ईश्क है सिर्फ तुम से - 15 Heena katariya द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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ईश्क है सिर्फ तुम से - 15

सुलतान मुंबई पहुंचते ही सीधा ऑफिस की ओर निकल जाता है। क्योंकि काफी सारा काम था जो की उसने पाकिस्तान जाने के लिए रोक के रखा था । वह अपनी कंपनी में दाखिल होते है तो सभी लोग गुड मॉर्निंग कहते हुए जल्दी जल्दी अपनी काम की जगह पर जा रहे थे । सुलतान सिर्फ सिर हिलाते हुए लिफ्ट का बटन दबाता है। सुलतान के साथ उसका सेक्रेटरी राजीव भी लिफ्ट में दाखिल होता है। राजीव पचासवें फ्लोर का बटन दबाते हुए कहता है ।

राजीव: बॉस! नो घंटे की फ्लाईट और सीधा ऑफिस! थोड़ी देर आराम तो कर लेते! ( अपने कंधो को मसलते हुए ) ।
सुलतान: ( बिना हावभाव के ) रात की फ्लाईट थी! तो नींद तो हो गई होगी तुम्हारी ।
राजीव: बॉस! आप इंसान ही है ना!? ।
सुलतान: ( तीखी नजरो से राजीव की ओर देखते हुए ) ।
राजीव: ( हड़बड़ाते हुए ) मेरा.... मेरा... मतलब है आप थकते क्यों नहीं!? फ्लाइट से सीधा ऑफिस कौन आता है!? ।
सुलतान: बहुत ज्यादा बोल रहे हो आज तुम!? ।
राजीव: हां! तो बॉस! मैं सच में थक गया हूं! एक काम करते है बॉस! मैं हम दोनो के लिए कॉफी और ब्रेकफास्ट ऑर्डर करता हूं! क्या ख्याल है आपका!? ।
सुलतान: ( सिर को ना में हिलाते हुए कुछ नहीं कहता।)
राजीव: ठीक है फिर आप फ्रेश हो जाए! तब तक मैं कुछ मंगवाता हूं ।



तभी लिफ्ट का दरवाजा खुलता है। सुलतान बिना कुछ कहे! अपने ऑफिस की ओर चला जाता है। वैसे तो राजीव सुलतान के गुस्से से वाकिफ था जब जब काम की बात आती है सुलतान बिल्कुल हिटलर की तरह है। लेकिन उसके अलावा सुलतान ने कभी भी गलत तरीके से पेश नहीं आया। हां काफी कम बोलता है पर राजीव इतने सालो से सुलतान के साथ काम कर रहा है पर सुलतान ने कभी भी गलत सुलूक नहीं किया ना ही उसके साथ और ना ही किसी ओर वर्कर के साथ। पर सुलतान का ओरा ही कुछ ऐसा है की लोग उससे बात करने में असहजता महसूस करते है। लेकिन फिर भी इतने सालो से राजीव को सुलतान से काम से नहीं निकाला । हां कई बार राजीव की गलती पर भड़का जरूर है। लेकिन उसके अलावा सुलतान कुछ ऐसा नहीं कहता जिससे उसके मान को ठहस पहुंचे । शायद इसी वजह से ही ज्यादा तर लोग सुलतान की कंपनी में आना चाहते थे। बावजूद इसके की सुलतान की छवि दूसरी कंपनी के सामने एक रौबदार और घमंडी इंसान की थी जो किसी को भी चींटी की तरह मसल देता था अगर कोई उसके आड़े आए तो । लेकिन साथ साथ ही साथ दूसरी कंपनी के मुकाबले एस.एम कंपनी में वर्कर से काफी अच्छी तरह से पेश आया जाता था । टाइम पर सैलेरी,बोनस, छुट्टी, ट्रिप, वगेरह काफी वर्कर को लुभाता था। राजीव भी उन में से एक था ।




