Zidd hai tuje pane ki - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

जिद है तुझे पाने की - भाग 2

“ओह गॉड... फिर से लेट हो गई मैं तो आज.” संध्या ने अपनी रिस्ट वॉच पर एक नजर डाली और कॉरिडोर में और तेजी से अपने कदम आगे बढ़ा दिए. आज कॉलेज के असाइनमेंट सबमिट करने की लास्ट डेट थी. लेकिन हमेशा की तरह आज वो फिर से लेट हो गई थी. अपने हाथ में पकडे पेपर्स को संभालते हुए वो तेजी से आगे बढ़ती जा रही थी. अचानक हवा का एक तेज झोंका आया और फ़ाइल में से कुछ पेपर्स निकलकर वहीँ कॉरिडोर में बिखर गए.

“अरे यार ...एक तो मैं वैसे ही लेट हो चुकी हूँ ऊपर से अब ये भी होना था.” नीचे झुकते हुए वो जल्दी जल्दी अपने पेपर्स उठाने लगी. तभी अचानक एक जोरदार पंच की आवाज वहां गूंजी. संध्या ने चौंकते हुए कॉरिडोर के दूसरी तरफ देखा. आवाज जिम से आ रही थी. जिम का डोर ओपन होने की वजह से अंदर की चीजें क्लियर नजर आ रही थी. अंदर कोई लड़का था जो पंचिंग बैग के ऊपर बॉक्सिंग प्रैक्टिस कर रहा था. उसकी पंचेज इतनी जोरदार थी कि यहाँ बाहर तक आवाजें आ रही थी. साथ में उसके कोच भी थे जो उसे लगातार इंस्ट्रक्शन दे रहे थे. हर बार पंचिंग बैग को हिट करने के साथ उसकी मसल्स भी एकदम उभर कर सामने नजर आने लगती थी. शायद वो काफी देर से प्रैक्टिस कर रहा था इस वजह से उसके पूरे कपडे पसीने से भीग गए थे. संध्या को उसका चेहरा नजर नहीं आ रहा था लेकिन न जाने क्यों उसे देखने के बाद ये भी भूल गई थी वो अपनी क्लासेज के लिए लेट हो रही थी.

“वेल डन माय बॉय... आज के लिए इतना काफी है. बाकी की प्रैक्टिस हम कल करेंगे. नाउ गो फॉर योर क्लासेज.” कोच ने उसकी तरफ टॉवेल बढाते हुए कहा. उसने अपनी बॉक्सिंग ग्लव्ज उतार दी और टॉवेल लेकर अपने चेहरे और बॉडी पर आयी पसीने की बूंदों को सुखाने लगा. इसी दौरान वो हल्का सा पलटा और संध्या को जैसे इस दुनिया का सबसे बड़ा वाला झटका लगा.

“व... वैभव...”

अपने पीछे से किसी लड़की की आवाज सुनकर वो चौंकते हुए पीछे मुड़ा. लेकिन इससे पहले कि वो उसे देख पाता संध्या तुरंत वहीँ एक पिलर के पीछे छुप गई. घबराहट के मारे उसकी साँसें एक दम तेज चलने लगी थी. उसने कसकर अपनी आँखें बंद करते हुए एक गहरी सांस ली और अपनी घबराहट को कम करने की कोशिश करने लगी.

उस लड़के ने एक बार जिम के बाहर कॉरिडोर में एक नजर दौड़ाई और फिर अपना सिर झटकते हुए वापस अंदर चला गया. उसके जाने के बाद संध्या ने राहत की सांस ली और पिलर से अपना सिर टिका दिया.

“क्या वो सचमुच वापस आ गया है? लेकिन क्यों? और वो यहाँ मेरे कॉलेज में क्या कर रहा है?” ये सवाल संध्या के दिल पर किसी हथौड़े की तरह चोट कर रहा था. लेकिन फिलहाल क्लासेज के लिए जाना ज्यादा जरूरी था. सो सब कुछ भूलकर उसने क्लास की तरफ दौड लगा दी.

