जोग लिखी - 4 Sunita Bishnolia द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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जोग लिखी - 4

सागर और शंभू हैं तो भाई पर रहते हैं बिल्कुल दोस्तों की तरह। दोनों एक-दूसरे से कोई बात नहीं छिपाते पर आज बड़े भाई सागर के पास लड़की की तस्वीर देखकर शंभू को खुशी भी और आश्चर्य भी कि लड़कियों से कोर्सों दूर भागने वाले सागर भैया के लड़की की तस्वीर... शंभू बड़े भाई से इसी तस्वीर का राज जानने की कोशिशों में लगा था पर सागर भी कम नहीं वो शंभू से बोला -
" गोर से देखो, पासपोर्ट साइज फोटो है।"
"हाँ तो.. "
" हमारे मकान मालिक की बेटी अंजलि की सहेली है। दो-तीन महीने पहले अंजलि कोई फार्म भर रही थी उसमें उसे हमारी मदद की जरूरत पड़ी। अंजलि की फोटो के साथ ही ये फोटो था शायद फोटो लगाते समय अंजलि से गिर गया और बाद में हमने उठा लिया। ’’
" तो वापस दे देते…!"
शंभू की इस बात के जबाव में सागर कुछ नहीं बोला। शंभू भी थोड़ी देर चुप रहा पर कुछ देर बाद -
"क्या भैया हमने सोचा हमारे भाईसाहब की लाइफ तो सैट हो गई। कितनी खूबसूरत कितनी भौली-भाली..!" जैसे ही शंभू ने ये कहा।
सागर झट से बोल पड़ा - ‘ना भाई भोली-भाली समझने की भूल ना करना, साक्षात दुर्गा है दुर्गा।’’
‘‘अच्छा.... ! आपको रूप दिखाया है क्या ?’’ कहकर शंभू हँसने लगा और सागर से पूछा- ‘‘ तो इसका मतलब है आप इनसे मिल चुके पर..ये बला आपको कहाँ मिल गई।’’
बताया ना अंजलि के साथ घर आती रहती थी। एक दो बार वहीं मिले और फोटो वापस करने की सोची भी पर शर्म के कारण कर फोटो वापस नहीं कर पाया।"
" अच्छा तो लखनऊ की है..! "
नहीं! वहाँ तो पढ़ाई के सिलसिले अपने चाचा- चाची के साथ रहती थी। अब पढ़ाई पूरी हो गई इसलिए अपने गाँव गई।’’
भाई के चेहरे के भाव पढ़ते हुए शंभू बोला -
" क्या आपने इनसे एक बार भी बात नहीं की..!"
"हूँ…! "
"अब इस हूँ का क्या मतलब समझूँ दोस्ती हुई….?"
शंभू सागर से उम्र में जरूर छोटा था पर सागर के चेहरे पर आए हर भाव को पढ़ लेता था वो। वो समझ गया था कि भाईसाहब इस लड़की को पसंद तो करते हैं पर अपने मन की बात कहने में हिचकिचा रहे हैं।इसलिए उसने कहा-
" तो अब आप मुझसे भी बातें छिपाने लगे।"
इसपर शंभू का हाथ पकड़ते हुए सागर ने कहा -
" हमने अंजलि से कहा इनसे मिलवाने के लिए। कितने चक्कर काटे इनके कॉलेज के तब जाकर हमारी ओर देखा इन्होंने। सच कहूँ भाई बड़ी तपस्या और अंजलि की लाख मिन्नतों के बाद देवी ने हमसे बात करने का प्रस्ताव स्वीकार किया।"
"अच्छा.. तो बात ये है! "
" शगुन की बुआ की बेटी पुतुल भी इनके साथ ही पढ़ती थी पुतुल और अंजलि ने कॉलेज के आखरी दिन हमें कॉलेज बुलाया था शगुन से मिलवाने, सोचा था सब बता दूंगा।’’
‘‘तो क्या बताया नहीं…!’’
"नहीं ! उस दिन ये बहुत गुस्से में थी, बता नहीं पाए।"
‘‘क्यों ऐसा क्या हो गया था?’’

इनके कॉलेज का आख़री दिन था, फेयरवेल पार्टी में इन्होंने भी डांस किया था । घर लौटते समय कॉलेज के बाहर पुतल, अंजलि और शगुन मेरा इंतजार कर रही थी।’
‘‘और आप लेट हो गए होंगे’’ - शंभू ने तपाक से कहा।

क्रमशः...
सुनीता बिश्नोलिया