एपिसोड 28 ( तुमने इसलिए बुलाया ...?)
रिया चुप चाप अच्छे बच्चे की तरह वीर के पीछे पीछे चल रही थी | अचानक से वीर के रुकते ही ,,, रिया वीर से जा टकराई |
रिया रिया अपना बैलेंस खो देती है | गिरने ओर चोट लगने का इंतज़ार करने के बाद ,, जब रिया को फील हुआ की अभी तक वो गिरी कैसे नहीं ... तो रिया ने धीरे से अपनी आँखें खोली | तो खुद को वीर की बाँहों में पाया |
नजाने कितना टाइम दोनों वीर ओर रिया एक दुसरे को यूँ ही देखते रहे | फिर अचानक से रिया का फ़ोन बजने लगा | जिससे दोनों अपने अपने होश में आते हैं |
वीर बड़े ध्यान से रिया की तरफ देखने लगा | ओर उसने नोटिस किया की ... कॉलर आईडि देख .. रिया कुछ परेशान सी लग रही थी |
वीर :: “क्या हुआ ...मिस रिया किसका फ़ोन है ....”
रिया :: (हल्काते हुए ) “क्या ! नहीं कुछ नहीं ....”
वीर :: “तो चलें ...”
वीर रिया से पूछना चाहता था ... की क्या बात है | पर वो पूछ न सका |
ऑफिस का काम करते करते कब शाम हो गई | पता ही नहीं चला |
वहीँ दूसरी तरफ ...
जब कनिका कमरे में पहुंची ... तो वो बिना नोक किए ही कमरे के अंदर चली गई | ओर अंदर जो नजारा कनिका ने देखा ... उसे देख कनिका का मन कर रहा था की कमरे से बस भाग जाए |
अबीर कमरे में बिना कपड़ों के घूम रहा था | उसने सिर्फ अपना पजामा पहन रखा था |
पर उपर कुछ भी नहीं पहना था | कनिका ने अपनी आँखों पर अपना हाथ रखा ओर ... गुस्सा करते हुए अबीर से बोली |
अबीर :: “क्या तुम कपड़े पहन सकते हो ?”
अबीर :: “क्यूँ क्या हुआ ... पातु हूँ तुम्हारा ... बोल तो ऐसे रही हो .. मनो किसी पराए मर्द को देख लिया हो ...”
कनिका को अबीर की बैटन से चिड़ मच रही थी | उसे अबीर पर गुस्सा आ रहा था | वो गुस्से में बोली |
कनिका :: “भला ऐसे कोई बिना कपड़ों के घूमता है ...”
अबीर :: “तुम कहना क्या चाहती हो | मेरा कमरा है ... मेरी मर्ज़ी ... मैं कैसे मर्ज़ी रहूँ |”
कनिका को तो अब मन कर रहा था की ... अबीर को यही दफना दे | उसने एक गहरी सांस भरी | ओर फिर अबीर से बोली |
कनिका :: “अच्छा ठीक है | क्या काम है तुम्हे | पर उससे पहले प्लीज़ कपड़े पहन लो |”
अबीर :: “ठीक है ....तुम अपना हाथ हटा सकती हो |”
कनिका ने धीरे से अपना हाथ हटाया | अब तक अबीर ने अपनी शर्ट पहन ली थी | फिर कनिका अबीर से बोली |
कनिका :: “प्लीज़ वीर को समझा लो ... मेरे बच्चों से कुछ उल्टा सीधा न कहा करे ...”
अबीर :: “अच्छा ... ऐसा क्या कहा उसने ...”
कनिका :: “जो भी कहा हो .... पर मेरे बच्चो को गलत न सिखाए ...”
अबीर : “एक मिनट ... मिसेस अबीर कपूर ... शायद आप भूल रहीं हैं ... की वो बच्चे मेरे भी हैं |”
अबीर के मुह से ऐसी बात सुन ... कनिका ने हैरान होते हुए ... अबीर की तरफ देखा | अबीर ने जब कनिका को इस तरह खुद को देखते हुए पाया | तो उसे समझ आया की उसने अभी क्या कहा है |
तो अबीर जल्दी से अपनी बात सही करते हुए बोला |
अबीर :: “मेरी तुम्हारे साथ शादी हुई है | तो अब मैं तुम्हारे बच्चो का पापा हूँ |”
ये कहते कहते .. कब अबीर कनिका के करीब आ गया | कनिका को पता ही नही चला | अबीर जैसे जैसे कनिका के करीब आ रहा था | कनिका को उतना ही अबीर कुछ जाना पहचाना लग रहा था | कनिका बड़े ध्यान से अबीर की उन नीली गहरी आँखों में देख रही थी | कनिका को होश तब आया | जब अबीर ने कनिका के कानों में ... कहा ..
अबीर :: “यूँ ही देखती रहोगी .. तो कब मुझसे प्यार कर बेठोगी ... तुम्हे पता भी नहीं चलेगा मिसेस अबीर कपूर ...”
अबीर ने इस बात को बहुत ही मनमोहक तरीके से कहा था | की कनिका अंदर से कांप उठी थी | कनिका को मनो भूल ही गई थी की .. वो यहाँ आई क्यूँ थी | वो जल्दी से अबीर से दूर हुई | ओर हकलाते हुए बोली |
कनिका :: “क्या बकवास बाते कर रहे हो ..?”
अबीर :: “क्यूँ मैंने क्या कहा ...”
कनिका के पास अब कहने को कुछ भी नहीं था | उसका तो अब मन कर रहा था की यही खुद को जमीन में दफना ले | वो हकलाते हुए बोली |
कनिका :: “क्या काम है तुम्हे ...”
अबीर बड़े ध्यान से कनिका की तरफ देख रहा था | आज कनिका ने एक लोग ड्रेस पहन राखी थी | वाइट कलर की | ओर इस ड्रेस में कनिका किसी परि से कम नहीं लग रही थी |
अबीर का तो मन कर रहा था की कनिका को कस कर गले लगा ले |
पर वो अभी ऐसा कुछ भी नहीं कर सकता था | जिससे कनिका को उस पर शक हो जाए | की वो उसे पहले से जनता है | तो अबीर बोला |
अबीर :: “कुछ नहीं ... बस तुम्हे देखना था ...”
कनिका मन ही मन सोचने लगी |
“क्या ये आदमी दिमाग से पैदल है | मुझे देखना था | इसलिए मुझे यहाँ बुला रहा था | हद है यार | सही कहा है किसी ने .... इन मर्दों में दिमाग ही नहीं होता |”
तो फिर कनिका अबीर को बिना कुछ बोले ही वहां से चली गई | ओर अबीर बस कनिका को पिच्छे से जाते देखता ही रह गया |
फिर अबीर को रिया का किया गया वो मैसेज याद आया | जिसमे रिया ने लिखा था ...
“सर मैम को शक हो गया है | की उस रात वो इंसान आप ही थे |”
अबीर को ये सोचना था की सचाई को कनिका के सामने कैसे लाया जाए | जिससे की कनिका को ऐसा न लगे | की अबीर ने उसे धोखा दिया है | कयुनकि अबीर के लिए अब कनिका बहुत मायने रखती थी |
वो किसी भी हालत में कनिका को खोना नहीं चाहता था |