25
हाँ हाँ भैया चिंता क्यों करते हो वे बिलकुल सही हैं । अभी आराम कर रही होंगी दिन भर उन्हें काम भी बहुत करने पड़ते हैं न ।
हाँ यह तो है, तू ही मुझे काम वाली बाई नहीं रखने देती है, वरना मैं कोई काम माँ को न करने दूँ । भाई के चेहरे पर चिंता की लकीरें थी ।
कहाँ कोई ज्यादा काम होता है भैया, आप तो खामख्वाह चिंता करते रहते हैं ।
हाँ हाँ तू सही कह रही है बस तेरी शादी करने के बाद मैं दो नौकर रखूँगा और माँ को कोई काम नहीं करने दूंगा ।
मैं भी कहाँ करने को कहती हूँ वे खुद ही करती रहती हैं उनको भी तो बैठ कर नहीं खाया जाता है । दूसरी बात यह है कि विशी ज्यादा काम करेगी तो थक जायेगी और बर्तन धोयेगी तो उसके हाथ खराब हो जाएँगे ।
माँ हैं न । वैसे तू अभी कहाँ समझेगी । भाई ने चाय और चिप्स खत्म करते हुए कहा और वहाँ से उठकर सीधे माँ के कमरे में चले गए ।
विशी अपने कमरे में आ गयी और लैपटॉप खोलकर उसमें ब्लॉग लिखना शुरू कर दिया । कि उसे अपनी पुरानी कवितायें पढ़ने का मन करने लगा और उसने अपनी रचनाएँ निकाल कर पढनी शुरू कर दी । अचानक से मिलन का ख्याल आया और तन मन दोनों को झंकृत कर गया । पता नहीं कैसे होंगे वे ? कितने दिनों से उनसे बात ही नहीं हुई ? न कोई मेसेज न फोन । मिलन ने भी तो कोई फोन मेसेज नहीं किया । कहाँ याद रहता है कोई फिर किसी को जब उससे वास्ता ही न रहे या कभी मिलना जुलना ही न हो । उसका जी चाहा कि अभी मिलन से बात करे फिर न जाने कौन सी झिझक आड़े आ गयी और इस सोच को उसने सिरे से खारिज कर दिया। चलो मैसेज करती हूँ शायद वे उसका रिपलाय करें और वो बात आगे बढ़ा सके क्योंकि जिस शहर में उसको जाना है वहीं कुछ किलोमीटर पर ही तो उनका ऑफिस है । जब उनको पता चले तो हो सकता है वे उससे मिलने आ भी जाएँ । यह सोचकर उसने झट से व्हाट्सअप पर हाय का मेसेज भेजा । अरे यह क्या फौरन ही उनका रिपलाय आ गया ऐसा लगा जैसे वे खुद भी उसके मेसेज का इंतजार कर रहे हो ।
हेलो! कैसी हो विशी ? मैं तुम्हें अभी फोन कर सकता हूँ ? एक साथ कई सवाल ।
किसका पहले रिपलाय करूँ चलो मैं ही फोन मिला लेती हूँ वैसे जो हम सोचते हैं वही सब हमारी ज़िंदगी में होता है । अभी मिलन से फोन पर बात करने का सोचा था और फिर उसने झिझक कि वजह से टाल दिया अब वे खुद ही उसके साथ बात करना चाह रहे हैं । यूं ही तो दिल को दिल से राह नहीं होती है ?
हैलो हेलो कोई है ? मिलन की आवाज से वो चौंकी ।
जी जी हाँ कैसे हैं आप ?
एक दम से खुश और स्वस्थ । तुम कैसी हो ? पर तुम क्या सोच रही थी ? बहुत दिनों के बाद मुझसे बात करने का मन किया या फिर मुझे भूल गयी थी ।
अरे एक एक बात करिए न ? वैसे यही सब बातें तो मैं आपसे ही पुछना चाहती थी।
हाहाहा यह सही रहा दोनों के एक से सवाल तो जवाब भी एक से ही होंगे न ? तो किसी को जवाब देने की जरूरत ही नहीं । वे ज़ोर हँसे ।
मिलन तो जरा भी नहीं बदले बिलकुल वैसे ही हैं ।
हाँ सही कहा । कहाँ हो आप आजकल ?
यही हूँ अपने ऑफिस में और कहाँ जाएँगे हम ?