उस किडनैपिंग वाले इंसिडेंट को करीब चार साल बीत चुके थे. इतने साल बीत जाने के बाद भी जब आज उसने उसे देखा तो एक पल में ही उसे पहचान गई थी. कैसे भूल सकती थी वो उस चेहरे को? वैभव ने जब उसे समीरा समझकर किडनैप किया था और उसे अपने फ़ार्म हाउस पर बंद करके उसे महीनों टॉर्चर करता रहा था. इन सारी चीजों में बस एक ही चीज अच्छी हुई थी और वो ये कि उसे उसकी बहन समीरा मिल गई थी. वो बहन जिसके बारे में उसे पता तक नहीं था. बड़ी मुश्किल से दोनों बहनें वैभव के जुड़वाँ भाई वरुण की मदद से वहां से निकलने में कामयाब हो पायी थी. लेकिन उसके चंगुल से छूटने की कोशिश में वैभव को गोली लग गई थी. बाद में वरुण ने बताया था कि उसकी मौत हो गई है. ये सारी चीजें संध्या के जेहन में किसी डरावने मंजर की तरह कैद होकर रह गए थे. पिछले कुछ सालों में संध्या भी अब धीरे धीरे सब कुछ भूलकर नॉर्मल लाईफ जीने लगी थी. शुरू शुरू में उसे इन सारी चीजों से उबरने में काफी वक्त लगा था. लेकिन फिर उसके पैरेंट्स ने उसे समझाया कि उसे सब कुछ भूलकर अपना पूरा ध्यान अपने पैशन पर लगाना चाहिए.

संध्या को कार डिजाइनिंग का बहुत शौक था. पढ़ाई में हमेशा अच्छी होने की वजह से उसका एडमिशन सबसे बेस्ट इंजीनियरिंग कॉलेज में हुआ था. फिलहाल वो अपने फाइनल सेमेस्टर में थी. समीरा ने भी अपनी आगे की स्टडी कंटीन्यू कर दी थी. उसने ड्रग डीलर्स को पकडवाने में पुलिस की भी काफी हेल्प की थी. उसके बेहतर काम को देखने और ये जानने के बाद कि वो मिस्टर अतुल अग्निहोत्री की बेटी है, एनसीबी ने उसे जॉब ऑफर की थी. फिलहाल वो अपने ट्रेनिंग पीरियड में थी. लेकिन साथ ही साथ अपनी स्टडी भी कंटीन्यू कर रही थी. क्लासेज के दौरान भी संध्या को बार बार सुबह वाला इंसिडेंट ही याद आ रहा था. किसी तरह क्लास खत्म करने के बाद वो जैसे ही बाहर निकली उसे समीरा बाहर अपना इन्तजार करती हुई मिल गई. संध्या ने जब उसे देखा तो उसके चेहरे पर स्माइल आ गई. हूबहू उसकी कार्बन कॉपी. समीरा और संध्या दोनों जुड़वाँ बहनें थी. उनके पिता बेहद कड़क एनसीबी ऑफिसर थे जिन्होंने ड्रग माफियाओं के नाक में दम कर रखा था. उसी का बदला लेने के लिए ड्रग माफियाओं ने बचपन में ही समीरा का किडनैप कर लिया था और उसे उसके परिवार से दूर कर दिया था. ताकि वो मिस्टर अतुल अग्निहोत्री को ब्लैकमेल कर सकें. संध्या और समीरा की शक्ल सूरत भले एक जैसी थी लेकिन दोनों के नेचर और पसंद नापसंद में बहुत डिफ़रेंस था. संध्या जहाँ बेहद सिम्पल और सीधी साधी लड़की थी वहीँ समीरा बेहद तेज तर्रार और मुंहफट किस्म की थी. बचपन से वो ऐसे ही माहौल में रही थी जहाँ उसे कदम कदम पर स्ट्रगल करना पड़ा था शायद ये उसी का असर था.

