आंसु पश्चाताप के - भाग 11 Deepak Singh द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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आंसु पश्चाताप के - भाग 11

करती थी परन्तु जो मेरे मामा को भरी महफिल में जलील किया अब उसके साथ मेरा कोई प्रेम नहीं रहा अब मैं उसकी परछाई भी नहीं देखन पसंद करूंगी ।
नहीं निकी ऐसी कोई बात नहीं है , प्रेम एक शक्ति है , एक प्रकार की पूजा है , साधना है जिसमें खरा उतरने के लिए सब कुछ सहना पड़ेगा और सच्चे ह्रदय से एक दूसरे का सुख दुख समझना होगा , तुम्हारे पास अब इतना विवेक है की तुम सब कुछ समझती हो , तुम मुझे इतना बता दो कि तुम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हो या नही करते हो ,
चन्द समय बाद निकी अपनी खामोशी तोड़ती हुई कपकपाते होठों से बोली ,
हाँ मामा मैं राहुल से प्रेम करती हूँ , परन्तु . . .
परन्तु किन्तु मुझ पर छोड़ दो तुमने कोई अपराध नहीं किया है , प्रेम किया है , प्रेम परमात्मा का स्वरूप है , मैं तुम्हारा प्रेम टूटने नहीं दूंगा . . .
निकी को ऐसा लगा जैसे उसके ऊपर ढेर सारे गुलाब की पंखुड़ियों की बरसात हो गई हो . . .


ईधर पूरी रात असमंजस में रहने के बाद अगली सुबह राहुल उदास होकर ड्राइंग रूम में बैठा था चंद समय बाद वहां उसके नाना धर्मदास पहुंचे और राहुल से पहल कीये . . .
क्या हुआ राहुल तुम इतने उदास क्यों हो ?
क्या करूं नाना आप तो सब कुछ जानते हैं कि मैं इतना उदास क्यों हूँ ,
सुनो बेटा जो होना था सो हो गया अब उस बात को सोचकर तुम अपना दिमाग खराब मत करो लेकिन बेटा एक बात ध्यान रखो गुस्सा सेहत के लिए अच्छा नहीं होता है और बेटा कब कहां क्या किसको बोलना है नहीं बोलना है गौर करने की बात है , प्रकाश तुम्हारा पिता है और यह सच है जो बीत गया उसे भूल जाओ और भविष्य में क्या करना है यह तुम्हें विचार करना है ।
राहुल चुपचाप उनकी बातों को सुनता रहा और कुछ भी प्रतिउत्तर में नहीं बोला ।
राहुल अब जाओ बाहर घूमने के लिए शायद तुम्हारा दिल हल्का हो जाये और मूड ठीक करो क्योंकि इस बार राहुल को कॉलेज में टॉप करना है समझें ।
ठीक है नाना आप जैसा कहे, इतना कहकर राहुल घर से बाहर घूमने चला गया ।

सुबह-सुबह ज्योती अपने हाथों में चाय का प्याला लेकर राहुल को रूम में प्रवेश की लेकिन राहुल को कमरे में नहीं देखकर वह ड्राइंग में पहुंची , अपने पिता धर्मदास को वहां देखकर उसने उनसे पहल कि . . .
पापा राहुल अपने कमरे में नहीं है मुझे लगा शायद यहां होगा ।
हाँ अभी राहुल यहां था कुछ देर पहले अभी अभी वह बाहर गया है टहलने के लिए थोड़ी देर में आ जायेगा जो कुछ भी कल हुआ शायद उससे काफी उलझन में दीख रहा था तो मैंने उससे बोला कि जाओ बाहर घूम लो शायद तुम्हारा दिल हल्का हो जाये ।
ठीक है पापा आप चाय पियो , मैं जा रही हूँ ।

घंटों बाद राहुल घूम कर वापस आया तो ज्योती उसके पास चाय का प्याला लेकर पहुंची ,

राहुल बेटा चाय पीयो तुम इतना उदास क्यो हो ? इतना उदास नहीं होते जो हुआ सब ठीक हुआ , निकी उस नागिन की बेटी है जिसकी माँ कल्पना ने तुम्हारे पिता को अपने जाल में फंसाकर मुझसे जुदा कर दि , चलो अच्छा हुआ इसी बहाने वह तुमसे दूर हो गई , नहीं तो अपनी माँ की तरह वह तुम्हारी भी जिंदगी दुश्वार कर देती , बेटा मै तुम्हारी शादी किसी रईस और खानदानी लड़की साथ करूंगी , उस लड़की के साथ नही . . .
माँ मैं निकी से प्यार करता हूँ ,
लेकिन वह तुमसे प्यार नहीं करती है अगर वह तुमसे प्यार करती तो भरी महफिल में तुमको डांटकर इस तरह नहीं चली जाती , समझ से काम लो अब भी वक्त है नहीं तो समय निकल जाने के बाद सिर्फ पश्चाताप करना पड़ेगा , इसलिये समय रहते तुम अपना मुंह मोड़ लो समझे . . .
ज्योती राहुल के दिल में निकी के प्रति नफरत भरने लगी ।


उस दिन राहुल के जन्मदिन में हुई बहस के बाद ईधर कालेज में कई दिनों तक राहुल निकी एक दुसरे को सामने देखकर भी बात नहीं करते थे ।

समय बितते गये दिन गुजरते गये लेकिन दोनों एक दूसरे के करीब होकर भी दुर थे , लेकिन एक दिन राहुल अपने आपको रोक नहीं पाया . . .

सारी निकी मैंने उस रोज तुम्हारे मामा के साथ बहुत गलत किया ,
जो कुछ आपने कहाँ अपने पिता को कहाँ इसमें माफी मांगने की क्या बात है ।
क्या करू निकी वर्षों की आग मेरे दिल में सुलग रही थी जो उस रोज भड़क उठी शर्म आती है , ऐसे आदमी को अपना बाप कहने में जो एक औरत की दीवानगी में मेरी माँ की आत्मा को जला कर रख दिया ।
राहुल आप जिस औरत के नाम पर बार बार कीचड़ उकाहल रहे हो मै उसकी संतान हूँ , जिस कल्पना को तुम्हारी माँ बदचलन की मूर्ति मानती है , वह कल्पना कोई और नहीं मेरी माँ थी जो अब इस दुनिया में नहीं है ,
राहुल गंगा में रोज गंदगी गिरती है फिर भी वह पवित्र है मेरी माँ पवित्र थी मेरी माँ का क्या चरित्र था ना तो तुम जानते हो और ना तुम्हारी माँ जानती है ,
क्या आपने कभी यह सोचा है की यह सुनकर निकी के दिल पर क्या गुजरता होगा . . .
राहुल को लगा कि वह ऊंचाइयों से गिरकर नीचे आ गया हो , शर्म से उसकी नजरें झुक गई . . .
मुझे माफ करना निकी , मैं आज के बाद दोबारा कभी ऐसा नहीं कहूँगा . . .

घंटों निक्की और राहुल एक दूसरे से बात करने के बाद अपने अपने होस्टल वापस चले गये . . .
शायद राहुल और निक्की के बीच प्रकाश और ज्योती को लेकर जो एक गलतफहमी हुई थी शायद वह गलत फहमी इस घंटों के वार्तालाप के बाद खत्म हो गई और उनका रिश्ता समान्य होने लगा ।