Zidd hai tuje pane ki - 4 books and stories free download online pdf in Hindi

जिद है तुझे पाने की - भाग 4

वरुण ने एक बार अपनी नजरें उठाकर ड्राइवर की तरफ देखा जो अब तक वहीँ खड़ा था.

“कोई और बाकी तो नहीं रह गया?”

उसका सवाल सुनकर ड्राइवर ने कुछ सोचते हुए जवाब दिया, “नहीं सर... लेकिन ये लड़की पिछले कुछ दिनों से आपपर नजर रख रही थी. यहाँ तक कि इसने कॉलेज के कम्प्यूटर लैब से आपके बारे में डिटेल्स भी निकाली थी. मुझे इसके इरादे कुछ ठीक नहीं लग रहे.”

वरुण के चेहरे पर एक तिरछी सी स्माइल आ गई थी. उसने लापरवाही से अपना पैर कॉफी टेबल पर रखते हुए अपनी पीठ सोफे से टिका दी, “मुझे पता है... तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है.”

वरुण के इतना कहते ही ड्राइवर की आँखें हैरानी से फ़ैल गई. उसे सब कुछ पता था फिर भी उसने अब तक संध्या के ऊपर कोई एक्शन नहीं लिया था ये सचमुच हैरानी की बात थी. वरुण ने अब इत्मीनान से एक और सिगरेट सुलगा ली और उसके कश लगाते हुए बोला, “इन्फैक्ट मैं चाहता था कि वो मेरे बारे में खुद ही सब कुछ जान ले. वो क्या है न... खुद अपने मुंह से अपनी तारीफ़ करना मुझे पसंद नहीं.”

ड्राइवर के कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था. लेकिन फिर भी वो खामोश रहा. उसकी भी क्या गलती थी. वो पिछले कुछ दिनों से ही तो वरुण के साथ काम कर रहा था. उसे कहाँ पता था कि वो जिससे बात कर रहा है वो कोई कॉलेज स्टूडेंट नहीं बल्कि इण्डिया के सबसे खतरनाक ड्रग डीलर्स के ग्रुप व्हाईटवॉश का लीडर है. मिस्टर आदर्श रस्तोगी दुनिया को दिखाने के लिए तो एक बहुत बड़े बिजनेस एम्पायर के मालिक थे लेकिन साथ ही उनके कनेक्शंस अंडरवर्ल्ड से भी जुड़े हुए थे. उनका ये ड्रग डीलिंग का धंधा केवल इण्डिया ही नहीं इण्डिया के बाहर भी कई देशों में फैला हुआ था. पिछले कई सालों से व्हाईटवॉश ने दुनिया भर की पुलिस और क्राइम ब्रांच के बड़े बड़े ऑफिसर्स की नाक में दम कर रखा था. आदर्श रस्तोगी ने अब अपने इस बिजनेस में अपने बेटे को भी उतारने का फैसला कर लिया था. लीगल हो या इलीगल ... अपने दोनों ही बिजनेस को खड़ा करने में आदर्श ने बहुत मेहनत की थी. और वो चाहते थे कि उनका बेटा भी उनके इस बिजनेस को आगे लेकर जाए. इसलिए वो खुद ही वरुण को ट्रेंड करते थे. हर रोज करीब दस से बारह घंटे तक वरुण अलग अलग ट्रेनर्स के साथ कड़ी मेहनत करता था. जिसमें उसे शूटिंग, फिजिकल और मेंटल एक्सरसाइज से होकर गुजरना पड़ता था. उसे अपने बिजनेस से रिलेटेड छोटी से बड़ी तक हर बारीकियां भी सीखनी पड़ती थी. ताकि आगे चलकर वो इस पूरे एम्पायर को अच्छी तरह संभाल सके. लेकिन जिस रास्ते पर वो थे वहां केवल ये चीजें काफी नहीं थी. यहाँ कदम कदम पर खतरा था. व्हाईटवॉश के अलावा भी कई ऐसे ग्रुप्स थे जो उनके धंधे के रास्ते में हमेशा टांग अडाने को तैयार रहते थे. उनसे सही तरीके से निपटने के लिए अपने दुश्मनों की कमजोरियां और उनकी खूबियां जानना भी उतना ही जरूरी होता है. कैसे कम से कम टाइम में अपने राइवल्स को मात देने के लिए प्लानिंग करनी है, अपने दुश्मनों को कैसे उनकी चाल में नाकाम करना है और सबसे बड़ी बात अपनी टीम में छुपे आस्तीन के साँपों को कैसे सबके सामने लाना है इन सारी चीजों में वरुण अब माहिर हो चुका था. कनाडा जाकर वरुण ने अपनी बिजनेस की स्टडीज भी कम्प्लीट की. और अब वो पूरी तरह तैयार था. लेकिन अचानक यहाँ इंडिया के बिजनेस में कुछ प्रॉब्लम्स आने की वजह से आदर्श ने उसे यहाँ वापस बुला लिया था. उसका पूरे दिन का शेड्यूल भी काफी हेक्टिक होता था. इस वजह से उसे बाकी लड़कों की तरह प्यार मोहब्बत या ऐसी किसी चीजों के लिए वक्त नहीं मिल पाता था. लेकिन इसका मतलब ये बिलकुल भी नहीं था कि उसे इन चीजों में इंटरेस्ट नहीं था. या फिर यूं कह लें कि उसे तो हमेशा से किसी खास का इन्तजार था. इन्तजार... जो शायद अब खत्म हो चुका था. उस दिन संध्या को पार्किंग एरिया में देखते ही वो उसे तुरंत पहचान गया था. फर्स्ट डे जब उसने जिम के बाहर उसकी आवाज सुनी थी तभी उसे एहसास हो गया था कि संध्या उसके आस पास ही है. उसका छुप छुप कर वरुण का पीछा करना, उसके बारे में जानने के लिए चुपके से कॉलेज की कम्प्यूटर लैब में घुस जाना, उसके लॉकर्स की सफाई करना और स्पेशली इन चिपकू लड़कियों से उसे बचाना ये सब याद करके ही वरुण के होठों पर एक प्यारी सी स्माइल आ गई थी. वो खुद भी संध्या से मिलना चाहता था लेकिन वो चाहता था कि उससे मिलने से पहले खुद संध्या उसके बारे में सब कुछ जान ले ताकि उसके मन में डर या शक जैसी कोई चीज बाकी न रह जाए. और संध्या ... वो तो अब तक यही समझ रही थी कि वरुण को इन सब चीजों के बारे में कुछ पता ही नहीं है.

