जिद है तुझे पाने की - भाग 5 Puja Kumari द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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जिद है तुझे पाने की - भाग 5

संध्या इस वक्त सिर झुकाए चुपचाप अपने सारे फ्रेंड्स के सामने खड़ी थी और वो सब अपने हाथ बांधे उसे गुस्से में ऐसे देख रहे थे जैसे वो अभी अभी कोई क्राइम करके आई है.

“तो तुम ये कहना चाह रही हो कि वरुण रस्तोगी... जिसपर यहाँ की सारी लड़कियां मरती हैं... जिससे फ्रेंडशिप करने के लिए यहाँ का हर स्टूडेंट बेताब है उसने खुद आगे बढ़कर तुमसे फ्रेंडशिप की है?” आकाश ने उसे गुस्से से घूरते हुए पूछा.

संध्या ने बिना कुछ बोले बस हाँ में अपनी गर्दन हिला दी. वरुण के पास से वापस आने के बाद समीरा, आकाश और मयंक उसे लेकर कॉलेज की छत पर आ गए थे. यहाँ कोई आता जाता नहीं था इसलिए फिलहाल यहाँ उनकी बातें सुनने वाला और कोई नहीं था. मयंक और आकाश जहाँ ये सब सुनकर गुस्से में नजर आ रहे थे वहीँ समीरा के चेहरे पर टेंशन नजर आने लगी थी.

“और तुमने उससे फ्रेंडशिप कर भी ली? तुमने देखा नहीं कितना बड़ा वाला पागल है वो? इतनी छोटी सी बात के लिए आकाश को कितनी जोर से मारा है उसने? अरे एक बार हमसे पूछ तो लिया होता उससे फ्रेंडशिप करने से पहले.” मयंक ने उसे समझाने की कोशिश करते हुए कहा.

लेकिन आकाश शायद कुछ ज्यादा ही गुस्से में था उसने लगभग चिल्लाते हुए कहा, “दिस इज रिडिक्युलस... वो चाहे जो भी हो लेकिन अब भी तुम्हारे लिए एक अननोन पर्सन ही है. कितना जानती हो तुम उसे? फिर भी बिना सोचे समझे उससे फ्रेंडशिप कर ली तुमने? इतना बड़ा हादसा हो चुका है तुम्हारे साथ लेकिन इसके बावजूद तुमने अब तक उससे कुछ नहीं सीखा? लोगों पर आँखें बंद करके भरोसा करने की ये आदत कब जायेगी तुम्हारी?”

ये आज पहली बार था जब आकाश ने संध्या के ऊपर इतना गुस्सा किया था और उससे इतनी ऊंची आवाज में बात की थी. साथ ही उसने संध्या के उस चार साल पुराने जख्मों को भी कुरेद कर रख दिया था. संध्या ने उसकी बातों का कोई जवाब नहीं दिया लेकिन उसकी आँखों से बहते आंसू बहुत कुछ कह रहे थे. आकाश को अब अपनी गलती का एहसास हुआ. समीरा ने भी आँखों ही आँखों में उससे अब और गुस्सा न करने की रिक्वेस्ट की. आकाश ने अब डिसअपोइंटमेंट से भरकर एक गहरी सांस ली और आकर संध्या के बगल में बैठ गया. उसके बालों में हाथ फेरते हुए उसने कहा, “संध्या... हम सब फ्रेंड्स हैं... राइट?”

“करेक्शन... सिर्फ फ्रेंड्स नहीं... बेस्ट फ्रेंड्स...” कहते हुए मयंक भी आकर उसकी दूसरी तरफ बैठ गया.

