009 सुपर एजेंट ध्रुव (ऑपरेशन वुहान) - भाग 24 anirudh Singh द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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009 सुपर एजेंट ध्रुव (ऑपरेशन वुहान) - भाग 24

"या....हू......डेटा डिकोडिंग इज सक्सेजफुल"

जेनी खुशी के मारे चीख उठी थी.....

ध्रुव- "तो अब बिना देर किए इस अटैचमेंट को रॉ के इमरजेंसी मेल अकाउंट पर सेंड कर दो......इमीडिएटली।.....वहां से इस फॉर्मूले को डायरेक्ट ब्रिटेन,जर्मनी सहित विश्व के सभी कोविड प्रभावित देशो तक फारवर्ड कर दिया जाएगा "

जेनी ने डिकोड की गई फॉर्मूले की उस फाइल को सेव करने के पश्चात अटैचमेंट के रूप में ई मेल करने की प्रक्रिया आरम्भ की......पर इस बार रिजल्ट पॉजिटिव नही मिला था।

"Oh my god .... Internet is not working as any form........I think they banned internet in all over city "

यह सच में एक बुरी खबर थी,चाईनीज्स ने सारे वुहान शहर में इंटरनेट से जुड़ी हुई सभी प्रकार की गतिविधियों पर रोक लगा दी थी, और इंटरनेट के अभाव में किसी भी प्रकार का संदेश अथवा ईमेल भेज पाना असंभव था।

ध्रुव ने सारी स्थिति की नाजुकता को समझते हुए थॉमस की ओर उम्मीद भरी नजरों से देखते हुए कहा

"थॉमस.....अब सारा दारमोदार तुम पर है...हमारे लिए इस समय खुद के प्राण बचाने से ज्यादा महत्वपूर्ण इस डेटा को अपने देश तक भेजना है.....और उसके लिए हमें हर हाल में वुहान शहर की सीमाओं से बाहर निकलना होगा......एक बार हम इस मेल को सफलतापूर्वक सेंड कर दें,तो समझो हमने जंग जीत ली.....फिर भले ही हमारा कुछ भी हश्र हो.........चाइनीज एयरफोर्स किसी भी वक्त हम पर अटैक कर देगी......अब देखना है कि तुम कितनी कुशलता के साथ इस हेलिकॉप्टर को उड़ाते हुए हमें हमारी मंजिल तक पहुंचाते हो।"

ध्रुव की बात सुनकर थॉमस ने भी सिर हिलाते हुए आत्मविश्वास से भरी हुई सहमति दे डाली।

और फिर एक नए जोश के साथ उनका हेलिकॉप्टर आगे बढ़ रहा था।

उधर अब तक चाईनीज्स भी उनके हेलिकॉप्टर को पहचान कर ट्रेस कर चुके थे.......और अब तो कमांडर चिन ची के द्वारा उनको हर हाल में ही शूट कर देने के ऑर्डर्स भी दे दिए गए थे...........चाईनीज्स एयर फोर्स की एक टुकड़ी उनकी चारो ओर से घेराबंदी करने में जुट गई थी.......इस टुकड़ी में सेना के कुछ हेलीकॉप्टर्स के साथ साथ कुछ फाइटर प्लेन भी शामिल थे......स्वयं कमांडर चिन ची इस टुकड़ी का नेतृत्व कर रहा था..…....चाईनीज नेतृत्व ने दिन दहाड़ें उनके देश में की गई इस घुसपैठ को अब एक चैलेंज के रूप में स्वीकार कर लिया था।

उधर भारत में.......
रॉ का मुख्यालय,नई दिल्ली।

ज्वाइंट डायरेक्टर रघुराम देसाई अपने केबिन चेयर पर बैठे हुए बेचैनी के साथ साथ सामने दीवार पर टँगी घड़ी की ओर देख रहे है,शायद वह किसी का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे.......सामने दीवार पर ही एक बड़ी स्क्रीन वाला टीवी भी लगा है,जिस पर एक राष्ट्रीय न्यूज चैनल प्रसारित हो रहा है, वॉल्यूम ऑफ होने के कारण न्यूज की आवाज तो नही सुनाई पड़ रही है,परन्तु नीचे ब्रेकिंग न्यूज के रूप में जो सुर्खियां प्रदर्शित हो रही है,वह डॉक्टर देसाई की बेचैनी को लगातार बढाने का काम कर रही थी.....
और वह सुर्खियां थी.........."वायरस ने मचाया कोहराम,पिछले 24 घण्टो के दौरान देश मे पांच हजार से अधिक मौतें, संक्रमण के सवा लाख नए मामले सामने आए"
साथ ही इस दौरान टीवी स्क्रीन पर देश भर के लगभग हर बड़े शहर की दिल दहलाने वाली वीभत्स तस्वीरें दिखाई पड़ रही थी........कही शमशान घाट पर लगी लम्बी कतारें दिखाई पड़ रही थी,तो कहीं नदियों में तैरती हुई सैकड़ो लावारिश लाशों की दर्दनाक तस्वीरें.......मंजर इस कदर भयानक था, कि जिसे देख मजबूत से मजबूत ह्रदय एवं इच्छा शक्ति वाले इंसान की भी रूह काँप उठे।

