा पूरी करें?" इसलिए, उन्होंने चिट्ठी के साथ जवाब में लिखा, "हम आपकी इच्छा पूरी करेंगे। हमें यह बताएं कि आप हमें कौन-कौन सी विशेषताएं देना चाहते हैं।"

कुछ समय बाद, चिट्ठी से आवाज आई, "मुझे वाहन चलाने की क्षमता, अद्भुत शक्तिशाली होने की क्षमता और अनन्य व्यक्तित्व देने की क्षमता दो।" रामू और बिल्लू हंसने लगे।

वे सोचने लगे कि इससे अच्छा मौका कहां मिलेगा। वे दोस्तों के बीच इसके बारे में चर्चा करने लगे। उन्होंने सोचा, "अगर हमारे पास ये खास विशेषताएं हो जाएं, तो हम दूसरों के सामने गर्व से चमकेंगे।"

बिल्लू ने उन्हें देखकर हंसते हुए कहा, "रामू भैया, मुझे लगता है कि यह जादुगार हमारी छल कर रहा है। वैसे भी, गांव में हमारे पास ये खास विशेषताएं क्या करेगी? हम तो लोगों के सामने तो गांव में ही घूमेंगे।"

रामू ने विचार किया और बिल्लू के अनुकरण में इन खास विशेषताओं के कोई महत्व नहीं है, लेकिन वे फिर भी खुश थे कि उन्हें एक मौका मिला है अपनी मजेदारता दिखाने का।

दिन बिताते-बिताते, एक दिन उन्होंने सोचा कि वे इस जादुगार की इच्छा पूरी करेंगे। उन्होंने चिट्ठी को लिखकर भेज दिया, "हम तुम्हें वाहन चलाने की क्षमता देते हैं। हमें इसे एक दिन के लिए उपयोग करने की अनुमति दो।"

अगले दिन जब रामू और बिल्लू खेत में पहुंचे, तो वहां उन्हें एक नया, शानदार और रंगीन रथ दिखाई दिया। रथ के सवारी बनकर दोस्त बहुत खुश थे। रामू और बिल्लू ने रथ में बैठकर एक अद्भुत सफर शुरू किया। रथ इतना तेजी से चल रहा था कि हवा भी उनके बालों को उड़ा रही थी। गांव के लोग रामू और बिल्लू को देखकर अचंभित हो गए। वे रथ के पीछे दौड़ते हुए देख रहे थे और चिल्ला रहे थे, "देखो, देखो! हम रथ चला रहे हैं!"

यह दृश्य देखकर गांव के लोग चकित रह गए। कुछ लोग खुशी से हंस रहे थे, कुछ लोग यह सोच रहे थे कि ये कैसे हो सकता है, और कुछ लोग रामू और बिल्लू को इन अद्भुत शक्तियों के बारे में पूछ रहे थे।

रामू और बिल्लू ने सभी लोगों को देखते हुए मुस्कान में बाध्यता दिखाई और घमंड से बोले, "हमने जादू सीख लिया है और अब हम इस रथ की मदद से अपनी शक्तियों का प्रदर्शन कर रहे हैं। हमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए, हम तो अद्भुत हैं ही!"

गांव के लोगों ने रामू और बिल्लू के बातों को सुनकर और रथ को देखकर अपनी आंखों पर विश्वास नहीरामू और बिल्लू ने उनकी बातों को देखते हुए सोचा कि वे अब इस मजेदार स्थिति को और भी दरार देंगे। वे रथ को जल्दी से चलाने लगे और उसे गांव के सभी गलियों और मोहल्लों में घुमाने लगे।

जब रामू और बिल्लू रथ के साथ निकले, तो गांव के लोग खुशी के साथ उनकी ओर देखने लगे। वे उन्हें हंसते हुए, नाचते हुए और बजाते हुए देख रहे थे। रामू ने एक बड़े स्वभाव से बांधे हुए धागे को पकड़ा और गांव के लोगों के पास उसे फेंका। धागा वहां पहुंचते ही गोलमाल शुरू हो गई।

धागे को पकड़ने वाले व्यक्ति से जुड़े लोग अचंभित हो गए और सबको हंसी आ गई। गांव की महिलाएं और बच्चे खेलते हुए धागे को एक-दूसरे के पास पहुंचा रहे थे। रथ को पीछे छोड़कर सभी लोग अपने-अपने घरों की ओर भाग रहे थे।

रामू और बिल्लू को देखकर सभी लोग हंस रहे थे और अपनी पीठ पर मुहं छिपाए खाने की कोशिश कर रहे थे। वे जादूगार बने हुए थे। वे अपनी छल-कपट और जादूगरी करने की कलाओं का प्रदर्शन करने के लिए गांव में घूम रहे थे। रामू और बिल्लू ने विभिन्न चमत्कारिक प्रदर्शन किए, जैसे कि मुद्दे में बदलकरी, हाथ में से अदृश्य वस्तु उठाना और लोगों को हंसाना।

गांव के लोग बड़े आनंदित थे। वे रामू और बिल्लू के साथ मजे कर रहे थे और जादूगरी का आनंद ले रहे थे। दूसरे दिन गांव के नगरसेवक ने उन्हें एक महिला के जन्मदिन के आयोजन में आमंत्रित किया।

