Abhay Aur Priya
प्रिया को कार मे बिठाकर अभय ने उस कार के सामने खडे ब्लैक कोट पहने और हाथ मे ब्रिवकेस लिए अनिल को कुछ इशारा किया।
अभय :- यहा सब हेन्डल कर लेना, मुझे बाद मे कोई इश्यू नही चाहिए।
अनिल ने कहा :- don't worry sir ! I handle every thing. अभय ने कहा :- better ..............
अभय भी कार मे प्रिया के साथ बैठ गया। और ड्राइवर को गाडी चलाने को कहा। प्रिया को कुछ भी समज नही आ रहा था की उसके क्या ? और क्यू हो रहा है ? वो तो इस लडके को भूल चुकी थी।
यहा तक की दो दिन बाद वो इस शहर को छोडने ही वाली थी। नजाने क्यू ये लडका उसकी जिंदगी मे वापस आया है। ऐसे ही नजाने कितने ही सवाल उसके दिमाग मे चल रहे थे।
प्रिया :- देखिए सर ! प्लिस मुझे जाने दिजिए। मेरे घर पर मेरा सब इंतजार कर रहे होगे। प्लिस जाने दिजिए।
पर अभी भी अभय ने कोई जवाब नही दीया।
प्रिया :- आप हो कौन ? और मुझे कहा लेकर जा रहे है ? कुछ तो बोलो आखिर मेरी गलती क्या है ? मै तो आपको जानती तक नही।
अबकी बार अभय ने पलटकर देखा। उसकी उन गहरी आंखो को देख प्रिया एक पल को डर सी गई। क्योकी वो आंखे कहने को तो शांत थी। पर फिर भी बहुत कुछ कह रही थी।
पर प्रिया समज तो नही पा रही थी। पर इतना जरूर जान गई थी की आगे जो कुछ भी होने वाला था। ये उसके लिए ठीक नही था।
अभय उसे घूरते हुए बोला :- seriously ! ! ! तुम मुझे नही जानती हो ? ? ?
प्रिया ने उसके सवाल पर अपनी नजरे नीचे कर ली। क्योकी सच तो वो भी अच्छी तरह से जानती थी।
प्रिया :- नही ! नही ! नही जानती मै !
अभय :- बहुत कमजोर यादाश्त है तुम्हारी तो या ये रोज का धंधा है ये तुम्हारा।
प्रिया गुस्से मे ऊंगली दिखाते हुए बोली :- O Hello mister, Don't dare to take to me like this. एक तो मुझे बिना वजह के उठा ले आये हो। और उपर से बकवास किये जा रहे हो। हो कौन तुम हा ?
अभय :- हा हा हा हा .......... तुम्हारे रिएक्शन देख साफ पता चलता है की तुम अच्छे से ये बात का मतलब समज गई हो। और मुझे अच्छे से जानती भी हो। तो फिर ये सती - सावित्री बनने का नाटक बंद करो।
अगर फिर भी तुम्हे डाऊट है तो अपने तरीके से सब .......... याद दिलाउ तुम्हे ! बिल्कुल उस रात ........... की तरह।
अभय की जुबान से अपने लिए ये सब सुन प्रिया डर कर थूक गटकने लगी। मतलब ये लडका उसे ही ढूंढ ते हुए यहा तक आया है।
मतलब ये उस रात का बदला लेना चाहता है। प्रिया शांति से बोली :- देखिए सर ! वो .............
अभय उसकी बात काटते हुए :- देखो तुम ! पहले तुम बिना मेरी परमिशन के मेरे इतने करीब आ गई। आज तक कभी किसी लडकी की हिम्मत नही हुई मौझे छूने की। और तुम तो मेरे बेड तक पहुंच गई। तो जब गलती की है तो सजा भी तो मिलनी ही चाहिए तुम्हे।
प्रिया :- देखिए सर, वो सब एक गलती थी। मुझे तो याद भी नही है कि मै कैसे वहा पहुंची। यकीन किजिए मेरा ! ! ! ! मै तो आपको भी नही जानती।
अभय :- यकीन वो भी तुम्हारा जो किसी भी के कहने पर से मेरे बिस्तर तक पहुंच गई। उसका यकीन ..........
प्रिया :- किसी के भी कहने से मतलब ! किसीके कहने पर मै आपके पास नही आई। अरे ! मै तो आपका नाम भी नही जानती। मै कह रही हू ना की वो एक गलती थी। जो अंजाने मे हो गई।
मै तो लडक होने बावजूद भी भूल ने के लिए तैयार हू। प्लिस ........... आप भी भूल जाइऐ। ये सोच लिजिए की वो रात हमारी जिंदगी मे कभी आई ही नही।
प्रिया का बिन झिझक बात कह देना अभय को हैरान कर गया। यहा तक की एक बार तक को वो सामने वाली सीट पर बैठा अनिल और ड्राइवर भी चौंक कर पीछे देखने लगे।
अनिल उस लडकी की बात सुन कर चौंक गया। की कैसे कोई लडकी इतनी आसानी से ये सब कह सकती है। क्या ये जानती भी है की अभय कौन है ? और इसने क्या किया है ?
