हाल ही में मैंने LRC (Leadership Reaction Course) के अंतर्गत कोई विडिओ देखा.. और तब अचानक मुझे एक बात याद आ गयी..
बात २००५-२००६ की है...
उस वक्त की बात है जब मेने नया नया होटल में काम करना शुरू किया था..
साल-दो साल बाद जब मेरी प्रमोशन होने वाली थी, तब मुझसे एक कोर्स करवाया गया था, और उसके बाद में मेरा टेस्ट लिया गया था..
उस वक्त मुझे इस कोर्स की कोई वेल्यू नहीं थी और ना ही वो कोर्स मुझे उतना महत्वपूर्ण लगा था.. मगर जब मेने इस को लेकर ये विडिओ देखा तब समज आया की ये कितना important था जिसको LRC (Leadership Reaction Course) कहते थे..
कोर्स तो हो गया मेरा... लेकिन मेरा task था की - "में उन लोगो को कैसे हॅन्डल करती हु जो अलग अलग डिपार्टमेंट में अलग अलग प्रोब्लेम्स से डील करते है।"
मतलब ये था की मुझे ऐसे लोको के साथ काम करना था जिनके सामने कई तरह की मुसीबतें आती रहती हो, और मुझे उन लोगो को उस हिसाब से हेंडल करना था जिससे उन लोगो की प्रॉब्लम या तो कम हो जाए या तो खत्म हो जाए.. और अगर मेने ये कर लिया तो में प्रमोशन की हकदार थी..
और तब मेने प्रोब्लेम्स के साथ साथ इन्सानों पर भी ध्यान देना शुरू किया.. मेने देखा की Female staff प्लानिंग में ज्यादा वक्त ले लेती थी और उस प्लान को अमल में लाने का उनके पास वक्त ही नहीं बचता था, जिस वजह से वो असफल रहती थी.. और Male staff बिना प्लानिंग के काम में कूद जाते थे और वो असफल रहते थे..
जो में समज पायी ये वो था की - जिस तरह अलग अलग लोगो की अलग अलग समस्या होती है उसी तरह अलग अलग लोगो का अलग अलग टेलेंट भी होता है..
में इस बात को २ तरह से देख सकती थी की
एक - Female ठीक से काम को अमल में नहीं लाते और Male कोई काम प्लान नहीं करते.. Which was true but with their negative qualities.. &
दूसरा - Female की प्लानिंग बड़ी अच्छी है और Male का काम को अमल में लेने का हौसला बड़ा अच्छा है.. Again this was true as well, but with their positive qualities..
फिर मेने अलग अलग कॉम्बिनेशन भी देखे
Male Staff & Female Staff
Nepali Staff & Bengoli Staff
Muslim Staff & Hindu staff
North Indian Staff & South Indian Staff
Rich Staff & Poor Staff
Local Staff & Expatriate Staff
तब एक बात मेरे दिमाग में आयी - की - ये सब लोग जिस माहौल में पले बड़े है सब ने अलग अलग तरह की प्रोब्लेम्स को देखा है.. और अपनी समस्या को सुलझाने में वो कही ना कही माहिर भी हो गए है..
फिर मेने सोचा - की –
अगर ये सब मिल जाए तो ? कितनी अच्छी टीम बन सकती है ?
कोई भी समस्या कितनी आसानी से हल कर सकते है हम ?
हारने के chances को कितनी हद तक कम कर सकते है हम ?
कितनी वरायटी है इंसानो की तो कितने नजरिये हो सकते है Problems को देखने के ??
कितने सारे विकल्प मिल सकते है हमे समस्याओ को सुलझाने के लिए ??
कितनी Creativities हो सकती है हमारे मसले सुलझाने की ??
यहाँ तक की एक-दूसरे की बात से सहमत ना हो तब भी उस कामको करने से पहले सावधानीसे काम लेने का आचरण और मजबूत हो जाता है...
कितने सारे blind spots को हम कवर कर सकते है नुकशान से बचने के लिए ??
सिर्फ एक टीम हो कर काम करने में जित की संभावनाए कितनी बढ़ जाती है ??
तो क्या हुआ अगर कामियाबी बांटनी पड़े, अलग तरह के लोगो की टीम होनी कितनी जरुरी है -
ये तब समज आ गया... कि - कितने सारे ideas और इंसानो को हम अपनी जिंदगी में शामिल कर सकते है..
फिर उसके बाद मेने काफी कुछ फेर-बदल कर दिया... प्रमोशन भी मेने अचीव कर लिया..
पर यकींन मानो मुझे उस प्रमोशन की उतनी ख़ुशी नहीं हुई जितनी की उस टीम को बनाने की हुई थी..
में ये कहना चाहती हु - की - जितकी ख़ुशीसे कई गूना बड़ी ख़ुशी प्रॉसेस की होती है, क्युकी हम जीते या हारे, मगर उस प्रॉसेस के दौरान हम कितने इंसानो को अपने जीवन में शामिल कर सकते है..
फर्ज करो की आप बहोत ही मुश्किल दौर से गुजर रहे हो.. आप को भला बुरा कहने वाला हजार इंसान आपको मिल रहा है आप को मानसिक रूप से भी बहोत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है... और तब कोई इंसान आ कर के आपको ये कहे दे की - "डरो मत,.. सब हो जाएगा.. तुम कर सकते हो... तुम को कभी मेने इतनी आसानी से हिम्मत हारते हुए नहीं देखा,.. अगर मुझसे हो पाएगा तो में भी आपकी हो सके उतनी हेल्प कर दूंगा.. "
"क्या आप उस इंसान को कभी भी भूल पाओगे जिसने आपको उस वक्त Up-Lift किया जिस वक्त आप सब से ज्यादा मायूस थे ? " - कभी नहीं
अफ़सोस ये है की हम में से ज्यादातर लोग इस बात को समझते ही नहीं है..
इंसानियत से कमायी हुई हमारी TEAM ही संसार का सब से बड़ा अवॉर्ड है ... फिर चाहे वो पर्सनल हो, प्रोफ़ेशनल हो, सोसियल हो, या पोलिटिकल हो...