उधर वुहान में युद्ध स्तर पर सर्चिंग ऑपरेशन चलाया जाने लगा था.......
वुहान एक बेहद हाइटेक सिटी थी.....और उतनी ही हाईटेक थी चाइनीज सिक्योरिटी एजेंसीज भी....ऐसे में ध्रुव की मुश्किलें और अधिक बढ़ चुकी थी.......पर आख़िर ध्रुव को भी तो मुश्किलों से जूँझने की पुरानी आदत थी।
तेजी से भागती हुई ध्रुव की सुपर बाइक की गति पर अचानक से ब्रेक लग गया था....क्योंकि सड़क के ठीक सामने चाइनीज पुलिस की कई गाड़ियों ने अचानक से आकर रोड को जाम कर दिया था........और चाइनीज पुलिस के कमांडोज की एक बड़ी हथियारबंद टुकड़ी ने पोजिशन लेते हुए मोर्चा संभाल लिया था।
बाइक मोड़ कर पीछे जा पाना भी सम्भव न था....क्योंकि अब तक तो चाइनीज पुलिस के ढेर सारे बाईकर्स भी पीछे से ध्रुव और जॉन को घेर चुके थे।
ध्रुव ने चेहरा घुमा कर पीछे चिपक कर बैठे जॉन की ओर हेलमेट के अंदर से ही कुछ इशारा किया ......और फिर अगले ही क्षण दोनो ओर से घिरे चाइनीज फोर्सेज के हमले से पहले ही ध्रुव की उस सुपर बाइक्स ने बांयी ओर घूम कर रॉकेट की तरह स्पीड पकड़ते हुए ठीक बगल में मौजूद पूरी तरह कांच से बनी हुई जैसी दिखने वाली एक विशाल भव्यतम बिल्डिंग में निचले हिस्से के कांच को फोड़ते हुए दाखिला ले लिया।
हालांकि टूटा हुआ कांच उन दोनों के लिए रिस्की हो सकता था......पर उनके शरीर पर मौजूद अव्वल दर्जे की उस बाईकर्स ड्रेस ने उन्हें बचाएं रखा।
हालांकि बाद में चाइनीज फोर्सज द्वारा उनके ऊपर जमकर फायरिंग भी की गई ,परन्तु उस से ध्रुव और जॉन दोनो में से किसी को भी ख़रोंच तक भी न आई।
ध्रुव की बाइक अब उस आधुनिक मॉल के अंदर दौड़ रही थी........मॉल में अधिक भीड़भाड़ न थी.....पर जितने भी लोग मौजूद थे,कौतूहलपूर्वक ध्रुव के कारनामें को नजरें गढ़ा कर देख रहे थे।
चाइनीज सिक्योरिटी फोर्सज के कमण्डोज भी घेरा बन्दी करते हुए उस मॉल के अंदर घुस आए ......पर अब तक तो बाइक के साथ करतब दिखाता हुआ ध्रुव मॉल के अंतिम यानि छ्ठे फ्लोर तक पहुंच चुका था......बाइक की पिछली सीट पर बैठकर किसी पुतले की भांति ध्रुव से चिपके हुए जॉन की हालत तो ध्रुव की इन सर्कसनुमा कलाबाजियां देख देख कर पतली हो चुकी थी।
मॉल में सिविलयन्स की मौजूदगी की वजह से चाइनीज कमांडोज ध्रुव और जॉन पर कोई बड़ा हमला करने में असमर्थ थे......
और फिर कुछ ही देर में उस गगनचुंबी मॉल की छत पर ध्रुव और जॉन पहुंच चुके थे.......पर शायद उनके लिए भागने के सारे रास्ते अब बन्द हो चुके थे....क्योंकि इतनी ऊंची बिल्डिंग से कूंद कर भागने की कोशिश करने का अर्थ था स्वयं के अस्थिपंजरों का कचूमर बनवाना......
सीढ़ियों के रास्ते चाइनीज कमांडोज भी धड़धड़ाते हुए छत तक आ चुके थे.......छत पर आकर उन कमांडोज़ ने जॉन और ध्रुव को छत की मुंडेर के पास समर्पण की मुद्रा में खड़ा देखा......उन दोनों ने ही अपने हाथ ऊपर उठा रखे थे......शायद वह समझ चुके थे कि अब उनके पास एकमात्र विकल्प आत्म समर्पण ही शेष है......शायद वह महसूस कर चुके थे कि सामने से आ रही चाइनीज कमांडोज की फौज उनको अब कोई और मौका नही देने वाली.....
और फिर...वह कमांडोज सतर्कता के साथ अपनी गन्स के निशाने पर ध्रुव एवं जॉन के सिरों को लिए हुए उनकी ही ओर आगे बढ़ रहे थे..........ऐसा महसूस हो रहा था कि शायद इस बार ध्रुव का गेम ओवर होने ही वाला था..... जॉन के माथे पर चिंता की लकीरें स्प्ष्ट दिखाई पड़ रही थी.....पर यह क्या.......ध्रुव के चेहरे पर तो दिखने वाले भाव एकदम विपरीत थे.......न कोई चिंता, न कोई शिकन..........बस एक जबरदस्त कॉन्फिडेंस........जैसे कि मानो उसको पूरा यकीन हो कि स्थिति अभी भी उसके नियंत्रण में है.......जैसे बाजी अभी भी पलटने वाली हो.......
