Junoon Se Bhara Ishq - 2 Payal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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Junoon Se Bhara Ishq - 2

Raat ka Raaz



प्रिया ......... प्रिया मेहरा मिडिल क्लास की सीधी सादी सी लडकी थी जो एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी मे काम करती थी। वो फैमिली के साथ इंदौर मे रहती थी।

न कभी किसी से कोई लेना न देना हमेशा अपने काम से काम रखना। बस यही जिंदगी थी उसकी जो आज बिखरी हुई सी दिख रही थी।

हमेशा इज्जत से जीने वाली लडकी आज अंजाने मे सब कुछ लुटा चुकी थी। पर वो ये भी जानती थी। की आगे की जिंदगी उसके लिए आसान नही होगी। इसलिए उसकी वजह से उसकी फैमिली को कुछ परेशानी न हो ये सोच उसने किसी को भी कुछ न बताने का फैसला किया और अपने घर के लिए निकल गई।


उसी टाइम होटल के कमरे मे लडके की निंद खुली। तो उसने देखा की अनिल सामने हाथो को पीछे बांधे सर झुकाए खडा था। वो लडका उठ कर बैठ गया।


अनिल को कुछ समज नही आ रहा था की वो कैसे उस लडके से बात करे। क्योकी वो जानता था जो वो उसे बताना चाहता है उसे सुनने के बाद शायद वो लडका अपना आपा खो दे।

अनिल अभय के लिए काम करता था। या यू कहे की उसका personal assistant ( P. A. ) था। जो हर वक्त साये की तरह अभय के साथ रहता था।


आज सुबह भी जब वो कमरे मे आया तो दरवाजा बाहर से खुला हुआ था। उसने सोचा शायद उठ गया होगा। पर जैसे ही उसने कमरे मे कदम रखा तो बेड को देखते ही समझ गया की इस कमरे मे कल क्या हुआ होगा।



अभय जो हर वक्त लडकियो से दूर रहता था। वो कैसे ये सब करता है। या फिर बात कुछ और थी जो शायद वो नही जान पाया था।


अभय ने देखा की अनिल ने एक बार भी सर नही उठाया और न कुछ कहा। उसने जैसे ही अपने आप को देखा तो उसकी नसे गुस्से से तन गई और अनिल अब भी सर झुकाए खडा था।

अभय :- ढूंढ कर लाओ उसे, कही से भी किसी भी हाल मे मुझे वो जिंदा अपने सामने चाहिए, वो भी जल्द ही।

अनिल :- जी, सर।

कहते हुए कमरे से बहार चला गया।


उसके जाने के बाद अभय ने दोबारा से बेड को देखा। जिसकी चादर की सिलवटे कल रात की हर बात बया कर रही थी। और उस पर पडा वो झुमका जो शायद प्रिया जल्दबाजी मे भूल गई थी।

ये साफ साफ बता चल रहा था वो लडकी उससे बचने के लिए जान बुझ कर भागी है।

अभय :- तुम मुझसे बच नही सकती हो। अभय ......... अभय राठौर जिसकी झलक पाने के लिए लोग तरस जाते है। और तुम उस अभय राठौर के बेड तक पहुंच गई।

तुम जो कोई भी हो, जहा भी हो, मै किसी भी हाल मे तुम्हे ढूंढ निका लूगा।



दो महिने बाद . . . . . . . . . . . . . . .



इसी हफ्ते प्रिया की कंपनी को सिटी मे फेशन शो ओगेॅनाइज करने का प्रोजेक्ट मिला था। और इसे प्रिया को हैंडल करना था।


जिसमे उसने जी जान लगा दी थी। शायद ये उसका लास्ट प्रोजेक्ट था। क्योकी इसके बाद वो ये शहर छोड ने का फैसला ले चुकी थी।


सुबह वो जल्दी से घर से निकलने लगी। आज शाम फेशन शो डायमंड होटल मे होना था। इसलिए आज सारा दिन उसे वही रहकर तैयारीयो को लास्ट टच देना था।

वो जैसे ही घर से निकली उसका सामना जय से हो गया। जय प्रिया का दोस्त और उसके होने वाले जीजू मतलब निशा का मंगेतर।

जय प्रिया को देख मुस्कुरा दिया। प्रिया भी उसे देख मुस्कुरा दी।

जय :- सुबह सुबह कहा मैडम ? ? ? ?

प्रिया :- ऑफिस और फिर उसके बाद होटल, एक इवेंट है।

जय :- बडी बिजी रहने लगी है आप तो हमसे मिलने तक का टाइम नही मिलता आपको तो।

प्रिया :- ऐसा नही है जय। बस काम बहुत था, इन दिनो इसलिए वक्त नही मिला।

तभी निशा भी वहा आ गई।

निशा :- अब तो जीजू बोलना सीख लो पीयू, तुम्हारी बहन के होने वाले पति है ये।

प्रिया :- कोशिश जारी है दीदी पर बचपन की आदत है ना जाते जाते ही जायेगी।

जय :- अरे मुझे कोई दिक्कत नही है। तुम मुझे जय ही बुलाओ, आफ्टर ऑल मेरी बहुत अच्छी दोस्त हो तुम।
और मै इस य
नये रिश्ते के चलते हमारी खराब नही करना चाहता।

जय के कहते ही निशा उसका चेहरा देखने लगी। जैसे उसकी बात उसे पसंद न आई हो।

प्रिया :- don't worry, हमारी दोस्ती तुम्हारी शादी के बाद भी रहेगी। और दीदी जीजू बोलने की आदत भी जल्द ही डाल लूगी। अच्छा आप दोनो बाते करो, मुझे निकलना है अब।

बाय ....... जय, बाय ......... दीदी ! ! ! ! !