जी मेरा मतलब उसी शहर में हो न ?
जी उसी शहर में हूँ ।
तो सुनो न, मैं आ रही हूँ आपके शाहर में ।
अरे यह तो बड़ी अच्छी बात कही आपने ? कब आ रही हैं ?
इसी महीने में आ रही हूँ ।
आ जाओ । कोई काम है या ?
जी काम नहीं मुझे मेरे ब्लॉग के लिए सम्मान मिलने वाला है ।
अरे वाह । बधाई । मैं तो भूल ही गया था कि मेरी विशी को कवितायें लिखने का भी बड़ा शौक है । फिर तो मेरा आना जरूर बनता है आखिर सम्मान मिलना बड़ी खुशी की बात है ।
पर यह तो यूं ही छोटा मोटा सम्मान है न ?
सुनो विशी सम्मान सिर्फ सम्मान होता है कोई छोटा या बड़ा नहीं होता ।
विशी चुप ही रही उसे अपनी बात पर अफसोस हुआ ।
क्या सोचने लग गयी विशी ?
कुछ नहीं बस यूं ही ।
मैं आपको वहाँ पर मैडम से कहकर इनवाईट करा दूँ ?
यह तुम सोचो, मैं तो वैसे तुम्हारे बुलावे पर भी आ जाऊंगा ।
जी मैं मैडम से बात करती हूँ । ओके ।
जी ओके । बाय ।
बाय जी । कहकर विशी ने फोन काट दिया ।
आज कितने दिनों के बाद मिलन से बात हुई। मन में ना जाने कितनी सारी खुशी का संचार हो गया । ऐसा लगा जैसे शरीर में नई ऊर्जा प्रवाहित हो रही हो । क्यों होता है ऐसा कि जिसे हम पसंद करते हैं या जिससे मन मिले होते हैं उससे अगर जरा सी बात हो जाये या फिर उसका कहीं से भी समाचार मिल जाये तो जीवन में जीवन महसूस होने लगता है । क्या उससे मिलने पर भी वो इतनी बातें कर पायेगी ? या मन की कोई भावना उसके लब सिल देगी या वो खामोशी ओढ लेगी या फिर उससे बिना कुछ कहे ही सब कुछ कह देगी या वे स्वयं ही सब समझ जाएँगे ?
वो कितने ही सवालों से घिर गयी थी । ईश्वर खुद ही रास्ते बना देता है वरना उसने तो अब मिलन से मिलने की आस ही छोड़ दी थी । हम कितना कुछ सोचते रहते हैं ? जीवन में कितना कुछ पाना चाहते हैं ? कितनी सारी ख्वाहिशें पाल लेते हैं पर होता वही है जो होना होता है या हमारे लिए अच्छा होता है । नियत दिन जाने के लिए उसको कार लेने आ गयी थी । भाई ने ड्राइवर को सब समझा दिया था । हालांकि वो पहली बार घर से अकेले दूसरे शहर के लिए निकल रही थी इसलिए मन में थोड़ी घबराहट हो रही थी किन्तु मिलन से मिलने की आस से मन में अलग सी खुशी भर रही थी । उस शहर में पहुँचते ही सम्मान देने वाली ऑर्गनाइज़र मैडम खुद ही आ गयी थी और उसे अपनी कार में बैठा कर कार्यक्र्म स्थल तक पहुँच गयी। बहुत ही प्यारे स्वभाव की मैडम रास्ते में सब बताती जा रही थी और बता रही थी आज मैं बहुत खुश हूँ कि मुझे आपसे मिलने का सौभाग्य मिला । आपको नहीं पता आपका ब्लॉग कितना पापुलर है लोग उसे कितना पसंद कर रहे हैं । वो बस मुसकुराती रही । आज तो दो दो खुशियाँ एक साथ उसे मिलने वाली हैं एक तो सम्मान और दूसरा मिलन का साथ । क्या उसे मिलन से बात कर लेनी चाहिए ? रहने दो नहीं करती, वे भी तो उससे बात कर सकते हैं? आना होगा तो वे जरूर आ जाएँगे। कार्यक्रम एक बहुत बड़े होटल के हाल में होना था । वहीं पर एक रूम में उसके समान को रखवा दिया और मैडम ने चाय नाश्ता आदि करने के बाद कहा आप अभी आराम करो । मैं आपको फोन कर के बुला लूँगी जब कार्यक्रम शुरू होने वाला होगा ।
वो बहुत बड़ा सा रूम था एक खूबसूरत सा डबल बेड पड़ा था । वो उसपर आराम से लेट गयी सच में बड़ी थकान हो रही थी क्योंकि करीब सात या आठ घंटे का सफर था । अरे मैं ड्राइवर भैया को तो फोन करके पूंछ लूँ कि वे कहाँ पर हैं ? क्या उन्होने चाय आदि पी ली है या नहीं ? उसने फोन मिलाया । भाई जी कहाँ पर हो आप ? चाय आदि पी ली आपने या नहीं ? हाँ बिटिया हमने चाय पी ली है मैडम ने हमें चाय नाश्ता सब करा दिया है तुम चिंता मत करो, और हाँ अब मैं जा रहा हूँ अपने काम से ठीक है न ? जब जरूरत पड़े तो मुझे फोन कर लेना ठीक है बिटिया ?
