Aansu Pashyataap ke - 9 books and stories free download online pdf in Hindi

आंसु पश्चाताप के - भाग 9

आंसु पश्चाताप के, भाग 9


ठीक है जैसा तुम कहोगी वैसा ही करेंगे ।
प्रकाश कल्पना के घर को किराये के हवाले करके निकी और अम्मा को अपने साथ लेकर अपने घर में आया और तीनों वहीं रहने लगे ,
प्रकाश अपने काम के साथ - साथ गीत संगीत से लगाव रखने लगा , वह स्वयंम गीत लिखता था उसकी रुचि ऐसी बढी कि वह एक अच्छे संगीतकार की चर्चा में आने लगा और स्टेज का अच्छा गायक बन गया , उसके मधुर आवाज के लोगों में तारीफ होने लगी ।
धीरे - धीरे संगीत उसके तमाम गमों को निकलने लगी , उसकी उलझने कम हो गई , वह अपना जीवन सुचारु रुप से व्यतीत करने लगा ।

समय अपने रफ्तार से आगे बढ़ने लगा और वर्षों बीत गये ।
निकी बड़ी हो गई और कॉलेज की छात्रा बन गई उसके यौन में निखार आने लगा , वह अपनी माँ की तरह बहुत ही सुन्दर थी , और पढने में अपने क्लास में सबसे तेज थी , वह कॉलेज की तमाम छात्राओं में एक और नेक थी , वह कॉलेज के गर्ल हॉस्टल में लड़कियों के साथ रहती थी । समय - समय पर प्रकाश उससे मिलने आया करता था और जरूरतमंद चीजों से संतुष्ट रखता था ।

एक रोज ज्योती अपनी माँ के साथ ड्राइंग रूम में बैठी थी वह जी बहलाने के लिए TV ऑन की और गाना देखने लगी - पल भर बाद टीवी की स्क्रीन पर एक गायक का गजल आने लगा । गजल की मधुर आवाज ड्राइंग रूम में गूंजने लगी . . .
ज्योती इस आवाज को सुनकर पल भर के लिये अपने आप में खो गई , लेकिन वह गायक को देखकर स्तब्ध हो गई , वह उस गायक को पहचान गई , क्योंकि वह गायक कोई और नहीं उसका खुद का पति प्रकाश था ।
बहुत मीठी आवाज है बेटी कौन है ? यह छोटी - छोटी दाढ़ी वाला फनकार मैं इसे पहली बार देख रही हूँ ।
तब तक वह आकृति टीवी स्क्रीन से आवाज के साथ बिलीन हो गई ।
उस दिन ज्योती के मन में अनेक तरह की बातें उभरने लगी , वह चैन की नींद से सो भी नहीं पाई शायद उसको उसके बीते कल की यादें सताने लगी ।

