Abhay ki Galti
अभय के शरीर की गमीं का अह्सास होते ही प्रेया ने हल्की
बेहोशी में अभय को कस कर पकड़ लिया और उसे चिपक गई।
कुछ ही देर मे उसका कांपना बंद हो गया।
अभय :-तुम्हे मुझे थेंक यू कहना चाहिए। इस के लिए तुम
पहली वो इंसान हो जिसके लिए मै ये सब कर रहा हू।
अभय उसके चेहरे को देख रहा था। वो उस पर गुस्सा करना
चाहता था। उसको सबक सिखाने चाहता था। पर उसके चेहरे
को देख नजाने उसके दिल मे कैसी हलचल हो रही थी। जो उसे
चाहकर पर भी उस पर गुस्सा करने से रोक रही थी।
प्रिया गमीं पाकर चेन से सो गई। अभय की आंखो की निंद तो
जैसे खो गई थी। वो तो प्रिया को बस देखे जा रहा था। अचानक
उसके हाथो ने उसके चेहरे को छुआ अभय की ऊंगलीया उसके
पेरे चेहरे पर घुम रही थी।
कभी गाल तो कभी आंखो पर तो कभी नाक तो कभी होठो पर
वो उसे छुने से अपने आपको रोक नही पा रहा था। उसे नजाने
क्या सुझा और उसने प्रिया को अपने और करीब कर अपने से
चिपका लिया।
इतना की दोनो के बीच एक इंच की भी जगह नही थी। आधी
रात को प्रिया धीरे धीरे होश मे आने लगी। पर अब भी जैसे
उसका दिमाग जैसे सदमे मे था। वो अचानक ही रोने लगी।
अभय की निंद उसकी आवाज से खुल गई।
जो उसे देखते देखते न जाने कब लग गई थी। प्रिया को रोते देिख
उसे कुछ समज में नही आया। वों उसका सर सहलाने लगा। पर
प्रिया ने रोते हुए उसका हाथ झटक दिया। और उठ कर बैठ गई।
प्रिया :- मेरे पास क्यों हो तुम ? हा. . . . .
सनकी इंसान हो। दूर रहो मुझसे!
अभय जानता था की वो उस पर ही चिल्ला रही है। और उसे पर
गुस्सा भी आ रहा था। पर अभी वो बिमार थी। और रोते हुए एक
पांच साल की बच्ची लग रही थी। जैसे उनका खिलौना लेजाने
पर बच्चे रोते है।
अभय जो अभी गुस्से में था। उसके चेहरेषको देख नोमॅंल हो
गया। प्रिया के चेहरे की मासुमियत हमेशा से ही उसे अपने
करीब और खींच लेती थी। और आज भी वो बेहद मासूम और
क्यूट लग रही थी।
इतनी की अभय अपने अपको रोक नही पाया और उसने हल्के
से उसके गाल खींच लिये। अभय के हाथो असर था या क्या ? ये
तो नही पता था। पर उसके छूते ही प्रिया का रोना कम हो गया।
और वो धीरे धीरे सुबक ने लगी। उसे अपनी गलती का भी
अह्सास हुआ जो वो अंजाने मे ही उस पर चिल्लाकर कर गई।
पर उसकी सिसकिया अब भी बंद नही हुई थी।
प्रिया: - मुझे भूख लगी है!
अभय हैरानी से प्रिया को देखने लगा। प्रिया एक छोटे से बच्चे
की तरह बिहेव कर रही थी। जैसे ये यादाश्त उसके दिमाग मे
कही उलझी हुई सी लग रही थी। जो अब निकल रही है।
प्रिया ने हमेशा से देखा था, जब भी उसकी बहन बिमार पडती
थी। वो ऐसे ही जिद करती थी। और उसकी मां उसकी हर एक
ख्वाहिश को पूरी करने के लिए एक पैर से तैयार रहती थी।
जो भी उसे खाना हो उसे एक बार कहने से सामने आ जाता
था। वो हमेशा से ही दूर से ये सब देखती थी। उसे बड़ा अच्छा
लगता था। ये देख कर उसका भी दिल करता था, की वो भी ऐसे
जिद करे और कोई उसकी भी जिद पूरी करे।
पर जब भी वो बिमार पड़ती थी। पर उसके कमरे मे डॉक्टर के
अलावा कोई नही जाता था। चाह वो रात भर बुखार से जानती
हो पर फिर भी कोई उसके पास नहीं जाता था। अगर वो कभी
वो गिर भी जाती तो भी वो खुद से ही उठती थी।
बुखार के वक्त उसे अजीब सा डर लगता था। और दिमाग काम
करना बंद कर देता था। और कभी कभी अजीब से ख्याल भी
आते थे। वही उसके साथ इस वक्त हो रहा था। और नजाने वो
उस सामने बैठे सनकी इंसान से विनंती करने लगी।
अभय ने देखा उसके चेहरे से अब भी आंसू आ रहे थे। और वो
रोने वाली थी। पता नही क्यो पर उसका रोना उसे अच्छा नही
लग रहा था। इसलिए वो इस पर चिल्ला पडा।
अभय :- चुप ! एक दम चुप !
