रहस्यमय जंगल.. Saroj Verma द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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रहस्यमय जंगल..

ओहो...आज फिर ये अजीब सी खबर छपी है अखबार में,ना जाने क्यों उस जंगल में जाकर लोंग खो जाते हैं,इन्सानों का झुण्ड का झुण्ड गायब हो जाता है,फोरेस्ट आँफिसर लालबहादुर सिंह बोले....
आपको क्या लेना देना उस जंगल से ,आपकी ड्यूटी थोड़े ही वहाँ पर लगी है,लालबहादुर सिंह की पत्नी सुजाता बोली....
तो क्या हुआ?मेरा विभाग तो यही है,किसी को कुछ हो जाता है तो मुझे भी बुरा लगता है,लालबहादुर सिंह बोलें...
तभी लालबहादुर सिंह के पिता सुन्दरलाल जी बोलें.....
मैंनें भी ऐसे एक जंगल के बारें में सुन रखा है,जब मैं काँलेज में था,तब उस समय उस जंगल की खबर आई थी,ऐसी घटना मैने अपने जीवन में पहली बार सुनी थी....
पिताजी!क्या आप मुझे भी वो घटना सुना सकते हैं,लालबहादुर सिंह बोलें...
हाँ!क्यों नहीं!लो तुम भी सुनो और इतना कहकर सुन्दरलाल जी ने कहानी सुनानी शुरू की...

