मां मैं जा रहा हूं ! सौरभ ने अनमने ढंग से कहा।
जिसे सुनकर मां तेजी से उसके पास गई और प्यार से समझाते हुए बोली- देख बेटा अपने पापा की बातों को तुम अपने दिल पर मत लिया करो,वो जो भी बोलते हैं तुम्हारे भलाई के लिए ही बोलते हैं।
हां मां मैं जानता हूं! सौरभ बोला
मां ने आगे बोलना शुरू किया - 10 दिनों के बाद तुम्हारे Neet के एग्जाम है इसलिए अगर तुम यहां रहोगे तो घर के काम में और दोस्तों के साथ घूमने फिरने में व्यस्त हो जाओगे और जो तुमने इतने दिनों तक मेहनत किया है वो बेकार चला जाएगा।
इसलिए तुम अपने बड़े भाई के पास रायपुर चला जा वहां तुम एकांत मन से पढ़ भी पाएगा और परीक्षा भी रायपुर में होने वाला है तो लकी तेरी मदद भी कर पाएगा।
ठीक है मां मैं समझ गया,अब मैं चलता हूं आप लोग अपना ख्याल रखना। मां के पांव छू कर सौरभ अपने बाइक पर सवार होकर निकल पड़ा।
सौरभ और लकी दोनों भाई है। लकी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए घर से दूर रायपुर में रहता है और सौरभ के पापा ने सौरभ के 12 वीं में 1st Division से निकलते ही Neet फार्म में एप्लिकेशन डाल दिया उनका सपना था सौरभ Neet में उत्तीर्ण होकर MBBS डाक्टर बनें।
सौरभ भी अपने पापा के सपने को पूरा करना चाहता था लेकिन वह पुरे दस दिन तक अपने घर से दूर नहीं जाना चाहता था। आज से पहले वह कभी भी इतने दिनों तक घर से दूर नहीं रहा था इसलिए सौरभ उदास था।
लेकिन वह फिर भी वह आगे बढ़ा चला, थोड़ी दूर पर जाकर सौरभ रूक गया और सामने चल रहे नल से अपने चेहरे को धोया और फ्रेश हुआ और फिर गाड़ी के पास आ गया। उसका मूड अब ठीक था।
वह फिर आगे बढ़ने लगता है लेकिन थोड़ी दूर जाकर फिर रूक जाता है वह उसके जगह की सरहद थी जहां एक प्राचीन बजरंग बली का मंदिर था कोई भी आदमी कहीं बाहर जाता तो अपनी रक्षा के लिए उस मंदिर में माथा जरूर टेकता, सौरभ भी माथा टेक कर वापस अपने बाइक के पास आया
और मोबाइल में हेडफोन लागाया और फिर पुराने जमाने के एक गीत ' ऐ मुसाफिर' को सुनता हुआ तेजी से अपने मंजिल की ओर बढ़ने लगा।
करीब 3.30 घंटे के बाद वह रायपुर पहुंचा, वहां रूककर उसने नाश्ता किया फिर एक फल दुकान से सेब लिया फिर अपने भाई लकी के किराए के मकान की ओर बढ़ चला।
रूम के बाहर गाड़ी रोककर उसने बेल बजाया तो उसके भाई लकी ने दरवाजा खोला, सामने सौरभ को देखकर वह खूश हो गया दोनों भाई गले लग गए फिर लकी बोला - आओ अंदर आओ।
लकी और सौरभ दोनों कमरे के अंदर चले गए। काफी देर तक बातें होते रही फिर दोनों खाना खाकर सो गए,सुबह चाय नाश्ता करने के बाद लकी सौरभ को अलविदा कह कर कालेज की ओर निकल पड़ा।
रूम में अकेला रह गया बेचारा सौरभ, उसने तुरंत मां को फोन लगाया फिर थोड़ी देर बात करने के बाद उसने फोन रख दिया और छत पर जाकर टहलने लगा। गांव के शांति भरें माहोल से बिल्कुल विपरीत शहर के भागदौड़ और भीड़भाड़ वाले माहोल को देखकर सौरभ बेचैन हो उठा। उसने अपने आंखों को बंद किया फिर ध्यान की मुद्रा में बैठ गया थोडा अच्छा महसूस हुआ फिर मोबाइल में हेडफोन लागाकर गाना सुनने लगा जिससे वह अपने आप को तरोताजा महसूस करने लगा।
वह मोबाइल को बंद कर नीचे कमरे में जाने लगा तभी एक आवाज से वो रूक सा गया- अरे ऐसे कैसे 100 रूपए हो गए गांव से आई हू तो क्या मैं जानती नहीं की घड़ी चौक से यहां आने के लिए 20 रूपए लगते हैं।
