Zidd hai tuje pane ki - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

जिद है तुझे पाने की - भाग 3

वरुण ने तय कर लिया था आज वो हर हाल में पता लगाकर रहेगा कि उसके पीछे कौन आकर इस कॉलेज की क्रेजी गर्ल्स के सारे लव नोट्स उसके लॉकर्स से हटाकर चला जाता है. उसकी कार खराब हो गई थी सो आज वो अपनी न्यू कार से कॉलेज आया था. हमेशा की तरह वो आकर चुपचाप क्लास में बैठ गया. प्रोफेसर अपने लेक्चर में न जाने क्या क्या समझा रहे थे लेकिन उसका ध्यान तो अब भी अपने उस सीक्रेट हेल्पर पर ही टिका हुआ था. अचानक बीच क्लास में वो अपने जगह से उठ कर खड़ा हो गया. प्रोफेसर के साथ साथ सारे स्टूडेंट्स ने भी हैरानी से उसकी तरफ देखा.

“सर... मेरे कुछ नोट्स लॉकर रूम में रह गए हैं. मै बस वो लेकर आ रहा हूँ.” उसने एक्सप्लेन करते हुए कहा. प्रोफेसर ने फिर उससे कुछ और नहीं पूछा और उसे बाहर जाने की परमिशन दे दी. वरुण तेज क़दमों से चलते हुए लॉकर रूम में पहुँच गया. उसने तुरंत अपना लॉकर चेक किया. वो पूरी तरह साफ़ था. शायद उसके आने से पहले ही उसका वो सीक्रेट हेल्पर अपना काम करके जा चुका था. आज एक बार फिर से वो उससे मिल नहीं पाया था. आखिर में डिसअपोइंटमेंट से भरकर वो वापस क्लास की तरफ बढ़ गया. कॉरिडोर से होकर गुजरते हुए उसकी नजर नीचे पार्किंग में खड़ी अपनी कार पर चली गई और वो एकदम से शॉक्ड हो गया.

“व्हाट द हेल... इन स्टुपिड लड़कियों का अब सीरियसली कुछ करना पड़ेगा.” वरुण को अब बेहद तेज गुस्सा आने लगा था. दरअसल उसकी नयी चमचमाती कार इस वक्त लाल, नीले, पीले और गुलाबी रंग के नोट्स से अटी पडी थी. शायद लॉकर में लव नोट्स और फोन नंबर रखने का कोई खास फायदा न होने से आज सारी लड़कियों ने उसकी खूबसूरत कार को अपना निशाना बनाया था. जाहिर है यहाँ वरुण उन्हें नोटिस जरूर करता. वरुण ने नोटिस किया जरूर लेकिन अपनी कार की ये हालत देखकर उसका गुस्से से खून खौल रहा था. उसने अपने ड्राइवर से साफ़ साफ़ कहा था कि उसे अपनी कार पर किसी भी तरह की गंदगी या कोई निशान नहीं चाहिए इसलिए वो उसका खास ख्याल रखे. लेकिन फिलहाल उसका भी कहीं अता पता नहीं था. कार के शीशों पर लिपस्टिक से बने मार्क्स भी नजर आ रहे थे. ये सब देखकर वरुण का गुस्सा अब आउट ऑफ कंट्रोल होने लगा था. अभी वो नीचे जाने के लिए मुड ही रहा था कि तभी कुछ ऐसा हुआ जिसे देखकर उसके कदम अपनी ही जगह पर रुक गए. अचानक एक लड़की वहां आई और उसकी कार पर लगे सारे नोट्स और लव लेटर को एक एक करके वहां से हटाने लगी. ऊपर से देखने के कारण वरुण को उसक चेहरा नजर नहीं आ रहा था. उसने अपने बालों की एक सिम्पल सी पोनी टेल बना रखी थी और एक व्हाइट शर्ट के साथ ब्लू कलर की स्कर्ट पहन रखी थी. काम करते वक्त बार बार उसके बाल उसके चेहरे पर आकर उसे परेशान कर रहे थे सो उसने आखिर में उन्हें क्लिप की मदद से समेट कर उनका बन बना लिया और वापस अपना काम करने लगी. ये देखकर वरुण के चेहरे पर स्माइल आ गई. उस लड़की ने वो सारे नोट्स और लव लेटर्स उठाकर उन्हें डस्टबिन में डाल दिया. उसके बाद उसने अपने बैग में से एक कपडे का टुकड़ा और पानी की बोटल निकाली और कार के ऊपर लगे हुए लिपस्टिक के मार्क्स भी साफ़ करने लगी. सिर्फ दस मिनट के अंदर ही वो कार पहले की तरह चमचमाने लगी थी. वरुण तो उसे देखने में इतना खो गया था कि उसे बाकी कुछ भी याद ही नहीं रह गया था. अपना काम खत्म करने के बाद उस लड़की ने कार को एक नजर देखा और खुश होते हुए बोली, “परफेक्ट.... कही कोई निशान बाकी नहीं रह गया.”

