प्यारी दुनिया... - 19 - सच पता न चले ..... Deeksha Vohra द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यारी दुनिया... - 19 - सच पता न चले .....

एपिसोड 19 (सच पता न चले .... )
कनिका का घर ...
कायर्व , कायरा ओर कनिका ... तीनो कनिका के घर के दरवाज़े के बाहर खड़े थे | कनिका ओर कायरा का ध्यान नहीं था .... तभी कायर्व ने अपना फ़ोन निकाला ओर किसी को मेसेज किया | सामने से दुबारा मेसेज आने के बाद कायर्व के चेहरे पर एक डेविल स्माइल थी | जो न ही कनिका ने देखि थी | ओर न ही कायरा ने |
कनिका ने डोर बैल बजाई | ओर एक लगभग 60 साल की औरत ने डोर खोला | जब उस औरत ने कनिका को देखा तो उसकी आँखें लाल हो उठी | उस औरत ने अपनी लड्खडाती आवाज़ में कनिका से बोला |
“कनु बिटिया ... आ गईं आप ...”
कनिका ने कास कर रोहिणी जी को गले लगाया ओर रोते हुए उनसे बोली | “आंटी ... हाँ मैं आ गई | ..” ओर अपने आंसू साफ़ करते हुए आगे बोली | “आंटी पापा कहाँ हैं | उन्होंने ने ही मुझे यहाँ बुलाया है ..”
रोहिणी जी ने एक कमरे की तरफ इशारा किया जाहन मिस्टर शर्मा कनिका का ही इंतज़ार कर रहे थे | तभी रोहिणी जी की नजर कनिका के साथ आये दो नन्हे मेहमानों पर पड़ी | रोहिणी जी ने जैसे ही कायरा को देखा ... तो वो समझ गईं | की हो न हो ये कनिका के ही बच्चे हैं |
कायरा अपनी बड़ी बड़ी आँखों से रोहिणी जी को देख रही थी | वो जानना चाहती थी ... की कौन है ये औरत .... जिसे देख उसकी माँ रो पड़ी | पर कायरा कुछ बोल पाती ... उससे पहले ही कायर्व ने कायरा के हाथ पकड़ा ओर वहां से कनिका के साथ जाने लगा | रोहिणी जी तो कायर्व को देखती ही रह गईं | कायर्व की नीली आँखें ... रोहिणी जी को किसी की याद दिला रहीं थी | कुछ देर सोचने के बाद ... रोहिणी जी ने रैरान होते हुए ... उस तरफ देखा ... जिस तरफ कायर्व गया था | ओर अपने सर को झुकाते हुए | पीछे से ही कायर्व को नमन कर दिया | कायर्व को मनो पता चल गया हो ... तो कायर्व मन ही मन बोला |
कायर्व :: “ किसी को कुछ पता न चले ... खास कर माँ को ...” ( मन ही मन )
रोहिणी जी के कानो में जैसे ही ये आवाज़ आई .... तो उन्होंने हाँ में अपना सर हिला दिया | ओर वहां से चली गईं |
अबीर के ऑफिस में ...
अबीर अपने काम में व्यस्त था | तभी उसके पास किसी का फ़ोन आया | वो फ़ोन वीर का था | अबीर के फ़ोन उठाते ही ... वीर जल्दी से बोला ||
वीर : ( घबराते हुए ) बॉस ... एक गड़बड़ हो गई है | मैम के पापा ने उहने आज खाने पर बुलाया है | ओर हो सकता है की ... मिस्टर शर्मा ... मैम को आज उनकी सचाई बता दें ... |
वीर की बात सुनने के बाद .... अबीर ने एक गहरी सांस ली | ओर फिर कुछ देर सोचने के बाद ... वीर से बोला |
अबीर : “अगर कनिका को सच पता चल गया ... तो दिक्कत हो जाएगी | गाड़ी तैयार करो |
ओर ये कहते ही .... अबीर अपनी चेयर से उठा उठा ओर ऑफिस से बाहर निकल गया | वीर कार पार्किंग में अबीर का इंतज़ार करने लगा | पर तभी उसे वहां रिया दिखाई दी | जो अपनी ही सोच में चले जा रही थी | तभी वीर को आज जो दिन में हुआ | वो सब याद आया | वीर गाड़ी से उतर ओर रिया के पास जाने लगा | रिया को होश ही नहीं था | की वो कहाँ जा रही थी | वो सीधा वीर से जा टकराई | ओर जैसे ही रिया गिरने वाली थी | वीर की मजबूत बाँहों ने रिया को थम लिया | ओर उसे गिरने से बचा लिया |
रिया ने जब अपने सामने वीर का चेहरा देखा ... तो मनो उसे होश आया हो | वो जल्दी से सीधे होते हुए | हकलाते हुए वीर से बोली |
रिया :: माफ़ करना सर | मेरा ध्यान कहीं ओर था |
वीर :: कोई बात नहीं | पर तुम इस वक्त यहाँ क्या कर रही हो | ऑफिस टाइम तो कब का खत्म हो चूका है |
रिया :: हाँ सर | वो मुझे कुछ काम था | तो बस ...
वीर :: तो अब ...
रिया :: वो मुझे कायर्व ने ... कनिका के घर पर बुलाया है | तो बस वहीँ जा रही हूँ |
वीर :: ओह ... मैं ओर अबीर सर भी वहीँ जा रहे हैं | तुम हमारे साथ ही चल पदों |
रिया :: अरे नहीं सर ... मैं चली जयुंगी | आप चिंता न करें |
वीर भला कैसे चिंता न करता | आज जो उसने ऑफिस में रिया का हाल देखा था .. उसके बाद तो वीर का मन कर रहा था | की हमेशा के लिए | रिया को अपने पास ही रख ले | ताकि उसे कोई परेशान ने कर पाए |
वीर :: तुम हमारे साथ चल रही हो | बस |
रिया आगे कुछ बोल पाती .. उससे पहले ही अबीर वहां आ गया | ओर गाड़ी में बैठते हुए उन दो नमूनों से बोला | जो झगड़ा करने में लगे थे |
अबीर :: अगर तुम दोनों का हो गया हो .. तो हम चल सकते हैं |
अबीर की भयानक आवाज़ सुन ... रिया ओर वीर की तो मनो रुक अंदर तक कांप गई हो | वो दोनों जल्दी से गाड़ी में बैठे ओर वीर ने गाड़ी स्टार्ट कर दी | कुछ ही दवेर में तीनो ... कनिका के घर पहुंच गये थे |