इस आवाज को सुनकर सौरभ इधर उधर देखने लगा तभी सामने सड़क पर एक रिक्शावाले से बहस करते हुए एक लड़की को देखा नीले रंग की सूट, थोड़े ऊंचे सैंडल, बाल बेहद सलिके के साथ बिखरे हुए, नाक पर थोड़ा गुस्सा, आंखों पर हल्का सा काजल, और होंठ पर हल्का गुलाबी लिपिस्टिक जिससे वो किसी स्वप्न सुंदरी से कम नहीं लग रही थी।
सौरभ उसे देखता ही रह गया। तभी एक और आवाज आई- अरे मैडम लूट नहीं रहें हैं यह रिक्शा है और मैं आपको अकेले लाया हूं आपने दूसरे पैसेंजर को चढ़ने ही नहीं दिया इस रिक्शा में तो उनका खर्चा तो आपको देना पड़ेगा।
अरे ये तो हद ही हो गई, मैं नहीं देने वाली कोई पैसा वैसा ये लो 20 रूपए लेना है तो लो नहीं तो चलतें बनो- वह लड़की चिढ़ते हुए बोली।
रिक्शेवाला निराश स्वर में बोला - किस मनहूस को देखकर आज रिक्शा चलाने का शुभारंभ किया था जो ऐसे पैसेंजर मिलें।
रिक्शेवाला वहां से निकल गया और वो लड़की विजयी मुस्कान के साथ अपने कमरे में जाने लगी जैसे उसने कोई जंग जीत ली हो।
सौरभ मुस्कुराते हुए नीचे कमरें में चला आया और फिर पुस्तक निकालकर परीक्षा की तैयारी करने लगा पुरी किताब पढ़ने के बाद उसे याद करने लगा तभी डोरबेल की घंटी बजी सौरभ ने दरवाजा खोला तो सामने लकी था वह अंदर चला आया और फ्रेश होने के लिए बाथरूम में घुस गया।
थोड़ी देर बाद वह बाथरूम से बाहर आया और बेड पर बैठ कर मोबाइल में घुस गया। सौरभ भी पढ़ाई बंद करके पबजी खेलने लगा। शाम के पांच बज गए थे लकी ने सौरभ से बोला- चलों आज बाहर चलते हैं मुझे माॅल से कुछ समान खरीदना है और कुछ बुक्स भी लेना है तुम भी साथ में चलों तुम्हें कुछ चाहिए तो ले लेना और आज बाहुबली 2 भी रिलीज हो रहा है तो वो भी देख लेंगे मैंने आनलाइन बुकिंग करवा लिया है
सौरभ चहकते हुए बोला - हां आज पता चल जाएगा कटप्पा ने बाहुबली को क्यो मारा।
लकी - ठीक है चलों तैयार हो जाओ फिर
सौरभ और लकी तैयार होकर बस स्टैंड में पहुंच जाते हैं तभी वो लड़की वहां आती है जो रिक्शेवाला से बहस कर रही थी सौरभ उसे देख कर मुस्कुरा उठा।
बस आ चुकी थी दोनों भाई बस में चढ़ गए संजू पीछे वाले एक सीट पर बैठ गया और सौरभ बीच वाले एक खाली सीट की ओर भागा और तपाक से सीट पर अपना कब्जा जमा लिया। बगल वाले सीट को देखा तो आश्चर्य से भर गया वो लड़की उसके बाजु वाली सीट पर ही बैठी हुई थी।
वह लड़की बोली- आप मुझे देखकर बस स्टैंड पर मुस्करा क्यो रहे थे ?
सौरभ सच्चाई बताते हुए उस घटना को विस्तार से बताया- इसलिए मुझे आपकों देखकर हंसी आ गई माफ कीजिए।
वह लड़की मुस्कुराते हुए बोली- कोई बात नहीं
उसके चुप होते ही सौरभ बोला- आप भी गांव से यहां आई है।
हां यहां मेरे दीदी और जीजू रहते हैं तो उनके यहां कुछ दिनों के लिए रहने आई हू दरसअल मेरे Neet की परीक्षा होने वाली है यही रायपुर में । वह लड़की सफाई देते हुए बोली।
'क्या' सौरभ चौंकते हुए बोला - मैं भी इसी लिए अपने भाई के यहां आया हूं मेरे Neet की परीक्षा होने वाली है।
वाव! अच्छा है वैसे अपका नाम क्या है ? वह लड़की बोली
सौरभ! सौरभ बोला।
ओह! कृति मेरा कृति है।
अच्छा तो अभी आप कहां जा रही है। सौरभ ने पुछा ?