“राइट... वी आर बेस्ट फ्रेंड्स... और बेस्ट फ्रेंड्स अगर हमारी अच्छी बातों के लिए खुश होते हैं, तारीफ करते हैं तो गलत बातों पर नाराज भी तो होंगे. तुम्हें हमें पहले ही इस बारे में बता देना चाहिए था न. अब तुम खुद देख लो... वो इतने बड़े बिजनेसमैन का बेटा है और तुम बस एक मिडिल क्लास रिटायर्ड ऑफिसर की बेटी. ऊपर से पास्ट में जो कुछ भी हुआ ...” कहते हुए आकाश एक पल को रुका. समीरा ने तुरंत उसके कंधे पर हाथ रखते हुए हलके से प्रेस किया और आकाश ने बात बदलते हुए कहा, “आई मीन तुम्हें खुद सोचना चाहिए... वो सबको छोड़कर तुमसे ही फ्रेंडशिप करने में इंट्रेस्टेड क्यों है? मै ये नहीं कह रहा कि कोई अमीर बाप का लड़का किसी मिडिल क्लास लड़की में इंट्रेस्टेड नहीं हो सकता... बट जस्ट थिंक अबाउट इट केयरफुली.”

समीरा ने भी अब उसके सामने घुटनों के बल बैठते हुए उसका हाथ पकड़ लिया, “हाँ संध्या... मैंने अपनी पूरी जिंदगी अकेले बिताई है. इतनी मुश्किलों के बाद मुझे मेरी बहन मिली है और अब मैं उसे किसी भी तरीके से हर्ट होते हुए नहीं देख सकती. मैं ये नहीं कह रही कि वरुण बुरा इंसान है. लेकिन कोई भी कदम आगे बढाने से पहले हमें एक बार अच्छी तरह उसके बारे में सब कुछ जान लेना चाहिए.”

संध्या ने अपनी नजरें उठाकर उन तीनों की तरफ देखा जो अब तक फ़िक्र भरी नजरों से उसे देख रहे थे. जाहिर है वो सब उससे बहुत प्यार करते थे और उन्हें उसकी फ़िक्र थी. उसने एक फीकी सी स्माइल के साथ हाँ में अपनी गर्दन हिला दी और बाकी तीनों के मुंह से राहत की एक गहरी सांस निकल गई.

आकाश ने अब उसका चेहरा अपनी तरफ घुमाते हुए कहा, “ऑsssss .... ये मैं क्या देख रहा हूँ. हमारी प्रिंसेस तो रो रही है.”

मयंक ने भी एकदम शॉकिंग एक्सप्रेशन देते हुए कहा, “ओएमजी... इतने मोटे मोटे आंसू... आज पक्का कॉलेज में बाढ़ आ जायेगी.”

संध्या ने अब इरिटेट होते हुए उन दोनों के सिर पर एक हल्की सी चपत लगा दी, “बस करो अब तुम दोनों... मैं नहीं रो रही.”

समीरा ने भी अब तुरंत आगे बढते हुए उसे गले से लगा लिया.

“यार अब इस सारे ड्रामे के बाद मुझे तो बहुत भूख लग रही है. इस आकाश ने तो कैंटीन में मार खा ली लेकिन हम सब तो बिना कुछ खाए ही वहां से वापस आ गए.” समीरा ने परेशान होने की एक्टिंग करते हुए कहा.

उसकी बात सुनकर संध्या और मयंक को जोरों की हंसी आ गई. लेकिन आकाश ने चिढते हुए समीरा की तरफ देखा. इससे पहले कि वो समीरा से कुछ बोल पाता वो तेजी से कैंटीन की तरफ भाग गई. “मुझे तो बहुत भूख लगी है. मैं जा रही हूँ.”

बाकी तीनों भी तेजी से उसके पीछे नीचे की तरफ बढ़ गए. लेकिन उन चारों को नहीं पता था कि वहां कोई और भी था जो उनकी सारी बातें सुन रहा था. उनके जाते ही वरुण एक दीवार के पीछे से निकलकर सामने आ गया. उसके होठों पर एक तिरछी सी स्माइल फ़ैल गई थी. अपने हाथ बांधते हुए उसने अपनी पीठ दीवार से टिका दी और उन चारों को तब तक जाते हुए देखता रहा जब तक कि वो सब उसकी नजरों से गायब नहीं हो गए.