संध्या उसे कुछ बता पाती उससे पहले ही समीरा ने एकदम आराम से बोलना शुरू किया, “वरुण रस्तोगी...”

संध्या ने हैरानी से उसकी तरफ देखा और जवाब में समीरा बस मुस्कुरा दी. “जिसे आज तुमने जिम में देखा था वो वरुण रस्तोगी है.”

संध्या को चुप देखकर समीरा आगे बोली, “वो फेमस बिजनैसमैन आदर्श रस्तोगी का बेटा है. जो कि हमारे कॉलेज के ट्रस्टी भी हैं. पहले ये अमेरिका में रहकर स्टडी कर रहा था लेकिन फिलहाल कुछ रीजन्स से उसे यहाँ मुंबई शिफ्ट होना पड़ा है और अब वो अपनी स्टडी यहीं इसी कॉलेज से कम्प्लीट करने वाला है.”

“ओके...” संध्या ने अब थोड़ी राहत की सांस लेते हुए कहा. “लेकिन तुम्हें उसके बारे में इतना सब कैसे पता है?”

“क्योंकि मैं तेरी तरह सारा दिन बुक में नहीं घुसी रहती हूँ. तेरी बुक्स के बाहर भी एक दुनिया है... कभी इस दुनिया को भी जानने की कोशिश कर लिया करो मैडम.” समीरा ने उसे ताना मारते हुए कहा. लेकिन संध्या ने कोई जवाब नहीं दिया.

समीरा ने हालाँकि संध्या को वरुण के बारे में सारी इन्फॉर्मेशन दे दी थी लेकिन फिर भी संध्या का मन नहीं मान रहा था. उस दिन के बाद से वो अक्सर चोरी छुपे वरुण के ऊपर नजर रखने लगी थी. इतने सालों में वरुण काफी चेंज हो गया था. पहले के मुकाबले वो काफी सीरियस हो गया था और ज्यादातर अकेला रहना ही पसंद करता था. लेकिन अनफॉरचुनेटली लड़कियां उसे अकेला रहने ही कहाँ देती थी. अब एक तो बन्दा इतना रिच था और ऊपर से हैंडसम. जाहिर है सारी लड़कियां उसे अट्रैक्ट करने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार रहती थी. वहीँ कॉलेज के सारे लड़के हमेशा उससे जेलस रहते थे. क्योंकि जबसे वरुण आया था तबसे स्टडीज से लेकर स्पोर्ट्स, आर्ट्स, डांस, म्यूजिक हर फील्ड में सबसे ऊपर बस उसका ही नाम नजर आ रहा था. वरुण काफी स्मार्ट भी था और उसकी लीडरशिप स्किल्स भी काफी अच्छी थी. इस वजह से सारे टीचर्स भी उससे काफी इम्प्रेस्ड थे. उसके अच्छे रिकॉर्ड्स को देखते हुए अब संध्या को भी यकीन होने लगा था कि समीरा सच ही कह रही थी. वो बेकार ही परेशान हो रही है.

हालाँकि जब लडकियां उसे अपनी तरफ अट्रैक्ट करने के लिए अजीब अजीब से ट्रिक्स अपनाती थी तब उसे वरुण के लिए थोडा बुरा भी लगता था. अक्सर ये लड़कियां उसके लिए लव लेटर लिखकर उसके लॉकर में डाल देती थीं या फिर उसकी कार पर ही नोट्स की तरह चिपका कर चली जाती थी. संध्या ने क्लीयरली नोटिस किया था कि वो उनकी हरकतों से खुश तो बिलकुल भी नहीं होता था... हाँ इरिटेट जरूर हो जाता था. अपने आस पास तितलियों की तरह घूमने वाली इन लड़कियों की तरफ आज तक उसने आँख उठाकर भी नहीं देखा था. बल्कि वो तो हमेशा ऐसे प्रिटेंड करता था जैसे वो उसके लिए एग्जिस्ट ही नहीं करती हैं. इसी वजह से यहाँ आने के बाद से अब तक वरुण का कोई भी फ्रेंड नहीं बना था. क्योंकि लड़कियों की हरकतों से तंग आकर वो उनसे दूर ही रहता था और यहाँ के लड़कों को शायद वो इस लायक ही नहीं समझता था कि वो उसके फ्रेंड बन सकें. हालांकि ये कोई नई बात नहीं थी. ज्यादातर रईस बाप के बच्चों का एटीट्यूड सेम ही होता है.

