शोहरत का घमंड - 44 shama parveen द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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शोहरत का घमंड - 44

आलिया की मम्मी ऋतु की मम्मी को पैसे देती हैं तब ऋतु की मम्मी बोलती है, "ये क्या है"।

तब आलिया की मम्मी बोलती है, "किराया"

ये सुनते ही ऋतु और अंकुर चोक जाते है तभी ऋतु बोलती है, "आंटी ये क्यों"।

तब आलिया की मम्मी बोलती है, "क्यो नही बेटा हम यहां पर रहते हैं तो फिर यहा का किराया तो देना पड़ेगा न"।

तब ऋतु बोलती है, "मगर अभी नही आंटी, अभी तो अंकल भी काम नही कर रहे हैं"।

तब आलिया की मम्मी बोलती है, "बेटा आलिया तो कर रही है न और आज ही उसको सैलरी मिली है बेटा"।

तब ऋतु बोलती है, "मगर आपका घर का खर्च भी तो है न"।

तब आलिया की मम्मी बोलती है, "बेटा सब चल जायेगा और पैसे भी है सारे पैसे तुम्हे नही दे रही हू, और बेटा में तुम्हारा एहसान केसे भूल सकती हूं तुमने मुझे उस वक्त छत दी जब हमारे पास कोई भी छत नही थी"।

तब ऋतु बोलती है, "आंटी प्लीज़ ऐसी बाते मत करिए"।

तब आलिया की मम्मी बोलती है, "तो फिर चुप चाप से मम्मी को पैसे लेने दो और ज्यादा मत बोलो, और हा मुझे आलिया को खाना भी देना है"।

उसके बाद आलिया की मम्मी वहा से चली जाती हैं। और सभी को खाना देती है और सभी खाना खाने लगते है।

उधर आर्यन के डैड उसे बुलाते है और बोलते हैं, "बेटा एक शादी का कार्ड आया है"।

तब आर्यन बोलता है, "डैड किसकी शादी का"।

तब आर्यन के डैड बोलते है, "नरेश की बेटी की शादी है, उसने बुलाया है और हा तुम्हे भी चलना होगा"

तब आर्यन बोलता है, "पर मुझे क्यो डैड"।

तब आर्यन के डैड बोलते हैं, "बेटा उन्होंने काफी प्यार से बुलाया है सब को"।

तब आर्यन बोलता है, "ओके डैड"।

उसके बाद आर्यन अपने कमरे मे चला जाता हैं।

सुबह होती हैं।

सभी सोए रहते हैं। तभी ईशा उठ जाती हैं और सभी को उठाने लगती है। तभी आलिया बोलती है, "पागल हो गई हो क्या आज संडे है आज तो आराम से सोने दो"।

तब इशा बोलती है, "नो दिदू आज सोने का नही शॉपिंग का डे है"।

तभी मीनू भी चिल्लाती है, "चुप चाप से सो जा वरना तेरा अभी सारा शॉपिंग का भूत उतार दूंगी"।

तभी आलिया के पापा बोलते है, "क्यो गुस्सा कर रही हो तुम दोनो मेरी बेटी पर, मेरी बेटी का मन नही कर रहा है सोने का तो फिर तुम दोनो जिद क्यो कर रही हो"।


तब आलिया बोलती है, "डैड ये आपकी बेटी है तो फिर हम कोन है"।

तब आलिया के पापा बोलते हैं, "तुम दोनो भी मेरी बेटी हो, मगर इसे डांट क्यो रही हो"।

तब ईशा बोलती है, "कोई बात नहीं पापा आप इन्हे सोने दीजिए मैं अपने लिए और आप के लिए चाय बनाती हूं"।

तब आलिया की मम्मी बोलती है, "मेरे लिए भी बना दो मै भी उठ जाती हूं, नाश्ता और खाना भी बनाना है"।

तब ईशा बोलती है, "जी मम्मा "।

तब आलिया बोलती है, "चुप चाप से हमारे लिए भी बना दो, क्योंकि नींद तो तुमने खराब कर ही दी है"।

तभी ईशा चाय बनाने जाती हैं

तभी आलिया के पापा का फोन बजता है। तभी आलिया की मम्मी बोलती है, "इतनी सुबह सुबह कोन है"।

तब ईशा देखती है तो बोलती है, "बुआ जी है "।

ये सुनते ही आलिया की मम्मी उठ कर बैठ जाती हैं ........