009 SUPER AGENT DHRUVA - 28 books and stories free download online pdf in Hindi

009 सुपर एजेंट ध्रुव (ऑपरेशन वुहान) - भाग 28

प्रधानमंत्री कार्यालय,नई दिल्ली।

(एक आपातकालीन मीटिंग का दृश्य)

मीटिंग हॉल में एक अंडाकार टेबल पर देश के प्रधानमंत्री के सामने सत्ता एवं विपक्ष के कुछ प्रमुख राजनेता, डॉक्टर रघुराज देसाई सहित देश की सभी सेनाओं के प्रमुख, कुछ वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.....

"स्थिति अब नियंत्रण के बाहर हो चुकी है, हम बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का पूरा प्रयास कर रहे है,मगर देश की पॉपुलेशन अधिक होने के कारण अब हमारा हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर भी चरमरा उठा है.....डॉक्टर्स एवं विषाणु विज्ञानियों के अनुसार आने वाले अगले कुछ दिन भारत ही नही विश्व के इतिहास के सबसे वीभत्स दिन साबित होंगे.....संकट की इस घड़ी में हम चाहते है कि आरोप प्रत्यारोपों का दौर समाप्त करके सभी विपक्षी दल भी हमारे साथ एकजुट रहें.....जो हो रहा है उसे हम लाख कोशिशों के बावजूद रोक नही सके.......पर हम इतना तो कर ही सकते है कि एकजुटता से देशवासियों के साथ ऐसे वक्त में भावनात्मक रूप से जुड़े रहें,उनके साथ खड़े रहे।
शायद एक लीडर के रूप में मैं अपने कर्तव्यों पर खरा नहीं उतर सका...... आज एक प्रधानमंत्री के रूप में मैं स्वयं को बेहद असहाय महसूस कर रहा हूं,मन बहुत ही व्यथित है....मैं इस पद पर रहते हुए ऐसे लाचार हो कर अपनी आंखो के सामने अपने लोगो का नर संहार और नहीं देख सकता....पद पर रहते हुए भी अपने लोगो की रक्षा नहीं कर पाया हूं,इसलिए मैं आज,इसी वक्त इस पद से त्यागपत्र देता हूं.....।"

देश के प्रधानमंत्री द्वारा की गई इस अप्रत्याशित घोषणा ने वहां मौजूद प्रत्येक शख्स को हिला कर रख दिया,देश के प्रधानमंत्री के मुंह से निकला एक एक शब्द उनके अंतर्मन की पीड़ा एवम वेदना को साफ साफ दर्शा रहा था।
इस से पहले कि कोई कुछ कहता ,पी.एम हाथ जोड़कर सभी का अभिवादन करते हुए उठ खड़े हुए एवम मीटिंग हॉल से बाहर निकल गए..... मीटिंग हॉल में मौजूद शेष सभी लोग एक दूसरे का चेहरा ताक रहे थे.....तभी डॉक्टर देसाई ने अपनी पॉकेट से निकाल कर अपना फोन चेक किया......फोन साइलेंट मोड़ पर था,और अब तक कई मिस्ड कॉल आ चुके थे.......यह सारे कॉल्स रॉ मुख्यालय से उनके असिस्टेंट विक्रमजीत मुखर्जी के थे.....इतने कॉल्स के पीछे की बज जरूर कोई खास ही होगी,यह समझ कर डॉक्टर देसाई ने कॉल बैक किया......
सामने की तरफ से बिना देरी किए तुरंत ही कॉल रिसीव हुआ.....उसकी आवाज में एक अलग ही जोश,अलग ही उत्सुकता महसूस हो रही थी।

"सर,हमारे पर्सनल मेल पर एक अटैचमेंट रिसीव हुआ है.....किसी ’अज्ञात होमोशोपियंस’ यूजर नेम वाले अकाउंट से......."

डॉक्टर देसाई - "अज्ञात होमोशोपियंस, उन तमाम कोड़ नेम्स में से ही एक है,जिसका उपयोग हमारे एजेंट्स द्वारा द्वारा किसी खास मिशन के दौरान हमे संदेश भेजने में किया जाता है,जिस से हम उन्हे आसानी से आइडेंटिफाई कर सके ....आगे बोलो"

विक्रमादित्य –"सर, उस अटैचमेंट में कुछ साइंटिफिक फॉर्मूलाज है,किसी प्रकार दवा बनाने जैसा कुछ......साथ ही कुछ स्पेसिफाई कंट्रीज के साथ इनको तुरंत शेयर करने की रिक्वेस्ट करते हुए 009 नंबर भी लिखा हुआ है।"

इतना सुनते ही डॉक्टर देसाई खुशी से झूम उठे.....वह समझ चुके थे,ऑपरेशन वुहान सफल हो चुका है...जिस सफलता के रहमोकर्म पर देश का भविष्य टिका है,वह एकदम अंतिम समय पर उनको मिल ही गई......डॉक्टर देसाई के रूंधे हुए गले और उनकी आंखो में आ चुके खुशी के आंसू सब कुछ बयां कर रहे थे.....
विक्रमादित्य को कुछ जरूरी निर्देश देने के बाद वह मीटिंग हॉल से बाहर की ओर भागे........उनको दौड़ लगा कर यूं भागते देख अंदर मौजूद सभी लोगो का कौतूहल बढ़ चुका था.....
मीटिंग हॉल प्रधानमंत्री कार्यालय के सेकेंड फ्लोर पर स्थित था........देश के प्रधानमंत्री लिफ्ट के रास्ते अभी तक ग्राउंड फ्लोर तक पहुंच चुके थे.....और अब कॉरिडोर को पैदल ही पार करते हुए कार्यालय की इस इमारत के प्रमुख द्वार की ओर बढ़ रहे थे......
मीटिंग हॉल के बाहर बालकनी में खड़े डॉक्टर देसाई नीचे पीएम को संबोधित करते हुए जोर से चिल्लाए.....
"पी एम सर........"