शंकरनगर गाँव के पास एक बडा सा जंगल था जिसका नाम आलौलिक जंगल था,कहा जाता था कि जो भी वहाँ जाता था तो वो वापस लौट के नही आता था, एक और बहुत बड़ी रहस्यमय बात यह थी उस जंगल में कि वहांँ जाने के बाद कुछ लोग ये भी दावा करते थे कि अपनी जंगल यात्रा के दौरान बिताए वो घण्टे उन्हें याद ही नहीं रहते थे, उस समय में उनके साथ क्या हुआ?वो किससे मिले?इस बारे में वो पूरी तरह से अनजान होते थे,वें सबकुछ भूल जाते थे, मष्तिष्क पर बहुत जोर डालने के बाद भी उन्हें इस बारे में कुछ भी याद नहीं रहता था,हाँ! इतना जरूर याद रहता था कि कोई अन्जानी सी शक्ति उन्हें रास्ता दिखाती थी और वें सब उसी रास्ते पर चलते चले जाते थे उस बीच उस समय की यादें उनके मष्तिष्क से एकदम गायब रहतीं थीं...
वो जंगल काफी बडा और घना था,कहा जाता था कि उस जंगल में ऐसी जडी बूटियाँ थी कि उनका इस्तेमाल मनुष्य दवा बनाने में कर सकता है,वें जड़ीबूटियांँ अनमोल थी,वें जड़ीबूटियाँ मृत देह में भी प्राण फूँक सकतीं थीं,उस जंगल में कभी कभी बाँसुरी की धुन सुनाई देती थी जिसके बारे में आज तक कोई नही जान पाया कि वो कौन बजाता था, लेकिन कुछ लोंगों की मान्यता थी कि शायद वो बाँसुरी कोई पिशाच बजाता था,वो जब जीवित था तो जंगल से लगे गाँव में रहनी वाली उसकी प्रेमिका उसकी बाँसुरी की तान सुनकर दौड़ी चली आती थी,दोनों का प्रेम गाँववालों को नामंजूर था,इसलिए एक दिन गाँव वालों ने उसे मार दिया और वो पिशाच बनकर उसी बरगद के पेड़ पर रहने लगा....
उस जंगल के पास के गाँव में जो बुजुर्ग रहते थे तो वो कहते थे कि कई सालों पहले उस जंगल को कटवाकर लोग खेती बाड़ी किया करते थे, वहाँ पर अच्छी फसल हो जाया करती थी,लेकिन फिर ना जाने उस जंगल में एक दिन खेती करने वालों को एक बडा सा आदमी हाथ में अनोखा हथियार लिए हुए दिखा,लोंग कहते थे कि वो आदिमानव था, उसके पीछे और भी बहुत से उसी तरह के लोग थे,जिनकी शकल तो वहाँ के लोगों को दिखाई नहीं पड़ी,लेकिन वो लोंग भी उस बडे आदमी जैसे ही थे, गाँव के कई लोंग तो डर के कारण इधर उधर छिप गए, लेकिन उस बडे आदमी ने सबको मार डाला, उस दिन के बाद से लोगों ने वहांँ खेती करना छोड़ दिया,
उन सबकी लम्बाई आसमान को छूनेवाली थी ,वो उन्हें कोई नुकसान ना पहुँचाएँ यही डर उन सबके मन को सताता रहता था,उस जंगल में एक झरना बहता था, उस झरने में लाल रंग के गोल आकार के पत्थर थे, उन पर जब सूरज की रोशनी पड़ती तो इन्द्रधनुष की तरह रंग बिखरा करते थे, लेकिन शाम के समय उस पत्थर पर पड़ने वाली रोशनी झरने के पानी को काला कर देती, इसका कारण क्या था ये किसी को भी नही पता था,जिस किसीने भी उन पत्थरों को छूने की कोशिश की है तो उसको अपनी जान गँवानी पड़ी, जो भी उन पत्थरों को देखता तो उसे वो पाने की इच्छा रखता लेकिन उसे पाना इतना सरल नहीं था,क्योंकि जो भी उन पत्थरों को छूने की कोशिश करता तो वो पत्थर अपने आप गायब हो जाते और वो झरना उस इंसान को पानी में डूबा के मार देता था,गाँव के बहुत से लोगों की मौत उन पत्थरों को पाने के कारण हुई,उस जंगल में बहुत सारी अनदेखी घटनाएँ होने लगी जिसकी उम्मीद किसी ने नही की थी,रात को गाँववालों को बाँसुरी की तान सुनाई देती, जिसके कारण सबको इतनी गहरी नीद आती कि सबकी आँख सुबह ही खुलती, इसका क्या कारण हो सकता था इसके बारे में बहुत से लोगों से पूछा गया लेकिन उसका जवाब किसी के भी पास नहीं था, उनके लिए वो एक अजीब सी घटना थी,जो पहले कभी किसी ने घटते हुए नही देखी थी....
एक बार गाँव के मुखिया उस रहस्यमय जंगल के भीतर गए और दो दिन बाद लौटे भी ,लेकिन तब तक उनके बोलने की क्षमता खतम हो चुकी थी,किसी ने उनकी जिह्वा काट दी थी,वें केवल रोएंँ जा रहे थे और फिर उन्होंने स्याही कलम की सहायता से कागज पर बहुत अजीब अजीब चित्र बनाकर दिखाएँ,जो किसी उड़नतश्तरी की तरह दिखते थे और जो इन्सान उन्होंने बनाएं वे पृथ्वीवासियों की तरह तो बिलकुल भी नहीं दिखते थे,मुखिया जी ने उस रहस्मय जंगल में कुछ तो अजीब देखा था,फिर उसी रात मुखिया जी ना जाने कहाँ गायब हो गए,उनकी पत्नी ने बताया था कि आसमान से ना जाने कैसी चमकीली चींज धरती पर उतरी,जो उन्होंने अपनी कोठरी की खिड़की से देखी थी और उस रौशनी की चमक इतनी ज्यादा थी कि उनकी आँखें चौंधिया गई,जिससे उनकी आँखें बंद हो गईं और जब उन्होंने आँखें खोली तो मुखिया जी अपने बिस्तर से गायब थे और वो चमकीली चींज वापस आसमान में जाती हुई दिखी.....
उस दिन के बाद फिर कभी किसी ने उस रहस्यमय जंगल में जाने की कोशिश नहीं की,ना जाने ऐसा क्या था उस रहस्यमय जंगल में जो वहाँ पर इतनी विचित्र घटनाएँ हो रहीं थीं.....
ये कहते कहते सुन्दरलाल जी उस रहस्यमय जंगल की कहानी बताते बताते रुक गए....

समाप्त.....
सरोज वर्मा....