“इंट्रेस्टिंग.... इस जमाने के भी अजब दस्तूर हैं... अब एक शरीफ लड़का किसी शरीफ लड़की से दोस्ती भी नहीं कर सकता? कमाल है...” कहते हुए वरुण को हंसी आ गई. “कब तक दूर करोगे उसे मुझसे? एक दिन उसे लौटकर वापस मेरे पास ही आना है.” अचानक उसकी आँखों में गुस्सा तैरने लगा. गुस्से से दांत पीसते हुए उसने कहा, “तुम तीनों को क्या लगता है? संध्या के दिल में मेरे खिलाफ जहर भरकर तुम उसे मुझसे दूर कर दोगे? हाह... एक चाल तुमने चली है... लेकिन अब मेरी बारी है. तुम्हारी आँखों के सामने वो तुम्हें छोड़कर खुद मेरे पास आयेगी. लेट द गेम बिगिन्स... डियर एनआईए एजेंट्स.”

समीरा, आकाश और मयंक ने संध्या के सामने चाहे जो भी कहा हो लेकिन सच्चाई उसके एकदम उलट थी. वो तीनों ही फिलहाल एनआईए में ट्रेनी थे और वहां की एक्टिविटीज और मिशन्स का हिस्सा भी थे. कई सालों पहले ड्रग डीलर्स के एक ग्रुप व्हाईटवॉश ने पुलिस और एनआईए की नाक में दम कर रखा था. पुलिस को इसके लीडर्स के बारे में कुछ खास पता नहीं था. लेकिन इस ग्रुप के कई बड़े बड़े डीलर्स को पकडवाने में समीरा ने पुलिस की हेल्प की थी. क्योंकि वो और उसकी मुंहबोली माँ काफी लंबे टाइम तक इस ग्रुप का हिस्सा रही थी. पिछले कुछ सालों में इस ग्रुप की एक्टिविटीज काफी कम हो गई थी. लेकिन अचानक कुछ दिन पहले एक बार फिर से व्हाईटवॉश ने अपना सिर उठाना शुरू कर दिया था. पिछले चार महीनों में अचानक मेट्रो सिटीज में क्राइम की रेट बहुत ज्यादा बढ़ गई थी. पुलिस इन स्मगलर्स को पकड़ने के लिए लगातार छापेमारी कर रही थी लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं आ रहा था. आखिर में ये केस एक बार फिर से एनआईए के हाथ में आ गया था. एनआईए के सारे टॉप क्लास एजेंट्स और सबसे बेस्ट ऑफिसर्स किसी भूखे शेर की तरह इन ड्रग माफियाज की तलाश में जुट गए. सारे सुरागों का पीछा करते हुए आखिरकार इस ग्रुप के लीडर से रिलेटेड एक बेहद इम्पॉर्टेंट इन्फॉर्मेशन एनआईए की टीम के हाथ लग गई. उन्हें अपने सोर्स से इस बारे में पक्की खबर मिली थी कि इस ग्रुप का लीडर जो कोई भी है वो इंडिया के टॉप क्लास बिजनेसमैन में से एक है. और कुछ ही वक्त पहले वो किसी बिजनेस डील के लिए अमेरिका से इण्डिया आया है ताकि वो यहाँ पर भी अपना बिजनेस एक्स्पैंड कर सके. ऐसे बिजनेसमैन की लिस्ट कोई खास लंबी भी नहीं थी. लेकिन उसमें जो नाम सबसे ऊपर था वो आदर्श रस्तोगी का था. आदर्श रस्तोगी पहले भी अपनी सस्पीशियस एक्टिविटीज और ओवरनाईट सक्सेस के कारण ईडी से लेकर सीबीआई तक के निशाने पर रह चुका था. लेकिन कोई प्रूफ नहीं होने की वजह से वो हर बार बड़ी सफाई से उनसे छूटकर निकल जाता था. लेकिन इस बार एनआईए भी पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरी थी. पिछले चार महीनों से वो किसी शिकारी कुत्तों की तरह घात लगाए एक एक एविडेंस इकट्ठे कर रहे थे. फाइनली अब उनके पास जितने भी सबूत थे वो सब सिर्फ और सिर्फ आदर्श रस्तोगी की तरफ ही इशारा कर रहे थे. पिछले कुछ महीनों में ड्रग से लेकर हथियारों तक की स्मगलिंग और रॉबरी के जितने भी केसेज आये थे उन सबके गवाहों और पकडे गए लोगों से कड़ी पूछताछ करने के बाद इनके तार कहीं न कहीं आदर्श रस्तोगी से ही जाकर जुड जा रहे थे. आखिर में एनआईए ने यही कन्क्लूजन निकाला कि जिस व्हाईटवॉश ने इतने दिनों से पुलिस और एनआईए की नींद उड़ा रखी है उसका लीडर कोई और नहीं आदर्श रस्तोगी ही है. लेकिन अभी भी एनआईए के पास आदर्श रस्तोगी के खिलाफ कोई स्ट्रॉंग एविडेंस नहीं था जिसके बेसिस पर वो उसे गिरफ्तार कर पाते. इतने बड़े और फेमस बिजनेसमैन के ऊपर सीधे सीधे हाथ डालना अपने आप में बहुत बड़ा चैलेन्ज था. एनआईए की इस पूरी एक्टिविटीज में मयंक, आकाश और समीरा भी शामिल थे. जब उन्हें पता चला था कि वरुण आदर्श रस्तोगी का बेटा है तो वो भी शॉक्ड हो गए थे. इसका एक मतलब ये भी था कि वैभव ने समीरा को उस रात खुद अपने ही गैंग के लोगों से बचाया था. लेकिन उसका दिल अब भी इस बात को नहीं मान रहा था कि वरुण इन सारी इलीगल एक्टिविटीज में इन्वॉल्व हो सकता है. क्योंकि भले ही वरुण और वैभव सगे भाई थे लेकिन फिर भी उन दोनों के स्वभाव में जमीन आसमान का अंतर था. लेकिन बिना सच का पता लगाए समीरा किसी नतीजे पर नहीं पहुंचना चाहती थी. और फिलहाल संध्या को इन सबसे दूर रखना ज्यादा जरूरी था.