मैं तो बाहुबली 2 देखने जा रही हूं वो मेरी सबसे पसंदीदा मूवी है मैं जानना चाहती हूं कि....
'कटप्पा ने बाहुबली को क्यो मारा' सौरभ बीच में ही बोल पड़ा।
हां ! मतलब आप भी बाहुबली मूवी देखने जा रहे हैं- कृति बोली।
'हां' सौरभ बोला।
और कुछ बातें होती इससे पहले उनका स्टेशन आ चुका था। सौरभ और लकी बस से बाहर उतर आए और उस जगमगाते माॅल के अंदर चलें गए वहां उन्होंने अपने जरूरतों का समान लिया और मैनेजर से बोलकर उसे किसी सेफ जगह में रखवा दिया और फिर सीधे थियेटर की ओर चल पड़े टिकट काउंटर पर बहुत भीड़ थी जैसे तैसे उन्हें टिकट मिला वे पापकार्न और चिप्स कोल्ड ड्रिंक आदि लेकर अपने सीट की ओर बढ़े।
सभी अपने जगहों पर बैठ चुके थे सौरभ और लकी भी अपने सीट की ओर भागे। साथ लाए हुए पापकार्न चिप्स आदि को लकी पकड़े हुए था उसके बगल में सौरभ बैठा हुआ था। फिल्म शुरू होने में कुछ मिनट शेष थे तभी सौरभ की नजर बगल वाले सीट पर पड़ी वह दुबारा चौक पड़ा।
बगल वाले सीट पर और कोई नहीं कृति बैंठी हुई थी उसे देखकर सौरभ धीरे से बोला- हे तुम यहां !
कृति मुस्कुरा कर बोली- हां मै, क्या हुआ मैं यहां नहीं बैठ सकती।
सौरभ- नहीं नहीं मेरा मतलब वो नहीं था।
मैं जानती हूं अब मुझे देखना बंद करों और मूवी देखो, कृति मुस्कुरा कर बोली।
सौरभ झेंप गया और मूवी देखने लगा।
वाह क्या गजब का सस्पेंस है मजा आ रहा है- सौरभ पापकार्न खाते हुए बोला।
लकी भी सहमति जताते हुए चिप्स खाने लगा तभी उस फिल्म का सबसे बड़ा सस्पेंस सामने आने वाला था जब कटप्पा बाहुबली को मारता है। जब ये सस्पेंस सामने आया तो कृति डर गई और सौरभ के हाथों को जोर से पकड़ लिया।
कुछ देर बाद सौरभ मुस्कुराते हुए बोला- अब क्या हमें भी मारने का इरादा है हुस्न ए मल्लिका।
कृति शरमा कर अपने हाथ वापस ले लिए और एक नजर अपने चारों तरफ देख कर मूवी देखने लगी।
थोड़ी देर बाद फिल्म खत्म हो गया सभी अपने सीट से उठकर बाहर जाने लगें संजु भी उन्हीं के साथ बाहर निकल गया, कृति भी उठकर वहां से जाने लगी तभी सौरभ ने उसका हाथ पकड़ कर रोल लिया और कृति के आंखों में आंखें डाल कर बोला- देखो मैं नहीं जानता ये सही वक्त है या नहीं ये बोलने का लेकिन मैं तुमसे अपने दिल की बात कहना चाहता हूं मैं जब भी तुम्हें देखता हूं मेरे दिल में कुछ कुछ होने लगता है हालांकि हम सीर्फ तीन बार ही मिले हैं लेकिन ऐसा लग रहा है मैं तुम्हें बहुत पहले से ही जानता हूं ऐसा नहीं है की मैं फिल्मी डायलॉग चिपका रहा हूं लेकिन....
