अरूण और पाखी की नोंक झोंक :
पाखी जो अरूण की कॉफी बना रही थीं और खुद में ही बड़बड़ाते हुए कहती है, "बस अब यही काम करना रह गया कॉफी बनाओ और इस लंगूर को पिलाओ जैसे वे खुद है वैसी ही कॉफी पीते है कड़वी मुंह बनाते हुए पाखी कहे जा रही थीं",,, पाखी की दिल की धड़कन बढ़ जाती है, वो मन में ही कहती है, "इस लंगूर का दिमाग खराब हो गया है क्या"? इस लंगूर ने हमारा दुपट्टा क्यों पकड़ लिया है, पाखी एक बार फिर कोशिश करती है आगे बढ़ने की दुपट्टे के खींचने के कारण पाखी आगे नही बढ़ पाती। तभी यह क्या बत्तमीजी है पाखी गुस्से से कहते हुए पीछे पलटती है, पाखी की आवाज़ सुनकर अरूण जो कॉफी का मग एक हाथ में लिए दुसरे हाथ में पकड़ी फाईल को देख रहा था पाखी की आवाज़ सुनकर उसकी तरफ देखता है। तभी यह क्या बत्तमीजी है पाखी गुस्से से कहते हुए पीछे पलटती है, पाखी की आवाज़ सुनकर अरूण जो कॉफी का मग एक हाथ में लिए दुसरे हाथ में पकड़ी फाईल को देख रहा था पाखी की आवाज़ सुनकर उसकी तरफ देखता है। पाखी जो अरूण को देखती है उसके एक हाथ में कॉफी का मग दुसरे में फाईल होती है तभी उसकी नजर अपने दुपट्टे पर जाती है जो टेबल के कोने में फंसा हुआ था जिसे देख कर पाखी के चेहरे का रंग बदल जाता है,,,,,,,
उसे अपनी गलती का अहसास होता है , और खुदसे ही कहती है बोलने से पहले एक बार देख तो लिया कर पाखी। अब ये लंगूर हमे नही छोड़ेगा।।। पाखी अरूण की तरफ देखती है और हल्की सी स्माइल करते हुए अपने दुपट्टे को निकालने की कोशिश करती है "अरूण अपनी चेयर से उठता है और पाखी को देखते हुए उसके पास आकर उसका फंसा हुआ दुपट्टा निकाल कर कहता है" क्या कहा था अभी तुमने? पाखी पीछे होते हुए कहती है कुछ भी तो नहीं और नकली हसी हस्ती है
अरूण आगे बढ़ते हुए कहता है नही मेने सुना तुमने कुछ कहा ।
जब सुन लिया है तो पुछ ही क्यों रहे हो ? कहते हुए पाखी पीछे दीवार से टकरा जाती है ।
पाखी जैसे ही साईड से जानें लगती है अरूण अपना हाथ दीवार से सटा देता है पाखी दुसरी साईड से जानें को होती है अरूण दुसरी साईड भी अपना हाथ दीवार से सटा देता है जिसके वजह से पाखी अरूण के दोनों हाथो के बीच में दीवार से लग कर खड़ी हो जाती है,,,,, तभी अरूण पाखी से कहता है बत्तमिजी कहा था न तुमने बत्तमीजी किसे कहते है बताऊं तुम्हे? वो अपने चेहरे को पाखी के चेहरे के सामने लाकर कहता है। जिसे देख पाखी घबरा जाती है और अपनी नजरे नीचे कर लेती है, अरूण जो बस पाखी को देखे ही जा रहा था। पाखी को देखते हुए वो उसकी खुबसूरती में कही खो सा गया था। पाखी धीरे से कहती है सॉरी जिसे सुन अरूण अपने होश में आता है और पीछे हटते हुए कहता है आगे से ध्यान रखना कुछ भी कहने से पहले देख लेना । पाखी अपना सर हा में हिलाती और वहा से चली जाती है। अरूण वापस से अपना काम करने लगता है थोड़ी देर बाद मयंक वहा आता है एक लंबी सांस लेते हुए वो अरूण से कहता है मिस्टर मेहरा मान गए है हमारे साथ ये प्रोजेक्ट करने के लिए आज शाम उन्होंने एक मीटिंग फिक्स की है । अरूण ओके कहता है।
मयंक वहा से जानें लगता है तभी अरूण उसे रोकते हुए कहता है उस बक बक को भी इन्फॉर्म कर देना। मयंक यह सुन कर अपना सर खुजलाने लगता है वो सोचते हुए कहता है ये बक बक कोन है,🤔
अरूण जो उसे ही देख रहा था उसकी कन्फ्यूजन दूर करते हुए कहता है ज्यादा मत सोचो उसी की बात कर रहा हू जिसे तुम लेकर आए हो।
मयंक : सर मेने मिस पाखी को पहले ही इनफॉर्न कर दिया है वो उसी की परेप्रेशन कर रही है। अरूण ठीक है , उसे कहना 7 बजे मेरे कैबिन में आजाये ।
मयंक : ओके सर।
पाखी जो अपने डेस्क पर अपनी कोहनी रख कर अपने चेहरे को हाथ पर टिकाते हुए सोच रही थीं 🤔
ऑफिस का पहला दिन हमारा इतना स्ट्रेस भरा होगा हमने कभी नही सोचा था , फिर मुंह बनाते हुए कहती है ये सब उस लंगूर की वजह से हुआ है, खडूस कहीं का वो ये सब बोल ही रही थीं तभी उसका फ़ोन रिंग होता है, पाखी देखती है काव्या उसे कॉल कर रही है, पाखी फोन पिक करती है, पाखी : हेलो
काव्या : तो मैडम कैसा चल रहा है आप का पहला दिन ऑफिस में । पाखी : हेलो
काव्या : तो मैडम कैसा चल रहा है आप का पहला दिन ऑफिस में । पाखी : सब बताएंगे तुम्हें घर आकर । काव्या हमें थोडी
देर हो जाएगी आने में ।
काव्या : क्यों ?