संध्या एक रिटायर्ड एनआईए ऑफिसर की बेटी जरूर थी लेकिन समीरा के किडनैप के बाद अतुल और ऋचा उसे लेकर ओवरप्रोटेक्टिव हो गए थे. उन्होंने हमेशा उसका जरूरत से ज्यादा ध्यान रखा और उसे हर मुश्किल और हर परेशानी से बचाते रहे थे. संध्या के लिए भी उसकी दुनिया बस उसकी फैमिली और उसके फ्रेंड्स तक ही सिमट कर रह गई थी. वो आज भी किसी के ऊपर बहुत इजिली भरोसा कर लेती थी. क्योंकि उसे किसी के अंदर कोई बुराई नजर ही नहीं आती थी. और बस उसकी इसी आदतों की वजह से समीरा उसके लिए बहुत परेशान रहती थी. वैसे भी चार साल पहले के उस किडनैपिंग वाले इंसिडेंट से वो बहुत मुश्किल से बाहर आ पायी थी. अब समीरा नहीं चाहती थी कि उसकी बहन दोबारा ऐसी किसी भी मुश्किल का सामना करे. इसलिए उसने भी तय कर लिया कि वो खुद वरुण के बारे में सारी इन्फॉर्मेशन निकालेगी.

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वरुण इस वक्त एक बड़े से जिम के अंदर पिछले आधे घंटे से लगातार बॉक्सिंग प्रैक्टिस कर रहा था. पूरे जिम में उसके लाउड पंचेज की आवाज गूँज रही थी. उसकी पूरी बॉडी पसीने से भीग गई थी लेकिन उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे आज इन पंचिंग बैग को फाड़े बिना वो उसे छोड़ने नहीं वाला है. उसके साथ उसके तीनों फ्रेंड और ग्रुप मेम्बर्स विक्रम, साहिल और रवि भी थे. बाकी तीनों चुपचाप पुशअप्स लगा रहे थे.

“इसे क्या हुआ है?” रवि ने वरुण की तरफ देखते हुए धीमी आवाज में पूछा.