इसके आगे सौरभ कुछ बोल पाता कृति ने उसे एक चांटा जड़ दिया। उस थप्पड़ को पाकर सौरभ वहां से जाने लगा तभी कृति ने उसे रोका और उसके होंठों पर अपने होंठ लगा दिए, सौरभ कुछ समझ नहीं पा रहा था तभी कृति ने उसे डांटते हुए बोली- पागल इतना टाइम लगता है आई लव यू बोलने में, कितना फुटेज खाता है सीधे सीधे बोल नहीं सकता कि कृति मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं।
सौरभ खुशी से झुमता हुआ बोला- मतलब तुम भी मुझसे प्यार करती हो।
कृति प्यार से डांटते हुए बोली- अरे बुद्धू मुझे तो तुम्हें पहली बार देखकर ही तुमसे प्यार हो गया था 😍
सौरभ कृति को बाहों में ले कर झूम उठता है तभी थियेटर के अंदर से आवाज आई- अरे सर फिल्म खत्म हो गई है और ये कोई लव स्पाट नहीं है जो आप लोग ऐसा कर रहे हैं
सौरभ और कृति एक दूसरे से अलग हुए और वहां से बाहर निकल आए लेकिन सौरभ ने याद से कृति को अपना नंबर दे दिया।
डीनर करने के बाद वो वापस अपने कमरे में आ गए और शापिंग किए हुए सामन को देखने लगें। थोड़ी देर रेस्ट करने के बाद लकी अपने पढ़ाई में व्यस्त हो गया लेकिन सौरभ का ध्यान मोबाइल पर था वह छत पर चला गया और बेचैनी से टहलने लगा।
तभी एक अननोन नंबर से काल आया सौरभ ने काल रिसिव किया - हैलो
हैलो- उधर से एक लड़की की सुंदर आवाज आई।
सौरभ आवाज पहचान पहचान गया वह झट से बोल पड़ा- कृति
अरे पहचान गए मुझे तो यकीन ही नहीं था - कृति बोली
सौरभ रोमांटिक अंदाज में बोला- अरे अपनी जानेमन को कैसे भुल सकता हूं
'अच्छा जी' कृति मुस्कुराते हुए बोली।
अच्छा मुझे एक जरूरी बात करनी है तुम्हें। कृति बोली
यार हमें इतनी जल्दी शादी के बारे में नहीं सोचना चाहिए- सौरभ कामेडी करते हुए बोला।
सौरभ यार- कृति थोड़ी गंभीर आवाज में बोली।
हां हां रानी साहिबा मैं समझ गया बताओं क्या बात है- सौरभ बोला।
देखो सौरभ हमें पता है हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं लेकिन हमें अभी इस बात को भुला कर अपने करियर पर ध्यान देना चाहिए कुछ दिन बाद हमारे एग्जाम है तो हमें इन बातों को भुला कर पढ़ाई पर फोकस करना चाहिए। कृति बोली।
हां तुम ठीक बोल रही हो कृति परीक्षा होने तक हम बात नहीं करेंगे, अब ख़ुश। सौरभ प्यार से बोला।
ओके एंड आई लव यू सो मच। कृति मुस्कुरा कर बोली।
आई लव यू टू। सौरभ बोला फिर फोन कट कर दिया।
फिर दोनों पढ़ाई में व्यस्त हो गए और दिन रात बस परीक्षा की तैयारी करने लगे और आखिरकार वो दिन भी आ गया सौरभ और लकी बस में बैठ कर SGC यूनिवर्सिटी रायपुर की ओर चल पड़े। एक घंटे के बाद वो बस से उतरे और रिक्शे से उस कालेज के बाहर पहुंच गए। वैसे दोनों अंदर गए कृति वहां पहले ही पहुंच गई थी। फिर परीक्षा शुरू हो गया सभी स्टूडेंट्स का अपने अपने कमरों में जाकर अपने अपने सीटो पर बैठने लगें।
तीन घंटे के बाद पेपर खत्म हुआ सौरभ बाहर निकला और साथ में कृति भी, लकी सौरभ को देखकर बोला - अरे आ गए तुम पेपर कैसा बना ?
सौरभ- अच्छा था शायद मेरे अच्छे रैंक आ जाए।
लकी- अरे शायद क्या तु मेरा भाई है तुम्हारे जरूर अच्छे रैंक आएंगे।
सौरभ और लकी वापस अपने कमरे में आ जाते हैं तब तक शाम के 4 बज चुके थे सौरभ कुछ देर बैठ कर अपना बैग पैक करने लगता है जिसे देखकर लकी हैरानी से पूछा- सौरभ तुम बैग पैक क्यो कर रहे हों ?