तभी अचानक "May I come in,Sir" की आवाज ने डॉक्टर देसाई को बेचैनी के उस समंदर से बाहर निकाला।

दरवाजे पर मेजर बख्सी खड़े हुए थे, डॉक्टर देसाई ने बड़ी ही उत्सुकता के साथ उनको अंदर आने की परमिशन दी.....

अंदर आ कर डॉक्टर देसाई को सैल्यूट करने के बाद मेजर बख्सी ने वर्तमान स्थिति से उन्हें अवगत कराया।

"सर,हमनें हर तरीक़े से कोशिश की.....जबरदस्त टॉर्चर एवं नारको जैसे टेस्ट करने के बाद भी चांग ली से कुछ भी नही उगलवा पाए,सिवाय उस जानकारी के जो उसने अपने बड़बोलेपन की वजह से स्वेच्छा से हमें बताई है......जैसे कि 'ऑपरेशन वुहान' की भनक चाइनीज्स को लगना....."

डॉक्टर देसाई- (गम्भीर मुद्रा में)- "वह चाइना का टॉप मोस्ट एजेंट है, मर जायेगा पर मुंह नही खोलेगा.........सब कुछ खत्म होने की कगार पर है बख्सी.......और उधर हमारी आखिरी उम्मीद भी अब लगभग टूटने की कगार पर है....।"

और फिर डॉक्टर देसाई ने उन्हें जाने का इशारा किया.....और उनके जाने के बाद कुछ देर सिर पकड़ कर बैठे रहे और फिर तेज सिर दर्द से निजात पाने के लिए डिस्प्रिन टेबलेट को खाया......और फिर थके चेहरे के साथ टेबल पर रखे लैपटॉप पर कोई जरूरी काम करने लगे।

रॉ के मुख्य कॉरिडोर से निकल कर अपनी कार की ओर बढ़ते मेजर बख्सी इस समय फोन पर विराज से बात कर रहे थे......हमेशा प्रोटोकॉल सम्बंधित सीमित वार्तालाप करने वाले हमारे डिफेंस ऑफीसर्स को भी देश के दर्दनाक हालातों ने आज भावनात्मक रूप से कमजोर कर दिया था।

"विराज, आज कैरियर में फर्स्ट टाइम देसाई सर को इतना disappointed देखा है .....ऑपरेशन वुहान से उनको काफी उम्मीदें थी, पर लास्ट कुछ घण्टो से ऑपरेशन की कोई भी इन्फॉर्मेशन उनको नही मिली है....आशंका है कहीं हमारा ऑपरेशन फेल्ड न हो गया हो...विराज सच कहूँ तो देश में मचती इस हाहाकार के बावजूद हम कुछ नही कर सकते,इस विवशता ने मुझे भी अंदर से बुरी तरह तोड़ दिया है..."

विराज ने कुछ सेकेंड्स की चुप्पी के बाद मेजर बख्शी को जबाब दिया।

"सर,उस ऑपरेशन को जो शख्स लीड कर रहा है न...उसे मुझसे ज्यादा कोई और नही जानता होगा......उसके बारे में बस इतना कह सकता हूँ.......He can Never lose.....जीतना उसकी फितरत है.....आप देखना बहुत जल्द वह आखिरी उम्मीद के रूप में प्रज्ज्वलित होकर हमारे सामने आएगा.....'ऑपरेशन वुहान' इस देश के लिए एकमात्र संजीवनी है.....और वह इंसान देश को बचाने के किये यमराज को भी पराजित करने का माद्दा रखता है.…...इस नेगेटिव माहौल में अच्छी खबर बहुत जल्दी सुनने को मिलेगी.....भरोसा रखिये सर"

कहते है कि जब इंसानी प्रयास विफल हो जाये,तब स्थिति को सुधारने के लिए दैवीय कृपा की जरूरत होती है......इस नकारात्मक माहौल में सभी एक दूसरे को सांत्वना देकर सब कुछ ठीक होने की प्रार्थना ईश्वर से करने में जुटे हुए थे.....और उधर चाइना में मौजूद ध्रुव को भी ऑपरेशन वुहान के अंतिम और जटिल हो चुके चरण से विजेता बन कर गुजरने के लिए भी बस ईश्वर की कृपा की ही जरूरत थी........।

कहानी जारी रहेगी ।