“प्यार हो गया है इसे... शादी करने वाला है ये संध्या से.“ साहिल ने जान बूझकर थोड़ी ऊंची आवाज में कहा. एक पल को वरुण के हाथ रुके जरूर लेकिन फिर वो पहले से भी ज्यादा ताकत के साथ पंचिंग बैग को किक करने लगा. विक्रम अब तक पुशअप्स करना बंद करके खड़ा हो गया था. उसने वरुण की तरफ देखते हुए थोड़ी इरिटेटेड टोन में पूछा, “आर यू सीरियस?? तुम उस लड़की से शादी करने की सोच रहे हो?” अब तक रवि भी एक्सरसाइज बंद कर खड़ा हो गया था. उसने एक गहरी सांस लेते हुए कहा, “मेरी समझ में नहीं आता तुम सबको उससे प्रॉब्लम क्या है? संध्या एक बहुत अच्छी लड़की है और वो उससे प्यार करता है. अगर वो उससे शादी करना भी चाहता है तो इसमें परेशान होने वाली कौन सी बात है?”

लेकिन साहिल ने तुरंत उसकी बात काटते हुए कहा, “बस यही तो प्रॉब्लम है... कि वो बहुत अच्छी लड़की है. ये लड़की संध्या अग्निहोत्री... ये एक बहुत ही सिम्पल और सीधी साधी लड़की है और मिडिल क्लास फैमिली से बिलॉन्ग करती है. उसकी और हमारी दुनिया में जमीन आसमान का फर्क है. तुम्हें लगता है वो यहाँ एक दिन के लिए भी एडजस्ट कर पायेगी? और चलो अगर हम सब इस बात को एक्सेप्ट कर भी लें तो उससे क्या फर्क पड़ता है? क्या आदर्श अंकल उस लड़की को अपनाने के लिए तैयार होंगे?”

कोई कुछ और कह पाता उससे पहले ही वहां वरुण की आवाज गूंजी. “मैं चाहता भी नहीं हूँ कि वो यहाँ पर एडजस्ट करे. मैं बस उसे अपना बनाना चाहता हूँ...किसी भी कीमत पर. और वो मैं करके रहूँगा.”

उसका जवाब सुनकर साहिल और रवि एकदम से शॉक्ड हो गए थे. साहिल ने परेशानी से अपना सिर पकड़ते हुए कहा, “मैं तो हार गया हूँ इसकी जिद के आगे. विक्रम.... अब तुम्ही समझाओ इसे. मेरी तो ये सुनेगा ही नहीं.”

विक्रम ने गुस्से में पंचिंग बैग को किक करते हुए कहा, “समझाने को बाकी क्या रह गया है अब? पागल हो गया है ये लड़का.”

विक्रम का जवाब सुनकर बाकी दोनों कन्फ्यूज हो गए. उन्होंने हैरानी से एक बार वरुण की तरफ देखा जो उन सबको पूरी तरह इग्नोर करके एक बार फिर से अपनी बॉक्सिंग प्रैक्टिस में लग गया था. विक्रम ने एक नजर उसके ऊपर डाली और साहिल और रवि की तरफ देखते हुए बोला, “आओ मेरे साथ... तुम दोनों को कुछ दिखाना है.”

विक्रम उन दोनों को लेकर उस जिम के बेसमेंट में आ गया. यहाँ इतना अँधेरा था कि उन्हें अपने पाँव के नीचे की सीढियां भी नजर नहीं आ रही थी. बड़ी मुश्किल से दीवारों का सहारा लेते हुए वो आगे बढ़ रहे थे.

“ये तुम हमें कहाँ लेकर जा रहे हो?” रवि ने परेशान सी आवाज में पूछा.

“बस चलते रहो... सब समझ आ जायेगा.” विक्रम ने सपाट लहजे में जवाब दिया और आगे बढ़ता रहा. कुछ ही देर में वो तीनों एक रूम के बाहर खड़े थे. दरवाजा लॉक था.

“ये उसका पर्सनल रूम है...” कहते हुए विक्रम ने कुछ कीज प्रेस की और रूम का डोर अनलॉक हो गया.

“तो फिर तुझे इसका पासकोड कैसे मालूम है?” रवि ने हैरानी से पूछा.

विक्रम ने अब तंज कसने वाले अंदाज में जवाब दिया, “क्योंकि प्यार में पागल हर इंसान का पासवर्ड हमेशा एक ही होता है...” इतना कहते हुए उसने रूम की लाइट्स ऑन कर दी. और अंदर का नजारा देखकर रवि और साहिल की आँखें हैरानी से फटी की फटी रह गई. उन दोनों के मुंह से बस एक ही वर्ड निकला, “संध्या...??”

To be continued...