ड्राइवर ने एक बार कन्फ्यूजन से वरुण की तरफ देखा जो न जाने किन ख्यालों में खोया मुस्कुराए जा रहा था.

“सर ... आप ठीक तो हैं?”

अचानक ड्राइवर की आवाज सुनकर वरुण जैसे अपने ख्यालों से बाहर आ गया.

“क्यों?? मुझे क्या हुआ है?” उसने थोड़े सख्त लहजे मे पूछा.

“जी... आपको आज से पहले कभी स्माइल करते नहीं देखा न .. तो इसलिए...” ड्राइवर ने हिचकिचाते हुए कहा.

“तो...?? तो तुम्हें क्या लगा मुझे स्माइल करना नहीं आता?” वरुण ने उसे ऊपर से नीचे तक घूरते हुए पूछा.

ड्राइवर से कोई जवाब देते नहीं बना. वरुण ने एक बार फिर से वो फ़ाइल उठा ली और बिना उसकी तरफ देखे ही अपने हाथों के इशारे से बोला, “वैसे अच्छा काम किया तुमने... यू मे गो नाउ.”

उसके जाने के बाद वरुण ने एक बार फिर से वो फ़ाइल खोल ली. जिसमें सबसे ऊपर ही संध्या की स्माइल करती हुई एक क्यूट सी तस्वीर लगी हुई थी. एक बार फिर से उसके होठों पर स्माइल आ गई थी. उसने उस तस्वीर को फ़ाइल में से निकाल कर अलग किया और फ़ाइल को उठाकर डस्टबिन में डाल दिया. बेडसाइड टेबल पर से एक फोटो फ्रेम उठाकर उसने संध्या की तस्वीर उसमें डाल दी और अपनी एक उंगली उस तस्वीर पर फिराते हुए वो धीरे से बोला –

“ये सोचना गलत है कि तुमपर नजर नहीं है...

थोड़े मसरूफ जरूर हैं हम, मगर तुमसे बेखबर नहीं हैं....!”

“बहुत जल्दी तुम यहाँ होगी... मेरे पास ... मेरे साथ.... मेरी संध्या...”

