प्यारी दुनिया... - 16 - क्या वीर जनता है ....? Deeksha Vohra द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यारी दुनिया... - 16 - क्या वीर जनता है ....?

एपिसोड 16 ( क्या वीर जनता है ...?)
कनिका कायर्व से बात करना चाहती थी | पर अभी सही समय नहीं था | उसने सोचा की आराम से घर पर जाकर बात करुँगी | कनिका सोफे से उठी ओर कायरा को अपनी गोद में उठाया | जो अभी भी सो रही थी | पर कमरे का दरवाज़ा खोलते ही ... कनिका किसी से टकरा गई | जिसकी वजह से कायरा भी उठ गई थी | वो ओर कोई नहीं बल्कि अबीर था | जहाँ अबीर को देखा कायरा ख़ुशी से चेह्क रही थी | वहीँ अबीर के इतना करीब होने से कनिका को कुछ जाना पहचाना सा एहसान हो रहा था | कनिका कभी भी किसी लड़के के इतना करीब नही आई थी |
“माफ़ करना ... मेरा ध्यान नहीं था ...” कनिका जल्दी से अबीर से बोली |
“कोई बात नहीं ..” ये कहते ही अबीर ने कायरा को .. जो उसे अपनी बड़ी बड़ी आँखों से खुसे से देख रही थी ... उसे अपनी गोद में ले लिया | ओर बिना कनिका की तरफ देखते हुए उससे बोला | “चलो .. मैं तुम सब को छोड़ देता हूँ ...”
कनिका कुछ कहना चाहती थी | पर कुछ सोच कर उसने हामी भर दी | कुछ दिन अब यूँ ही बीत चुके थे | कायर्व का गुस्सा अब दिन प्रति दिन ओर भी बढ़ता जा रहा था | जैसे ही रिया ने कायर्व से कहा |
“बॉस ... आपकी माँ के साथ ये सब करने वाला ओर कोई नहीं बल्कि उन्ही की बहन पलक थी ...”
कायर्व अपने कमरे में था | रात के करीब 2 बज रहे थे | कायर्व को अकेला सोना ही पसंद था | तो इस वक्त कमरे में कायर्व ओर रिया के अलावा कोई नहीं था |
गुस्से में कायर्व की आँखें लाल हो चुकीं थी | उसने साड़ी त्यारियां कर लीं थी | की कैसे वो अपनी माँ के साथ हुए इस धोखे का सब गुन्हे – गारों से चुन चुन कर बदला लेगा | पर उस क्र लिए ... कायर्व को अबीर की मद्दत चाहिए होगी | रिया आगे कुछ कहना चाहती थी | पर उससे पहले ही किसी ने कायर्व के कमरे का दरवाज़ा खोल दिया | रिया ओर कायर्व दोनों ने दरवाज़े की तरफ मुड़कर देखा ... वहां कोई ओर नहीं बल्कि कनिका थी |
जब कनिका किचन में पानी लेने के लिए जा रही थी .. तो उसने देखा की कायर्व के कमरे की लाइट्स अभी तक on हैं | तो वो चेक करने के लिए आ गई | दरवाज़ा खोलते ही ... किका ने देखा की कायर्व एक किताब पढ़ रहा था | तो वो कायर्व के पास आती हुई ओर प्यार से उसका सर सहलाती हुई कायर्व से बोली |
“बहुत टाइम हो गया है | तुम्हे अब सो जाना चाहिए ...”
“बस ममा ... बुक ख़तम होने ही वाली है ... थोड़ी देर में सो जायूँगा | ...” कायर्व बोला |
तो कनिका ने आगे कुछ नहीं कहा | भले की कायर्व 2 साल का था | पर फिर भी वो बहुत समझदार था | कनिका को कायर्व की बहुत फिकर होती थी | पर वो कुछ नहीं कर पाती थी | डॉक्टर्स का भी यही कहना था की ... कुछ बच्चे होते हैं ... जिनका दिमाग अपनी उम्र से भी ज्यादा होता है | कनिका ने प्यार से कायर्व के माथे पर किस किया वो वहां से चली गई |
कनिका के कायर्व के कमरे से जाने के बाद ... कायर्व बोला |
“बाहर आ जाओ ...”
ये बात सुन एक नागिन वहां आई .... ओर कुछ ही पलों में उसने रिया का रूप ले लिया | रिया कायर्व से बोली |
“बॉस ... आज तो बाल बाल बचे ... अगर कनिका को पता चल जाता की मैं कौन हूँ ... तो गडबड हो जाती ...”( एक गहरी सांस लेते हुए )
“उस बात की चिंता तुम मत करो ... अभी जाओ ... मैं कल मिलता हूँ ...”कायर्व बोला | फिर रिया वापिस अपने नागिन रूप में आई | ओर वहां से चली गई | घर पहुंचे ही ... रिया को नहीं पता था की एक मुसीबत उसका इंतज़ार कर रही है | जैसे ही रिया ने अपने घर में कदम रखा तो उसे वहां वीर दिखाई दिया | जिसे देख रिया थोड़ी सहम गई | उसे समझ नहीं आ रहा था की वीर उसके घर में क्या कर रहा है | रिया कुछ पूछ पाती ... उससे पहले ही वीर रिया से बोला |
“कायर्व बाबा ने मुझे तुम्हे ये पेपर्स देने को कहा है ...”वीर कुछ पपेर रिया को थमाते हुए बोला | रिया को कुछ समझ नहीं आया | उसने वो पेपर्स लिए ओर देखने लगी की क्या हैं उन में | उन पेपर्स में पलक के बारे में कुछ ऐसी बाते थी ... जो किसी को मालूम नहीं थी | ओर पलक को बर्बाद करने के लिए काफि थीं | वो पेपर्स पढ़ते ही रिया मन ही मन सोचने लगी |
“ये पलक जितनी दूध की धूलि दिखाती है ... उतनी है नहीं ...” ये सोचते ही रिया के मन में एक ओर ख़याल आया | वो खुद से ही बुदबुदाई |
“एक मिनट ... वीर सर मुझे ये पेपर्स दे रहे हैं .. तो क्या इसका मतलब ये है ... की उन्हें मेरी सचाई पता है ...” ये ख़याल आते ही रिया ने अपनी बड़ी बड़ी आँखों से वीर की तरफ देखा ... जो उसे ही देख रहा था | पर बिना रिया की परवाह किये ही वीर वहां से चला गया | पूरी रात रिया को नींद नहीं आई | उसके दिमाग में बार बार वीर के ही ख्याल आ रहे थे | हॉस्पिटल में जैसे वीर ने रिया का ध्यान रखा था ... वो रिया के दिल को मनो अच्छी लगी हो | वो वीर की केयर को भुला ही नहीं पा रही थी | यही सब सोचते सोचते रिया की कब आँख लग गई ... उसे पता ही नहीं चला |