भइया मैं घर जा रहा हूं। सौरभ बोला
'क्या' लकी चौक कर बोला- देख सौरभ चार बज चुके है तुम्हें घर पहुंचने में 8-9 बज जाएंगे और वो भी तुम अकेले जा रहे हों मेरी बात मानों सुबह चलें जाना।
नहीं भइया मैं चला जाऊंगा आप मम्मी पापा को मत बताइएगा वो खामख्वाह परेशान हो जाएंगे मैं 8 बजे तक घर पहुंच जाऊंगा। सौरभ बैग को पैक कर चुका था।
ठीक है तुम्हें मैं एक ही शर्त पर जाने दूंगा, लकी अपने बैग से वायरलेस हेडफोन निकाल कर सौरभ को दे दिया और बोला इसे अपने पास रख और हर आधे घंटे में मुझे काल करके बताना की तुम कहां पहुंचे हों और अगर तुमने एक घंटे के अंदर एक भी बार फोन नहीं किया तो मैं मम्मी पापा को फोन करके बता दूंगा ठीक है। लकी चिंतित स्वर में बोला।
ठीक है भइया मैं आपको फोन करके बताता रहूंगा आप मेरी चिंता मत करिए। सौरभ लकी के गले लग कर अपने बाइक में बैठ गया और लकी को बाय बाय बोल कर निकल गया।
अभी थोड़ी ही दूर गया होगा की सौरभ का मोबाइल बज उठा रूककर देखा तो कृति का फोन था। सौरभ फोन रिसीव करके हैलो बोला।
तो उधर से घबराएं हुए स्वर में कृति बोली- सौरभ तुम अभी अपने घर जा रहे हों क्या ?
हां मैंने बताया तो था- सौरभ बोला। क्यो क्या हुआ तुम परेशान लग रही हो ?
वो मेरी मम्मी की तबीयत थोड़ी खराब है मुझे चिंता हो रही है मैंने घर फोन लगाया तो घर पर मम्मी और पापा ही है क्या तुम मेरी एक मदद कर सकते हों ? कृति बोली
हां हां क्यो नही बताओं - सौरभ बोला
मैं भी तुम्हारे साथ जाना चाहती हूं हमारा गांव उसी रास्ते पर पड़ता है जिस रास्ते से तुम जा रहे हों। कृति रिक्वेस्ट करते हुए बोली।
हां हां क्यो नही बताओं तुम कहां हो मैं अभी तुम्हें लेने आता हूं । सौरभ बोला।
यही बस स्टैंड में बैठी हूं मेरे आने तक हमारे गांव जाने वाली घर जा चुकी थी। कृति चिंतित स्वर में बोली
तुम चिंतित मत हो कृति मैं तुरंत आ रहा हूं वहां। सौरभ यह बोल कर तुरंत बस स्टैंड की ओर बढ़ा
कृति वहां बैठी थी सौरभ को देखकर उसे थोडी खुशी हुई। फिर दोनों बाइक में बैठ कर तेजी से अपने घर की ओर निकल गए।
सौरभ कृति से बोला- हे तुम ठीक हो चिंता मत करो तुम्हारी मम्मी ठीक होगी
कृति ने बोलना शुरू किया- थैंक्यू सौरभ, मैंने जीजा जी को बोला तो वो किसी काम से बाहर गए थे और जब तक बस स्टैंड पहुंची बस भी जा चुकी थी।
शाम के 5 बज चुके थे तभी कृति के पापा का फोन आया- हैलो कृति !
कृति बोली- हैलो पापा मम्मी कैसी है।
मम्मी ठीक है बेटी डाक्टर घर आए थे तो उन्होंने बताया मम्मी की BP बहुत कम हो गया था इसलिए ऐसा हो रहा था उन्होंने दवाई दे दिया है अब वो ठीक है तुम चिंता मत करो।
'भगवान का शुक्र है' कृति ने बोलकर फोन काट दिया।
मम्मी अब ठीक है सौरभ। कृति चहकते हुए बोली।
वाह मैंने बोला था ना वो ठीक हो जाएगी। सौरभ मुस्कुराते हुए बोला फिर अपने बाइक की हेडलाइट को कृति के चेहरे की ओर मोड़ दिया जिससे उसे कृति का चेहरा आईने में दिखने लगा।
सौरभ शाम की गहराइयों को देखते हुए तेज़ी से गाड़ी चला रहा था और कृति उसे पकड़ कर बैंठी हुई थी। तभी आगे एक गांव में रूककर उन्होंने गरमागरम चाय का स्वाद चखने लिया और फिर कुछ देर वहां रूककर फिर वापस जाने लगें।
शाम अब रात में बदलने लगा तभी गाड़ी अचानक रूक गया। कृति बोली- क्या हुआ सौरभ गाड़ी क्यो रोक दिया