अभय जो कभी किसी इंसान को कभी अपने आस पास भटकने भी न दे। इस लडकी ने तो उसके साथ पूरी रात गुजारी थी। अभय जो हमेशा से ही साफ सफाई के लिए बहुत ओबसेसिव रहा था।
जो लडकियो को गंदा समझता है। जिसे कभी कोई लडकी गलती से भी छू ले तो वो उसे छोडता नही। और ये लडकी ने उसके साथ रात बिताई है। मतलब साफ था की वो उसे आसानी से नही जाने देगा। वो इसे सबक जरूर सिखायेगा।
जैसे ही अभय उन दोनो को घूर कर देखा तो वो दोनो वापस से सामने देखने लगे। अभय ने दोबारा प्रिया की तरफ देखा की अपना रुख किया।
अभय :- चली एक बात तो अच्छी हुई की तुमने खूद अपने मूह से कह दिया की उस रात तुम मेरे कमरे मे, मेरे बेड पर तुम ही थी। और मुस्कुराने लगा।
जैसे ही उसका मकसद ही उसे सच्चाई उगल वाला हो। प्रिया ने उसकी बात सुन कर अपनी आंखे बंद कर ली।
अंजाने मे वो सब कह गई जो शायद उसे नही कहना था। अब वो चाहकर भी उस बात से मुकर नही सकती थी।
हे भगवान ! कहा फस गई मै ! इसे अच्छा होता उसी दिन ये शहर देती। प्रिया अपने मन मे सोचती है।
प्रिया :- सर, प्लिस मुझे जाने दिजिए। मै सच कह रही हू जो भी हुआ वो अंजाने हुआ इस लडकी के ये भी ज्ञान नही थी की मै उस होटल मे पहुंच कैसे ?
अभय :- सब ! याद आयेगा ! और अच्छे से आयेगा। एक बार ये पता लगालू कि तुम किसके कहने पर मेरे पास आई थी। फिर अच्छे हिसाब होगा तम्हारा।
प्रिया को अब रोना आ गया। और उसकी आंखो से आंसु की धार बहने लगी।
प्रिया :- प्लिस ! मुझे जाने दो ! मै सच कह रही हू ! की मै आपको नही जानती। और मै आपके पास किसी के भी कहने पर नही आई थी। कसम से ।
अभय :- अब अगर तुमने बोलना बंद नही किया तो फिर मे अपने तरीके से तुम्हारा मुह बंद करुगा। जो शायद तुम्हे पसंद न आये। तो बेहतर है की चुप करके बैठ जाव। क्योकी अब वही होगा जो मै चाहुगा, समझी ........ ।
प्रिया :- आप मुझसे ऐसे जबरदस्ती नही कर सकते। मै आपकी कंम्पेलेन पुलिस मे करुगी। आप ! ठीक नही कर रहे है मेरे साथ। ( रोते हुए। )
अभय :- बेशक ! जब कार रुके तब आराम से कर लेना। कहो तो अभी गाडी रुकवा दू। पीछे पुलिस की कार भी हमारे साथ ही चल रही है, सिक्योरिटीज के लिए।
प्रिया ने बैठ कर ही पीछे की ओर देखा तो सच मे दो गाडी पीछे पुलिस की गाडिया चल रही थी। अब वो समज चूकी थी। उसका उनके निकलना मुश्किल है।
वो फस चुकी है। गाडी देख ने के बाद प्रिया चुप चाप बैठ गई। कुछ ही देर मे उनकी कार बडेसे दरवाजे से अंदर आई। सामने एक आलीशान बंगला था। और मैन गेट से लेकर बंगले तक बहुत सारे कंमान्डोस अपने हथियारोशके साथ खडे थे।
जिसे देख प्रिया की आंखे हैरानी से बडी हो गई। बंगला शहर की बहार की तरफ बनाया गया था। अभय प्रिया को हाथ पकड़कर खींच ते हुए अंदर ले गया।
जैसे जैसे प्रिया अंदर जा रही थी। एक अंजाना से डर उसे घेर रहा था। क्या होने वाला था उसके साथ। तभी उसकी नजर उन लोगो पर गई जो रास्ते मे सर झुकाए खडे थे।
और उनके वहा गुजरते ही सर झुकाकर उनका अभिवादन कर रहे थे। अभय उसे एक गैलरी से अंदर ले गया। और दरवाजे के सामने ले आया।
उनके दरवाजे के सामने आते ही वो अपने आप खुल गया। प्रिया सब कुछ हैरानी से बस देखे जा रही थी। उस कमरे मे कुछ लोग खडे थे। जिनमे से कुछ औरते भी थी।
वहा का माहौल बहुत अजीब था। और वो लोग उससे भी ज्यादा अजीब प्रिया का दिल डर से सिकुडा जा रहा था।
आखिर कौन थे वो लोग ? और अभय प्रिया को कहा लेकर आया था ? और उसे डर क्यो लग रहा है ?
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