रामू और बिल्लू ने उनकी आमंत्रण स्वीकार की और उत्साहित होकर आयोजन में पहुंचे। जब वे वहां पहुंचे, तो वहां एक बड़ा आयोजन चल रहा था। लोग गीत गा रहे थे, नाच रहे थे और खाने-पीने का आनंद ले रहे थे।

रामू और बिल्लू ने एक मंच पर उभरते हुए अपने जादूगरी का प्रदर्शन शुरू किया। वे मंच पर उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध करने लगे। वे कई छोटे-छोटे जादूगरी प्रदर्शन करके रामू और बिल्लू ने लोगों का मनोरंजन किया। वे अपनी हाथों में बड़ी-बड़ी बूंदें उठा रहे थे, जो छोटे-छोटे होते जाती थीं। लोग उनकी आंखों को इंतजार में बंद करके उन्हें देख रहे थे, और जब उन्होंने बूंदें गिराई, तो वे गहरी आवाज के साथ बज रहीं थीं।

लोगों को यह नजर आया कि रामू और बिल्लू का जादू इस बार और भी उच्चतर स्तर का है। वे एक महिला को अपनी टोपी से सिक्के निकालने की कला दिखाते हुए हंसे। वे टोपी उठाते ही सिक्के गिर गए और लोग हंसने लगे।

बिल्लू ने चुपचाप उन सिक्कों को झुलाया और फिर से टोपी से सिक्के निकालकर उन्हें उसी महिला के सामने दिखाया। महिला हैरान हो गई और सबको चकित करके उसे देख रही थी। फिर से सिक्के गिर गए और सबको मजेदारी पसंद आ गई।

रामू ने भी उनके प्रदर्शन को और रोचक बनाने का प्रयास किया। उन्होंने अपने टोपी के निचे से एक सोने की अंगूठी निकाली और उसे लोगों के सामने दिखाया। लोग हैरान हो गए और वाहवाही करने लगे। रामू ने उसे धीरे-धीरे उड़ाने शुरू की और अंगूठी उड़ते ही दूसरे हाथ में से एक सोने का नकली बतवारा निकाला।

लोगों का मुंह खुल गया और सब चौंक गए। उन्होंने रामू और बिल्लू के प्रदर्शन को अविश्वसनीयता से देखा। ये जादू लोगों के दिमाग में विचार उठा रहा था कि क्या ये वास्तविक हो सकता है।

इस बीच, एक बूढ़ा आदमी उनके पास आया और उन्हें हंसते हुए बोला, "अरे बेटा, तुम्हारी जादूगरी बहुत अच्छी है। मैं खुद जादूगर था जब तुम छोटे थे।"

रामू और बिल्लू हैरान हो गए और उसे गौर से देखने लगे। वे उसे पहचानने की कोशिश कर रहे थे। बूढ़ा आदमी तब हंसते हुए बोला, "हाँ, हाँ, मुझे पहचान गए हो। मैं हूँ तुम्हारा दादा धनराम।"

रामू और बिल्लू के मुँह से अचानक "दादाजी!" की चीख निकली। यह सचमुच में रामू और बिल्लू के दादाजी धनराम थे! रामू और बिल्लू को बहुत हैरानी हुई क्योंकि वे अपने दादाजी के बारे में कुछ नहीं जानते थे।

धनराम ने मुस्कानते हुए कहा, "अरे बेटे, मैंने अपने जीवन में बहुत सारी जादूगरी की है। तुम देखो, इस सोने की अंगूठी को उड़ाने वाली वाली वाली कोई छल नहीं है। यह सिर्फ एक छोटा सा सामरिक प्रयोग है।"

रामू और बिल्लू अपने दादाजी के जद्दोजहद से अचंभित थे। वे अपने दादाजी की कलाओं को देख और सीखने का अवसर पाए इससे उन्हें बहुत खुशी हुई।

धनराम ने रामू और बिल्लू को अपने साथ लेकर घर आने को कहा। उन्होंने घर में अपने पुराने जादूगरी सामग्री को उठाया और उन्हें सिखाने लगे।

रामू और बिल्लू ने अपने दादाजी से जादूगरी के बारे में बहुत कुछ सीखा। वे दादाजी की मास्टरी को देखते हुए संवेदनशील और कलात्मक बन गए।

धीरे-धीरे, रामू और बिल्लू की जादूगरी की कहानी आपको कैसी लगी? हमें खुशी होगी यदि आपको यह मजेदार कहानी पसंद आई हो। रामू और बिल्लू के साथ उनके दादाजी धनराम की मिलकर उन्होंने न केवल जादूगरी का मजा लिया, बल्कि वे एक नई सीख भी प्राप्त की। जब तक हम एक-दूसरे के साथ मिलकर हंसते रहेंगे और नयी चीजों को सीखेंगे, हमेशा मजेदार और आनंदमय रहेंगे।
तो, खुश रहें, मुस्कुराइए और जद्दोजहद से पूरी दुनिया के बीच मजेदारी बाँटें। हमेशा याद रखें, जीवन में हंसी और मनोरंजन एक अद्वितीय महत्व रखते हैं। आपके जीवन में भी खुशियों का पुलिंदर बने और अपनी जादूगरी को सभी के साथ बांटें।

धन्यवाद!

मैं करुणेश आशा करता हूं आपको हमारी कहानियां पसंद आ रही होंगी। और साहित्य का आनंद लेने के लिया सर्च करे mauryakarunesh.blogspot.com

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