सौरभ परेशान होते हुए बोला- यार पेट्रोल खत्म हो गया मुझे याद ही नहीं की रायपुर में टंकी फुल करवा लूं,ओह अब यहां पेट्रोल पंप कहा होगा या होगा भी या नहीं।
सौरभ गाड़ी को धक्का मारते हुए ले जा रहा था वहीं कृति भी उसके साथ ही जा रही थी तभी थोड़ी दूर पर एक चमचमाता हुआ पेट्रोल पंप दिखा वह देखने में काफी अच्छा दिख रहा था चारों ओर चकाचौंध था।
'वो देखो पेट्रोल पंप वाह हमारी किस्मत का तो जवाब नहीं' सौरभ चहकते हुए बोला।
हां सच में चलों जल्दी से गाड़ी को वहां लेकर चलते हैं। दोनों गाड़ी को पेट्रोल पंप तक ले गए वहां जाकर वे उस पेट्रोल पंप की सुंदरता को देखकर मोहित हो गए, सच में आज तक मैंने इतने सुन्दर पेट्रोल पंप नहीं देखा। सौरभ की आंखें चौंधिया गई
कृति बोली- हां लेकिन हमें जल्दी से घर पहुंचना चाहिए रात होने लगी है।
सौरभ भी सहमति जताते हुए गाड़ी को पंप के पास ले गया वहां एक तगड़ा पहलवान सा आदमी खडा था वह हंसते हुए बोला आइए सर कितने का पेट्रोल डलवाना है ?
जी टंकी फुल कर दीजिए - सौरभ बोला फिर बोला आपका पेट्रोल पंप की सुंदरता तो वाकई लाजवाब है।
वह आदमी प्रसन्नता पूर्वक बोला- जी पुरे 100 सालों की मेहनत से बनाया है
सौरभ वह सुनकर चुप हो गया शायद वो आदमी मज़ाक के मूड में था। पेट्रोल डलने के बाद वह आदमी बोला जी 1000 रूपए हो गए।
जी एक मिनट सौरभ अपने पर्स को निकालने के लिए जैसे ही अपने जेब में डाला वह चौंक गया- ओह नो मैं तो अपना पर्स भइया के पास ही छोड़ आया ओह मुझे याद ही नहीं था।
क्या वह आदमी गुस्से से लाल हो गया- ऐ लड़के कोई होशियारी मत दिखा जल्दी से 1000 रूपए निकाल।
एक मिनट शांत रहिए हम ढूंढ रहे हैं, सौरभ कृति से पुछा - कृति यार तुम्हारे पास 1000 रूपए है क्या मैं अपना पर्स भइया के पास भुला आया हूं।
कृति बोली - एक मिनट मैं चेक करतीं हूं। वह अपने बैग में देखती है तो सिर्फ 100 रूपए ही थे वह सौरभ से बोली - सारी सौरभ मेरे पास जो पैसे थे उनके तो मैंने शापिंग कर लिए अब बस यह सौ रुपए बचें है।
सौरभ को जैसे झटका लगा वह उस आदमी से माफी मांगते हुए बोला- माफ कीजिए सर हमारे पास बस 100 रूपए हैं।
ये सुनकर वह आदमी गुस्से से भर गया उसकी आंखों में खून उतर आया और उसका शरीर जलने लगा वह बेहद खौफनाक और डरावना बन गया वह बेहद खौफनाक आवाज में चिल्लाने लगा और जो पेट्रोल पंप इतना खूबसूरत दिख रहा था वो आग में धू धू कर जलने लगा।
उसे देखकर सौरभ और कृति बेहद डर गए उनके मुख से कोई शब्द ही नहीं निकल रहें थे तभी वो आदमी जो अब एक बेहद खौफनाक राक्षस बन गया था वह तेज आवाज में बोला - मैं तुम दोनों को जिंदा नहीं छोडूंगा
वह राक्षस उन दोनों पर झपटने ही वाला था की सौरभ से बाइक को तेजी से चलाकर वहां से निकल गया और वो शैतान उनके पीछे गुस्से से दौड़ने लगा लेकिन सौरभ गाड़ी को इतने तेजी से भगा रहा था कि वह शैतान पीछे ही रह गया और हार मान कर वापस उस जलते हुए पेट्रोल पंप की ओर जाने लगा।
सौरभ और कृति के चेहरों में अभी भी खौफ के भाव थे वे समझ ही नहीं पा रहे थे कि ये अचानक क्या हो गया कुछ देर के बाद एक गांव पड़ा जहां एक चौराहे पर कुछ आदमी बैठे हुए थे सौरभ ने अपनी गाड़ी वही रोक दी
