भारत एक बौद्ध और संवैधानिक राष्ट्र Er.Vishal Dhusiya द्वारा पत्रिका में हिंदी पीडीएफ

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भारत एक बौद्ध और संवैधानिक राष्ट्र

मैं किसी धर्म की अवहेलना नहीं कर रहा हूँ और नहीं मेरी किसी के भावना को ठेस पहुंचाने की मनसा है। मैं तो बस उन सभी धर्मों की कुरीतियों को बता रहा हूँ जिसे खत्म करने का प्रयास किया जाए। अगर मेरी बातों से किसी को बुरा लगे तो मैं दिल से माफी चाहता हूं। कृपया भारत की प्राचीन संस्कृति और विरासत को बचाए। 

आजकल ट्रेंड चल रहा है। भारत को धार्मिक राष्ट्र बनाने की। कोई हिन्दू राष्ट्र तो कोई इस्लाम तो कोई सीख या ईसाई राष्ट्र। लेकिन इतिहास खंगाला जाए तो इनमें से कोई भी यहां का मूलधर्म नहीं है और न ही इस देश को लूटने के अलावा कुछ किया है। अगर भारत की सच्ची इतिहास उठाकर देखा जाए तो भारत का मूलधर्म बौद्ध धर्म है। यह धर्म तब विद्यमान थी, जिस समय हड्प्पा व सिंधुघाटी सभ्यता आज की तरह विकसित थी। आज जो हिन्दू-मुस्लिम-सीख-ईसाई अपने अपने धर्म का प्रचार- प्रसार कर रहें हैं तथा अपने धर्म को मुक्ति का द्वार बताते फिर रहें हैं। उनके नियम कानून देखें तो उन सभी में जाति - पाती, ऊंच-नीच की भेद भावना शीर्ष पर है। इन धर्मों में पशुबलि , जीव हत्या भी विद्यमान है। लेकिन बौद्ध धर्म की बात की जाए तो ऐसा आजतक कोई प्रमाण नहीं मिला। बौद्ध धर्म सिंधुघाटी सभ्यता के समय था, तब कोई हथियार के बारे में कोई जानता नहीं था। इसलिए बौद्ध धर्म को विश्वभर में शांति का प्रतीक माना जाता है। भगवान बुद्ध व उनके अनुयायियों ने सुख व शांति की प्रचार प्रसार की। भगवान बुद्ध ने कभी अपने आपको भगवान नहीं कहा और नहीं किसी को अपने से उम्मीद करने को कहा। उन्होंने यहां तक कह दिए कि मैं तुम्हें सिर्फ मार्ग बता सकता हूँ लेकिन चलना तुमको है। बौद्ध धर्म को विज्ञान युग भी कहा जाता है क्योंकि सिंधु घाटी सभ्यता में लोगों ने खेती करना तथा तरह तरह की चीजें बनाना सीख लिया था। उस समय आज की तरह केवल इन्टरनेट युग और इलेक्ट्रिक युग नहीं था। और भगवान बुद्ध ने सबके जीवन में होने वाली भौतिक और रासायनिक घटनाओं को जानने तथा तार्किक बनने को कहा। उन्होंने मूर्ति पूजा को भी महत्व नहीं दिया। जबकि अन्य धर्मों में अनेक कुरीतियां भरी पड़ी हैं। कुछ धर्मों में मूर्ति पूजा करने पर सर अलग कर दिया जाता है, खून खराबा होता है। बल्कि बुद्ध धर्म के अलावा सभी धर्मों में आपको जबरन धर्मान्तरण करने के लिए मजबूर किया जाता है, लेकिन बुद्ध धर्म में ऐसा कुछ नहीं है। इसमें आपको आपके इक्षा पर छोड़ दिया जाता है। बौद्ध धर्म विश्व के सभी मानवों को एकसमान समझा उनमें ऊँच नीच की भेदभाव नहीं की तथा पशु पक्षियों को भी उनके आजाद जीवन जीने का समर्थन किए। आज पुरातात्विक खोज के आधार पर स्पष्ट है कि भारत का मूलधर्म बौद्ध धर्म है। डॉ अम्बेडकर भगवान बुद्ध से प्रेरित होकर तथा उन्हीं के सिद्धांत पर भारत का संविधान बनाए। जिसमें सबको एकसमान रहने तथा अपना अधिकार मांगने का हक दिया गया है। इसलिए भारत एक बौद्ध और संवैधानिक राष्ट्र है। 

         -  विशाल कुमार धुसिया