पाखी : हमे बॉस के साथ एक मीटिंग में जाना है ।
काव्या : लेकिन आज तो तुम्हारा पहला दिन है फिर तुझे क्यों ही जाना है ?
पाखी : हम तुम्हें सब बतायेंगे । बट कॉल पर नही हमे घर आने दो । काव्या : ओके! बोलकर कॉल कट कर देती है ।
पाखी अपनी डेस्क पर बैठी अधूरी फाईलो को कंप्लीट कर रही थीं । वो घड़ी की तरफ देखती है, 7बजने वाले थे, वो जल्दी जल्दी फाईल कंप्लीट करके अरूण की कैबिन की तरफ जानें लगती है। कैबिन के पास पहोंचकर पाखी नॉक करती है, अरूण की आवाज़ सुनकर पाखी अंदर जाती है । अरूण : फाईल्स कंप्लीट है ?
पाखी : यस सर!
अरूण : ठिक है चलो ।
अरूण आगे पाखी अरूण के पीछे चलने लगती है,
पाखी के एक हाथ में उसका हैंडबैग दुसरे हाथ से फाईल पकड़ी हुई थीं । वो जैसे तैसे ख़ुद को संभालते हुए चल रहीं थीं अरूण जो उसके आगे बिना कुछ भी हाथ में लिए चल रहा था उसे देख कर पाखी मुंह बनाते हुए कहती है "चल तो ऐसे रहे है जैसे कहीं के राजा हो और हम सारे उनके नोकर" तभी वो सामने से आ रहे एक आदमी से टकरा जाती है वो खुदको और फाइलों को तो संभाल लेती है पर उस आदमी ने जो अपने हाथ में पानी का ग्लास पकड़ा हुआ था वो सारा पाखी के कपड़ो पर गिर जाता है जिससे पाखी के सारे कपड़े गीले हो जाते है । जब अरूण पाखी को पीछे मुड़कर देखता है तो वो उससे कहता है तुम एक भी काम सही से नही कर सकती सही नाम रखा है मेने तुम्हरा "राजधानी एक्सप्रेस" पाखी यह सुन अरूण को घुर कर देखती है अरूण उसे तो जैसे कोई फर्क ही नही पड़ रहा था । अरूण : अब चलोगी या यहीं खड़ी रहोगी ?
पाखी : अपने गुस्से को कंट्रोल करते हुए कहती है, हमारे कपड़े गिले हो चुके है ऐसे में हम कैसे मीटिंग में जा सकते है ?
अरूण : अपना मुंह बंद करो और चुप चाप चलो ।
पाखी : जो गुस्से से पुरी लाल हो चुकी थीं बिना कुछ बोले अरूण पीछे चली जाती है। दोनों कार में बैठते है अरूण ड्राइवर को इंस्ट्रक्शन देता है अरूण का इंस्ट्रक्शन सुनते ही ड्राइवर सड़क पर गाड़ी भगाने लगता है कुछ ही मिनट में वो लोग पहुंच जाते है , अरूण को कार से उतरता देख पाखी भी उतर जाती है।
अरूण : फाईल्स को कार में ही रहने दो। और मेरे पीछे आओ।
पाखी जो चुप चाप अरूण की बाते सुन रही थीं वो जैसा कहता है, पाखी वैसा ही करती है। वो बिना कुछ बोले अरूण के पीछे चली जाती है । वो दोनों एक बुटीक में एंटर होते है, पाखी ये देख कर हैरान थीं की वो मीटिंग में जानें की बजाए बुटीक में आए है, बुटीक जो काफ़ी बड़ा था वहां रखी सभी ड्रेसे बहुत ही एक्सपेंसिव दिख रही थी उनके डिजाइन को देख कर कोई भी कहता वो एक एक ड्रेस उनकी कीमत हजारों से लाखो में थी। पाखी ये देख कर हैरान थीं अरूण उसे इतने बड़े बुटीक में लेकर आया है,,, पाखी कुछ कहती इससे पहले अरूण उसकी तरफ़ देखते हुए कहता है, तुम्हे जो ड्रेस अच्छी लग रही हो उसे लो और चेंज करके आओ। जल्दी करो । हमे मीटिंग के लिए देर हो रही है,,,पाखी उसकी तरफ देखते हुए कहती ये ड्रेसे काफी ज्यादा एक्सपेंसिव है हम इन्हें नही खरीद सकते। अरूण पाखी को गुस्से से देखते हुए कहता है, जितना कहा है उतना करो।
पाखी अरूण का गुस्सा देख कर थोड़ा डर जाती है, वो जल्दी से अपनी नजरे अरूण से हटा कर इधर उधर देखने लगती है, वो ड्रेसेज को देखते हुए कहती है, हम इस तरह के कपड़े नहीं पहनते अब क्या करे हम पाखी ये सोच ही रही थीं। तभी उसकी नजर एक कोने में जाती है जहा पर एक ब्लू कलर की सिफोन की साड़ी हैंगर में लगी थीं पाखी उस ओर बढ़ती है और उस साड़ी को लेकर चेंजिंग रूम की तरफ चली जाती है।।।।। *************************
तो मेरे साइलेंट रीडर्स आज का एपिसोड कैसा लगा आपको ?