जी भाई जी जरूर । चलो अब इनकी तरफ से तो मैं निश्चिंत हो गयी । यह सोच ही रही थी कि भैया का फोन आ गया । विशी तू ठीक से पहुँच गयी थी न ? वे बड़े चिंतित स्वर में बोल रहे थे ।
हाँ भैया मैं सही से आ गयी हूँ । यहाँ पर मैडम ने हमें शहर पहुँचते ही रिसीव कर लिया था इसलिए कोई दिक्कत ही नहीं हुई थी ।
ठीक है विशी तू अपना ख्याल रखना । भैया के स्वर में अब निश्चिंतता झलक रही थी । भैया से भी बात हो गयी ।
वह अब मिलन के बारे में सोच रही थी कि मिलन का भी फोन आ गया ।
कहां हो विशी ? क्या तुम वहां पर पहुंच गई ?
हां हां मैं आ गई हूं और आप किस समय आयेंगे ?
मैं समय पर पहुंच जाऊंगा और हां सुनो क्या तुमने ऑर्गेनाइजर को मेरा नंबर दिया था ?
हां जी, क्यों कोई गलती हो गई क्या ?
नहीं नहीं गलती कोई नहीं। उनका भी मेरे पास फोन आ गया था । बड़े सम्मान के साथ कहा कि आपको इस समय पर आना है और आपको सम्मान शायद वह मेरे हाथों ही दिलवाना चाहते हैं अरे वाह यह तो बहुत अच्छी बात है एक पंथ दो काज।
हां तुम कह सकती हो एक पंथ दो काज, मिलना भी होगा और सम्मान भी मेरे हाथों से ।
विशी की ख़ुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था ईश्वर भी कितना मन मौजी है जब मन किया तो ढेरों खुशियाँ दे देगा और जब किया तो इतने गम...
खैर कोई बात नहीं जो होता है अच्छे के लिए ही होता है वो कहते हैं ना देर आए दुरुस्त आए ।
एक अलग सा सॉफ्ट कॉर्नर है उसके लिए उसके दिल में लेकिन उसे पता नहीं, कि यह है क्या ? प्रेम है या केवल एक भावना?
जो भी है ठीक है उससे बात करना अच्छा लगता है और मिलने का मन भी करता है आज उसके दोनों काम पूरे हो जायेंगे! वो उसके साथ खूब बातें करेगी खूब सारा समय भी उसके साथ में बितायेगी, क्या कहेगी उससे? क्या उससे नज़र मिला पायेगी या दूर से देखकर ही शरमा जायेगी और मन की सारी बातें मन में ही रह जाएंगी ।
नहीं तो बिल्कुल भी शर्म नही आएगी वो सारी बातें कह देगी । जितनी भी उसके दिल में बातें हैं वे सब । इतने दिनों से जो उसने मन में सँजो सँजो कर रखी हैं और जो कहना चाहती थी और कह नहीं पाई थी और कैसे उसके जाने के बाद उसने दिन गुजारे थे वो सब कुछ कहेगी उससे । आज तो उसको अपने दिल की सब बातें कहनी है । तकलीफ भी खुशियां भी । नहीं वो बिल्कुल भी नहीं शरमाएगी, जितनी भी उसके दिल में बातें हैं और सारे सुख दुख सब कुछ।
क्रमशः