निशा & जय :- बाय ! ! ! ! ! !

प्रिया उन दोनो को छोड आगे बढ गई। कुछ कदम आगे आकर पलटकर उन दोनो को देखा। निशा और जय दोनो हस्ते हुए बाते कर रहे थे।


प्रिया ये देख हल्के से मुस्कुराई और आगे बढ गई। जय मल्हौत्रा निशा का मंगेतर होने के साथ प्रिया और निशा का बचपन का दोस्त भी था।


जय शुरु से ही प्रिया के काफी क्लोज रहा था। और प्रिया भी उसे अपना बेस्ट फ्रेन्ड मानती थी। पर इन सबके साथ एक वजह और भी थी जिस वजह से कही न कही प्रिया जय के लिए सोफ्ट कोनॅर लिए बैठी थी।



जय और प्रिया की फैमिली के बीच अच्छी काफी बनती थी। इसी के चलते उन्होने जय और निशा का रिश्ता पक्का कर दिया था।


प्रिया ओटो मे बैठ कर ऑफिस आ गई। अंदर जाकर सबसे पहले अपने बॉस से मिली। और फिर अपने केबिन मे आकर फाइल्स अपने पसॅ मे डालने लगी।




तभी उसी की टीम मे काम करने वाली लडकी अंदर आई।

पाखी :- प्रिया लेट हो रहा है ! चले !
प्रिया :- हा, चलो !


प्रिया और पाखी दोनो बहार आये। और ऑफिस की कार मे होटल डायमंड की ओर निकल गए। होटल शहर के थोडा आउट मे था। इसलिए वहा पहुंच ने मे उन्हे पूरे एक से डेढ घंटा लगने वाला था।



पाखी अपने फोन मे देखने मे बिजी हो गई। वही प्रिया कार से बहार देखने लगी। ज्यादा बाते करने शुरु मे ही प्रिया की आदत नही थी। इसलिए वो ऐसे वक्त मे बहार देखने लगती थी।


अचानक ही गाडी होटल के सामने से ही निकली। जिसे देख प्रिया धडकने बढ गई। ये वही होटल था जिसमे दो महिने पहले प्रिया आई थी।

कैसे पता नही पर निकलते वक्त उसकी नजर इस होटल के नाम पर जरूर गई थी। ये वही होटल था जिसमे उसने उस लडके के साथ एक पूरी रात गुजारी थी जिसे वो जानती तक नही थी।



होटल का नाम देख उसके सामने अचानक उस लडके का चेहरा घूम गया। उसने तुरंत अपना सर झटका नही ये क्या सोच रही हू ........... वो रात एक गलती थी जो बीत चुकी है।



अब उस रात को मेरी जिंदगी से कोई लेना देना नही है। पाखी उसे परेशान देख पूछती है।

पाखी :- प्रिया क्या हुआ ?

प्रिया मुस्कुराने की कोशिश करते हुए :- नही ! कुछ नही !

पाखी :- ओके।


कुछ ही देर मे वो दोनो होटल पहुंच गई। जहा उनकी टीम पहले से ही मौजूद थी। उन दोनो के पहुंच ते ही तैयारीया तेजी से होने लगी।



शाम को इवेंट के वक्त प्रिया ने पाखी के जिद करने पर ब्लैक कलर की वन पिस ड्रेस पहनी हुई थी। खुले बाल थे एसेसरीज के नाम पर बस कानो मे बडे बडे ईयरींग्स गले मे पतला सा गोल पेडेंड, एक हाथ मे वॉच और दूसरे हाथ मे ब्रेसलेट और चेहरे पर हल्का सा मेक-अप किया था।






उसे देखने वाला हर शख्स उसकी beauty की तारीफ कर रहा था। रात के करीब 11 बजे तक शो खत्म हुआ। प्रिया अपनी टीम के साथ लास्ट तक रुकी और सारा काम खतम कर उनकी टीम के लोग निकल गए।


और प्रिया भी ऑफिस की कार बैठ कर घर के लिए निकल गई। उसे बेहद थकान हो रही थी। इसीलिए उसने सीट से सर लगाकर आंखे बंद कर ली।



वो रास्ते मे ही थी जब उसका फोन रींग हुआ। उसने देखा फोन स्क्रीन पर सोनिया नाम फ्लेश हो रहा था। नाम देख ते ही उसने तुरंत कॉल रिसीव कर ली पर कॉल पर बात करके उसके चेहरे के एक्सप्रेशन अचानक चेंज हो गये।

प्रिया परेशान होकर बोली :- what ? ? ? ? ?


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