_____________

अगले दिन कॉलेज के ब्रेक टाइम में संध्या कैंटीन में एक कॉर्नर में बैठी अपने स्केचेज डिजाइन कर रही थी. अपने काम में वो इतनी मशगूल थी कि उसे आसपास की कोई खबर ही नहीं थी. अचानक पीछे से आकर किसी ने उसके हाथों से पेन्सिल छीन ली. संध्या ने इरिटेट होते हुए पीछे देखा लेकिन वहां समीरा और उसके साथ आकाश और मयंक को देखते ही उसका सारा गुस्सा जैसे एक ही पल में गायब हो गया. आकाश और मयंक भी समीरा के साथ ही एनआईए में बतौर ट्रेनी काम कर रहे थे. समीरा की उन दोनों से काफी अच्छी दोस्ती हो गई थी और अब संध्या की भी. शुरू शुरू में दोनों ने अपने हमशक्ल होने का फायदा उठाते हुए इन दोनों को खूब परेशान किया था. मगर फिर जल्दी ही उन दोनों को इसकी आदत हो गई. संध्या ने तुरंत खड़े होते हुए उन सबको एक ग्रुप हग दिया और फिर एकदम से एक्साइटेड होते हुए बोली, “तुम लोग कब आये? मुझे तो लगा था आज तुम्हारी कोई क्लास नहीं है?”

समीरा ने बोरियत से टेबल पर पड़ा एक स्केच अपने हाथ में उठाते हुए जवाब दिया, “जब तुम इसमें बिजी थी. कितनी बार कहा है अपनी इन किताबों और स्टडी की दुनिया से बाहर निकलकर भी देखो. और भी बहुत कुछ है लाईफ में करने को.... लेकिन नहीं... इतने सालों बाद मुझे एक बहन मिली भी तो वो इतनी बोरिंग है कि उसके पास मेरे साथ घूमने और टाइम स्पेंड करने का टाइम ही नहीं है. कितनी अनलकी हूँ मैं.” समीरा ने एकदम से सैड फेस बनाते हुए कहा. आकाश और मयंक को उसकी ये जबरदस्त वाली एक्टिंग देखकर हंसी आ रही थी. संध्या ने अब चिढते हुए उसके हाथों से अपना स्केच छीन लिया, “ओह प्लीज... खुद तुम्हारे पास कितना टाइम होता है? तुम तीनों का आधा टाइम तो अपनी ट्रेनिंग में ही चला जाता है और बाकी बचा हुआ टाइम स्टडीज में. और रही बात घूमने फिरने और मस्ती करने की तो उसके लिए गुड्डी काफी है. उसका बस चले तो वो पूरा दिन बस तुम्हारे साथ ही घूमती रहेगी. अब तो उसे मेरी याद भी नहीं आती. माँ पापा भी मुझसे ज्यादा अब तुमसे ही प्यार करते हैं क्योंकि तुम भी अब पापा की तरह एनआईए का हिस्सा बनने जा रही हो. सब कितना प्यार करते हैं तुमसे. इसलिए दोबारा कभी मत कहना कि तुम अनलकी हो.”

अचानक से वहाँ का माहौल इतना इमोशनल हो गया कि संध्या और समीरा दोनों की ही आँखों में आंसू आ गए थे. ये देखकर मयंक और आकाश ने अपना सिर पीट लिया, “तुम दोनों बहनों को रोने के सिवा और कुछ नहीं आता क्या?”

आकाश ने झपटते हुए वो स्केच संध्या के हाथ से छीन लिया और उसे गौर से देखते हुए बोला, “ये क्या खटारा गाड़ियों की तस्वीरें बनाती रहती हो? इतना हैंडसम लड़का तुम्हारे सामने खड़ा है. कभी उसका स्केच बनाने के लिए भी ट्राई करो. फिर देखना अपनी इस ड्रॉइन्ग की क्लास में तुम्हीं टॉप करोगी.”

संध्या ने भी उठकर हैरानी से इधर उधर देखते हुए कहा, “हैंडसम लड़का?? कहाँ है.... मुझे तो दिख ही नहीं रहा.”

आकाश ने अब थोड़ी नाराजगी से उसकी तरफ देखा तो संध्या को हंसी आ गई. “अब लाओ मेरा स्केच वापस करो.” लेकिन अगले ही पल आकाश ने खड़े होते हुए अपना हाथ ऊपर उठा दिया. संध्या की हाईट उससे काफी कम थी. उसका हाथ वहां तक पहुँच ही नहीं रहा था.