और वहां के एक बुजुर्ग आदमी को वो सारी घटना सुनाया तब वह बुजुर्ग आदमी बोला- हां वह 1950 से ही वहां पेट्रोल पंप चलाता था लेकिन एक दिन हिंदू और मुसलमानों के बीच एक छोटी सी बात को लेकर दंगा फसाद होने वाला जिससे वो लोग आप-पास के गांवों को जलाने लगें उन्हीं मे से कुछ दलों ने उस पेट्रोल पंप को भी अपना शिकार बनाया और पेट्रोल पंप पर आग लगा दी जिससे वह आदमी भी वही जल गया।
तब से आज तक वह आदमी वैसे ही उस पेट्रोल पंप पर काम करता आ रहा है जो कोई भी उस पेट्रोल पंप के अंदर गया है वो कभी जिवित नहीं लौट सका है लेकिन तुम किस्मत वाले हो जो वहां से बच कर आ गये अब जितनी जल्दी हो सके अपने घर चलें जाओ। उनकी बात सुनकर सौरभ और कृति तेजी से अपने घरों की ओर जाने लगें।
उस गांव से जैसे ही वह बुजुर्ग वहां बैठे लोगों से बोला- जब तक उसकी आत्मा को शांति नहीं मिलती तब तक उस पेट्रोल पंप में मौतें होती रहेंगी।
रात के आठ बज रहे थे तभी कृति का गांव आ गया उसने अपने घर से कुछ दूर पर ही गाड़ी रोकने के लिए बोली और वहां से चलते हुए अपने घर जाने लगी।
सौरभ ने उससे कहा - अपना ध्यान रखना और उस घटना के बारे में ज्यादा मत सोचना सब ठीक है अब कुछ नहीं होगा । और घर पहुंच कर मां की तबीयत के बारे में जरूर बताना ठीक है।
कृति भी सौरभ को अपना ख्याल रखना कहकर घर की ओर चल पड़ी और सौरभ अपने बाइक मोड कर अपने घर की ओर चल पड़ा तभी लकी जो सौरभ को बार बार फोन करके उसका पता ले रहा था उसका फोन आया- हैलो सौरभ कहा पहुंचे तुम कितनी देर में घर पहुंच जाओगे।
सौरभ - बस भइया आधे घंटे का सफर और बचा है और एक बात बताइए मेरा वालेट वहीं छूट गया है क्या
अरे हां ये रहा मतलब तुम अपना वालेट यही भुल गए हो- लकी चौंकते हुए बोला।
कोई बात नहीं भइया मैं घर पहुंच कर फोन लगाता हूं। अभी मुश्किल से कुछ किलोमीटर गया होगा की पीछे से एक आवाज आई - सौरभ रूको....
सौरभ यह आवाज सुनकर चौंक गया क्योंकि यह आवाज तो कृति की लग रही थी वह गाड़ी रोक कर पीछे देखता है, तो पीछे से कृति दौड़ती हुई सौरभ के पास आ रही थी उसकी सांसें तेज चल रही थी और वह थक भी चुकी थी।
सौरभ तेजी से उसके पास गया और आश्चर्य से पूछा- कृति तुम यहां कैसे मैंने तो तुम्हें तुम्हारे गांव में छोड़कर आया था।
सौरभ ये मैं तुम्हें बाद में बता दूंगा पहले यहां से जल्दी चलों वो शैतान हमारे पीछे पड़ा हुआ है। कृति घबराएं स्वर में बोली।
ठीक है जल्दी से गाड़ी में बैठो, कृति के गाड़ी में बैठते ही सौरभ तेजी से गाड़ी चलाने लगता है। थोड़ी ही देर बाद वे सौरभ के गांव के सरहद पर पहुंचने वाले थे।
सौरभ कृति को शांत देखकर बोला- अच्छा अब बताओं तुम इतनी जल्दी यहां कैसे पहुंच गई ? क्या हुआ था ?
कृति कुछ नहीं बोली रही थी बस किसी सोच में उलझी हुई थी तभी सौरभ के मोबाइल पर किसी का काल आया वो वायरलेस हेडफोन पर काल रिसिव किया- हैलो !
उधर से आवाज आई- हैलो राघव मैं घर पहुंच गई हु और मां भी अब ठीक है। तुम घर पहुंचे की नहीं ?
सौरभ आश्चर्य से भर गया क्योंकि फोन पर कृति थी लेकिन कृति तो मेरे साथ बैठी हुई है। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था तभी उसने एक सवाल पूछा - अच्छा बताओं तुमने उस रिक्शेवाले को उस दिन कितने पैसे दिए थे ?