संध्या का पहले तो बहुत दिल करता था कि वो जाकर एक बार वरुण से बात करे. लेकिन फिर उसकी ऐसा कुछ करने की हिम्मत ही नहीं हुई. चार साल पहले जो कुछ भी हुआ था उसे वो खुद ही बड़ी मुश्किल से भूल पायी थी. उसकी वजह से वैभव की मौत हुई थी. ऐसे में वरुण का सामना कर पाना उसके लिए काफी मुश्किल था. क्या पता वो उसे देखकर कैसे रिएक्ट करेगा. हालांकि अच्छी बात ये रही थी कि आदर्श रस्तोगी के नाम और पहुँच की वजह से ये सारा मैटर जल्दी ही क्लोज हो गया और मीडिया में भी इस मामले को पूरी तरह दबा दिया गया. वैसे भी वैभव मर चुका था और मिस्टर अग्निहोत्री नहीं चाहते थे कि उनकी बेटियों की जिंदगी का मीडिया में कोई तमाशा बने. एक तरह से सबने अपने अपने हिस्से का कॉम्प्रोमाइज किया था.

इस वजह से भी संध्या हमेशा वरुण के सामने आने से बचती थी. अक्सर वो चुपके से उसके लॉकर में से लड़कियों के लव लेटर्स और उनके फोन नम्बर्स हटा दिया करती थी. हालाँकि वो भी जानती थी कि ऐसा करके वो यहाँ की सिरफिरी लड़कियों से सीधे सीधे पंगा ले रही है. अचानक आये इस बदलाव को वरुण ने भी नोटिस किया था. सुबह जब वो कॉलेज आता था तो उसका पूरा लॉकर पिंक और रेड कलर के लव लेटर्स और नोट्स से भरा हुआ रहता था लेकिन क्लासेज के बाद जब वो दुबारा लॉकर चेक करता था तो वो पूरी तरह साफ़ सुथरा होता था. आखिर उसके पीछे कौन ये सारा ट्रैश साफ़ कर जाता है? उसने कई बार इस अपने छुपे हुए मददगार को पकड़ने की कोशिश भी की लेकिन संध्या हमेशा बड़ी सफाई से अपना काम करती थी इस वजह से वरुण को कभी पता नहीं चल पाया कि ये उसका काम है. यहीं नहीं पिछले कुछ दिनों से उसे लगातार ऐसा महसूस हो रहा था कि हमेशा उसके आस पास कोई मौजूद रहता है. कोई ऐसा जो उसकी एक एक हरकत पर नजर रखता है. पहले तो उसे लगा था कि ये भी उसकी दीवानी लड़कियों में से ही किसी का काम होगा. लेकिन फिर उसे महसूस होने लगा कि ये जो कोई भी है वो उन क्रेजी लड़कियों की तरह तो बिलकुल भी नहीं है. वो जो कोई भी थी बस हमेशा छुपकर उसे दूर से ही देखती थी. उसे कभी कभी इस बात पर हैरानी भी होती थी कि वो सामने क्यों नहीं आती. आखिर में उसने डिसाइड किया कि ये जो कोई भी है नेक्स्ट टाइम वो उसका पता लगाकर ही रहेगा. दूसरी तरफ संध्या वरुण के इस इरादे से बिलकुल बेखबर थी.

To be continued...


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