दृष्टिकोण - 10 - ANGER ADRIL द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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दृष्टिकोण - 10 - ANGER

 

एक हिंदू संत जो गंगा नदी में स्नान करने के लिए जा रहे थे, जिसने किनारे पर एक परिवार के कुछ सदस्यों को चिल्लाते हुए पाया,.. एक दूसरे पर बड़े ही गुस्से में थे वो सब,..  

वह संत अपने शिष्यों की ओर मुड़ा और मुस्कुराया फिर उन्होंने अपने शिष्यों को धीरे से पूछा, - "लोग गुस्से में एक दूसरे पर क्यों चिल्लाते हैं ?"

शिष्यों ने कुछ देर सोचा,
उनमें से एक ने कहा, 'क्योंकि हम जब गुस्सा होते है तो अपना आपा खो देते है,.. और हम चिल्लाते हैं।'

फिर संत ने तार्किक अंदाज से फिर से पूछा, - "लेकिन, जब दूसरा व्यक्ति आपके ठीक बगल में है तो आप चिल्ला क्यों रहे हैं? आप उन्हें अपनी बात नरमी से भी कह सकते हैं।"

सभी शिष्यों ने कोई न कोई उत्तर दिए,.. पर जो अंदर से संतुष्ट करे वैसा कोई उत्तर किसी को नहीं मिला,.. 

अंत में संत ने समझाया, .
"जब दो लोग एक-दूसरे पर गुस्सा होते हैं तो उनके दिल एकदूसरे से बहुत दूर हो जाते हैं। और वो एक दूसरे के दिल की आवाज को सुनने में सक्षम नहीं रहते,.. और इस कारण उस दिलो की दूरी को कवर करने के लिए वे आपस में चिल्लाने लगते है, ...  वे जितने अधिक क्रोधित होंगे, उनके दिलो की दूरी उतनी ही बड़ी होगी,.. और उस अधिक दूरी को तय करने के लिए उन्हें अपनी बात और जोर से बोलनी पड़ती है,.. और वो जोर जोर से चिल्लाते है,.. "

उन्होंने आगे समजाते हुए कहा, "क्या होता है जब दो लोग प्यार में पड़ते हैं ?... वे एक-दूसरे पर चिल्लाते नहीं बल्कि धीरे-धीरे बात करते हैं, क्योंकि उनका दिल एक दूसरे के बहोत ही करीब होता हैं। उनके बीच की दूरी या तो ना के बराबर होती है, या फिर बहुत ही कम होती है..."

संत ने आगे कहा,
"जब वे एक दूसरे से और भी ज्यादा प्यार करते हैं, तो क्या होता है ? वे बोलते नहीं, केवल फुसफुसाते हैं,.. मतलब Whisper  करते है,.. और वे अपने प्यार में एक दूसरे के और भी करीब आ जाते हैं। यहाँ तक की बाद में कभी कभी एक दूसरे को बोलने की या Whisper करने की भी जरुरत नहीं रहती,.. वो एक दूसरे को देख कर भी समझ लेते है की सामने वाले ने क्या कहा,.. उनकी आँखे बोलने लगती है,.. एक दूसरे से,.. जो उनके दिलो में दूरिया रहने ही नहीं देती,.. और उनको एक दूसरे पर चिल्लाने की नौबत ही नहीं आती,.. " 

उसने अपने शिष्यों की ओर देखा और गंभीर होते हुए कहा - "बड़ी ही पतली रेखा होती है गुस्से के इस पार और उस पार में .. हर बार जब आप गुस्सा होते हो तो उस पतली वाली रेखा को छू कर वापस आ जाते हो,.. और इसलिए बहोत बार ऐसा होगा की आप गुस्सा हो गए और फिर गुस्सा वापस ठंडा हो गया,.. लेकिन जिस दिन आप उस पतली रेखा को टच कर के वापस नहीं आ पाए,.. तब आपको अपनी मानसिक स्थिति  सँभालने के लिए किसी डॉक्टर की जरूरत पड जाएगी,.. "


फिर एक ठंडी सांस ले कर उन्होंने सभी शिष्यों की और देखा और कहा - "एक बात का ध्यान हमेशा रखो - की -  जब तुम्हे गुस्सा आए या फिर तुम किसी से बहस करो तो दिलों को दूर मत होने दो, और ऐसे शब्द कभी मत कहो जो एक दूसरे को और दूर कर दें, ... वरना एक दिन ऐसा आएगा जब दूरी इतनी बड़ी होगी कि तुम्हें लौटने का रास्ता नहीं मिलेगा,... "


बात को आप चिल्ला कर कहते हो तो वो झग़डा गिना जाता है मगर वो ही बात को आप धीरी आवाज में कहो तो उसे चर्चा के रूप में लिया जाता है,.. 

बात वो करो जो दिल को लगे, न की दिल पर लगे...