राहुल और निकी दोनों एक ही क्लास में पढ़ते थे , राहुल वही कॉलेज परिसर के ब्वाय हॉस्टल में रहता था । राहुल और निकी क्लासमेट थे इसलिये थोड़ी बहुत बातें हो जाती थी और वह थोड़ी बहुत बातें दोस्ती में तब्दील हो गयी । वह काफी अच्छे दोस्त बन गये , मानो उनका एक ग्रुप सा बन गया हो , वे लोग पढ़ाई के साथ - साथ ढेर सारी हंसी मजाक मस्ती और एक दूसरे की मौज भी लेते थे लेकिन राहुल की बात ही कुछ और ही थी वह बच्चों के साथ - साथ टीचरों की भी मौज लेने लगा ।
वही राहुल जो चुपचाप क्लास में बैठने वाला और अपने काम से मतलब रखता था अचानक उसके अंदर इतना बदलाव कैसे हुआ ? क्योंकि उसे अन्दर ही अन्दर निकी से प्रेम हो गया , वह निकी से प्रेम करने लगा उसे निकी अच्छी लगने लगी , निकी का हर काम उसे बढ़िया लगने लगा , क्योंकि वह निकी को दिल ही दिल प्यार करने लगा ।
इधर कालेज का स्थापना दिवस नजदीक आ गया जिसको मनाने के लिए कॉलेज में बड़ी धूमधाम से तैयारी होने लगी ।
इस बार स्थापना दिवस पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री जी पधार रहे थे जिनकी उपलब्धि में उस दिन रात को एक रंगारंग कार्यक्रम रखा गया ।
स्थापना दिवस के दिन कालेज का मैदान अच्छी तरह सजाया गया कैम्पस के अन्दर एक सुनियोजित ढंग से स्टेज भी बना ।
समय से मंत्री महोदय अपने दल बल के साथ वहां पहुंचे , पूरा मैदान छात्र - छात्राओं अध्यापकों और आमंत्रित लोगों से भर गया । सबकी निगाहें सामने स्टेज पर टिकी थी धीरे - धीरे स्टेज का रेशमी पर्दा हटने लगा लोगों की उत्सुकता और बढ़ने लगी ।
इतने में स्टेज से आवाज आई यह उपस्थित महानुभावों आप सबको कालेज की तरफ से हार्दिक अभिनंदन है , इस स्थापना दिवस के पूर्व पावन पर हमारे स्वास्थ्य मंत्री जी की उपलब्धि से चार चांद लग गया है , इस कालेज के कुछ होनहार छात्र छात्रायें आपकी सेवा में अपने गीत संगीत के द्वारा आपका मनोरंजन करने आ रहे हैं ।
पहले सरस्वती वंदना , सरस्वती वंदना खत्म होते ही . . . अब आपके सामने गीत पेश करने आ रहे हैं - राहुल ,
इतने में एक सुन्दर नौजवान स्टेज पर आया और सबको सिर झुकाकर अभिनंदन करने के बाद वह म्यूजिक की धुन पर गीत सुनाने लगा । कुछ पल के लिए वह अपने मधुर स्वर से सभी दर्शकों को संगीत के सागर में डुबो दिया गीत समाप्त होते ही तालियों की गड़गड़ाहट से वहाँ का पूरा वातावरण गूंज गया , एक कर एक रंगारंग कार्यक्रम चलता रहा , दर्शक आनन्द विभोर होते रहे । रंगारंग कार्यक्रम समाप्त होने पर मंत्री महोदय स्टेज पर आये और अपना भाषण शुरू किये - मंत्री महोदय का भाषण समाप्त होते ही फिर से एक बार फिर से तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी , कार्यक्रम समाप्त हो गया , आगन्तुक अपने अपने घर वापस चले गये ।
अगले दिन निकी पार्क में भ्रमण कर रही थी तभी सहयोग से वहाँ राहुल आ गया ।
आप तो संगीत के सम्राट है ।
वाह मेरी इतनी तारीफ मत करिये ।
क्यों ? क्योंकि मैं संगीत सम्राट नहीं कभी - कभी दिल बहलाने के लिये गा लेता हूँ ।
वाकई में आपकी आवाज बहुत प्यारी है ।
आपको पसंद आई , जी हाँ मुझे भी और सभी सुनने वाले को भी । वह तो मुझे लोगो के तालियों पहले ही पता चल गया ।
जी हाँ आपकी आवाज किशोर कुमार जैसी है ।
मेरी तारीफ छोड़िये आप फूलों की ज्यादा शौकीन लगती है ।
जी हाँ मुझे फूलों से बहुत प्यार है ।
प्यार तो फूलों से ज्यादा भौरे करते है ।
जी नहीं वह इनके ऊपर सिर्फ रस लेने के लिए मड़राते हैं ।
"हा हा - हा हा , दोनों एक दूसरे की हंसी में शरीक होकर हंसने लगे ।
निकी को देखकर राहुल का दिल खुशी से भर जाता , उसे निकी को देखे बिना चैन नहीं मिलता , परन्तु वह इस बात को समझ नहीं सका कि उसे निकी से बेपनाह प्यार है । लेकिन समय के साथ हर इंसान को पता चल जाता है , और राहुल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ ।
उसे एहसास हो गया कि वह निकी को प्यार करता है , मगर वह अपने प्यार को उजागर नहीं किया , शायद वह अपने को निकी के काबिल नहीं समझता था , क्योंकि वह अपने अतीत से डरता था , शायद यही सोचकर अपने प्यार को उजागर नहीं करता था , लेकिन प्यार तो ऐसी चीज है , जो छुपाये छुपता नहीं और उसके दोस्तों को पता चल गया कि राहुल निकी से बहुत प्यार करता है । ऐसे तो राहुल पूरे क्लास की मौज लेता था , परन्तु निकी के सामने उसकी जुबान बंद हो जाती , उसके इस बर्ताव से निकी को एहसास होने लगा कि राहुल मुझसे प्यार करता है ,
राहुल दिल और दिमाग दोनों का इस्तेमाल करता था , जब तक राहुल अपने प्यार का इजहार नहीं करता तब तक निकी को पूरा - पूरा कैसे विश्वास होता कि वह उससे प्यार करता है ।
निकी यह जानने की कोशिश करने लगी , धीरे - धीरे उनके दिल में एक दूसरे के लिये प्यार वसने लगा , दूरियां नज़दीकियों में तब्दील होने लगी , वे एक दूसरे को चाहने लगे और दोनों में बेपनाह प्रेम हो गया ।