वो 100 रूपए मांग रहा था लेकिन मैंने 20 रूपए ही दिए थे- कृति सोचते हुए बोली लेकिन तुम ये सब क्यो पुछ रहें हों।
सौरभ डर गया - अगर तुम कृति हो तो मेरे साथ बैठी है वो कौन है। सौरभ डरते हुए हेडलाइट की ओर देखा तो डर के मारे कांप उठा वो तो वहीं शैतान है।
वह शैतान बेहद खौफनाक आवाज में बोला- हां हां हां क्यो बच्चे मुझसे बचकर भागना चाहते थे लेकिन आज तक मुझसे बचकर कोई नहीं बच पाया है, जो भी उस पेट्रोल पंप में आया है उसे सिर्फ मौत ही मिली है और तुम्हे भी मिलेगी हां हां हां
उस शैतान ने अपने मजबूत हाथों से सौरभ को उठा कर फेंक दिया सौरभ गाड़ी से दूर फेंका गया उसके पीठ पर उस शैतान के पंजों के गहरे घाव थे जिससे खून बह रहा था। सौरभ दर्द से कराह रहा वह शैतान उसके पास आने लगा।
तभी सौरभ को कुछ सुझा वह उठकर अपनी पुरी ताकत से भागने लगा लेकिन वह शैतान भी उसके पीछे भागने लगा और थोड़ी जाने के बाद एक और जोरदार पंजा सौरभ के कंधे पर पड़ा और वो लुढ़कते हुए कुछ दूर पर जाकर गिर पड़ा वह दर्द से चिल्ला उठा।
वह शैतान हंसते हुए बोली- अब तेरा खेल खत्म बच्चे
वह शैतान बेहद खौफनाक और बेहद बदसूरत हो गया उसका पूरा शरीर जलने लगा वह दौड़ते हुए सौरभ के पास आया और सौरभ पर अपने मजबूत हाथों से जोरदार वार किया सौरभ ने डर कर अपने दोनों हाथ सामने कर दिया। वह शैतान सौरभ को छू पाता इससे पहले ही उसे एक जोरदार झटका लगा और वह दूर जाकर गिर पड़ा।
सौरभ यह देखकर हैरान हो गया, वो शैतान भी हैरान था लेकिन वह दुगुने गुस्से से सौरभ को मारने के लिए बढ़ा लेकिन फिर उसे एक झटका लगा और वह दूर जा गिरा। सौरभ इधर उधर देखने लगा वह उसके गांव के सरहद पर बने उस प्राचीन बजरंग बली के मंदिर के सीमा के अंदर था। उसे जीने की थोड़ी उम्मीद नजर आई वह मंदिर के अंदर जाने लगा उसके शरीर केे चोट से अभी भी खून निकल रहा था वह बजरंग बली को धन्यवाद देने लगा और वहां रखे सिंदूर को अपने मस्तक पर लगा दिया और वहीं थोड़ी देर तक प्राथना करने लगा।
तभी उसे कुछ सुनाई दिया- पुत्र सौरभ उस दुष्ट को मारना बहुत जरूरी है नहीं तो वह ऐसे ही उस पेट्रोल पंप में जाने वाले लोगों को मारता रहेगा।
तो मैं क्या करूं भगवान सौरभ बोला - वो मेरे हाथों में रखें सिंदूर से सने त्रिशूल से उसके सर पर वार करों वह आत्मा नष्ट हो जाएगी।
इसके बाद जैसे सौरभ अपने स्वप्न से बाहर आ गया उसने भगवान का नाम लिया और उस त्रिशूल को अपने हाथों में छुपा लिया और उस मंदिर से बाहर आ गया वह शैतान सौरभ को जाने वाली नजरों से घूर रहा था, सौरभ उस सीमा से बाहर आ गया जिसके तुरंत बाद वह शैतान मुस्कुराते हुए तेज़ी से सौरभ को मारने के लिए आगे बढ़ा और जैसे ही सौरभ को मारने को हुआ तो सौरभ बेहद फुर्ती से वहां से हट और और अपने हाथ में छुपाए त्रिशूल को उसके सर पर गाड़ दिया।
वह शैतान तड़पने लगा और थोड़ी ही देर में धुंआ बनकर उड़ गया जिसके बाद सौरभ वही मंदिर के बाहर बैठ गया मन ही मन भगवान का धन्यवाद करने लगा।
®®®DINESH DIVAKAR "STRANGER"