आंसु पश्चाताप के - भाग 1 Deepak Singh द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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आंसु पश्चाताप के - भाग 1

भाग १
आँसु पश्चाताप के

शाम के धुले प्रकाश में एक खूबसूरत औरत बनारस सागर के तट पर किसी का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रही थी , मगर जब दिये हुए समय को इंतजार की घड़ियां पार करने लगी तो उसका उत्सुक पल मायूसी के छण में तब्दील होने लगा और वह निरास मन से चहल कदमी करने लगी ।

इतने में एक व्यक्ति को अपनी तरफ आते हुए देखकर उसकी आंखों में चमक आ गई उसका मायूसी भरा पल खुशी के पल में तब्दील हो गया अभी वह अपने पास आये व्यक्ति से कुछ कहती की वह पहले ही पहल किया ।

सारी कल्पना मुझे यहाँ आने में देर हो गई ।
परन्तु मुझे पूरा यकीन था कि तुम यहाँ जरूर आओगे ।
हाँ पर तुम मुझे यहाँ क्यों बुलाई हो ?
प्रकाश कुछ बातें ऐसी होती हैं जो किसी खास समय और स्थान पर कही जाती है ।

लेकिन मेरे प्रति वह कौन सी ऐसी बात है ? जो तुम मुझे अपने घर पर नहीं कह कर यहाँ कहना चाहती हो ?
सुनो प्रकाश कोई अपने घर बुलाकर अपने बुरा चाहने वाले को भी यह नहीं कह सकता कि तुम मेरे घर मत आना और तुम तो मेरे लिए भगवान जैसे आदरणीय हो फिर मैं तुम्हें अपने घर बुलाकर कैसे कह सकती हूँ , कि तुम मेरे घर मत आना . . . .

कल्पना की बात सुनकर प्रकाश के पैरों तले जमीन खिसक गई कल्पना के होठों से निकला हुआ यह शब्द उसके मस्तिष्क को झकझोर कर रख दिया ।
वह अपनी फटी फटी आंखों से उसकी तरफ देखकर बोला ।
यह तुम कह रही हो ?
हाँ प्रकाश मै कह रही हूँ ।
लेकिन ऐसा क्यों ?
क्योंकी यह समाज मेरे लिए तुमको कुछ और समझना शुरू कर दे जो तुम नहीं हो ।

मगर तुम मुझे जानती हो कि मैं तुम्हारे लिए क्या हूँ ?
जानती हूँ , इसलिए तुम्हें भगवान जैसा आदरणीय समझती हूँ लेकिन यह समाज हमारे रिश्ते को नहीं समझेगा और हकीकत जाने बगैर ही कीचड़ उछालना शुरु कर देगा ।

समाज तो सदियों से प्यार का दुश्मन है और आगे भी रहेगा , समाज में हर तरह के लोग रहते हैं और हर एक की अपनी अलग सोच होती है जो जैसा होता है उसका सोचने का तरीका भी वैसा ही होता है ।
क्या तुम भी मेरे लिए वही सोच रखती हो जो और लोग सोचते हैं । नहीं . . .
फिर समाज के चक्कर में क्यों पड़ गई ।
क्योंकी तुम एक शादी शुदा इंसान हो और मैं एक अबला नारी हूँ , मेरे साथ रहकर तुम भी बदनाम हो जाओगे । अगर लोगों की छींटा कसी किसी रोज ज्योती के कानों तक पहुंची तो उसके दिल में तुम्हारे लिये प्यार की जगह नफरत का अंकुर पनपने लगेगा और वही नफरत तुम दोनों के बीच एक नफरत की दीवार बन जायेगी ।

नहीं ऐसा नहीं होगा मेरी ज्योती सकारात्मक सोच रखती है , वह मुझ पर अटूट विश्वास करती है ।

अटूट विश्वास तो भगवान श्री राम जी को सीता माता पर भी था परन्तु समाज ने वह कलंक लगा दिया जिसके चलते भगवान श्री राम जी को सीता माता का त्याग करना पड़ा ।

प्रत्येक नारी को अपने पति पर अटूट विश्वास होना चाहिये क्योंकी पति पत्नी का पवित्र रिश्ता विश्वास पर टिका होता है ।
लेकिन एक बात याद रखना कोई नारी अपने पति को किसी पराई औरत के पास नहीं देखना चाहती है और हर औरत की यही चाहत होती है कि उसके पति पर किसी गैर औरत का साया तक न पड़े ।
तुम समझदार हो . . . खुद सोचो अपने लिये और साथ ही साथ मेरे लिये भी ।