आवाज इतनी तेज थी कि एक ही बार में प्रधानमंत्री जी के कानों तक पहुंच गई..... सिर को ऊपर उठा कर जब उन्होंने डॉक्टर देसाई की ओर देखा,तो वह स्वयं भी चकित थे कि हमेशा प्रोटोकॉल में रहने वाला एक व्यक्ति आज इस प्रकार से हड़बड़ी वाला व्यवहार कैसे कर सकता है.......डॉक्टर देसाई की आवाज सुन कर अभी तक मीटिंग हॉल में मौजूद अधिकांश लोग बालकनी में आ चुके थे।

डॉक्टर देसाई की आवाज में मौजूद बुलंदी एवम जुनून से पता चल रहा था, कि कोई न कोई बहुत अच्छी खबर है।

"सर.......हम कामयाब हो गए.......वायरस की एंटीडॉट का फॉर्मूला हमे मिल गया.......हम जीत गए सर....हम जीत गए"

इतना सुनते ही प्रधानमंत्री जी के चेहरे पर एक राहत भरी मुस्कान नजर आई....तुरंत ही उन्होंने अपनी दोनो आंखे बन्द करते हुए एक जोर की सांस ली......या यूं कहिए कि चैन की सांस ली.....फिर उसके बाद हाथ जोड़ते हुए ईश्वर का धन्यवाद अदा किया.......
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कुछ देर बाद....

स्थान - रॉ मुख्यालय

डॉक्टर देसाई के साथ आई.बी. असिस्टेंट डायरेक्टर गणपति शंकर तुलारावकर ,मेजर बक्शी,कैप्टन विराज मौजूद थे.....

डॉक्टर देसाई –" फार्मूले को इंडियन मेडिकल काउंसिल तक सौंप दिया गया है.....अब कुछ ही घंटो में एंटीडोज तैयार कर लिया जाएगा..और फिर देश के हर राज्य के छोटे, बड़े.सभी शहरों की लैबोरेट्री में इस एंटीडॉज का आपातकालीन निर्माण किया जाएगा.......काल के पंजे में समा चुके अपने देश की लाखो करोड़ो जानो को आखिर अंतिम वक्त में बचा ही लिया.........साथ ही इस फार्मूले को हमने ब्रिटेन एवम जर्मनी के साथ साथ कुछ और जरूरतमंद देशों के साथ भी सांझा किया है.......आखिर ध्रुव की भी तो आखिरी इच्छा यही थी....उसने जो किया है.....यह देश हमेशा आभारी रहेगा उसका" कहते कहते डॉक्टर देसाई की आंखे एक बार फिर नम हो चुकी थी।

जी.एस.टी.- (चौंकते हुए)-" मतलब,ध्रुव अब नहीं रहा.....uff"

मेजर बख्शी - "oh my god"

डॉक्टर देसाई -" haa G.S.T. अभी अभी खबर मिली है, कि ऑपरेशन वुहान को सफलतापूर्वक अंजाम देने के बाद ध्रुव और जेनी सहित उसके कुछ और साथी जिस हेलीकॉप्टर में सवार थे,दुश्मनों ने उसे ध्वस्त कर के गिरा दिया है।"

केबिन में सन्नाटा छा जाता है,जो कि विराज की हंसी के साथ टूटता है।

डिसीप्लेन के धज्जियां तोड़ कर अपने वरिष्ठों के सामने निर्लज्जो की तरह हंस रहे विराज कों सभी घूर कर देखने लगते है......
अचानक से विराज गंभीर हो जाता है,और अपने इस बर्ताव के लिए सबको सॉरी बोलता है,और फिर डॉक्टर देसाई की ओर देखता हुआ कड़े शब्दों में बोलता है.....

"सर,आप कैसे धोखा खा सकते है.....वो सुपर एजेंट ध्रुव है.....वो मौत को आंखे बंद करके भी मात दे सकता है....उसे सिर्फ भरोसे में लेकर कोई दोस्त ही पीठ पर वार करके मार सकता है.....किसी दुश्मन की औकात नही जो उसके प्राण ले ले..बचपन से जानता हूं उसे.......यह सब उसका प्लान होगा.....मास्टर प्लान........वो उनके घर में घुस कर उनकी बैंड बजा कर जिस्म पर एक भी खरोंच लिए बिना बहुत जल्दी आपके सामने खड़ा होगा......देख लेना आप"

विराज की आवाज में जो कॉन्फिडेंस झलक रहा था,वह बता रहा था की ध्रुव के बारे में वह गहराई से जानता है.....उसकी बातें सुनकर डॉक्टर देसाई सहित सभी लोग सोच में पड़ गए।

डॉक्टर देसाई - "काश तुम्हारी बात सच साबित हो,काश वो फिर से हमारे सामने हों ।"

.........कहानी जारी रहेगी.....


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