009 सुपर एजेंट ध्रुव (ऑपरेशन वुहान) - भाग 29 anirudh Singh द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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009 सुपर एजेंट ध्रुव (ऑपरेशन वुहान) - भाग 29

वुहान शहर की जीवन रेखा कही जाने वाली यांगत्सी नदी के उस हिस्से में, जिसमें वह हेलीकॉप्टर गिरा था....पिछले कुछ घण्टो से युद्ध स्तर पर सर्चिंग ऑपरेशन चलाया जा रहा था।
कई सारी क्रेंस,ऑक्सीजन सिलेंडर एवम स्विमिंग ड्रेसेज से लैस कुशल तैराक और चाइनीज फोर्सेज के बड़े बड़े अधिकारी... सब मौजूद थे वहां.....
कुछ देर बाद एक क्रेन के सहारे लटका हुआ पूरी तरह से क्षतिग्रस्त उस हेलीकॉप्टर का मलबा बाहर निकलता हुआ नजर आया,
उसका अच्छे से मुआयना करने पर पाया गया कि इस के अंदर न तो कोई इंसानी शरीर है,और न ही इंसानी शरीर का कोई टुकड़ा।

चिन ची का ब्लड प्रेशर बढ़ता जा रहा था.....नदी में गोते खा रहे तैराकों से वह चिल्लाया।

" 超怕 超怕 课后 吗奥 虎门 哈日 哈珀 们 擦汗 博跌势 茶海也

अर्थात

"चप्पा चप्पा खोजों, हमें हर हाल में उनके मृत शरीर चाहिए"

तभी जीरो हब का मुख्य सुरक्षा अधिकारी वहां बदहवाश सा आता है,और चिन ची को आकर बताता है कि जीरो हब में मौजूद सारी खतरनाक सरीन गैस नष्ट हो चुकी है.....जिस टैंकर्स में वह गैस रखी गई थी,उसमे पाइपलाइन के माध्यम से किसी ने क्लोरीन एवम बेंजिल मिथाइल गैसों के मिश्रण को प्रवाहित कर दिया...... यह मिश्रण बिना ऑक्सीजन के रखी गई सरीन गैस को कुछ ही घंटो में नष्ट करके एक सामान्य सी गर्म गैस में परिवर्तित कर देती है.........और इस तरह से हमारे टैंकर्स में मौजूद हमारी वर्षो की मेहनत कुछ ही घंटो में बर्बाद हो गई क्योंकि सरीन गैस को बनाने की प्रकिया बेहद जटिल होती है, जिसमें काफी वक्त भी लगता है।

उस सुरक्षा अधिकारी की बात सुन कर चिन ची को सांप सूंघ जाता है,वह समझ जाता है कि जाते वक्त भी ध्रुव और उसके साथी चाइना के एक और खतरनाक इरादे को तोड़ गए है।

उधर तैराकों ने एड़ी चोटी का जोर लगाया,फिर भी कुछ हासिल न हो सका,सिवाय एक स्टील की चौकोर प्लेट के.....जो शायद किसी तरह से हेलीकॉप्टर से निकल कर नदी की तलहटी में गिर गई होगी।

उनमें से एक तैराक ने इसे लाकर आर्म्ड फोर्सेज के सैनिकों को सौंप दिया.........और फिर उन सैनिकों के हाथों से होती हुई वह स्टील प्लेट (तख्ती) कमांडर चिन ची के हाथों में पहुंची .....

तख्ती पर किसी नुकीली चीज से अंग्रेजी में एक संदेश उकेरा गया था......जिसको पढ़ते ही पहले से ही खिसियाहट में डूब चिन ली का पारा सातवें आसमान तक पहुंच चुका था.....जोर से चीखते हुए उसने उस तख्ती को एक ओर फेंक दिया.......वह समझ चुका था कि वह इंडियन हीरो अपने साथियों सहित अपना काम खत्म करके उसकी नाक के ठीक नीचे से एक करारा तमाचा चाइनीज फौज को मारता हुआ सकुशल निकल चुका है......साथ ही चाइना को भरपूर बेइज्जती देने के साथ साथ एक बड़ी चोट भी पहुंचा गया है।

नदी किनारे रेत पर पड़ी हुई स्टील की वह तख्ती सूरज की किरणे पड़ने के कारण काफी ज्यादा चमक रही थी,जिससे वहां मौजूद सभी की आंखे चुंधिया रही थी......
तख्ती पर उकेरे गए अंग्रेजी के वह शब्द भी शब्द साफ साफ दिखाई दे रहे थे........

"VANDEY MAATRAM"

लडखड़ाते कदमों से अपने वाहन की ओर बढ़ता चिन ची भी समझ चुका था, कि यह वन्दे मातरम वाक्य ,संदेश है उनकी जीत का......चारो ओर से घिर जाने के बाद भी वह एक बड़ी प्लानिंग के साथ चक्रव्यूह को तोड़ कर पूरी सटीक प्लानिंग के साथ यहां से निकलने में कामयाब हुए है.....पर आखिर कैसे......इस सवाल ने चिन ची को बेचैन कर रखा था.........