वरुण को जब महसूस हुआ कि वो अब जाने ही वाली है तब जाकर वो जैसे होश में आया. बिना एक भी पल गँवाए वो तेजी से नीचे की तरफ दौड़ा. अपना सामान वापस अपने बैग में रखकर संध्या जैसे ही जाने के लिए मुडी अपने सामने वरुण को खड़ा देखकर हैरानी से उसकी आँखें फ़ैल गई. उसे इस वक्त ऐसा लग रहा था जैसे उसकी सबसे बड़ी चोरी वरुण ने पकड़ ली हो. वरुण भी उसे अपने सामने देखकर बुरी तरह चौंक गया था.

“संध्या... राइट??” उसने दिमाग पर जोर डालते हुए पूछा. संध्या ने बस हाँ में अपनी गर्दन हिला दी.

“तुम यहाँ कैसे... आई मीन तुम इसी कॉलेज में पढ़ती हो?” वरुण ने हैरानी से उसकी तरफ देखते हुए पूछा.

संध्या के समझ में ही नहीं आ रहा था अचानक क्लासेज के बीच में वरुण यहाँ कैसे आ गया. वो तो न जाने कबसे उसके सामने आने से बच रही थी लेकिन आज सब गडबड हो गई थी. उसकी हेल्प करने की कोशिश में वो खुद बुरी तरह फंस गई थी. उसने अपना सिर झुकाते हुए एक बार फिर से हाँ में अपनी गर्दन हिला दी. ये देखकर वरुण को हल्की सी हंसी आ गई.

“लास्ट टाइम जब मैंने चेक किया था तब तो तुम्हारी साउंड क्वालिटी काफी अच्छी थी. अभी सिस्टम में कुछ फॉल्ट आ गया है शायद... चेक करना पड़ेगा.” वरुण ने थोडा सीरियस होते हुए उसके चेहरे की तरफ देखकर कहा.

संध्या ने हैरानी से अपनी नजरें उठाकर उसकी तरफ देखा, “क्या मतलब?”

“फाइनली... कुछ आवाज तो आई. वरना मुझे तो लगा था तुम्हारा स्पीकर खराब हो गया है.” वरुण ने अब हँसते हुए कहा. उसकी मजाक करने की आदत आज भी नहीं गई थी. कुछ भी तो नहीं बदला था. वो आज भी वैसा ही था. संध्या ने अब थोड़ी हिचकिचाहट के साथ उसकी तरफ देखते हुए पूछा, “कैसे हो तुम?”

“खड़ा तो हूँ तुम्हारे सामने... खुद ही देख लो.” वरुण ने एक हल्की सी स्माइल के साथ अपने हाथ बांधते हुए कहा. संध्या से अब और नहीं रहा गया. उसके अंदर अब भी इस बात का गिल्ट मौजूद था कि उसकी वजह से वैभव की जान चली गई थी.

“वरुण क्या तुम मुझसे नाराज हो? आई मीन वैभव के साथ जो भी हुआ उसके बाद .... मै काफी पहले से तुमसे इस बारे में बात करना चाह रही थी लेकिन तुम्हारे सामने आने की मेरी हिम्मत ही नहीं हुई.” कहते कहते संध्या की आवाज लडखडा गई. वरुण ने तुरंत आगे बढते हुए उसके कंधे पर अपने हाथ रख दिए, “हे रिलैक्स... तुम अब भी उस बात को लेकर बैठी हो? जो भी हुआ उसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं थी ओके? वैभव ने जो कुछ भी किया उसे उसकी सजा मिली. इसके लिए तुम्हें गिल्ट में रहने की कोई जरूरत नहीं है.”

लेकिन वरुण के इतना कहने के बावजूद भी संध्या के चेहरे पर अब तक उदासी ही नजर आ रही थी. ये देखकर उसने बात को बदलने की गरज से पूछा, “वैसे तुम मेरी कार क्यों साफ़ कर रही थी?”

अचानक उसका सवाल सुनकर संध्या बुरी तरह हडबडा गई. “वो मै... मै बस...”

“मैं ...बस क्या??” कहते हुए वरुण अचानक उसके एकदम करीब आ गया. ये देखकर संध्या ने घबराहट में अपने कदम पीछे हटाये और सीढी के एक छोर पर पैर पड़ने की वजह से उसके कदम लडखडा गए. लेकिन वो गिर पाती उससे पहले ही वरुण ने उसे अपनी बाहों में थाम लिया. उसने एक झटके से संध्या को अपने करीब खींच लिया और उसकी आँखों में देखते हुए बोला, “कहीं तुम्हें मुझसे प्यार तो नहीं हो गया? शायद इसलिए किसी और लड़की का मेरे करीब आना तुम्हें अच्छा ही नहीं लगता. तभी तुम उन्हें मुझसे दूर करने की कोशिश कर रही हो राइट?”