“आकाश क्या कर रहे हो... मेरा स्केच वापस करो.” संध्या ने एक बार उछल कर उसके हाथ से स्केच छीनने की कोशिश करते हुए कहा. लेकिन आकाश ने फुर्ती से अपना हाथ और ऊपर उठा दिया. समीरा और मयंक बस चुपचाप उन दोनों के इस नोक झोंक के मजे ले रहे थे. संध्या ने दो तीन बार कोशिश की लेकिन वो उससे अपना स्केच नहीं ले पायी. झल्लाहट के कारण अब उसकी आँखों में आंसू आने लगे थे. अभी वो गुस्से में अपनी चेयर पर वापस बैठने ही जा रही थी कि अचानक पीछे से एक तेज आवाज सुनकर सबका ध्यान उस तरफ चला गया.

“सुना नहीं तुमने?? संध्या ने क्या कहा?? उसका स्केच वापस करो... इसी वक्त.” उन चारों ने चौंकते हुए पीछे देखा जहाँ वरुण खड़ा गुस्से भरी नजरों से आकाश की तरफ देख रहा था. संध्या अचानक उसे यहाँ देखकर शॉक्ड हो गई थी. लेकिन वरुण ने एक बार भी उसकी तरफ नहीं देखा. धीरे धीरे एक एक कदम आगे बढाते हुए वो आकाश के करीब आ गया. आकाश अब भी कन्फ्यूजन से उसकी तरफ देख रहा था. वरुण ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और उसके हाथ से वो सारे स्केचेज छीन लिए. मयंक संध्या और समीरा हैरानी से आँखें फाड़े ये सब कुछ देख रहे थे. वरुण रस्तोगी... जो कभी किसी से बात तक नहीं करता... वो आज यहाँ कैंटीन में खड़ा उन सबकी बातों में इंट्रस्ट ले रहा है? आकाश के हाथ से वो सारे स्केचेज लेकर वरुण ने संध्या की तरफ बढ़ा दिए.

“तुम्हें किसी से डरने या परेशान होने की जरूरत नहीं है. मैं हूँ न... अब से मैं हमेशा तुम्हारा ध्यान रखूँगा. कोई तुम्हें परेशान नहीं करेगा.”

“लेकिन वरुण... तुम्हें मिसअंडरस्टैंडिंग हुई है. आकाश तो बस मजाक कर रहा था... वो मेरा फ्रेंड है...” अभी संध्या की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि वरुण ने तेजी से पीछे पलटते हुए आकाश के चेहरे पर एक जबरदस्त पंच लगा दिया. अचानक इस अटैक के लिए वो बिलकुल भी तैयार नहीं था. लडखडाते हुए पीछे की दीवार से टकराकर वो नीचे गिर गया. संध्या, समीरा और मयंक ने जब ये नजारा देखा तो वो एकदम से शॉक्ड हो गए.

“हे ...वाट्स रॉन्ग विद यू? तुम्हारा दिमाग तो ठीक है?” मयंक ने गुस्से से चिल्लाते हुए कहा और तुरंत आकाश की तरफ दौड़ा जो अब तक जमीन पर पड़ा हुआ था. समीरा ने तुरंत उसे सहारा देकर उठाते हुए पूछा, “तुम ठीक तो हो?” आकाश ने बस हाँ में अपनी गर्दन हिला दी. संध्या ने जैसे ही उसके करीब जाने की कोशिश की वरुण ने तुरंत उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींच लिया. उसने अपना हाथ छुडाने की कोशिश की लेकिन वो कुछ समझ पाती उससे पहले ही वो उसे लेकर कैंटीन से बाहर निकल गया.

“वरुण क्या कर रहे हो? कहाँ ले जा रहे हो मुझे?” संध्या ने अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा. लेकिन वरुण तो जैसे उसकी कोई बात सुन ही नहीं रहा था. उसे लेकर वो सीधा कॉलेज में ही बने एक छोटे से क्लिनिक में आ गया.

“तुम मुझे यहाँ क्यों लेकर आये हो?” संध्या ने हैरानी से उसकी तरफ देखते हुए पूछा.

“तुम्हें चोट लगी है. मुझे उसका ट्रीटमेंट करने दो.” वरुण ने उसे वहीँ एक चेयर पर बिठाते हुए कहा. संध्या ने हकबकाते हुए से अपने हाथ पैरों पर एक सरसरी सी नजर डाली. और अगली ही पल वरुण ने उसका हाथ पकड़ कर उसके सामने कर दिया. वाकई उसपर एक बड़ा सा खरोंच का निशान था जिसमें से हल्का सा खून भी आ रहा था. संध्या को खुद भी हैरानी हुई कि उसे ये चोट कब लगी? और उससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात तो ये थी कि खुद उसे इस बारे में पता नहीं था तो फिर वरुण को ये कैसे नजर आ गया?