सैटेलाइट इमेज,ड्रोन कैमरों आदि के द्वारा उस सारे क्षेत्र का चप्पा चप्पा छान लिया गया फिर भी ध्रुव एवं उसके साथियों की किसी भी प्रकार की गतिविधि की जानकारी चाईनीज्स के हाथ न लग पाई।

फिर उसी दिन देर रात.......चाइना की राजधानी बीजिंग में कमांडर चिन ची को चाईना के एक बड़े राजनयिक सी काईनोंग की फटकार सुननी पड़ रही थी....विश्व भर में नए नए षड्यंत्र रच कर आतंक फैलाने का जिम्मा इसी 'सी काइनोंग' का रहता है....या यूं कहिये कि यह चाइना के 'इंटरनेशनल टेररिज्म' का चीफ है।

"तुम पर भरोसा करके चाइना को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनाने की मुहिम में तुमको एक मजबूत जिम्मेदारी सौंपी थी.....मगर तुम तो कायर निकले.......वो हमारे देश मे घुस कर सरेआम हमारी लैब से फॉर्मूला चुरा ले गए,और अब धड़ल्ले से वायरस का एंटीडोट बना कर हमारे अरमानों कों रौंदते हुए वैश्विक स्तर पर हमें नीचा दिखा रहे है........और तुम इतने संसाधनों के बावजूद भी उनको न रोक सके.......लानत है तुम पर.......तुम आज ही इस्तीफा दोगे, और अब तुम्हारी बाकी जिंदगी जेल की सलाखों के पीछे कटेगी"

यह चाइना का कठोर न्यायशास्त्र है,यहां पर गलती के बाद माफी की कोई गुंजाइश नही होती, फिर भले ही वह किसी भी पद पर क्यों न हो......सी काइनोंग के आदेश पर चाइनीज सेना के उस वरिष्ठ कमांडर को तुरंत ही बन्दी बना लिया गया......

सुपर एजेंट ध्रुव ने चाइना के सारे किये धरे पर पानी फेर दिया था.....तभी तो इन वायरस को दुनिया मे फैलाने का षड्यंत्र रचने वाले उच्च स्तरीय प्रशासन में गजब की बौखलाहट देखने को मिल रही थी....तभी तो इस करारी शिकस्त को उसकी झुंझलाहट वाली गुर्राहट ने बयां की.......
और इसी बौखलाहट से छटपटाता हुआ इस सारे फसाद की जड़.....सी काइनोंग बड़बड़ाता हुआ इंडिया को धमकी दे डालता है।

"किसी को नही छोडूंगा.....हमारे घर मे घुस कर हमें ही पटखनी देकर वापस जाने वाले इस ऑपरेशन के पीछे जो भी होगा......सबको चुन चुन कर खौफनाक मौत देगा चाइना........इंडिया को खामियाजा भुगतना होगा ....बहुत जल्दी।"

(............ एक हफ्ते बाद............)

इंडिया में वायरस के एंटीडोट का निर्माण युध्दस्तर पर किया गया....देश के प्रत्येक शहर प्रत्येक कस्बे की हर छोटी बड़ी लैब को गवर्नमेंट द्वारा टेकओवर करके वहां इस एंटीडोट का निर्माण करके तत्काल ही इस एंटीडोट को सभी अस्पतालों में उपलब्ध करवाया गया.........स्वास्थ्य कर्मचारियों, NGOs, आदि के सदस्यों के द्वारा एक टीम बना कर अभियान चला कर, टेबलेट्स एवं इंजेक्शन के रूप में मौजूद इस एंटीडोट की ड़ोर टू ड़ोर होम डिलीवरी की जाने लगी..........भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश मे भी यह सब इतनी तेजी से हुआ जिसकी कल्पना कभी नही की गई थी.......
परिणाम स्वरूप मात्र चन्द दिनों में ही दिन में हालात सुधरने लगे....संक्रमण और मौतों की दर भी कम होने लगी ...तबाहीरूपी ज्वालामुखी के मुहाने पर खड़ा भारत अब सुरक्षित महसूस कर रहा था.......सांसो की टूटती हुई डोर का सिलसिला थमने लगा था........हालांकि अभी तक देश को काफी जन हानि हो चुकी थी.....पर महाप्रलय आने से बच गया......और यह सब हो पाया था सिर्फ कुछ देशभक्तो के जज्बे ,साहस एवं समर्पण की भावना से.….......

उन्ही कुछ देशभक्तो में से एक मेजर बख्शी आत्मग्लानि के चलते इंडियन आर्मी के अपने वरिष्ठों को अपने अपराध के बारे में बताते हुए समर्पण कर चुके थे.....मगर वरिष्ठ अधिकारियों के मध्य चले कई घण्टो के मंथन के बाद सारे पहलुओ को ध्यान में रखते हुए इंडियन आर्मी की ओर से उन्हें बेक़सूर घोषित किये जाते हुए क्लीन चिट दे दी गयी।

देशद्रोह के आरोप में रीमा उर्फ रुकसाना निजाम को दिल्ली स्थित महिला कारागृह भेज दिया गया था......और चाइना के सबसे दुर्दांत एजेंट 'चांग ली' को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच तिहाड़ जेल की सबसे हाईटेक एवं सुरक्षित बैरक में रखा गया था।

ऑपरेशन वुहान की सफलता को ठीक एक हफ्ता हो चुका था......ध्रुव के बारे में कोई सूचना प्राप्त हुई अथवा नही,इसकी जानकारी के लिए कैप्टन विराज डॉक्टर देसाई से मिलने रॉ मुख्यालय पहुँचे था.....पर वहां पहुंच कर विराज भी चिंतित हो गया था.....ऑफिस में अफरातफरी का माहौल था..….
दरअसल डॉक्टर देसाई तीन घण्टे पहले अपने घर से मुख्यालय के लिए निकले थे.....पर अभी तक पहुंचे नही थे...उनसे किसी भी प्रकार का कोई सम्पर्क न हो पाने से हड़कम्प मचा हुआ था...घर से निकलते वक्त आज उन्होंने अपनी प्राइवेट कार का इस्तेमाल किया...यहां तक कि उन्होंने अपने ड्राइवर तक को इन्फॉर्म नही किया...यह सब काफी अजीब लग रहा है।...

........कहानी जारी रहेगी........