उसे अपने इतने करीब देखकर संध्या का दिल इतनी तेजी से धडक रहा था जैसे अभी के अभी उसके सीने को चीरते हुए बाहर आ गिरेगा.

“क...क्या बकवास कर रहे हो? मैं ऐसा क्यों करूंगी?” संध्या ने उसकी पकड़ से छूटने की कोशिश करते हुए कहा. लेकिन वरुण ने उसे नहीं छोड़ा.

“रियली?? पिछले कुछ दिनों से मेरे लॉकर से उन लड़कियों के सारे लव लेटर्स और फोन नम्बर्स हटाने वाली तुम्ही हो न? तुम्हें क्या लगा था मुझे ये सब पता नहीं चलेगा...हम्म?” वरुण ने उसके चेहरे पर आये बालों को पीछे करते हुए कहा. वरुण ने इतनी सीरियसली ये सारी बातें कही थी कि संध्या अब एकदम से पैनिक होने लगी थी.

“मैं ऐसा कुछ नहीं कर रही थी ओके... मैं तो बस तुम्हारी हेल्प करना चाहती थी. मुझे नहीं पता था इन सब से तुम्हें इतनी बड़ी मिसअंडरस्टैंडिंग हो जायेगी.” कहते कहते संध्या की आँखों में आंसू आ गए.

वरुण ने जब उसकी आँखों में आंसू देखे तो तुरंत उसे खुद से दूर करते हुए बोला, “अरे मैं तो बस मजाक कर रहा था. तुम तो इतनी सीरियस हो गई.” संध्या ने कन्फ्यूजन से उसकी तरफ देखा. सच तो ये था कि एक बार को उसे ऐसा लगा था जैसे उसके सामने वरुण नहीं वैभव खड़ा है. बस इस एक ख्याल भर से ही डर उसकी हालत खराब हो गई थी. उसे चुप देखकर वरुण ने अपना हाथ उसके आगे करते हुए कहा, “फ्रेंड्स??”

संध्या अब भी तय नहीं कर पा रही थी कि उसे क्या करना चाहिए. ये देखकर वरुण ने आगे कहा, “जो भी हुआ उसे हम बदल तो नहीं सकते... लेकिन सब कुछ भूलकर एक नई शुरुआत तो कर सकते हैं.”

संध्या को अब भी चुप देखकर वरुण ने अब अपना गला साफ़ करते हुए कहा, “सोच लो... वरुण रस्तोगी खुद सामने से आकर तुम्हें फ्रेंडशिप ऑफर कर रहा है. ऐसी किस्मत सबकी नहीं होती. यहाँ की सारी लड़कियां मुझसे फ्रेंडशिप करने के लिए मरी जा रही हैं... अब अगर तुमने मना किया तो... तो मैं उन सबसे फ्रेंडशिप कर लूँगा. हाँ उन चिपकू लड़कियों से थोड़ी सी प्रॉब्लम होगी ...बट मैं बर्दाश्त कर लूँगा.” वरुण ने सेड फेस बनाते हुए कहा. उसकी शकल देखकर संध्या को हंसी आ गई. फाइनली.... उसे हँसते देखकर वरुण की जान में जान आई.

“तो अब मैं ये रिश्ता पक्का समझूँ?” वरुण ने उसकी तरफ देखकर स्माइल करते हुए पूछा.

अब तो संध्या से अपनी हंसी कंट्रोल ही नहीं हो रही थी. उसने बस हँसते हुए हाँ में अपनी गर्दन हिला दी. संध्या को अपनी क्लास के लिए लेट हो रहा था सो वो उसे बाय बोलकर तेजी से अपनी क्लास के लिए चली गई. वरुण उसे तब तक जाते हुए देखता रहा जब तक कि वो उसकी नजरों से गायब नहीं हो गई.

“सर... आज आप इतनी जल्दी आ गए?” अचानक अपने ड्राइवर की आवाज सुनकर वरुण चौंकते हुए पीछे पलटा. सामने उसका ड्राइवर खड़ा हैरानी से उसकी तरफ देख रहा था.

“कहाँ थे तुम? मैंने तुमसे कहा था न मेरी गाड़ी का ध्यान रखना. तुम्हें पता है न मुझे जरा सी भी गंदगी बर्दाश्त नहीं है. फिर इतनी बड़ी लापरवाही तुमसे हुई कैसे?” उसने भरसक अपने गुस्से को दबाने की कोशिश करते हुए पूछा.

