पता ही नही चला । PRAWIN द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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पता ही नही चला ।

दोस्तो किसी शायर ने बखूब ही लिखा है.... ना जाने कहा खर्च हो गए वो लम्हें, जो बचा कर रखे थे मैंने जीने के लिए।


Fix Deposits में, Saving Accounts में हम पैसा जरूर बचा कर रखते है की बाद में Use कर लेंगे । पर वक्त एक ऐसी चीज है जो दोबारा नही मिलती। तो कुछ ऐसे ही अहसास इस कविता में बड़े अच्छे तरीके से बयान किए गए है ।


लेखक अज्ञात है। ये कविता मुझे इंटरनेट पे मिली पर कविताओं से मेरा प्रेम इसलिए है क्योंकि में इनको As a Vechicle मानता हूं कि कविताओ के द्वारा जो मेसेज हमारे पास पहुंचता है वोह.... हमारे अंतरात्मा में असर कर देता है । It's Stay With Us.


चलिए कविता शुरू करते है....


समय चला पर कैसे चला, पता ही नही चला।
जिंदगी की आपा धापी में,
कब निकली उम्र हमारी यारों, पता ही नही चला।


कंधे पर चढ़ने वाले बच्चे ,
कब कंधे तक आ पहुंचे, पता ही नही चला ।


किराए के घर से शुरू हुआ था सफर अपना,
कब अपने घर तक आ पहुंचे, पता ही नहीं चला।


साइकिल के पैंडल मारते हुए, हांफते थे उस वक्त,
साइकिल से cars में हम घूमने लगे यारों, पता ही नही चला।


कभी थे ज़िम्मेदारी हम मां बाप की,
कब बच्चों के लिए हुए ज़िम्मेदार, पता ही नही चला।


एक दौर था, जब दिन में भी बेखबर सो जाया करते थे,
कब रातों की नींद उड़ गई, पता ही नहीं चला।


जिन काले घने बालों पे इतराते थे हम,
कब बाल सफेद होना शुरू हो गए, पता ही नही चला ।


दर दर भटकते थे नौकरि की खातिर,
कब रिटायर हो गए, पता ही नही चला।


बच्चो के लिए कमाने, बचाने में, इतने मशगूल हुए हम,
कब बच्चे हमसे दूर हो गए, पता ही नही चला।


भरे पूरे परिवार से सीना चौड़ा रखते थे हम,
अपने भाई बहनों पर गुमान था,
उन सब का साथ कब छूट गया,
कब परिवार हम दो पर ही सिमट गया, पता ही नही चला।


अब सोच रहे थे अपने लिए भी कुछ करे,
पर कब शरीर ने साथ देना बंध कर दिया, पता ही नही चला।


दोस्तों याद है स्कूल में Annual Function के लिए ड्रेस रिहर्सल हुआ करते थे ? हम वही ड्रेस पहन कर, उसी स्टेज पर जाकर जब प्रैक्टिस करते थे, सब कुछ वेसा होता था but ऑडियंस नही होती थी । उसका Purpose ये होता था की जो गलतियां करनी है वोह हम पहले करले, ऑडियंस के सामने गलती ना हो, इसलिए प्रैक्टिस करले ।


अफसोस इस बात का है कुछ लोग अपनी जिंदगी भी इसी ढंग से, इसी सोच से जीते है, की शायद जिंदगी भी एक ड्रेस रिहर्सल है । में कोशिश करलूं, अभी तो सिर्फ ड्रेस रिहर्सल चल रहा है, गलतियां अब कर रहा हूं, एक फिर दोबारा chance मिलेगा । पर नही, लाइफ एक ड्रेस रिहर्सल नही है हमें दोबारा chance नही मिलेगा ।



ऑडियंस भी यही है, गलतियां भी यही करनी है, गिरना भी यहीं है, आगे भी यही बढ़ना है, संभलना भी यही है, उठना भी यही है.... इन सब के बीच हमे आगे बढ़ना है।



Life is happening right now. इसलिए जरा खुद के लिए वक्त निकालने की आदत डाल लीजिए जनाब । कही वही हश्र ना हो जो किसी शायर ने बखुबही बयान किया है की....



ना जाने कहा खो गए वोह लम्हे,
जो छुपाके रखे थे मेंने जीने के लिए ।


यही खुशी, यही गम, take the best of it.


कविता को पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद, इस story को Rate करके आप मेरा मनोबल बढ़ा सकते है । आपको स्टोरी कैसी लगी कमेंट करके अवश्य बताएं । दोस्तों में हर महीने एक नई स्टोरी के साथ आता हूं अगर आपको कविता पसंद आती है और आप आगे आने वाली एक भी स्टोरी Miss नही करना चाहते तो आप मुझे follow कर सकते हैं। कोई सुझाव है तो रिव्यू सेक्शन में लिख सकते हैं। आपका बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।



में हुं PRAVIN RATHOD, मिलूंगा आपसे फिर एक और नई स्टोरी के साथ । तब तक खुश रहिए, मुस्कुराते रहिए और Learnings को अपनी लाइफ में Impliment करते रहिए।