जोग लिखी - 5 Sunita Bishnolia द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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जोग लिखी - 5

नहीं रे....! हम उन दोनों को ढूंढ ही रहे थे कि देखा, एक लड़के ने इन पर फब्ती कसते हुए कहा - ‘बहुत कटीली नचनिया हो।’’

वो लड़का आगे कुछ कहता या भागता तब तक शगुन ने भागकर उसे पकड़ लिया और उसे थप्पड़ मारते हुए कहा- ‘‘हैं तो धोबिन भी, और अपने हाथों के हंटर से तुझ जैसों की धुलाई भी खूब करते हैं।’’
‘‘क्या बात करते हो भइया!"
‘‘हाँ रे सच! वो लड़का शगुन के इस अप्रत्याशित जवाब के लिए तैयार न था। वो कुछ बोलता इससे पहले शगुन ने उसे इतना कुछ सुनाया कि वो भाग गया।’’
इसलिए उस दिन शगुन का दिमाग खराब हो गया और उसने हमसे कोई बात नहीं की।
दूसरे दिन वो गाँव चली गई पर अंजलि से हमारा नंबर ले लिया था। गाँव जाते हुए इन्होंने हमें एक मैसेज किया जिसमें इन्होंने बात ना कर पाने के लिए सॉरी लिखा कभी-कभी मैसेज से हालचाल पूछ लेते हैं। । "
" तो पसंद तो ये भी करती हैं आपको…! "
" शायद!"
‘‘वाह! ये तो बहुत अच्छी बात है।’’
"क्या अच्छी बात है, हम इनसे अपनी शादी की बता किसी कीमत पर नहीं छिपाना चाहते ।’’
‘‘हाँ बात तो ठीक कह रह हो भैया , आप मौका देखकर बता दीजिएगा।’’
‘‘हूँ ’’ -कहते हुए सागर ने गहरी साँस ली।
‘‘और भैया काम कैसा चल रहा है आपका।’’
‘‘ठीक है, कोई झंझटबाजी नहीं हमारे दफ्तर में सुबह नौ बजे जाते हैं हैं। मकान दफ्तर के पास ही है इसलिए शाम साढ़े छह बजे तक घर आ जाते हैं। "
‘‘तुम्हारा बताओ।’’
काम तो अच्छा पर अभी तो सीख ही रहे हैं भइया। नए हैं, सबसे छोटे हैं, तो दफ्तर में सब हमें कुछ ना कुछ सिखाते ही रहते हैं।"
" शंभू सोचता हूँ अगर मामा-मामी ना होते तो क्या होता हमारा।’’
" होता क्या भईया, जैसे बाबा नई माँ का हुकुम बजाते हैं वैसे ही हम भी उनका का हुकुम मान कर ईंट-बट्ठे पर लगे रहते।’’
"हाँ..और उनके दोनों नौनिहाल हम पर आर्डर झाड़ा करते।’’
"भइया, आपको अम्मा याद है क्या?"
वैसे तो रोज़ ही याद आती है.... पर अम्मा के देहांत के वक्त हम डेढ़ साल के थे और तुम एक महीने के, कहाँ याद आएगी अम्मा।’’
‘‘हमें संभालने के लिए ही की थी ना बाबा ने दूसरी शादी पर....।’’ कहते-कहते शंभू की आँखें भर आई।
छोटे भाई के आँसू पौंछते हुए सागर ने भारी मन से कहा-
‘‘उस औरत के कारण हमारी दादी समय से पहले मर गई, बाबा उसके गुलाम हो गए और उसके लालच के कारण हम दोनों का जीवन..... ’’ कहते-कहते सागर के मन में यादों का तूफान उथल-पुथल मचाने लगा।
"हाँ भैया, पर मुझे कुछ याद नहीं आता।"
"तू बहुत छोटा था, जब हमें ही अच्छी तरह कुछ याद नहीं तो तुझे कहाँ याद रहेगा। वैसे बहुत अच्छा है जो तुझे कुछ याद नहीं…!"
‘" वैसे भइया, बाबा ने आपको बताया है कि उन्होंने हमें एक साथ क्यों बुलाया है।’’
नहीं रे! पर मामा और मामी भी हमारे साथ चलेंगे।’’
"हाँ ! पर ऐसा क्यों , प्रॉपर्टी का बँटवारा कर रहे हैं क्या?"
इसपर सागर भी हँसकर बोला - "वो तो जाने पर ही पता चलेगा। ’’

क्रमशः...
सुनीता बिश्नोलिया