भूतों का डेरा - 2 Rahul Kumar द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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भूतों का डेरा - 2

" शहर के सबसे धनी व्यापारी ने यह मकान अपने रहने के लिए बनवाया था मगर वह लाख चाहते हुए भी रह नहीं सकता ।"

ढाबे वाले ने जबाव दिया

"क्यों?"

"उस मकान में भूतो का डेरा है समझ लो कि वह घर भूतों प्रेतों से भरा हुआ है

रात को वे चीखते चिल्लाते है , नाचते हैं और बड़ा शोर मचाते है । अंधेरा हो जाने के बाद मकान के पास जाते हुए भी लोगों को डर लगता है । " सिपाही ने ढाबे वाले से पूछा ," उस व्यापारी से कहां मुलाकात हो सकती है में उससे मिलकर दो बातें करना चाहता हूं हो सकता है उसकी कुछ मदद कर सकूं खाना खाने के बाद वह थोड़ी देर सोने के लिए लेट गया जब शाम हो गयी तो वह उठकर बाहर चला गया । व्यापारी से मिला उसने पूछा ,

"क्या चाहते हो?"

"मै मुसाफिर हूं आपके नये माकन में रात बिताने की इजाजत चाहता हूं । मैने सुना है कि एकदम खाली पड़ा है" सिपाही ने कहा।

"तुम पागल तो नहीं हो गये हो ?" व्यापारी बोला ," जिदंगी से ऊब तो नहीं गये हो ? जाओ कोई ओर मकान देखो । शहर में बहुत से मकान है मेरे नये मकान में तो जबसे मैने उसे बनवाया है तभी से भूतों का डेरा है और कोई उन्हें वहां से नहीं निकाल पाता ।"

" हो सकता है में ही उन्हें निकाल दूं , कोन जनता है मुमकिन है ये भूतप्रेत एक बूढे सिपाही का कहना मान जायें ।"व्यापारी ने कहा , भैया बहुत से दूसरे बहादुर लोग भी इसकी कोशिश करके देख चुके है मगर सब बेकार ! कुछ नहीं हो सकता पिछले साल एक मुसाफिर आया था तुम्हारी तरह उसने भी भूतों को मकान से भगाने कि कोशिश की थीं उसने तो एक रात उसी मकान में रहने तक की हिम्मत की थी लेकिन सुबह को सिर्फ उसकी हड्डियां ही मिलीं। भूतों ने उसे दूसरी दुनिया में पहुंचा दिया ।""मुझ जैसे सिपाही को न तो आग जला सकती है ओर न पानी गला सकता है ।मैने पच्चीस साल तक फौज में नौकरी की है तरह तरह की लड़ाइयों ओर चढ़ाइयों में हिस्सा लिया है और मै अभी तक अपना किस्सा सुनाने के लिए ही जिंदा हूं इसलिए में कहता हूं कि इन भूतों से में निपट लूंगा ।"

"अच्छा भाई तो तुम जानो ,"व्यापारी ने कहा ,"तुम नहीं डरते तो जाओ अगर तुमने भूतो को मकान से भगा दिया तो में तुम्हें ढेरों इनाम दूंगा ।" "इस समय तो तुम मुझे कुछ मोमबत्तियां ,थोड़े से भुने हुए अखरोट और एक भुना हुआ बड़ा सा शलजम दिलवा दो।"

"जाओ, दुकान से जो चाहो, ले लो।"

सिपाही दुकान के अंदर गया वहां से उसने एक दर्जन मोमबत्तियां ओर डेढ़ सारे भुने हुए अखरोट उठा लीये।

फिर वह व्यापारी के रसोईघर में गया और वहां उसे जो सबसे बड़ा भुना हुआ शलजम मिला उसे लेकर नये मकान की ओर राबाना हो गया।
रात के बारह बजते ही वहां अचानक हड़बड़ी शुरू हो गई दरवाजे फटाफट बंद होने लगे फर्श के तख्ते चरमराने लगे ओर ऐसा जान पड़ा , मानो बहुत से पागल एक साथ नाच रहे हो उनकी चीख पुकार ओर चिल्लहट इसी भयंकर थी

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To be continue..