और फिर अगले ही क्षण ध्रुव के उस कॉन्फिडेंस की वजह भी सामने आ गई.....
मानों सच मे जैसे चमत्कार ही हो गया हो.......मॉल की उस विशालकाय छत पर ध्रुव की ओर बढ़ते उन कमांडोज के कदम उखड़ने लगे .......एक एक करके वह कमण्डोज धड़ाम से नीचे गिर रहे थे.......गिरने के बाद थोड़ा सा छटपटाने के बाद उनके निस्तेज पड़ते जा रहे शरीर इस बात का प्रमाण दे रहे थे कि वह अब लाशों में परिवर्तित होते जा रहे थे.......गोलियों से हो रहे उनकी खोपड़ियों में होने वाले सुराख चीख चीख कर बता रहे थे कि किसी बेहद खतरनाक वेपन्स का इस्तेमाल किया जा रहा है........और साथ मे वह सुराख गवाही दे रहे थे कि उस वेपन्स से भी ज्यादा खतरनाक है इतनी कुशलता से सटीक निशाने लगाने वाला निशानेबाज.…....
और तभी नजर आया मॉल के बेहद करीब चाइनीज ऑर्मी का एक हेलीकॉप्टर.…......गौर से देखने पर पता चला कि दरअसल एक प्राइवेट हेलीकॉप्टर को बेहद सफाई के साथ चाइनीज आर्मी हेलीकॉप्टर के डिजायन से रिप्लेस किया गया है।
और उसी हेलीकॉप्टर में बेहद डैशिंग अंदाज में नजर आई जेनिफ़र.…...तेज हवा के कारण उसके उड़ते हुए खुले बाल......आंखों पर रेबन का काला चश्मा और हाथ में पकड़ी हुई AK 203 automatic rifal की वजह से जेनिफर एक बेहद खूबसूरत परन्तु उतनी ही खतरनाक शूटर के रूप में प्रस्तुत हुई थी..…...
Ak203 इंडिया और रूस द्वारा निर्मित एके सीरीज की सबसे घातक गन, जो आधा किमी दूर तक की रेंज में मौजूद दुश्मन के ऊपर मात्र एक मिनट में 600 से अधिक फायर करने में सक्षम होती है, और आज इसका तांडव चाइनीज कमांडोज पर टूट रहा था।
कब गोलियां चली,किसने और कहाँ से चलाई...? इन सवालों के जबाब तलाशने से पहले ही एक ही झटके में वहां मौजूद सभी कमांडोज मौत के गाल में समा चुके थे।
हेलीकॉप्टर की पायलट सीट पर थॉमस मौजूद था,जो एक कुशल पायलट था......और वह हवा में हेलीकॉप्टर को लहराते हुए अपनी कुशलता का दमख़म दिखाते हुए ध्रुव और जॉन के बेहद करीब ले आया था....
और फिर जेनी ने हाथ बढ़ा कर पहले जॉन को हेलिकॉप्टर में चढ़ाया.....और फिर ध्रुव को।
दोनो को लेकर हेलीकॉप्टर ने तेजी से यूटर्न लिया....और पूर्व की दिशा में उड़ान भरने लगा।
"थैंक्स जेनी....थैंक्स थॉमस....प्लान के अनुसार एकदम सही टाइम पर एंट्री की तुमने....."
ध्रुव ने जेनी और थॉमस की सटीक टाइमिंग वाली एंट्री के लिए उनका आभार व्यक्त किया।
"थैंक्स बोलना है तो नेईलांग को बोलना....जिसने हमें पहले तो सही समय पर उस पार्किंग से सुरक्षित निकालने में मदद की,और फिर अपने प्लान के अनुसार यह चाइनीज आर्मी जैसा दिखने वाला हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराया .......और हम रडार पर बिना उनके शक के दायरे में आये हुए तुम तक पहुंच सकें।....."
जेनी ने नेईलांग की कार्यकुशलता के बारे में ध्रुव को बताया।
"एक दूसरे की तारीफ अब हम बाद में करेंगे....पहले तुम जल्दी से इस डिवाईस के डेटा को डिकोड करके अपने देश तक सेंड करो...यह बेहद जरूरी है.....क्योंकि हमारे पास बिल्कुल भी समय नही है.......चाइनीज ....बहुत जल्दी जख्मी कुत्तों की तरह अब हमारा पीछा करेंगे......"
ध्रुव ने उस डिवाइस को जेनी के हाथों में सौंपते हुए कहा।
और फिर जेनी भी तुरन्त ही हेलीकॉप्टर में अपने साथ लाये हुए अपने स्पेशल लैपटॉप एवं कुछ अन्य हाईटेक यंत्रो की मदद से अपने काम को अंजाम देने में जुट गई।
क्या होगा आगे?......क्या ध्रुव अपने साथियों के साथ मिलकर इस बेहद महत्वपूर्ण मिशन को कामयाब बना पायेगा...या फिर अभी और भी नई मुसीबतें आने वाली है?......जानने के लिए पढ़िए अगला भाग।
........कहानी जारी रहेगी........