कहर कोरोना का राज कुमार कांदु द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

कहर कोरोना का



कोरोना का कहर चरम पर था।
अपनी मँडई के पीछे बने इकलौते कमरे में कुछ ग्रामवासियों के साथ बैठा रामदीन व्यग्रता से बार बार चैनल बदल बदलकर टीवी पर समाचार देख रहा था।
अभी कल ही तो उसे खबर मिली थी कि उसका फौजी बेटा जय जो कि लद्दाख में सीमा पर तैनात था चीनियों के कायराना हमले में शहीद हो गया था।

गाँव में फौज के अधिकारियों की गहमागहमी बढ़ गई थी, लेकिन इन सबसे बेखबर रामदीन की सूनी निगाहें अपने छोटे बेटे विजय की राह तक रही थीं जो दिल्ली से पैदल ही सिवान ( बिहार ) के लिए निकल पड़ा था।

कोरोना की विभीषिका को देखते हुए सरकार ने प्रवासी मजदूरों का कोई विचार किये बिना आननफानन संपूर्ण लॉकडाउन लगा दिया था।
कामधंधे के अभाव में संभावित भूखमरी के भय से देश भर
के प्रवासी मजदूरों में हड़कंप सा मच गया था।
हालाँकि महानगरों में कई सेवाभावी संस्थाएँ मुफ्त का भोजन व पानी वगैरह वितरण करने का सराहनीय कार्य कर रहे थे लेकिन लाभार्थियों की भारी भीड़ के समक्ष उनके प्रयास ऊँट के मुँह में जीरे समान ही साबित हो रहे थे।

जो जहाँ था, जैसे था वहीं से पैदल ही अपने गाँव के लिए निकल पड़ा था। वाहनों के अभाव में महमार्गों पर पैदल चलनेवालों का रेला दिनभर देखा जा सकता था।

अपने साथ काम कर रहे साथी मजदूरों के चले जाने के बाद किराये के कमरे में अकेला रह जानेवाला विजय सोच रहा था कि काम धंधे के अभाव में वह अकेले इस कमरे का किराया कैसे दे पाएगा ? ऊपर से उसका मकानमालिक बेहद सख्त था पैसों के मामले में, सो कमरे की चाबी उसके सुपुर्द कर वह भी पैदल ही निकल पड़ा अपने गाँव की तरफ जो कि लगभग हजार किलोमीटर दूर था।

अपने निकलने की सूचना उसने अपने पिता रामदीन को दे दी थी।

दो दिन हो गए थे जब उसने अपने पिता से अंतिम बार बात किया था और रोते रोते बताया था, "बापू, बस थोड़ी देर और बापू ! अब बनारस पहुँचने ही वाला हूँ।... लेकिन बापू ! बड़े जोरों की भूख लगी है और खाने को कहीं कुछ नहीं मिल रहा है। हर तरफ बस कोरोना का खौफ ! तुम्हारी बहुत याद आ रही है बापू !" कहने के बाद उसने फोन काट दिया था।

बड़ी देर तक रामदीन उसकी सिसकी को महसूस करता रहा। कितना लाचार और बेबस महसूस कर रहा था वह !
बड़ा बेटा देश के लिए शहीद हो चुका था और दो दिन से छोटे बेटे की भी कोई खबर नहीं। पत्नी जिरादेवी की असमय मृत्यु के बाद दोनों बेटों के अलावा उसके परिवार में कोई और नहीं था।

अचानक टीवी पर दृश्य बदला। ब्रेकिंग न्यूज़ चलने लगा।
टीवी पर एंकर चीख चीख कर खबर सुना रहा था, "देखिए कोरोना का एक और शिकार ! दिल्ली से सिवान के लिए पैदल निकला युवक विजय बनारस पहुँचते पहुँचते अपनी जिंदगी की जंग हार गया। ये देखिए उसकी तस्वीर !"

तस्वीर रामदीन के छोटे बेटे विजय की ही थी। खटिये पर बैठा रामदीन उसपर ही पसर गया। दोनों बेटों के बाद अब उसकी साँसों ने भी उसका साथ छोड़ दिया था।

राजकुमार कांदु
एक पूर्वलिखित रचना