पर इस वक्त प्रिया को जैसे मालूम ही नही था। की वो किसके
सामने है, वो उसकी बात सुन और तेज रोने लगी। उसको रोते
देख अभय उसके पास गया और आहिस्ता से और सोफ्ट
आवाज में बोलने लगा।
अभय : - तुम भूख लगी है ना ? ठीक है मै तुम्हारे लिए खाने को
लेकर आऊंगा। पर उसके लिए पहले तुम्हे रोना बंद करना होगा।
वरना मै तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं लाऊंगा।
बताओ क्या खाना है तुम्हे ?
प्रिया :- चाय और ब्रेड !
अभय उसका जवाब सुन उसे अजीब नजर से देखने लगा।
बिमारी मे ब्रड और चाय कौन लेता है। और चाय !
अभय ने तो आज तक चाय टेस्ट भी नही की थी। वो हमेशा से
ही ब्लैक कॉफी ही पीता था। फिर भी उसने एक नौकर से चाय
और ब्रेड लाने को कहा।
कुछ ही देर मे एक नौकर ने गर्मे चाय और ब्रेड लाकर उनके
सामने रख दिया। अभय ने उसे जाने को कहा और प्रिया की
तरफ देखा जिसका रोना अब लगभग बंद हो गया था।
अभय को वडा आश्वर्य हआ ये देख कर पर उसने अब सोच
लिया था कीश्भी ये लड़की बिमार है। पर जब कल ये उठेगी तो
उसे इन सब चीजो के लिए पे करना पड़ेगा।
उसने ब्रेड को हाथो में उठाया और चाय का कप भी। पर उसे
समज नही आ रहा था की वो इन दोनो का क्या करे। पहले चाय
पीलाये या पहले ब्रेड। उसने घूर कर प्रिया को देखा।
प्रिया :- उसमे ड्रबा कर खाते है।
अभय ने वैसा ही किया उसके हाथ मे चाय की बुंदे गिर रही थी।
उसने ब्रेड को प्रिया के मुह की तरफ किया। प्रिया ने ब्रेड को मुह
मे रख लिया। अभय की कुछ ऊंगलीयो कोर भी उसके मुह में
चले गये। ये सब अभय को कभी भी नही पसंद था।
और आज उसकी 0CD जैसे कही भाग गई थी। उसके हाथो
पर ब्रेड से चाय गीर रही थी। पर वो इन पर ध्यान न देते हुए उसे
खिलाये जा रहा था। जब जब उसकी ऊंगलीयो के कोर उसके
मुह मे आते तो अभय को ऊंगलीयो के साथ साथ दिल मे भी
गुदगुदी सी होने लगती।
प्रिया इस वक्त अपने सेन्स मे नही थी। इसलिए वो चुप चाप
बिना डर के खाये जा रही थी। अभय का गुस्सा इस वक्त शांत हो
चुका था। उसे प्रिया को खिलाना अच्छा लग रहा था। अब
उसका मूड़ भी अच्छा हो गया था।
अभय :- ये तुम्हारे लिए मेरा गिफ्ट रहा। आज तक अभय राठौर
ने कभी किसी को अपने हाथो से नही खिलाया। पर तुम वो
पहली इंसान हो जिसे ये मिल रहा है।
प्रिया बिना उसे देखे बस खाये जा रही थी। जैसे उसे उससे कोई
मतलब ही ना हो वो किसी बच्चे की तरह खा रही थी। और
अभय उसे देखे जा रहा था।
खाते वक्त उसके गालो का फूलना और फिर खाने के अंदर जाते
ही पिचक जाना उसे बडा रोमांचक कर रहा था। आज से पहले
उसने कभी किसी को इतने गौर से नहीं देखा था।
कुछ देर बाद प्रिया का पेट पफूल हो गया। तो उसने और खाने से
मना कर दिया। उसके मना करते ही अभय का ध्यान अपने हाथ
पर गया जो चाय से गीला हो गया था। ये देख अभय को
अचानक गुस्सा आ गया।
कहा वो इस लड़की का मालिक था। पर आज इस लड़की ने
उसे अपना नौकर बना दिया था। जो उसे अपने हाथो से उसे
खिला रहा था। उसके लिए वो एक खिलौने की तरह थी। पर ये
लड़की उसे आज अपने इशारे पर नचा रही थी।
ये ख्याल आते ही अभय को अपनी रेपुटेशन का ख्याल आया
उसने गुस्से मे प्रिया के जबडे को अपने हाथ मे ले लिया और
बोला।
अभय :- आज जो तुमने किया है ना, अच्छा नही किया अब
कल देखो मै तुम्हे इसके लिए सजा देकर ही रहुगा, याद रखना!
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