समय अपनी रफ्तार से आगे बढ़ता गया और कालेज कई दिनों के लिये बंद हो गया , सभी छात्र - छात्रायें अपने अपने घर चले गये निकी भी अपने मामा के घर चली गई ।

इधर राहुल अपनी माँ ज्योती के साथ घर में बैठा था , तभी निकी का फोन आया ।

" हैलो नमस्ते आंटी जी ,
जी नमस्ते कौन ?
आंटी जी मैं निकी बोल रही हूँ , राहुल से बात करना चाहती हूँ ,
ठीक है मै बुला रही हूँ , राहुल बेटा तुम्हारा फोन है ,
जैसे ही राहुल फोन को अपने कानों से स्पर्श किया ।
हैलो राहुल कैसे हो ?
निकी तुम ,
हाँ राहुल , मैं निकी बोल रही हूँ ,
निकी तुम बताओ कैसी हो ?
मै ठीक हूँ , तुम बोलो कैसे हों ,
मैं भी ठीक हूँ और बताइये आज मेरी याद कैसे आई ?
ये तो तुम्हें खुद पता है कि आपकी याद कैसे आई ?
अभी कॉलेज खुलने में तीन दिन बाकी है , इसलिये सोची एक बार फोन करके बात कर ही लूं . . .
अच्छा किया - और सब ठीक है ,
हाँ ठीक है . . .
चलो ठीक है, अब कालेज में तीन दिन बाद मिलते है , फिर बात होगी ।
अच्छा चलो ठीक है - अब मैं फोन रखती हूँ ,
ओके बाय राहुल ,
बाय निकी राहुल के चेहरे पर मुस्कान थी , वह फोन रख दिया ।

राहुल ये लड़की कौन है ?
मम्मी ये निकी थी , ये मेरी क्लासमेट है ।
कहाँ की रहने वाली है ?
मम्मी ये तो कभी पूछा नहीं ।
कैसी दिखती है ?
बहुत सुन्दर और सुशील लड़की है ।

तीन दिन बाद कालेज खुला , दोनों अपने अपने हास्टल पहुंच गये , रविवार के दिन दोनों मिले . . .
" हाय राहुल ,
हाय निकी दोनों एक दूसरे से काफी देर तक बात करने में मशगूल रहे फिर राहुल निकी से बोला ।
निकी मैं आपके बारे में कुछ जानना चाहता हूँ ।
क्या जानना चाहते हो ?
आपके मम्मी पापा क्या करते हैं ?
मेरे मम्मी पापा अब इस दुनिया में नहीं है , माफ करना निकी मैंने आपका दिल दुखाया . . .
इसमें माफी मांगने की क्या बात है ,
मेरे पापा की मौत एक सड़क हादसे में हुई और मेरी माँ को मस्तिक बुखार हुआ और वह भी मुझे इस दुनिया में छोड़कर चल बसी . . . .
तो आप अकेली हैं ,
नहीं मैं अपने मामा के साथ रहती हूँ ,
आपके मामा जी क्या करते है ?
एक फर्म में काम करते हैं साथ ही साथ एक अच्छे गायक भी है , तुम्हारी तरह उनकी भी अवाज सुरीली है , उनके गीत का प्रोग्राम कभी कभी टीवी पर भी आता है , राहुल इतना समझ लो की आज मै उन्हीं की बदौलत यहाँ खड़ी हूँ . . . राहुल आपके मम्मी डैडी क्या करते है ?
निक्की मैं अपनी मम्मी के साथ अपने नाना नानी के घर में रहता हूँ ,
आप नाना नानी के घर में क्यों रहते है ?
क्योंकि मेरे पापा इंसान नहीं शैतान है जो एक रखैल के पीछे मेरी मम्मी को छोड़ दिये और उसी के होकर रह गये , मेरे जन्म से पहले ही उनकी नजायज हरकतों से तंग आकर मम्मी अपने मायके में आ गई और उस दिन से आज तक मेरी मम्मी कभी उनके पास नहीं गई और ना ही कभी वह मम्मी को लेने आया ।
तब तो तुम्हारे पापा बड़े निष्ठुर और बेरहम दिलवाले निकले ,
हाँ निकी कभी मिल गये तो मैं उनको बहुत जलील करूंगा ,
मुझे शर्म आती है ऐसे बाप का औलाद बताते हुवे . . .
कीचड़ में कमल खिलते है और गुलाब में कांटे होते है , राहुल इंसान सभी होते है पर संगत और कुसंगत का फर्क पड़ता है . . .
बातें बहुत हो गई अब वापस चलते हैं , दोनों अपने अपने हास्टल वापस में आ गये , वे एक दूसरे से बहुत प्रेम करने लगे ।

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