राशिद ने खत में आगे लिखा - "भाई जान आप मुझे माफ कर देना। अम्मी, अल्लाह ताला ये गुज़ारिश करना कि अगले जनम में आप ही का बेटा बनूं।"
सुबह जब राशिद घर में नहीं मिला तो इन बहनों ने इसमें हम माँ-बेटे की चाल बताकर बहुत मारा मुझे तब मैंने वो ख़त इनके मुँह पर मारा। इन्होंने भी बहुत ढूंढा राशिद को पर वो कहीं नहीं मिला..ये दोनों आज भी राशिद की तलाश में घूमती रहती हैं। घर चलाने के लिए मेरे सारे जेवर बेच दिए इन्होंने।
अम्मी के मुँह से राशिद के लापता हो जाने की बात सुनकर मैं अपनी किस्मत पर बहुत रोई। अम्मी ने बताया कि दोनों बहनों ने राशिद के घर छोड़ जाने की बात किसी को नहीं बताई। अगर कोई पूछता है तो सबको यही बताती है कि वो नौकरी के सिलसिले में शहर से बाहर गया।
वो दोनों आ ना जाएं इसलिए मैंने अपनी बहनों के साथ उस घर से जल्दी-जल्दी अपनी और राशिद की कुछ यादें समेटी और अम्मी को साथ चलने के लिए कहा पर अम्मी अपने बीमार बेटे यानी जेठ को बीमारी की हालत में छोड़कर जाने को तैयार नहीं हुई।
मजबूरन हम अम्मी को साथ लिए बिना ही आ गए पर पिंजर बनकर बिस्तर पकड़ चुके भाई जान भी लगभग दो तीन महीने बाद इस दुनिया को अलविदा कह गए। अब फिरदौस और बानो अम्मी को और ज्यादा तंग करने लगी इसलिए मैं उन दोनों के घर से बाहर जाने का मौका मौका ढूंढने लगी ताकि अम्मी को अपने पास ले आऊँ।
एक दिन छोटी बहन ने उन दोनों को रेल्वे स्टेशन की तरफ जाते देखा तो उसने मुझे बताया और मैं अम्मी को अपने साथ ले आई। अब हम पर मेरी बीमार और बुजुर्ग सास की जिम्मेदारी भी आ गई थी।
मेरा चुपचाप अम्मी का अपने पास ले आना फिरदौस को अच्छा नहीं अच्छा लगा । एक दिन वो हमारे घर के आगे बहुत चिल्ला चिल्लाकर आवाजें लगाने लगी। मैं सवारियां उतार कर आई ही थी कि घोड़ेगाड़ी की आवाज सुनकर बाबू बाहर आ गया। मैं जेठानी की बातें अनसुनी कर घोड़ागाड़ी को अंदर खड़ी करने लगी। तभी फिरदौस ने भागकर बाबू को गोदी ले लिया और उसे घोड़ागाड़ी पर बिठा दिया। आपा दौडकर दुकान से बाहर आ गई।
जब तक मैं कुछ समझती फिरदौस ने बादशाह के पैरों पर चाबुक मारना शुरू कर दिया। चाबुक की मार से बादशाह बिदक गया। उसने अपने पैर उठाने की कोशिश तो बाबू घोड़ा गाड़ी से गिर गया। मैं चिल्लाई इतने में अंदर से अम्मी जान, छोटी आपा सब आ गए। सब को देखकर फिरदौस भाग गई। बाबू सिर के बल गिरा था इसलिए वो सूना हो गया था और बिल्कुल नहीं रोया।
हमने भंवर बाबासा को बुलाया। बाबोसा के कहने पर हम बाबू को दवाखाना (अस्पताल) लेकर गए। वहाँ इसका एक्सरे हुआ तो बताया माथे में गहरी चोट लगी है। उस दिन के बाद धीरे-धीरे बाबू का सारा शरीर अकड़ने लगा वो खडा भी नहीं हो पा रहा था। हमने हर पीर पैगम्बर से दुआ मांगी, हर अस्पताल में दिखाया पर ये ठीक नहीं हुआ।
क्रमशः...
सुनीता बिश्नोलिया