जब पहली बार उसने यहां पर अप्लाय किया तो वह बहुत डरा हुआ था क्योंकि उसे जॉब की जरूरत भी थी और यहां पर सैलेरी भी अच्छी थी तो उसने बाकी कंपनी के साथ साथ यहां पर भी अप्लाई किया था लेकिन दूसरे उम्मीदवारों के मुकाबले राजीव ने किसी नामचीन यूनिवर्सिटी से पढ़ाई नहीं की थी और इसी वजह से काबिलियत होने के बावजूद राजीव जॉब फाइनल होते हुए भी रिजेक्ट किया जाता था । जब सुलतान से मुलाकात हुई तो राजीव को तो ऐसा ही लगा था की यहां पर तो कोई चांस ही नहीं है उसका क्योंकि इतनी बड़ी कंपनी है और हिंदुस्तान का नंबर वन बिजनेस मैन भला उसके जैसे मामूली यूनिवर्सिटी पढ़े हुए लड़के को क्यों चुनेगा जब की बड़ी बड़ी यूनिवर्सिटी से पास हुए उम्मीदवारों की लाइन लगी हुई थी। लेकिन फिर भी राजीव ने इंटरव्यू दिया । और फिर जब दो दिन बाद जब सुलतान की कंपनी से उसे कॉल आया तो उसे तो यकीन ही नहीं हुआ की उसे सुलतान की कंपनी में जॉब मिल गई है। फिर जब राजीव धीरे धीरे सुलतान के साथ काम करने लगा तब उसे पता चला की सुलतान को लोग जितना बुरा दिखाते है उतना बुरा भी नहीं है। हां वह किसी भी वर्कर से मुस्कुरा कर बात नहीं करता पर बदतमीजी भी करते हुए नहीं देखा । अगर गलती हुई हो तो पहले उन्हें सफाई का मौका दिया जाता है और अगर फिर से गलती हो तो वोर्निग और उसके बाद भी हो तो उसे काम से निकाला जाता है।



सुलतान काफी कम शब्द में काफी कुछ कह देता है शायद इसीलिए उसको घमंडी कहा जाता है क्योंकि एक तो वह मुस्कुराता नहीं है और दूसरा काफी कम बात करता है । पर फिर भी जो लोग उसे जानते थे उसे पता था की वह बुरा इंसान नहीं था हां कई खामियां थी उसमे पर आखिरकार था तो वह इंसान ही। लेकिन तब तक ही जब तक कोई उसे छेड़े नहीं । जब कोई उसे छेड़ता है तो वह फिर खुद ही भूल जाता है कि वह भी एक इंसान है और जिस तरह से वह दूसरे इंसान को चोंट या फिर यूं कहे मार रहा हैं वह किसी जानवर से भी बदतर होता है । लेकिन फिर सुलतान को इस बात से कहां फर्क पड़ता था की वह इंसान की तरह रह रहा या फिर नहीं । भला कौन सा उसके आगे पीछे रोने वाला था या फिर कोई उसे रोकने वाला था जो उसे डांट फटकार लगाए या प्यार से समझाएं की यह तुम गलत कर रहे हो । जब तक उसके अम्मी अब्बू और हंसता खेलता परिवार था तब तक वह एक मासूम इंसान था और बिल्कुल वैसे ही जी रहा था जैसे हर एक आम इंसान जीता हैं। लेकिन फिर वक्त से साथ सुलतान भी ऐसा बदला की किसी के भी बस में नहीं रहा की उसे रोक सके । चाहे फिर उसकी बड़ी अम्मी हो या फिर आयशा । बातलब इसके की यह दोनो की काफी अहमियत थी सुलतान की जिंदगी में । पर फिर भी एक दूरी सी बनाए रखा था सुलतान इन दोनो से । शायद खोने का खौफ या फिर दर्द का जिससे वह गुजर चुका है । या फिर से इंसानी जस्बात से डर रहा था ।


सुलतान फ्रेश होकर बालो को टावल से सुखा रहा था तभी राजीव की आवाज आती है । तो वह कमरे से ऑफिस में दाखिल होता है। वह सोफे पर बैठते हुए अपना बॉक्स खोलते हुए राजीव से मीटिंग के लिए कुछ बात चीत कर रहा था। और कॉफी पीते हुए चुपचाप खाना खा रहा था तभी राजीव खड़े खड़े बॉक्स को खाना खा रहा था जिस वजह से सुलतान सिर को ना में हिलाते हुए कहता है ।

सुलतान: तुम वहा खड़े खड़े क्या खा रहे हो! ।
राजीव: बॉस मैं यहां ठीक हूं ।
सुलतान: ( एक नजर घुमाते हुए राजीव की ओर देखता है । )।
राजीव: ( खांसते हुए सोफे पर बैठ जाता है । और अपना नाश्ता करने लगता है । ) ।

सुलतान फिर से चुपचाप अपना नाश्ता करने लगता है ।लेकिन इस पूरे दस से पंद्रह मिनट के दौरान सुलतान ने या तो कम शब्द में या फिर सिर को हिलाकर ही बात का जवाब दिया था । वो भी दूसरे लोगो के मुकाबले बड़ी बात थी क्योंकि दूसरे लोगो को इतना भी जवाब के तौर पर प्रतिभाव नहीं मिलता । यहीं वजह थी की सुलतान की एक छवि बन चुकी थी की वह आसानी से बात चीत कर सके एसा इंसान नहीं है और उसके अंदर अहसास ही नहीं है। पर शायद आज तक किसी ने कोशिश ही नहीं की सुलतान को टटोलने की शायद.... शायद वह मासूम सुलतान अभी भी कहीं छुपा हुआ था इस खौफनाक सुलतान के पीछे! और शायद खौफनाक होने का मुखोटा पहना हुआ था ।



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