ड्राइवर ने एक नजर गाड़ी की तरफ मारी जो एकदम साफ़ सुथरी चमक रही थी. उसकी समझ में ही नहीं आया कि वरुण उसे किस गलती के लिए डांट रहा है. लेकिन उससे बहस करने की हिम्मत उसके अंदर नहीं थी. उसने चुपचाप अपना सिर झुकाते हुए कहा, “सॉरी सर... आदर्श सर का कॉल आ गया था. उन्होंने मुझे अर्जेंटली किसी काम से बुला लिया था इस वजह से मुझे जाना पड़ा.”

वरुण कुछ पलों तक उसे घूरता रहा और फिर बोला, “ठीक है... लेकिन आगे से ऐसी गलती नहीं होनी चाहिए.”

अचानक वरुण के आगे संध्या का चेहरा तैर गया और उसके होठों पर एक हल्की सी स्माइल आ गई. ड्राइवर गाड़ी निकालने जा ही रहा था कि वरुण ने उसे रोकते हुए कहा, “गाड़ी की चाबी मुझे दे दो... मैं खुद चला जाऊँगा. तुम्हें यहीं रूककर मेरा एक काम करना है.”

ड्राइवर ने सवालिया नजरों से उसकी तरफ देखा और वरुण ने तुरंन्त अपना मोबाईल निकालकर उसके सामने कर दिया, “मुझे कल तक इस लड़की के बारे में सारी इन्फॉर्मेशन चाहिए. कहाँ रहती है... किससे मिलती है... इसके फ्रेंड्स ... घर में कौन है... सब कुछ जानना है मुझे...”

ड्राइवर ने एक बार फोन में मौजूद लड़की की तस्वीर को गौर से देखा और तुरंत अपना सिर हिलाते हुए बोला, “ओके सर... मैं पता लगाता हूँ.”

वरुण ने अपना फोन वापस अपनी पॉकेट में डाला और ड्राइवर के हाथ से चाबी लेकर वहां से निकल गया.

अगले दिन वरुण अपने कमरे में बैठा लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था. तभी डोर नॉक करने की आवाज आई.

“कम इन...” वरुण ने बिना डोर की तरफ देखे ही जवाब दिया.

“सर... आपने जो भी इन्फॉर्मेशन मंगवाई थी वो सब इसमें है.” कहते हुए ड्राइवर ने एक फ़ाइल वरुण की तरफ बढ़ा दी. फ़ाइल के ऊपर संध्या की एक पिक्चर लगी हुई थी. इसके साथ ही उसके बारे में सारी इन्फॉर्मेशन उसमें मौजूद थी. वरुण ने एक बार फ़ाइल के ऊपर एक सरसरी सी नजर डाली और उसे लापरवाही से एक तरफ फेंक दिया. उसने अपनी पॉकेट से एक सिगरेट निकाल ली और लाइटर से उसे सुलगाने लगा. ये देखकर ड्राइवर ने बोलना शुरू किया, “सर इनका नाम संध्या अग्निहोत्री है. उम्र बाईस साल... इनकी फैमिली में इनके पैरेंट्स के अलावा दो बहनें भी हैं. एक छोटी बहन है जो अभी हाई स्कूल में है और दूसरी इनकी जुड़वाँ बहन है... समीरा. जो इनके साथ ही कॉलेज में पढ़ती है.” समीरा का नाम सुनकर सिगरेट सुलगाते हुए एक पल के लिए वरुण के हाथ रुक गए थे. लेकिन फिर उसने लापरवाही से पूछा, “हॉबीज?”

“सर इन्हें म्यूजिक और स्केचेज बनाने का शौक है. ज्यादातर ये कार डिजाइनिंग के स्केचेज बनाती हैं.” ड्राइवर ने जवाब दिया. वरुण ने सिगरेट का एक कश लगाते हुए पूछा, “फ्रेंड्स??”

“सर इनके कोई खास फ्रेंड्स नहीं हैं. ज्यादातर ये अपनी बहन के साथ ही वक्त बिताती हैं. हाँ ... एक लड़का जरूर है जो इन्हें पसंद करता है. अक्सर वो कॉलेज में भी इनके करीब आने और इनसे बातें करने की कोशिशें करता रहता है.”

ड्राइवर की ये आखिरी लाइन सुनकर गुस्से से वरुण की मुट्ठियाँ कस गई थी. “कौन है वो?”

“सर उसका नाम तन्मय है... तन्मय भाटिया.” ड्राइवर ने याद करते हुए बताया.

इसी के साथ वरुण ने सिगरेट का आखिरी कश लगाया और उसे मसलते हुए एश ट्रे में डाल दिया.


To be continued...

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