“वरुण... थैंक यू सो मच लेकिन मैं ठीक हूँ. इन सबकी कोई जरूरत नहीं है.” कहते हुए संध्या ने चेयर से उठने की कोशिश की लेकिन उससे पहले ही वरुण ने उसके शोल्डर्स को प्रेस करते हुए उसे वापस बैठने पर मजबूर कर दिया.

“यार कितनी केयरलेस हो तुम? चोट तुम्हें लगी है और तुम्हें खुद को ही इस बारे में पता नहीं है. अब तुम तो खुद का ख्याल रखती नहीं हो एटलीस्ट मुझे तो अपनी फ्रेंड का ख्याल रखने दो.” उसने एकदम से सैड फेस बनाते हुए कहा. संध्या कोई जवाब दे पाती उससे पहले वरुण ने पास पड़ा फर्स्ट एड बॉक्स उठाया और उसमें से एंटीसेप्टिक निकाल कर उसके हाथ पर लगे कट को साफ करने लगा. साथ मे वो केयरफुली उसके हाथ पर फूंक भी मारता जा रहा था. इस वक्त वो इतना सीरियस होकर अपना काम कर रहा था जैसे दुनिया में इससे ज्यादा जरूरी कोई दूसरा काम हो ही नहीं सकता. इतनी छोटी सी खरोंच के लिए भी उसकी इतनी ज्यादा फ़िक्र देखकर संध्या को अब हंसी भी आ रही थी. उसके हाथ पर दवाई लगाने और बैंडेज करने के बाद जब वरुण ने अपनी नजरें उठायी तो संध्या स्माइल करते हुए उसी की तरफ देख रही थी.

“तुम हंस क्यों रही हो? यहाँ कोई मजाक चल रहा था क्या?” वरुण ने अब चिढते हुए पूछा. संध्या को अब जोरों की हंसी आने लगी थी.

“ये मजाक नहीं तो और क्या है? एक हल्की सी खरोंच पर भी तुमने ये बैंडेज किया है? सीरियसली?? तुम तो ऐसे परेशान हो रहे हो जैसे पता नहीं मुझे कितनी ज्यादा चोट आ गई है.” कहते कहते संध्या जोर जोर से हँसने लगी. वरुण ने जब उसे हँसते हुए देखा तो उसके होठों पर भी स्माइल आ गई. उसने अब संध्या की आँखों में देखते हुए कहा, “तुम्हारे लिए ये छोटी सी खरोच होगी. मेरे लिए तो ये भी बहुत बड़ी बात है. मैं तुम्हें जरा सी भी तकलीफ में नहीं देख सकता. क्योंकि तुम्हारी छोटी से भी छोटी तकलीफ से मुझे सबसे ज्यादा दर्द होता है.” कहते कहते अचानक वरुण की आवाज एकदम गहरी हो गई थी. उसकी आवाज और उसकी नजरों में कुछ ऐसा था जिसने संध्या के दिल की धडकनें बढ़ा दी थी. उसने तुरंत अपनी नजरें उसकी तरफ से हटाते हुए कहा, “वो... तुम्हें आकाश को मारना नहीं चाहिए था. वो मेरा फ्रेंड है. वो तो बस यूं ही मेरे साथ मजाक कर रहा था. वो मुझे परेशान नहीं कर रहा था. तुम्हें शायद कोई मिसअंडरस्टैंडिंग हो गई है.”

संध्या की बात सुनकर एक पल को वरुण की आँखों में गुस्से की एक लहर सी तैर गई लेकिन अगले ही पल अपने इस गुस्से को उसने एक स्वीट सी स्माइल के पीछे छुपा लिया, “ओह ... आई एम रियली सॉरी... मुझे पता नहीं था वो तुम्हारा फ्रेंड है. लेकिन फिर भी अपने फ्रेंड से कह देना कि आगे से वो तुम्हें परेशान न करे. वरना मैं फिर से उसकी पिटाई कर दूंगा.” वरुण ने मजाकिया लहजे में अपना एक पंच हवा में लहराते हुए कहा और संध्या को फिर से जोरों की हंसी आ गई.


To be continued...

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